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ग्रीन ग्लास सीलिंग: IMF विश्लेषण

Lokesh Pal October 11, 2024 05:14 103 0

संदर्भ 

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) के एक नए विश्लेषण के अनुसार, ग्रीन सेक्टर में रोजगार के अवसरों में वृद्धि के बावजूद, सतत् उद्योगों में कम महिलाएँ कार्य कर रही हैं।

ग्रीन ग्लास सीलिंग क्या है?

  • अदृश्य बाधा: ‘ग्रीन ग्लास सीलिंग’ एक अदृश्य बाधा है, जो महिलाओं को अक्षय ऊर्जा, सतत् कृषि और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे सतत् उद्योगों में उच्च पद पाने से रोकती है।
  • लिंग अंतर प्रभाव: चूँकि इन नौकरियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है, इसलिए लिंग अंतर जारी है, और इससे विश्व के लिए हरित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना कठिन हो गया है।
  • महिलाओं के रोजगार पर प्रभाव
    • नौकरी के कम अवसर: महिलाओं को नौकरी मिलने के कम अवसर मिलते हैं और संधारणीय उद्योगों में नेतृत्व की भूमिका निभाने की संभावना कम होती है।
    • वेतन अंतर: हरित क्षेत्रक में कार्य करने वाली महिलाएँ अक्सर अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में कम कमाती हैं।
    • कॅरियर में उन्नति के मुद्दे: वरिष्ठ पदों पर महिलाओं की कम संख्या के कारण, उनके लिए अपने कॅरियर में आगे बढ़ना और निर्णय लेने में अपनी बात रखना कठिन होता है।
    • अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: इन नौकरियों में महिलाओं की कम संख्या होने से हरित अर्थव्यवस्था की ओर बदलाव धीमा हो सकता है क्योंकि नए समाधानों और प्रगति के लिए अलग-अलग विचार और कौशल महत्त्वपूर्ण हैं।
  • ग्रीन ग्लास सीलिंग से निपटने के लिए कदम
    • लैंगिक समानता को बढ़ावा देना: सभी को- सरकारें, व्यवसाय और समाज – स्थायी उद्योगों में लैंगिक समानता का समर्थन करने के लिए मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।
    • समान अवसर बनाना: यह सुनिश्चित करना कि महिलाओं को इन क्षेत्रों में समान नौकरी के अवसर मिलें।
    • समावेशिता को प्रोत्साहित करना: एक समावेशी वातावरण बनाए रखना, जो महिलाओं को स्थायी उद्योगों में अपने कॅरियर में आगे बढ़ने में मदद करे।

हरित क्षेत्रक

  • ‘हरित क्षेत्रक’ में वे उद्योग और प्रथाएँ शामिल हैं, जो पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता को प्राथमिकता देते हैं।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन को कम करना, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना और जलवायु परिवर्तन से निपटना है।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • स्थिरता: ऐसी प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करता है, जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचाती हैं या संसाधनों को नष्ट नहीं करती हैं।
    • नवीकरणीय ऊर्जा: सौर, पवन और जल विद्युत जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करता है।
    • कम कार्बन फुटप्रिंट: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य रखता है।

  • हरित क्षेत्र का महत्त्व
    • पर्यावरण संरक्षण: जलवायु परिवर्तन को कम करना और पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करना।
    • आर्थिक विकास: उभरते हरित उद्योगों में रोजगार सृजित करना।
    • सार्वजनिक स्वास्थ्य: प्रदूषण को कम करना और स्वस्थ जीवन स्थितियों को बढ़ावा देना।

IMF विश्लेषण के मुख्य निष्कर्ष: ग्रीन जॉब्स में लैंगिक असमानताएँ

  • महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व: हरित रोजगार के अवसरों में वृद्धि के बावजूद, पुरुषों की तुलना में सतत् उद्योगों में कम महिलाएँ कार्यरत हैं।
    • नवीकरणीय ऊर्जा, सतत् कृषि और अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्रों में उनका प्रतिनिधित्व विशेष रूप से कम है।
    • STEM शिक्षा असमानताएँ
      • महिला स्नातकों की कम संख्या: ग्रीन सेक्टर  में एक महत्त्वपूर्ण अंतर है, क्योंकि बहुत कम महिलाएँ विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) क्षेत्रों से स्नातक हो रही हैं, जो कई हरित नौकरियों के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
        • इससे अनेक हरित रोजगार अवसरों तक उनकी पहुँच सीमित हो जाती है।
        • क्षेत्रीय भिन्नताएँ: ब्राजील, कोलंबिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में STEM शिक्षा और प्रबंधकीय पदों में लिंग के आधार पर काफी अंतर है।
  • हरित क्षेत्रक में नौकरी का वितरण
    • पुरुषों का प्रभुत्व: वैश्विक स्तर पर हरित क्षेत्रक में पुरुषों का हिस्सा लगभग दो-तिहाई है, जबकि महिलाओं का हिस्सा केवल एक-तिहाई है।
    • उन्नत बनाम उभरती अर्थव्यवस्थाएँ (Advanced vs. Emerging Economies): उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में हरित क्षेत्र के रोजगारों में पुरुषों के रोजगार का 20% हिस्सा हैं, लेकिन महिलाओं के रोजगार का केवल 6% हिस्सा हैं।
      •  उभरते बाजारों में यह आँकड़ा पुरुषों के लिए 16% और महिलाओं के लिए 4.6% है।
  • प्रदूषणकारी नौकरियों में निरंतर वृद्धि 
    • EMDE में वृद्धि: प्रदूषणकारी नौकरियाँ अभी भी बढ़ रही हैं, विशेष रूप से उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं  में, जहाँ अक्सर पुरुष ही काम करते हैं।
    • स्वास्थ्य संबंधी खतरे: कम आय वाले देशों में महिलाओं को प्रदूषणकारी उद्योगों से जुड़े पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों का अधिक सामना करना पड़ता है।
  • हरित क्षेत्र के रोजगारों के आर्थिक निहितार्थ
    • वेतन प्रीमियम: हरित क्षेत्र के रोजगारों में वेतन प्रीमियम की पेशकश की जाती है – पुरुषों के लिए 7% और महिलाओं के लिए 12% – जो कुशल श्रमिकों की उच्च माँग को दर्शाता है।
    • लैंगिक वेतन अंतराल:हरित क्षेत्र के रोजगारों में लैंगिक वेतन अंतराल समग्र अर्थव्यवस्था की तुलना में 30% कम है, जो वेतन समानता में सुधार की संभावना का सुझाव देता है।
  • जलवायु नीतियों के लिए लैंगिक समानता का महत्त्व 
    • जलवायु रणनीतियों की प्रभावशीलता: STEM शिक्षित श्रमिकों और अधिक समावेशी श्रम बाजारों के उच्च अनुपात वाली अर्थव्यवस्थाएँ सफल ग्रीन ट्रांजिशन  के लिए बेहतर स्थिति में हैं।
    • लैंगिक समानता का प्रभाव: अधिक लैंगिक समानता वाले देशों में जलवायु नीतियों को लागू करते समय ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में अधिक महत्त्वपूर्ण कमी देखी जाती है।
  • अंतर को कम करने के लिए सिफारिशें
    • STEM शिक्षा को बढ़ावा: महिलाओं के लिए STEM शिक्षा तक पहुँच बढ़ाने पर ध्यान देना।
    • लैंगिक समानता को बढ़ावा: कार्यबल में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना।
    • श्रमिकों को पुनः प्रशिक्षण: प्रदूषणकारी क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को हरित नौकरियों में बदलने के लिए पुनः प्रशिक्षण प्रदान करना।
    • भर्ती पूर्वाग्रह को संबोधित करना: नियुक्ति और प्रबंधन प्रथाओं में लैंगिक पूर्वाग्रह से निपटना।

सतत् क्षेत्रों में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व के कारण

  • लैंगिक मानदंड और रूढ़िवादिता
    • पारंपरिक दृष्टिकोण अक्सर महिलाओं को कपड़ा और खाद्य जैसे क्षेत्रों में नौकरियों की ओर धकेलते हैं।
    • पुरुष आमतौर पर बुनियादी ढाँचे और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों पर हावी होते हैं, जिससे महिलाओं के लिए स्थायी क्षेत्रों में अवसर सीमित हो जाते हैं।
  • कार्यस्थल पर भेदभाव 
    • पुरुष प्रधान क्षेत्रों में महिलाओं को अक्सर नियुक्ति, पदोन्नति और वेतन में अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ता है।
      • भेदभाव के कारण महिलाएँ स्वयं को अवांछित और कमतर महसूस कर सकती हैं, जिससे वे स्थायी क्षेत्रों में कॅरियर बनाने से हतोत्साहित हो सकती हैं।
  • संसाधनों और नेटवर्क तक सीमित पहुँच
    • महिलाओं को सफलता के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और पेशेवर संपर्कों तक समान पहुँच नहीं मिल पाती।
    • समर्थन की यह कमी स्थायी क्षेत्रों में नौकरी पाने की उनकी संभावनाओं में बाधा बन सकती है।
  • नीतिगत और संस्थागत बाधाएँ
    • हरित क्षेत्र के रोजगारों में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए नीतियाँ और समर्थन प्रणालियाँ अपर्याप्त हो सकती हैं।
    • लक्षित पहल के बिना, महिलाओं को इन उद्योगों में प्रवेश करना कठिन हो सकता है।
  • कार्य-जीवन संतुलन में चुनौतियाँ
    • संधारणीय क्षेत्रों में नौकरियों के लिए अक्सर लंबे समय तक काम करना पड़ता है और यात्रा करनी पड़ती है।
    • यह उन महिलाओं के लिए मुश्किल हो सकता है, जो काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रही हैं।

आगे की राह

  • लैंगिक संवेदनशील नीतियाँ: सरकार को लैंगिक संवेदनशील नीतियों को बढ़ावा देना चाहिए तथा नियुक्ति, पदोन्नति और वेतन में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना चाहिए।
  • संसाधनों और नेटवर्क तक पहुँच सुनिश्चित: महिलाओं के लिए प्रशिक्षण, मार्गदर्शन कार्यक्रम और पेशेवर नेटवर्क होना चाहिए ताकि वे अपने कौशल को बढ़ा सकें तथा अपनी पेशेवर यात्रा में आगे बढ़ सकें।
  • लचीले कार्य वातावरण का निर्माण: सरकार को महिलाओं के लिए लचीले कार्य वातावरण की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि वे कार्य-जीवन संतुलन को अपना सकें।
  • जागरूकता बढ़ाना और रूढ़िवादिता को चुनौती देना: जागरूकता अभियान चलाकर और सतत् उद्योगों से संबंधित रूढ़िवादिता को चुनौती देकर, पुरुष सहयोगियों को महिलाओं का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु कार्यक्रम बनाना आवश्यक है।

निष्कर्ष

‘ग्रीन ग्लास सीलिंग’ स्थायी क्षेत्रों में लगातार लैंगिक असमानताओं को उजागर करती है, जहाँ महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है। लैंगिक समानता प्राप्त करने और हरित अर्थव्यवस्था में अधिक समावेशी तथा कुशल संक्रमण सुनिश्चित करने के लिए इस मुद्दे को संबोधित करना महत्त्वपूर्ण है। शिक्षा को बढ़ावा देने, सहायक नीतियों को लागू करने और समावेशी कार्य वातावरण को बढ़ावा देने के द्वारा, हम महिलाओं को इन महत्त्वपूर्ण उद्योगों में अधिक प्रमुख भूमिकाएँ निभाने के लिए सशक्त बना सकते हैं।

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