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ग्रेट निकोबार परियोजना: नीति आयोग

Lokesh Pal June 27, 2024 05:00 167 0

संदर्भ

हाल ही में विपक्षी पार्टी और पर्यावरण संरक्षणवादियों ने ग्रेट निकोबार द्वीप पर प्रस्तावित 72,000 करोड़ रुपये के बुनियादी ढाँचे के विकास को स्थानीय निवासियों और द्वीप के सुभेद्द्य पारिस्थितिकी तंत्र दोनों के लिए ‘गंभीर खतरा’ बताया है। 

ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना (Great Nicobar Island Project)

  • परियोजना: वर्ष 2021 में प्रारंभ की गई ग्रेट निकोबार आइलैंड (GNI) परियोजना अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के दक्षिणी भाग में स्थित एक महत्त्वपूर्ण विकास परियोजना है। 
    • इस मेगा परियोजना में एक ट्रांस-शिपमेंट बंदरगाह का निर्माण, एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, एक टाउनशिप का विकास एवं द्वीप पर 450 MVA गैस और सौर आधारित विद्युत संयंत्र की स्थापना शामिल है। 
  • नीति आयोग की रिपोर्ट: यह परियोजना नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद प्रारंभ की गई थी, जिसमें द्वीप की रणनीतिक एवं सामरिक स्थिति का महत्त्व प्रदर्शित किया गया था, जो दक्षिण-पश्चिम में श्रीलंका के कोलंबो से तथा दक्षिण-पूर्व में मलेशिया के पोर्ट क्लैंग और सिंगापुर से लगभग समान दूरी पर स्थित है।
  • परियोजना की विशेषताएँ: अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह एकीकृत विकास निगम (ANIIDCO) इस महत्त्वाकांक्षी बुनियादी ढाँचा परियोजना का कार्यान्वयन कर रहा है, जिसमें एक प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट टर्मिनल (International Container Trans-shipment Terminal- ICTT) और एक ग्रीनफील्ड अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा शामिल है। 
    • बंदरगाह भारतीय नौसेना के अधिकार क्षेत्र में होगा, जबकि हवाई अड्डा पर्यटन सहित सैन्य और नागरिक दोनों उद्देश्यों की पूर्ति करेगा। 

ग्रेट निकोबार विकसित करने के कारण

  • सामरिक समुद्री हब: मलक्का जलडमरूमध्य के निकट स्थित, जो हिंद महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ने वाला प्राथमिक जलमार्ग है, अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट टर्मिनल (ICTT) ग्रेट निकोबार को क्षेत्रीय और वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में शामिल होने में सक्षम बनाने के लिए तैयार है, जो कार्गो ट्रांसशिपमेंट में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा। 
    • ICTT और विद्युत संयंत्र के लिए प्रस्तावित स्थल ग्रेट निकोबार द्वीप के दक्षिण-पूर्वी भाग  में स्थित गैलेथिया खाड़ी है, जो मानव निवास से रहित क्षेत्र है। 
  • सैन्य क्षमता में वृद्धि: इस उन्नयन का उद्देश्य अतिरिक्त सैन्य बलों, बड़े युद्धपोतों, विमानों, मिसाइल और सैनिकों को शामिल करना है। द्वीपसमूह के चारों ओर सख्त निगरानी सुनिश्चित करना और ग्रेट निकोबार पर एक मजबूत सैन्य उपस्थिति स्थापित करना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण है। 
  • रणनीतिक स्थल: मलक्का जलडमरूमध्य के निकट स्थित, जो हिंद महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ने वाला प्रमुख जलमार्ग है, ICTT से ग्रेट निकोबार को कार्गो ट्रांस-शिपमेंट के माध्यम से क्षेत्रीय और वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था के रूप में  विकसित करना।  
    • बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर क्षेत्र भारत के लिए अत्यंत सामरिक और सुरक्षा संबंधी महत्त्व रखते हैं, क्योंकि चीनी सेना (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी) इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति और प्रभाव बढ़ाने के प्रयास कर रही है। 
  • नौसेना सुरक्षा चिंताएँ: भारत का ध्यान विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मलक्का (Malacca), सुंडा (Sunda) और लोम्बोक जलडमरूमध्य (Lombok Straits) सहित महत्त्वपूर्ण अवरोधक बिंदुओं पर चीनी नौसेना बलों की उपस्थिति पर केंद्रित है। 
    • इसके अतिरिक्त चीन, भारत के अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह से सिर्फ 55 किमी. उत्तर में स्थित कोको द्वीपसमूह पर एक सैन्य स्टेशन स्थापित करके इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मजबूत करना चाहता है। 
    • क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के लिए अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के सामरिक महत्त्व को देखते हुए यह भारत के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है। 
  • चुनौतियों का समाधान: यह द्वीप भारत के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण मुद्दों जैसे समुद्री डकैती, तस्करी, समुद्र में संचार लाइनों को सुरक्षित करने और विशेष रूप से चीनी जहाजों द्वारा घुसपैठ से निपटने के लिए एक प्राकृतिक अवरोधक के रूप में कार्य करता है। 
  • ब्लू इकॉनोमी को बढ़ावा देना: इस परियोजना का उद्देश्य अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में एक आर्थिक केंद्र स्थापित करना है, जिससे ब्लू इकोनॉमी में वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त, इसका उद्देश्य एक मुक्त व्यापार क्षेत्र विकसित करना, राउंड-ट्रिपिंग पर अंकुश लगाना और इस क्षेत्र को एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) के रूप में बढ़ावा देना है। 

ग्रेट निकोबार द्वीप

  • अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह: अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में कुल 836 द्वीप शामिल हैं, जिन्हें दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है: उत्तर में अंडमान द्वीप और दक्षिण में निकोबार द्वीप। ये समूह 10° चैनल द्वारा अलग किए गए हैं, जो 150 किलोमीटर की चौड़ाई में विस्तृत  है। 
  • स्थिति: ग्रेट निकोबार द्वीप अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के दक्षिणी भाग में  स्थित है, जो पूर्वी तट पर रंगनाथ खाड़ी से दक्षिण की ओर गैलेथिया खाड़ी, इंदिरा पॉइंट के आसपास, तथा पेमय्या खाड़ी (Pemayya Bay) तक विस्तृत है। 
  • सामरिक महत्त्व: दक्षिण-पश्चिम में कोलंबो और दक्षिण-पूर्व में पोर्ट क्लैंग और सिंगापुर के बीच समान दूरी पर स्थित, ग्रेट निकोबार द्वीप सामरिक रूप से पूर्व-पश्चिम अंतरराष्ट्रीय शिपिंग गलियारे के निकट स्थित है। 
  • निवासी: यह द्वीप दो जनजातियों का निवास स्थल है: शोम्पेन (Shompen) और निकोबारी (Nicobarese)। 
  • बहुसंख्यक जनसंख्या: ग्रेट निकोबार में बहुसंख्यक लोग वे हैं, जो मुख्य भूमि भारत से द्वीप पर आकर बसे हैं। वर्ष 1968 और 1975 के बीच, भारत सरकार ने पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु के अलावा कुछ अन्य स्थानों से सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों और उनके परिवारों को यहाँ बसाया था।  
  • वनस्पति और जैव विविधता: इस द्वीप में उष्णकटिबंधीय आर्द्र सदाबहार वन हैं और यहाँ विभिन्न प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हैं, जिनमें 14 स्तनपायी प्रजातियाँ, 71 पक्षी प्रजातियाँ, 26 सरीसृप प्रजातियाँ, 10 उभयचर प्रजातियाँ और 113 मछली प्रजातियाँ शामिल हैं। 
    • लेदर-बेक समुद्री कछुआ विशेष रूप से द्वीप की जैव विविधता का प्रतीक है।

ग्रेट निकोबार द्वीप समूह में जनजातियाँ

  • शोम्पेन: शोम्पेन जनजाति, जिनकी कुल संख्या लगभग 250 है, अधिकांशतः आंतरिक वनों में रहती है तथा शेष जनसंख्या से अपेक्षाकृत अलग-थलग रहती है। 
    •  यह जनजाति मुख्य रूप से शिकारी-संग्राहक है और अनुसूचित जनजातियों की सूची में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह के रूप में वर्गीकृत है।
    • शोम्पेन की अपनी विशिष्ट भाषा है।
  • निकोबारी: निकोबारी समुदाय खेती और मछली पकड़ने का कार्य करते है। इसके दो समूह हैं: ग्रेट निकोबारी और लिटिल निकोबारी। 
    • वे निकोबारी भाषा की अलग-अलग बोलियों का प्रयोग करते हैं। ग्रेट निकोबारी वर्ष 2004 में सुनामी आने तक द्वीप के दक्षिण-पूर्वी और पश्चिमी तट पर रहते थे, जिसके बाद सरकार ने उन्हें कैंपबेल बे (Campbell Bay) में बसाया। आज, द्वीप पर लगभग 450 ग्रेट निकोबारी जनसंख्या है। 
    • लगभग 850 की संख्या वाले लिटिल निकोबारी लोग अधिकांश ग्रेट निकोबार के अफरा खाड़ी में तथा इस द्वीपसमूह के दो अन्य द्वीपों, पुलोमिलो और लिटिल निकोबार में रहते हैं। 

ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना से संबंधित विरोध

  • स्वदेशी जनजातियों पर प्रभाव: शोम्पेन और निकोबारी, जिन्हें शिकारी-संग्राहकों के एक विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (Particularly Vulnerable Tribal Group- PVTG) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, की संख्या केवल 100 है और वे इस द्वीप पर एक जनजातीय क्षेत्र में रहते हैं। 
    •  इस बात को लेकर गंभीर चिंताएँ हैं कि प्रस्तावित बुनियादी ढाँचे के उन्नयन से शोम्पेन जनजाति और उनकी पारंपरिक जीवन शैली पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, जो द्वीप के प्राकृतिक पर्यावरण के साथ गहराई से जुड़ी हुई है। 
  • वन अधिकारों का उल्लंघन: यह परियोजना वन अधिकार अधिनियम (2006) में उल्लिखित सिद्धांतों का खंडन करती है, जो शोम्पेन को जनजातीय रिजर्व की सुरक्षा, संरक्षण, विनियमन और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार एकमात्र कानूनी रूप से अधिकृत निकाय के रूप में नामित करता है। 
  • पारिस्थितिकीय प्रभाव: इस परियोजना से लगभग 10 लाख पेड़ों के कटने से द्वीप की पारिस्थितिकी पर विपरीत प्रभाव  पड़ेगा। बंदरगाह विकास के कारण संभावित प्रवाल भित्तियों के विनाश से स्थानीय समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ने की आशंका है। 
    • निकोबार मेगापोड पक्षी (Nicobar Megapode Bird) और गैलाथिया खाड़ी (Galathea Bay) में घोंसला बनाने वाले लेदर-बेक समुद्री कछुआ जैसी स्थलीय प्रजातियों के लिए भी भी गंभीर खतरा है। यह क्षेत्र ग्रेट निकोबार द्वीप का लगभग 15% हिस्सा है। 
  • भूकंपीय जोखिम (Seismic Risks): प्रस्तावित बंदरगाह भूकंपीय गतिविधियों की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है, जहाँ वर्ष 2004 की सुनामी के दौरान लगभग 15 फीट का स्थायी अवतलन हुआ था। 
    • इससे ऐसे उच्च जोखिम वाले, आपदा-प्रवण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचा परियोजना के निर्माण की सुरक्षा और व्यवहार्यता के संबंध में गंभीर चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
  • परामर्श संबंधी मुद्दे: स्थानीय प्रशासन पर कानून के अनुसार, ग्रेट एवं लिटिल निकोबार द्वीपसमूह की जनजातीय परिषद के साथ अपर्याप्त परामर्श करने का आरोप है।
    • अप्रैल 2023 में, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने परियोजना के लिए जारी पर्यावरण और वन मंजूरी में हस्तक्षेप न करने का निर्णय लिया तथा न्यायाधिकरण ने इन मंजूरियों का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति की स्थापना का निर्देश दिया।

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG)

  • परिचय: जनजातीय समूहों में PVTG अत्यधिक पिछड़ा जनजातीय समूह है। परिणामस्वरूप, अधिक विकसित और मुखर जनजातीय समूहों को जनजातीय विकास निधि का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा प्राप्त होता है, जिससे PVTG को अपने विकास के लिए लक्षित निधि की अधिक आवश्यकता होती है।
  • इतिहास: वर्ष 1975 में भारत सरकार ने ढेबर आयोग की सिफारिशों के आधार पर 52 आदिवासी समूहों को PVTGs के रूप में नामित किया। वर्तमान में, 705 अनुसूचित जनजातियों में से 75 को PVTGs के रूप में मान्यता प्राप्त है।

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