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GPS आधारित टोल संग्रहण (GPS based toll collection)

Samsul Ansari January 18, 2024 03:23 127 0

संदर्भ 

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) टोल प्लाजा पर भीड़ कम करने के उद्देश्य से पूरे भारत में कई राजमार्गों पर GPS आधारित टोल संग्रहण शुरू करने वाला है।

संबंधित तथ्य 

  • ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (GPS) आधारित टोल जमा करने की यह प्रणाली मौजूदा फास्टैग (FASTag) प्रणाली की जगह लेगा, जो ‘रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID)’ तकनीक का उपयोग करता है।
  • इस प्रणाली को समय के साथ कई चरणों में लागू किया जाएगा। शुरुआती दौर में, इसे अपनाने में छूट दी जाएगी।
  • गोपनीयता तथा नियंत्रण-प्रक्रियाओं से संबंधित चिंताओं का समाधान किया जा रहा है।

GPS आधारित टोल संग्रह प्रणाली 

  • नई प्रणाली में यात्रा की दूरी के आधार पर शुल्क का निर्धारण होगा, जिसके कारण कम दूरी वाली यात्राओं का शुल्क निश्चित रूप से कम हो जाएगा।
  • वाहनों को GPS/RFID उपकरणों तथा बैंक खातों से जोड़ा जाएगा।
  • टोल संग्रहण की इस व्यवस्था में वाहनों के आकार एवं वजन को ध्यान में रखा जाएगा ताकि छोटे और हल्के वाहनों को कम भुगतान करना पड़े।
  • इस व्यवस्था का असर सबसे पहले वाणिज्यिक वाहनों पर पड़ने की उम्मीद है क्योंकि वे टोल से प्राप्त राजस्व में 80% का योगदान देते हैं।

GPS आधारित टोल संग्रहण प्रणाली की कार्यशैली 

  • GPS उपकरण को वाहनों से जोड़ा जाता है, जिसके कारण वाहन की वास्तविक और सटीक अवस्थिति का पता चल जाता है, किंतु इस प्रणाली को स्थापित एवं नियंत्रित करने के लिए नियमित व्यय की आवश्यकता है।
  • स्वचालित कैमरे के माध्यम से वाहनों की नंबर पट्टिकाओं की पहचान की जाएगी जिसके लिए ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (OCR) का उपयोग किया जा रहा है।
    • OCR से संचालित प्रणाली GPS उपकरणों की तुलना में सस्ती है, परंतु अस्पष्ट नंबर पट्टिका या खराब मौसम की स्थिति में उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

प्रणाली अपनाने का लाभ 

  • अधिक न्यायसंगत: दूरी के आधार पर शुल्क का निर्धारण होगा।
  • त्वरित और निपुण प्रणाली: टोल प्लाजा पर रुकने की कोई आवश्यकता नहीं है, साथ ही टोल संग्रहण में त्रुटियाँ कम होंगी।
  • टोल पर कम व्यय करने वाले वाहनों को पुरस्कृत किया जाएगा।
  • भारी वाहनों पर अधिक शुल्क लगाकर सड़कों को ज्यादा सुरक्षित रखा जा सकता है।
  • ‘GPS आधारित टोल प्रणाली’ वर्तमान में लागू फास्टैग प्रणाली से अधिक कुशल और न्यायसंगत होने की क्षमता रखती है।

चुनौतियाँ

  • GPS आधारित टोल प्रणाली में गोपनीयता संबंधी चिंताएँ हैं।
  • राजमार्गों पर तकनीकी संबंधी बुनियादी ढाँचे के विकास की आवश्यकता है।
  • डेटा की गोपनीयता के नियंत्रण हेतु एक संस्था स्थापित करने की आवश्यकता है।
  • हालाँकि, देश भर में इस प्रणाली को लागू करने से पहले गोपनीयता संबंधी चिंताओं को दूर करने तथा एक नियामक संस्था स्थापित करने की जरूरत है।

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