हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने निम्नीकृत भूमि पर वृक्षारोपण के माध्यम से ‘ग्रीन क्रेडिट’ उत्पन्न करने पर ध्यान केंद्रित करने वाली एक पहल शुरू की।
संबंधित तथ्य:
COP-28 में भारतीय प्रधानमंत्री ने ग्रीन क्रेडिट हेतु एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के बाज़ार निर्माण की उम्मीद में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने यह अवधारणा प्रस्तुत की।
दुबई में संचालित जलवायु वार्ता या COP-28 में एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम के दौरान इस बात पर प्रकाश डाला गया कि ग्रीन क्रेडिट पहल कार्बन क्रेडिट की व्यावसायिक प्रकृति से बेहतर है।
ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम
प्रारंभ: भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2021 में घोषित ‘LIFE’ – ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ यानी ‘पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अभियान’ को आगे बढ़ाने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अक्तूबर, 2023 में दो अग्रणी पहल शुरू की हैं जो जलवायु परिवर्तन, स्थिरता और पर्यावरण के प्रति जागरूक प्रथाओं को प्रोत्साहन देने के लिए देश के सक्रिय दृष्टिकोण का संकेत देती हैं।
ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (GCP)
ईकोमार्क योजना
लक्ष्य: ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम एक अभिनव बाज़ार-आधारित व्यवस्था है, जिसे व्यक्तियों, समुदायों, निजी क्षेत्र के उद्योगों और कंपनियों जैसे विभिन्न हितधारकों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
प्रशासकीय ढाँचा: ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम का शासकीय ढाँचा एक अंतर-मंत्रालयी संचालन समिति द्वारा समर्थित है और भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE), ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम के प्रशासक के रूप में कार्य करता है, जो कार्यक्रम कार्यान्वयन, प्रबंधन, निगरानी और संचालन के लिए जिम्मेदार है।
कार्य: ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम अपने प्रारंभिक चरण में, दो प्रमुख गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करता है: जल संरक्षण और वनीकरण।
ग्रीन क्रेडिट देने के लिए प्रारूप पद्धति विकसित की गई है और हितधारक परामर्श के लिए इसे अधिसूचित किया जाएगा। ये पद्धतियाँ प्रत्येक गतिविधि/प्रक्रिया के लिए मानक निर्धारित करती हैं, जिससे सभी क्षेत्रों में पर्यावरणीय प्रभाव और प्रतिस्थापना सुनिश्चित की जा सके।
एक उपयोगकर्ता-अनुकूल डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म परियोजनाओं के पंजीकरण, उसके सत्यापन और ग्रीन क्रेडिट जारी करने की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेगा।
भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद द्वारा विकसित किया जा रहा ग्रीन क्रेडिट रजिस्ट्री और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, पंजीकरण तथा उसके बाद ग्रीन क्रेडिट की खरीद और बिक्री की सुविधा प्रदान करेगा।
अन्य क्षेत्र:
ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम जल संरक्षण या मृदा सुधार जैसे अन्य पर्यावरणीय कार्यों के लिए इस तंत्र के उपयोग का प्रयास करता है।
ऐसी कार्रवाइयों को मापने और सत्यापित करने के तरीके और मानक अभी भी विकसित किए जा रहे हैं। बाज़ार को भी विकसित करना होगा।
प्रारंभ में यह परिकल्पना की गई है कि निजी कंपनियाँ अपने सीएसआर दायित्वों के हिस्से के रूप में इन ग्रीन क्रेडिट को खरीदेंगी।
कार्बन क्रेडिट और ग्रीन क्रेडिट:
कार्बन क्रेडिट: कार्बन क्रेडिट के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी बाज़ार-आधारित प्रणाली पहले से ही मौजूद है, जो कार्बन क्रेडिट में व्यापार की अनुमति देती है।
इसके तहत कंपनियाँ या राष्ट्र अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए कार्रवाई करते हैं तो कार्बन क्रेडिट का दावा कर सकते हैं। इन क्रेडिटों का पैसे के बदले व्यापार किया जा सकता है। अपने उत्सर्जन मानकों को प्राप्त करने में असमर्थ कंपनियाँ इन क्रेडिट को खरीदने और अपने प्रदर्शन में सुधार करने के लिए भुगतान करती हैं।
कार्बन बाज़ारों के विपरीत, जो उद्योग और निगमों पर अधिक केंद्रित हैं, ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम व्यक्तियों और समुदायों को भी लाभ पहुँचा सकता है।
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