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राज्यपाल का अभिभाषण

Lokesh Pal February 14, 2024 06:57 117 0

संदर्भ

हाल हीं में तमिलनाडु के राज्यपाल ने भ्रामक दावों और तथ्यों के साथ विरोधाभासी अंशों के कारण तथ्यात्मक और नैतिक आधार का हवाला देते हुए  पारंपरिक अभिभाषण देने से इंकार कर दिया।

 राज्यपाल का अभिभाषण: संवैधानिक इतिहास

  • समय-सम्मत संवैधानिक परंपरा: ब्रिटेन और भारत में, राज्यपाल सरकार द्वारा तैयार किये गये एक विशेष संबोधन (अभिभाषण) देने की समय-सम्मत संवैधानिक परंपरा  का पालन करता है।
  •  उद्देश्य: राज्य सरकार द्वारा तैयार किये गये सम्बोधन के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
    • पिछले वर्ष की सरकार की उपलब्धियों और गतिविधियों का सारांश प्रस्तुत करना।
    • आगामी सत्र के लिए योजनाओं की रूपरेखा के बारे में सदन को अवगत कराना।
    • अगले वर्ष के लिए नीति और विधायी प्रस्ताव प्रस्तुत करना।

 राज्य सरकार द्वारा अभिभाषण पहले प्रस्तुत करना:

  • राज्य सरकार अभिभाषण पहले से तैयार कर राज्यपाल को सौंपती है।
  • राज्यपाल द्वारा इसे बिना किसी बदलाव के अभिभाषित किया जाता है।
  • प्रथा को अपनाना: भारत में 18 मई, 1949 को संविधान सभा द्वारा राज्यपाल के अभिभाषण देने की परंपरा को अपनाया गया।

राष्ट्रपति या राज्यपाल सदन को किस प्रावधान के अंतर्गत संबोधित करते हैं?

  •  आमतौर पर इसे राष्ट्रपति या राज्यपाल के अभिभाषण के रूप में जाना जाता है। यह एक संवैधानिक प्रावधान है।
  •  संविधान राष्ट्रपति (अनुच्छेद 87) और राज्यपाल (अनुच्छेद 176) को सदन को संबोधित करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • यह विशेष शक्ति दो अवसरों के संबंध में है:
  1. आम चुनाव के बाद नई विधायिका के उद्घाटन सत्र को संबोधित करना।
  2. प्रत्येक वर्ष विधानमंडल की पहली बैठक को संबोधित करना।
  •  उपरोक्त अवसरों के संदर्भ में अभिभाषण की प्रकिया को पूरा किए बिना विधानमंडल का सत्र शुरू नहीं किया जा सकता है।
  •  अनुच्छेद 163: संविधान के अनुच्छेद 163 के अनुसार, राज्यपाल अधिकांश मुद्दों पर राज्य सरकारों की सहायता और सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य है।

  • भारत, ब्रिटेन और अमेरिका में विशेष संबोधन(अभिभाषण)
  • अमेरिका और ब्रिटेन में विशेष संबोधन से संबंधित काफी समान प्रावधान हैं
  • अमेरिका: अमेरिका में इसे संघ राज्य के नाम से जाना जाता है।
  •  अमेरिकी राष्ट्रपति देश की स्थिति और उससे निपटने के लिए आवश्यक कदमों के बारे में कांग्रेस को सूचित करने के लिए बाध्य हैं।
  •  हालाँकि, राष्ट्रपति के पास अपना लिखित भाषण कांग्रेस को भेजने का विकल्प है।

यूके: ब्रिटेन में इसे क्वीन्स स्पीच के नाम से जाना जाता है।

  •  ब्रिटेन में संसदीय वर्ष की शुरुआत महारानी के भाषण से होती है.
  •  ब्रिटिश प्रणाली सरकार द्वारा भाषण लिखने की अनुमति देती है।
  •  महारानी लिखित भाषण व्यक्तिगत रूप से पढ़ती हैं।

भारत: भारत ब्रिटिश प्रणाली का पालन करता है।

  • बी आर अम्बेडकर के अनुसार राष्ट्रपतिराज्य का प्रमुख होता है लेकिन कार्यपालिका का नहीं।
  • राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है लेकिन उस पर शासन नहीं करता।
  • विधानमंडल में राज्यपाल का भाषण सरकार के दृष्टिकोण और राज्य द्वारा तैयार की गई नीतियों को दर्शाता है।

 राज्य की विधानसभा को संबोधित करने के संबंध में राज्यपाल के क्या कार्य हैं?

  • सदन के पहले सत्र को संबोधित करना: राज्यपाल प्रत्येक वर्ष राज्य विधानमंडल के सत्र की शुरुआत में सदन को संबोधित करते हैं।
  • अध्यक्ष की अनुपस्थिति में सत्र का संचालन: यदि विधानसभा का अध्यक्ष अनुपस्थित है और उपाध्यक्ष मौजूद है, तो राज्यपाल सत्र का नेतृत्व करने के लिए किसी को चुनता है।
  •  सदन या सदनों को संदेश भेजना: अनुच्छेद-175 के अनुसार, राज्यपाल लंबित विधेयकों या किसी अन्य मामले के संबंध में विधानमंडल को संदेश भी भेज सकता है। विधानमंडल को इन संदेशों पर तुरंत ध्यान देना चाहिए।

निहितार्थ: यदि राज्यपाल विधानसभा अभिभाषण देने से इंकार कर देते हैं/असफल रहते हैं?

  •  संवैधानिक कर्तव्य: अंदुल गफूर हबीबुल्लाह बनाम स्पीकर, पश्चिम बंगाल विधानसभा (1966) मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बी एन बनर्जी के अनुसार, राज्यपाल भाषण देने से इंकार नहीं कर सकते क्योंकि यह एक संवैधानिक कर्तव्य है।
  • केरल विधानसभा में भी, राज्यपाल आतिफ मोहम्मद खान ने केवल दो पैराग्राफ पढ़े – परिचय और अंतिम पैराग्राफ।  पैराग्राफ-18 आने पर वह रुक गये लेकिन मुख्यमंत्री की इच्छा का सम्मान करते हुए वह अभिभाषण पढ़ने को तैयार हो गये।
  • अनियमितता, अवैधता नहीं: भले ही अनुच्छेद 176 के तहत अभिभाषण देना अनिवार्य है, उच्च न्यायालय (पश्चिम बंगाल विधानसभा 1966) ने कहा कि यदि राज्यपाल ऐसा करने में विफल रहते हैं और अभिभाषण को पटल पर रखने के बाद सदन छोड़ देते हैं, तो इसे एक अनियमितता माना जाए, अवैधता नहीं।
    • संविधान का अनुच्छेद-361 राज्यपालों को कानूनी कार्रवाइयों से पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है, क्योंकि संविधान निर्माताओं का मानना ​​था कि राज्यपाल ईमानदारी और उचित व्यवहार के उच्च मानकों को बनाए रखेंगे।
  •  न्यायपालिका का दृष्टिकोण: राज्यपाल भाषण देने से इनकार नहीं कर सकते लेकिन अनुच्छेद-212 मामूली प्रक्रियात्मक अनियमितताओं के कारण राज्यपाल को पूछताछ से बचाव करता है।
    • अनुच्छेद-212 के अनुसार, सदन की कार्यवाही को चुनौती नहीं दी जा सकती।

राज्य सरकार द्वारा तैयार राज्यपाल के अभिभाषण में केंद्र के मुद्दों का जिक्र:

  •  राज्य सरकार द्वारा राज्यपाल के लिए तैयार किए गए अभिभाषण में विभिन्न मामलों के संदर्भ में केंद्र सरकार की आलोचना की गई थी। जैसे –
    • जीएसटी व्यवस्था की आलोचना।
    • चेन्नई मेट्रो रेल परियोजना के लिए धन जारी करने में देरी।
    • केंद्र से बाढ़ राहत राशि की मांग।
    • भाषण में नागरिकता संशोधन कानून के क्रियान्वयन पर भी विरोध जताया गया।

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