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गुप्तेश्वर वन को ‘जैव विविधता विरासत स्थल’ घोषित किया गया

Lokesh Pal February 16, 2024 06:32 146 0

संदर्भ

ओडिशा सरकार ने गुप्तेश्वर वन प्रभाग (Gupteshwar forest Division) को जैव विविधता विरासत स्थल (Biodiversity Heritage Site) में जोड़ा दिया गया है, जिससे यह ओडिशा का चौथा जैव विविधता विरासत स्थल बन गया है।

गुप्तेश्वर वन (Gupteshwar forest) के विषय में

  • परिचय
    • यह वन ओडिशा के कोरापुट (Koraput) जिले में गुप्तेश्वर शिव मंदिर (Gupteshwar Shiva Temple) के निकट अवस्थित है।
    • महत्त्व: प्राकृतिक विविधता के साथ-साथ इसकी पवित्र गुफाओं के कारण भी स्थानीय समुदाय द्वारा इसकी पूजा की जाती है।
  • जीव-जंतु एवं वनस्पतियाँ
    • वनस्पति: इंडियन ट्रम्पेट ट्री  (Indian Trumpet Tree), इंडियन स्नैकरूट (Indian Snakeroot), गार्लिक पीयर ट्री (Garlic Pear Tree), इंडियन जॉइंटफिर (Indian Jointfir)।
    • जीव-जंतु: मुग्गेर क्रोकोडाइल (Mugger Crocodile), कांगेर वैली रॉक गेको (Kanger Valley Rock Gecko), सामान्य पहाड़ी मैना, सफेद बेलदार कठफोड़वा (White-Bellied Woodpecker) आदि पाए जाते हैं।
  • ओडिशा में अन्य जैव विविधता विरासत स्थल (Biodiversity Heritage Site)
    • कंधमाला जिले में मंदसारी (Mandasari)
    • गजपति जिले में महेंद्रगिरि (Mahendragiri)
    • बारागढ़ और बोलांगीर जिलों में गंधमर्दन (Gandhamardan)

संबंधित तथ्य

  • राज्य सरकार ने ओडिशा जैव विविधता बोर्ड को जंगल के गहन संरक्षण एवं विकास के लिए एक दीर्घकालिक योजना तैयार करने को कहा है।
  • कार्ययोजना तैयार करने एवं बस्तियों में जागरूकता पैदा करने वाली गतिविधियों के लिए 35 लाख रुपये की राशि प्रदान की गई है।

जैव विविधता विरासत स्थल (Biodiversity Heritage Site) क्या है?

  • जैव विविधता विरासत स्थल एक अद्वितीय संरक्षण दृष्टिकोण है, जिसे जैविक विविधता अधिनियम, 2002 (Biological Diversity Act, 2002) की धारा 37 के तहत मान्यता प्राप्त है।
  • जैव विविधता विरासत स्थल अच्छी तरह से परिभाषित क्षेत्र हैं, जो अद्वितीय, पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील तंत्र हैं।
  • ये स्थलीय, तटीय, अंतर्देशीय एवं समुद्री जल में जैव विविधता के साथ-साथ फैले हुए हैं:
    • पालतू प्रजातियाँ (Domesticated Species)
    • उच्च स्थानिकवाद (High Endemism)
    • दुर्लभ एवं संकटग्रस्त प्रजातियाँ, की-स्टोन प्रजातियाँ, विकासवादी महत्त्व की प्रजातियाँ, पालतू प्रजातियों के जंगली पूर्वज प्रजातियाँ।
    • जीवाश्म स्तर (Fossil Beds)
    • सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखने के लिए सांस्कृतिक, नैतिक या सौंदर्य संबंधी मूल्य, उनके साथ लंबे मानवीय जुड़ाव के साथ या उसके बिना।

जैविक विविधता अधिनियम, 2002 (Biological Diversity Act, 2002)

  • उत्पत्ति: इसकी उत्पत्ति वर्ष 1992 में रियो डी जनेरियो में हुए पृथ्वी शिखर सम्मेलन से मानी जाती है।
  • उद्देश्य: जैविक विविधता के संरक्षण के लिए एक कानूनी ढाँचा प्रदान करना।
  • राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (National Biodiversity Authority- NBA): सरकार के लिए सुविधाजनक, नियामक एवं सलाहकारी कार्य करने के लिए इस अधिनियम की धारा 8 के तहत वर्ष 2003 में स्थापित किया गया।
    • राष्ट्रीय स्तर: NBA राष्ट्रीय स्तर पर जैविक विविधता अधिनियम लागू करता है।
    • दूसरे एवं तीसरे स्तर में राज्य स्तर पर राज्य जैव विविधता बोर्ड एवं स्थानीय स्तर पर कार्यरत जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ शामिल हैं।

जैव विविधता विरासत स्थलकी पहचान के लिए मापदंड

  • ऐसे क्षेत्र जिनमें प्राकृतिक, अर्द्ध-प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आवासों का मिश्रण होता है, जिसमें एक साथ जीवन के विभिन्न रूपों की महत्त्वपूर्ण विविधता होती है।
  • ऐसे क्षेत्र जिनमें महत्त्वपूर्ण घरेलू जैव विविधता घटक एवं या विद्यमान कृषि प्रथाओं के साथ कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र शामिल हैं, जो इस विविधता को बनाए रखते हैं।
  • वे क्षेत्र जो जैव विविधता के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थल (जैसे- पवित्र उपवन) तथा बड़े सामुदायिक संरक्षित क्षेत्र के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण हैं।
  • ऐसे क्षेत्र जिनमें बहुत छोटे क्षेत्र शामिल हैं, जो संकटग्रस्त एवं स्थानिक जीव-जंतुओं एवं वनस्पतियों के लिए आश्रय या गलियारे प्रदान करते हैं, जैसे सामुदायिक संरक्षित क्षेत्र या शहरी हरियाली एवं आर्द्रभूमियाँ।
  • ऐसे क्षेत्र जो मौसमी प्रवासी प्रजातियों को भोजन एवं प्रजनन के लिए जलीय या स्थलीय आवास प्रदान करते हैं।
  • वे क्षेत्र जिन्हें वन विभाग की अनुसंधान विंग द्वारा संरक्षण भूखंड के रूप में बनाए रखा जाता है।
  • औषधीय पादप संरक्षण क्षेत्र (Medicinal Plant Conservation Areas)।

जैव विविधता विरासत स्थल का महत्त्व

  • पारिस्थितिक सुरक्षा: मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों के कारण जैव विविधता एवं जैव संसाधनों की हानि में वृद्धि देखी जा रही है। इसलिए समुदाय में संरक्षण नैतिकता को स्थापित करना एवं उसका पोषण करना आवश्यक है।
  • जलवायु संबंधी मुद्दों से निपटने के लिए: BHS संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो आवासों की क्षति, जलवायु परिवर्तन एवं आक्रामक प्रजातियों जैसे बढ़ते खतरों के सामने विशेष रूप से आवश्यक है।
  • सांस्कृतिक विरासत: BHS पारंपरिक ज्ञान एवं प्रथाओं से जुड़ा है। इन स्थलों को पहचानने एवं संरक्षित करने से सांस्कृतिक विरासत एवं परंपराओं को संरक्षित करने में मदद मिलती है।

पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का रखरखाव: BHS स्वच्छ हवा एवं जल, परागण एवं बाढ़ नियंत्रण जैसी आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की एक शृंखला प्रदान करता है।

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