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सरकार ने हरित उत्पादों के लिए नए लेबलिंग नियम अधिसूचित किए

Lokesh Pal October 05, 2024 03:17 10 0

संदर्भ

पर्यावरण अनुकूल उत्पादों की लेबलिंग पर अपनी प्रमुख योजना को नए सिरे से तैयार करते हुए, हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अपने मसौदा नियमों को अधिसूचित किए जाने के लगभग एक वर्ष बाद, इकोमार्क नियम, 2024 (Ecomark Rules, 2024) को अधिसूचित किया है।

इकोमार्क नियम, 2024 (Ecomark Rules, 2024)

  • केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इकोमार्क नियमों को अधिसूचित कर दिया है।

  • संरेखण: ये नियम वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए LiFE मिशन (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) का हिस्सा हैं।
  • प्रतिस्थापन: ये नियम वर्ष 1991 की इकोमार्क योजना के स्थान पर लाए गए हैं।
  • इन नियमों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के साथ साझेदारी में लागू किया जाएगा।

मुख्य उद्देश्य

  • हरित उद्योगों को बढ़ावा देना: यह पहल पर्यावरण अनुकूल उत्पादों के उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहित करती है, तथा स्थिरता और ऊर्जा/संसाधन दक्षता को बढ़ावा देती है।
  • उपभोक्ता जागरूकता: इकोमार्क का उद्देश्य उपभोक्ताओं को कम पर्यावरणीय प्रभाव वाले उत्पादों की पहचान करके संसूचित खरीद निर्णय लेने में मदद करना है।
  • चक्रीय अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकोनॉमी): ये नियम संसाधन संरक्षण का समर्थन करते हैं और ‘LiFE’ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) सिद्धांत के साथ संरेखित करते हुए पुनर्चक्रण एवं अपशिष्ट में कमी को बढ़ावा देते हैं।

इकोमार्क के लिए पात्रता मानदंड

  • उत्पादों द्वारा प्रदूषण कम होना चाहिए, अपशिष्ट को न्यूनतम करना चाहिए या पर्यावरणीय उत्सर्जन को समाप्त करना चाहिए।
  • पुनर्चक्रणीयता: पुनर्चक्रित सामग्रियों से बने उत्पादों या पुनर्चक्रणीय उत्पादों को प्राथमिकता देना।
  • संसाधनों का संरक्षण: अनवीकरणीय ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग को कम करना।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: कच्चे माल की सोर्सिंग, उत्सर्जन और पुनर्चक्रित या हानिरहित पदार्थों के उपयोग सहित उत्पादन प्रक्रिया पर विचार करना।

इकोमार्क के अंतर्गत आने वाले उत्पाद

  • सौंदर्य प्रसाधन: स्किन पाउडर, जिसमें शिशुओं के लिए पाउडर भी शामिल है; टूथपेस्ट पाउडर एवं टूथपेस्ट, स्किन क्रीम, बालों का तेल, शैंपू, साबुन, बालों का जेल, नेल पॉलिश, आफ्टरशेव लोशन, शेविंग क्रीम, कॉस्मेटिक पेंसिल, लिपस्टिक, आदि।
  • साबुन और डिटर्जेंट: पर्यावरण के अनुकूल विकल्प।
  • खाद्य पदार्थ: खाद्य तेल, चाय, कॉफी।
  • इलेक्ट्रिक/इलेक्ट्रॉनिक सामान: टीवी, रेफ्रिजरेटर, फूड मिक्सर, गीजर, टोस्टर, पंखे, आदि।
  • वस्त्र: पर्यावरण के अनुकूल कपड़े एवं परिधान।

आवेदन एवं सत्यापन प्रक्रिया

  • आवेदन: निर्माताओं को इकोमार्क के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) में आवेदन करना होगा। 
  • सत्यापन: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) या नामित सत्यापनकर्ता विस्तृत रिपोर्ट के माध्यम से अनुपालन का आकलन करेगा। 
  • वैधता: इकोमार्क तीन वर्ष या मानदंड में बदलाव होने तक वैध रहेगा। इसे नवीनीकृत किया जा सकता है।

अनुपालन एवं निगरानी

  • वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना: इकोमार्क के धारकों को प्रत्येक वर्ष 31 मई तक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
  • गलत जानकारी के लिए दंड: यदि गलत जानकारी प्रदान की जाती है तो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) मार्क को निलंबित या रद्द कर सकता है, हालाँकि धारक ऐसे निर्णयों के विरुद्ध अपील कर सकता है।

संस्थागत ढाँचा

  • संचालन समिति: पर्यावरण सचिव की अध्यक्षता में, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के सदस्य शामिल हैं।
  • भूमिका: समिति उत्पादों की सिफारिश करेगी, समय-समय पर मानदंडों की समीक्षा करेगी, तथा पर्यावरणीय प्रभावों के सत्यापन के लिए अनुसंधान को समर्थन देगी।

इकोमार्क का महत्त्व

  • सतत् विकास को बढ़ावा: इकोमार्क औद्योगिक प्रथाओं को सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ संरेखित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • पर्यावरण के अनुकूल नवाचारों को प्रोत्साहित करता है: उद्योगों को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं की ओर प्रेरित करता है, जो संसाधनों की खपत तथा प्रदूषण को कम करते हैं।
  • पर्यावरणीय क्षरण को कम करता है: पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के उत्पादन को प्रोत्साहित करके, प्रदूषण, अपशिष्ट और विभिन्न क्षेत्रों में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में सहायता  करता है।
  • उपभोक्ताओं को सशक्त बनाता है: उपभोक्ताओं को सूचित एवं प्रभावी निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाता है, जिससे वे पारंपरिक उत्पादों की तुलना में हरित उत्पादों को चुनकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकें।
  • राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण प्रतिबद्धताओं का समर्थन करता है: ये नियम पेरिस समझौते और जैव विविधता संरक्षण पहल जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत जलवायु संबंधी लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करते हैं।
  • हरित विनिर्माण को प्रोत्साहित करता है: निर्माताओं को पर्यावरण के अनुकूल उत्पादन प्रक्रियाओं की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
    • भारत में हरित उद्योगों के विकास को प्रोत्साहित करता है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB)

  • गठन: इसका गठन सितंबर 1974 में जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1974 के तहत किया गया था।
  • शक्तियाँ: इसे वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत शक्तियाँ और कार्य भी सौंपे गए हैं।
  • प्रमुख कार्य
    • जल प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और कमी करके राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में नदियों तथा कुओं की सफाई को बढ़ावा देना, और
    • देश में वायु की गुणवत्ता में सुधार करना और वायु प्रदूषण को रोकना, नियंत्रित करना या कम करना।
    • यह पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी प्रदान करता है।

इकोमार्क योजना (Ecomark Scheme

  • लॉन्च: इकोमार्क योजना की शुरुआत भारत सरकार ने वर्ष 1991 में की थी।
  • प्रशासन: इसका प्रशासन भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा किया जाता है, जिसकी निगरानी केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा की जाती है।
  • प्रतीक: इकोमार्क का प्रतीक ‘मटका’ (मिट्टी का बर्तन) है, जो भारतीय बाजार में पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों का प्रतिनिधित्व करता है।
  • स्वैच्छिक आधार: यह योजना स्वैच्छिक रूप से संचालित होती है, गैर-बाध्यकारी, जिससे निर्माता लेबल के लिए आवेदन कर सकते हैं।
  • मानकों का अनुपालन: ECO लोगो और ISI मार्क दोनों प्रदर्शित करने वाले उत्पाद यह दर्शाते हैं कि वे पर्यावरण मानदंडों के साथ-साथ प्रासंगिक भारतीय मानकों में निर्दिष्ट गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हैं।

मिशन LiFE (Mission LiFE) 

  • मिशन LiFE का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा 20 अक्टूबर, 2022 को किया गया।
  • यह पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली (LiFEStyle For Environment) को बढ़ावा देता है, जो विचारहीन एवं बेकार उपभोग के बजाय सचेत और उद्देश्यपूर्ण उपयोग पर केंद्रित है।
  • मिशन LiFE की अवधारणा, जिसका अर्थ है ‘पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली”, पहली बार प्रधानमंत्री द्वारा 1 नवंबर, 2021 को ग्लासगो में COP-26 सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया था।
  • उद्देश्य
    • ‘उपयोग और निपटान’ वाली अर्थव्यवस्था से सक्रिय एवं प्रभावी उपभोग पर आधारित एक चक्रीय अर्थव्यवस्था में स्थानांतरित करना।
    • लोगों को एक स्थायी और पर्यावरण के प्रति जागरूक तरीके से जीने के लिए प्रोत्साहित करना।
    • वर्ष 2022 और 2028 के बीच पर्यावरण की रक्षा तथा संरक्षण के लिए व्यक्तिगत एवं सामूहिक कार्रवाई करने के लिए कम-से-कम 1 बिलियन लोगों को प्रेरित करना।
  • यह P3 मॉडल यानी ‘प्रो प्लैनेट पीपल’ की अवधारणा को बढ़ावा देता है।
  • यह ‘ग्रह की जीवनशैली, ग्रह के लिए और ग्रह द्वारा’ (Lifestyle of the planet, for the planet and by the planet) के मूल सिद्धांतों पर कार्य करता है।

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