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ग्रीन स्टील मिशन

Lokesh Pal January 03, 2025 04:05 129 0

संदर्भ

केंद्रीय इस्पात मंत्रालय, इस्पात उद्योग को कार्बन मुक्त करने और भारत के नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए ‘ग्रीन स्टील मिशन’ (Green Steel Mission) विकसित कर रहा है।

  • इसमें ग्रीन स्टील के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना, नवीकरणीय ऊर्जा प्रोत्साहन और सरकारी एजेंसियों के लिए ग्रीन स्टील की खरीद के लिए अधिदेश जैसी पहल शामिल हैं।

ग्रीन स्टील 

  • ग्रीन स्टील पर्यावरण के अनुकूल और सतत् प्रथाओं के माध्यम से निर्मित स्टील है।
  • यह अक्षय स्रोतों से ऊर्जा का उपयोग करके, कम कार्बन डाइऑक्साइड निर्मित करके और अपशिष्ट का बेहतर प्रबंधन करके किया जाता है।

ग्रीन स्टील मिशन

  • इस्पात मंत्रालय इस्पात उद्योग की सहायता के लिए 15,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से ‘ग्रीन स्टील मिशन’ तैयार कर रहा है।
  • उद्देश्य: मिशन का उद्देश्य इस्पात क्षेत्र को कार्बन मुक्त करना और इसे वर्ष 2070 तक भारत के नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य के साथ संरेखित करना है।

  • मिशन के प्रमुख घटक
    • ग्रीन स्टील के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना
      • ग्रीन स्टील के उत्पादन को प्रोत्साहित करती है।
      • घरेलू विशेष स्टील विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए निवेश आकर्षित करती है।
      • इसका उद्देश्य आयात पर निर्भरता कम करना है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा के लिए प्रोत्साहन: इस्पात उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है और इस्पात उद्योग के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद करता है।
    • सरकारी एजेंसियों के लिए अधिदेश: सरकारी एजेंसियों को ग्रीन स्टील की खरीद करने, माँग को बढ़ाने और सतत् प्रथाओं का समर्थन करने की आवश्यकता है।

भारत में इस्पात क्षेत्र 

  • इस्पात लोहे और कार्बन की मिश्र धातु है, जिसमें 2% से कम कार्बन और 1% मैंगनीज होता है, साथ ही कम मात्रा में सिलिकॉन, फॉस्फोरस, सल्फर और ऑक्सीजन भी होता है।
    • उच्च कार्बन सामग्री के परिणामस्वरूप कच्चा लोहा बनता है।
  • उत्पादन क्षमता: भारत की कच्चे इस्पात उत्पादन क्षमता वर्ष 2023-24 में 179.5 मिलियन टन तक पहुँच गई।

  • भारत, चीन के बाद विश्व स्तर पर इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • निजी क्षेत्र का प्रभुत्व: भारत के कुल कच्चे इस्पात उत्पादन में निजी क्षेत्र का योगदान लगभग 83% है।
  • प्रमुख इस्पात उत्पादक राज्य: प्रमुख राज्यों में ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
    • भारत में इस्पात उत्पादन में ओडिशा सबसे आगे है।
  • भारतीय इस्पात क्षेत्र का अवलोकन: यह उद्योग एक विनियमन-मुक्त क्षेत्र है और भारतीय इस्पात उद्योग को प्रमुख, मुख्य और द्वितीयक उत्पादकों में वर्गीकृत किया गया है।
  • उत्पादन सांख्यिकी
    • वित्त वर्ष 2023 में 125.32 मीट्रिक टन उत्पादन के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा इस्पात उत्पादक है। 
    • इसी अवधि के दौरान तैयार इस्पात का उत्पादन 121.29 मीट्रिक टन रहा है।
  • प्रति व्यक्ति खपत: वर्ष 2023-24 में भारत की प्रति व्यक्ति तैयार स्टील की खपत 97.7 किलोग्राम थी।
    • यह वैश्विक औसत (219.3 किलोग्राम) और चीन के औसत (628.3 किलोग्राम) से काफी कम है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, स्टील उत्पादन वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 7% का योगदान देता है।
    • उद्योग कोयला और लौह अयस्क का उपयोग करता है, जिससे पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAH), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), सल्फर के ऑक्साइड (SOx), नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NOx), PM 2.5, अपशिष्ट जल, खतरनाक अपशिष्ट और ठोस अपशिष्ट जैसे प्रदूषक निकलते हैं।

इस्पात उद्योग को कार्बन मुक्त करने का महत्त्व

  • जलवायु परिवर्तन शमन: वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में स्टील उद्योग का अत्यधिक योगदान है, जो वैश्विक उत्सर्जन का 7-9% है। जलवायु परिवर्तन को कम करने और ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए डीकार्बोनाइजेशन अत्यंत आवश्यक है।
  • पर्यावरण स्थिरता में वृद्धि: जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और उत्सर्जन को कम करने से वायु और जल प्रदूषण में कमी के साथ स्वच्छ पर्यावरण प्राप्त होगा, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी संतुलन में सुधार होगा।
  • तकनीकी नवाचार: डीकार्बोनाइजेशन से स्टील उत्पादन प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे अधिक कुशल और सतत् प्रक्रियाओं का विकास होगा, नए रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
  • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता: जैसे-जैसे ग्रीन स्टील की वैश्विक माँग बढ़ती है, भारत स्वयं को सतत् इस्पात उत्पादन में अग्रणी के रूप में स्थापित कर सकता है, निवेश आकर्षित कर सकता है और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ प्राप्त कर सकता है।

निष्कर्ष 

ग्रीन स्टील मिशन इस्पात क्षेत्र की पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करके सतत् विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। नवीन तकनीकों, नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने और लक्षित प्रोत्साहनों के माध्यम से, यह उद्योग को कार्बन-मुक्त करने और नेट-जीरो लक्ष्यों के साथ संरेखित करने का प्रयास करता है। हालाँकि उच्च लागत जैसी चुनौतियाँ बनी रहती हैं, मिशन एक हरित, वैश्विक रूप से प्रतिेस्पर्द्धी इस्पात क्षेत्र के लिए एक मजबूत आधार तैयार करता है।

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