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ग्रेट इंडियन बस्टर्ड

Lokesh Pal July 29, 2025 03:03 12 0

संदर्भ 

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति ने राजस्थान और गुजरात में गंभीर रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard- GIB) की विद्युत लाइन से संबंधित मौतों को कम करने के लिए नामित ‘पॉवर कॉरिडोर’ और संशोधित प्राथमिकता संरक्षण क्षेत्रों का प्रस्ताव दिया है।

संबंधित तथ्य

  • लगभग 150 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) ही बचे हैं और उनकी संख्या में कमी का मूल कारण विद्युत लाइनों, आवास की हानि, अवैध शिकार और परभक्षण है।

GIB के आवास का वर्गीकरण

  • प्राथमिकता युक्त क्षेत्र (नियमित GIB उपस्थिति)
  • अतिरिक्त महत्त्वपूर्ण क्षेत्र (मौसमी उपयोग)
  • संभावित क्षेत्र (संभावित भावी आवास)
  • इन क्षेत्रों का मानचित्रण भारतीय वन्यजीव संस्थान और राजस्थान वन विभाग द्वारा वर्ष 2014 से एकत्रित दीर्घकालिक क्षेत्र सर्वेक्षणों तथा उपग्रह ट्रैकिंग डेटा का उपयोग करके किया गया है।

राजस्थान में विशिष्ट क्षेत्र निम्नलिखित हैं:-

  • डेजर्ट नेशनल पार्क
  • पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज
  • रामदेवरा बफर जोन
  • धोलिया, खेतोलाई, सलखा-कुचरी।

समिति की प्रमुख सिफारिशें

  1. निर्दिष्ट पॉवर कॉरिडोर: राजस्थान (5 किमी. चौड़ा) और गुजरात (1-2 किमी. चौड़ा) में ओवरहेड पॉवर लाइनों के लिए अनुमति, ताकि नवीकरणीय ऊर्जा विकास की अनुमति देते हुए ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ (GIB) के लिए जोखिम को कम किया जा सके।
  2. GIB के लिए संशोधित प्राथमिकता आधारित क्षेत्र: GIB के लिए प्राथमिकता युक्त क्षेत्रों को राजस्थान में 14,013 वर्ग किलोमीटर और गुजरात में 740 वर्ग किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया है। इन क्षेत्रों को अब केंद्रित संरक्षण और विकास प्रतिबंधों के लिए चिह्नित किया गया है।
  3. वोल्टेज-आधारित विद्युत लाइन प्रबंधन
    • चुनिंदा 33 Kv लाइनों को तत्काल भूमिगत किया जाएगा।
    • प्राथमिकता आधारित क्षेत्रों में कोई नया विद्युत बुनियादी ढाँचा नहीं बनाया जाएगा (सौर ऊर्जा >2 मेगावाट, पवन टर्बाइन, ओवरहेड लाइनें)।
  4. प्रस्तावित संरक्षण उपाय
    • ‘जंप-स्टार्ट’ विधि: गुजरात में मादाओं द्वारा इनक्यूबेशन के लिए अंतिम चरण में पहुँचे ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) अंडों को राजस्थान से प्राप्त किया जाता है।
    • गुजरात में शेष सभी GIB की टैगिंग, ताकि उनकी आवाजाही और अस्तित्व पर नजर रखी जा सके।
  5. असहमति नोट: एक सदस्य ने असहमति जताते हुए संशोधित क्षेत्रों में सभी 33 KV लाइनों से अधिक को भूमिगत करने या उनका मार्ग बदलने की माँग की तथा चेतावनी दी कि GIB की ज्ञात उपस्थिति के बावजूद प्रमुख आवासों को संरक्षण से बाहर रखा गया है।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) के बारे में

  • वैज्ञानिक नाम: आर्डियोटिस नाइग्रिसेप्स (Ardeotis Nigriceps)।

  • स्थिति: उड़ने वाले सबसे भारी पक्षियों में से एक, IUCN की रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered)।
  • संरक्षण: वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I और CITES के परिशिष्ट I के अंतर्गत सूचीबद्ध।
  • वितरण: मुख्य रूप से राजस्थान के थार रेगिस्तान में पाया जाता है, भारत में इसकी अनुमानित कुल संख्या केवल 100-150 है।
  • भौतिक विशेषताएँ
    • लंबे, नंगे पैरों और क्षैतिज शरीर वाला बड़ा पक्षी, शुतुरमुर्ग जैसा दिखता है।
    • हल्के पीले सिर और गर्दन पर उल्लेखनीय ‘ब्लैक क्राउन’ जैसी आकृति।
    • शरीर भूरा है और पंख काले, भूरे और स्लेटी रंग के हैं।
    • नर एवं मादा आकार में समान होते हैं; सबसे बड़े पक्षियों का वजन 15 किलोग्राम तक होता है।
  • आहार और प्रजनन: सर्वाहारी और अवसरवादी, बीज, कीड़े (जैसे- भृंग और टिड्डे), छोटे कृंतक और सरीसृप का उपभोग करते हैं।
    • मानसून के दौरान प्रजनन करता है; मादा खुले मैदान में एक अंडा देती है।
  • आवास: भोजन और घोंसला बनाने के लिए सूखे घास के मैदानों तथा झाड़ियों को पसंद करता है।
  • जीवनकाल: लगभग 12-15 वर्ष

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण में चुनौतियाँ

  • कम प्रजनन दर: ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) प्रतिवर्ष केवल एक ही अंडा देती है, वह भी भूमि पर, जो शिकारियों के लिए अत्यंत असुरक्षित होता है। साथ ही, चूजे का पालन-पोषण लगभग दो वर्षों तक किया जाता है, जिससे इसकी जनसंख्या वृद्धि अत्यंत सीमित हो जाती है।
  • विद्युत तारों से टकराव: GIB की सामने से देखने की क्षमता कमजोर होती है और उनका शरीर बड़ा होता है, जिससे उनके ऊपर लगे तारों से टकराने की संभावना बढ़ जाती है।
  • आवास पर दबाव: कृषि, बुनियादी ढाँचे तथा चरागाहों के विस्तार के कारण ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) के प्राकृतिक चरागाही आवासों का क्षरण निरंतर जारी है, जिससे इनके पुनर्वास की संभावनाएँ और भी सीमित होती जा रही हैं।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB ) के संरक्षण के लिए उठाए गए कदम

  • प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम: GIB, वन्यजीव आवास विकास योजना के अंतर्गत केंद्र प्रायोजित प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम का एक हिस्सा है।
  • बस्टर्ड पुनर्प्राप्ति परियोजना: यह परियोजना वर्ष 2016 में शुरू की गई, जिसकी रूपरेखा राजस्थान सरकार और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा तैयार की गई थी।
    • प्रतिपूरक वनीकरण कोष द्वारा इस परियोजना को वित्तपोषित किया गया, जिसमें वनों को वन रहित उपयोगों के लिए परिवर्तित करने के बदले वनीकरण हेतु एकत्रित धन शामिल है।
  • घोषित संरक्षित क्षेत्र: मरुस्थलीय राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) और नलिया घास के मैदान (लाला बस्टर्ड वन्यजीव अभयारण्य, गुजरात) जैसे प्रमुख आवासों को अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान के रूप में नामित किया गया है।
  • वित्तीय और तकनीकी सहायता: केंद्र सरकार GIB संरक्षण और सुरक्षा उपायों के लिए राज्यों को सहायता प्रदान करती है।
  • संरक्षण प्रजनन: वनों में छोड़ने के लिए इनकी संख्या में वृद्धि करना तथा ‘इन-सीटू’ संरक्षण को समर्थन देने के लिए बंदी प्रजनन केंद्रों की स्थापना की गई (जैसे- राजस्थान में सैम (Sam) और रामदेवरा (Ramdevra)
  • कानूनी संरक्षण: वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I में सूचीबद्ध, उच्चतम स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और शिकार पर प्रतिबंध लगाता है।
  • संरक्षण प्रजनन केंद्र (CBC): GIB के दीर्घकालिक प्रजनन और भविष्य में पुनःवनीकरण के लिए रामदेवरा और सोरसन में स्थापित किया गया है।

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