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सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक

Lokesh Pal August 19, 2024 02:08 125 0

संदर्भ

उत्तराखंड सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक (Gross environment product Index- GEPI) शुरू करने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया है। 

  • उत्तराखंड अब न केवल यह गणना करेगा कि हम पर्यावरण से क्या सेवाएँ प्राप्त करते हैं, बल्कि यह भी गणना करता है कि हम पर्यावरण को क्या वापस कर सकते हैं। 

सकल पर्यावरण उत्पाद (Gross Environment Product- GEP)

  • सकल पर्यावरण उत्पाद (GEP) एक प्रकार की नवीन अवधारणा है, जिसमें पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा प्रदान किए जाने वाले लाभों का मूल्यांकन किया जाता है तथा उन लाभों का मूल्य प्रदान किया जाता है। 
  • लाभ: इन लाभों को विभिन्न प्रकार की सेवाओं के रूप में देखा जा सकता है। उदाहरण के तौर पर खाद्य सामग्री (भोजन, जल और लकड़ी), विनियमन (जलवायु विनियमन एवं बाढ़ नियंत्रण), सहायक (मृदा निर्माण एवं पोषक चक्रण) और सांस्कृतिक सेवाएँ (मनोरंजक एवं आध्यात्मिक)।  
  • सेवाओं को मौद्रिक मूल्य प्रदान करना: इन विविध योगदानों को एकल मौद्रिक मूल्य में परिवर्तित करके, GEP आर्थिक और सामाजिक कल्याण को बनाए रखने में प्राकृतिक पूंजी के वास्तविक मूल्य को दर्शाता है।

सकल पर्यावरण उत्पाद (Gross Environment Product- GEP):

  • परिचय: यह किसी क्षेत्र की पारिस्थितिक स्थिति को मापने के लिए एक मूल्यांकन प्रणाली है और यह हरित सकल घरेलू उत्पाद के घटकों में से एक है।  
  • इसे उत्पाद और सेवा मूल्य के रूप में माना जाता है जो पारिस्थितिकी तंत्र मानव कल्याण, आर्थिक और सामाजिक रूप से सतत विकास के लिए प्रदान करता है, जिसमें प्रावधान, विनियमन और सांस्कृतिक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ शामिल हैं। 
    • पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ: यह मनुष्यों को मिलने वाले लाभों को दर्शाती है जैसे- वन, झीलें और घास के मैदान, इमारती लकड़ी और रंगाई, कार्बन पृथक्करण और पोषक चक्रण, मृदा निर्माण एवं उत्पादकता तथा पर्यटन। 
  • कुछ मामलों में, सकल पर्यावरण उत्पाद (GEP), सकल घरेलू उत्पाद से अधिक हो सकता है, उदाहरण के लिए, वर्ष 2000 में, किंघई (चीन) की सकल पर्यावरण उत्पाद (GEP), सकल घरेलू उत्पाद से अधिक थी तथा वर्ष 2015 में GDP से तीन-चौथाई थी। 
  • पर्यावरण के चार मुख्य घटक, जो विकास गतिविधियों से सीधे प्रभावित होते हैं: इसमें वायु और जल की गुणवत्ता, एक वर्ष में लगाए गए पेड़ों की संख्या और जैविक मृदा के क्षेत्र का माप शामिल है। 
  • सूत्र 

सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक = [(वायु का सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक) + (जल का सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक) + (मृदा का सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक) + (वन का सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक)]

ग्रीन GDP

  • यह शब्द सामान्यतः पर्यावरणीय क्षति को समायोजित करने के बाद सकल घरेलू उत्पाद को व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • पर्यावरण लेखांकन: राष्ट्रीय लेखा प्रणाली (System of National Accounts- SNA) एक लेखांकन फ्रेमवर्क है जो किसी समयावधि के दौरान किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादन, उपभोग और धन संचय की आर्थिक गतिविधियों को मापने के लिए है। 
    • जब किसी अर्थव्यवस्था द्वारा प्राकृतिक पर्यावरण के उपयोग की जानकारी को राष्ट्रीय लेखा प्रणाली में एकीकृत कर दिया जाता है, तो इसे हरित राष्ट्रीय लेखा या पर्यावरण लेखा कहा जाता है। 
  • प्रक्रिया: पर्यावरण लेखांकन की प्रक्रिया में तीन चरण शामिल हैं:- भौतिक लेखांकन, मौद्रिक मूल्यांकन और राष्ट्रीय आय/संपत्ति खातों के साथ एकीकरण 
    • भौतिक लेखांकन (Physical Accounting): यह स्थानिक और लौकिक दृष्टि से संसाधनों की स्थिति, प्रकार और सीमा (गुणात्मक एवं मात्रात्मक) निर्धारित करता है। 
    • मौद्रिक मूल्यांकन (Monetary valuation): यह इसके मूर्त और अमूर्त घटकों को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। 
    • इसके बाद, हरित सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के मूल्य तक पहुँचने के लिए मौद्रिक संदर्भ में प्राकृतिक संसाधनों में शुद्ध (निवल) परिवर्तन को सकल घरेलू उत्पाद में एकीकृत किया जाता है।

सकल पर्यावरण उत्पाद (GEP) के लाभ

  • मात्रात्मक संकेतक (Quantitative Indicator): GEP को अधिकारियों के कार्य निष्पादन मूल्यांकन और कार्यालय से बाहर लेखापरीक्षा के लिए मात्रात्मक संकेतक के रूप में लागू किया जा सकता है। 
  • प्रभाव आकलन: हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और प्राकृतिक संसाधनों पर मानवीय दबाव के प्रभाव का आकलन करने में सहायता करना। 
  • पारिस्थितिकी क्षतिपूर्ति एवं राजस्व साझाकरण: GEP को पारिस्थितिकी क्षतिपूर्ति एवं सार्वजनिक वित्तीय हस्तांतरण के लिए वैज्ञानिक आधार के रूप में लागू किया जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: केंद्र एवं राज्यों के बीच वित्त आयोग का राजस्व बँटवारे का फार्मूला, जिसमें राज्य के हिस्से में निर्धारण कारक के रूप में वन क्षेत्र को शामिल किया गया है। 
  • प्रगति को मापना: GEP का उपयोग पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की स्थिति को मापने के लिए किया जा सकता है, जो सतत विकास का एक महत्त्वपूर्ण संकेतक है। यह पारिस्थितिकी सभ्यता की प्रगति को मापने के लिए भी एक महत्त्वपूर्ण संकेतक है। 
  • सार्वभौमिक उपाय: GEP पारिस्थितिक स्थिति का एक सार्वभौमिक उपाय है। इसे विभिन्न देशों और क्षेत्रों तथा सभी प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्रों पर लागू किया जा सकता है। 
  • सामंजस्य स्थापित करना: राज्य में GDP के साथ GEP के जारी करने और इसका आकलन करने से पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित होगा। 
    • GEP अर्थव्यवस्था और समग्र कल्याण, जिसमें मानव कल्याण भी शामिल है, में प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों के योगदान को परिमाणित करके एक सार्थक विकल्प प्रदान करता है। 
  • जागरूकता बढ़ाना: GEP सूचकांक पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगा। इससे पर्यावरण संरक्षण में योगदान का आकलन करने में मदद मिलेगी। 

उत्तराखंड में GEP की आवश्यकता

  • राज्यों की क्षमता: अपनी जैव विविधता के माध्यम से उत्तराखंड, देश को प्रति वर्ष 95,112 करोड़ रुपये की सेवाएँ प्रदान करता है तथा यहाँ का 71 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र वनों के अंतर्गत है। 
    • उदाहरण के लिए, राज्य में वन 300 करोड़ रुपए का रोजगार, 3,395.2 करोड़ रुपए का ईंधन, 1,243.2 करोड़ रुपए की इमारती लकड़ी उत्पन्न करते हैं तथा बाढ़ को रोककर 1,306.5 करोड़ रुपए की बचत करते हैं।  
  • हिमालय का योगदान: हिमालय गंगा के मैदानों की स्थिरता में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है जहाँ 500 मिलियन लोग निवास करते हैं। 
  • वन्यजीव एवं प्राकृतिक संसाधन: यह हिमालय, कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान (Corbett National Park) और राजाजी टाइगर रिजर्व (Rajaji Tiger Reserves) जैसे वन्यजीव अभ्यारण्यों तथा गंगा, यमुना और शारदा जैसी विभिन्न नदियों का उद्गम स्थल है।

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