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बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका

Lokesh Pal October 06, 2025 03:49 21 0

संदर्भ

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980 के तहत निवारक निरोध से उनकी तत्काल रिहाई की माँग करते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है।

संबंधित तथ्य

  • लद्दाख के जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को लद्दाख के राज्य के दर्जे तथा पर्यावरण संबंधी चिंताओं को लेकर चल रहे आंदोलन से जुड़े हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद, NSA, 1980 के तहत हिरासत में लिया गया था।

कानूनी ढाँचा एवं न्यायिक व्याख्या (NSA 1980)

  • सशक्तीकरण प्रावधान: NSA की धारा 3 केंद्र या राज्य सरकार को किसी व्यक्ति को निवारक निरोध के लिए हिरासत में लेने का अधिकार देती है, यदि उनकी गतिविधियों को सार्वजनिक व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा, भारत के विदेशी संबंधों, या आवश्यक आपूर्ति एवं सेवाओं के लिए हानिकारक माना जाता है।
  • हिरासत आदेश तर्कसंगत होना चाहिए, महत्त्वपूर्ण एवं प्रासंगिक तर्क पर आधारित होना चाहिए तथा इसके आधार बंदी या उसके परिवार को बताए जाने चाहिए।
  • हिरासत की अवधि: यह अधिनियम बिना आरोप दायर किए 12 महीने तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है, जिसकी आवधिक समीक्षा की जा सकती है।
  • न्यायिक सुरक्षा उपाय: सर्वोच्च न्यायालय ने लगातार माना है कि निवारक हिरासत एक “कठोर उपाय” है, जो संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।
  • न्यायिक समीक्षा का दायरा: न्यायालय यह जाँच करते हैं कि क्या-
    • हिरासत लेने वाले प्राधिकारी की “व्यक्तिपरक संतुष्टि” प्रासंगिक एवं तात्कालिक तथ्यों पर आधारित है।
    • प्राधिकारी ने अप्रासंगिक या दूरस्थ विचारों से परहेज किया है।
    • हिरासत आदेश, जबरन, द्वेष या मनमानी से मुक्त होकर लिए गए निर्णय को दर्शाता है।
  • न्यायिक बल: राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निवारक निरोध का दंडात्मक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग न हो, जिससे सुरक्षा एवं स्वतंत्रता के बीच संतुलन की पुष्टि हो।

बंदी प्रत्यक्षीकरण उपाय

  • अर्थ
    • बंदी प्रत्यक्षीकरण का शाब्दिक अर्थ है “शरीर को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना”
    • यह न्यायालय द्वारा दिया गया आदेश है, जो किसी अन्य व्यक्ति को हिरासत में लेने वाले प्राधिकारी या व्यक्ति को हिरासत में लिए गए व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश देता है।
  • संवैधानिक आधार
    • अनुच्छेद-32 (सर्वोच्च न्यायालय) एवं अनुच्छेद-226 (उच्च न्यायालय) के अंतर्गत उपलब्ध।
    • व्यक्तियों के अवैध निरोध को चुनौती देने एवं तत्काल रिहाई की माँग करने में सक्षम बनाता है।
  • यह कार्यपालिका के अतिक्रमण तथा निरोध के विरुद्ध एक महत्त्वपूर्ण संवैधानिक सुरक्षा उपाय है।
  • उद्देश्य
    • जबरन या गैर-कानूनी हिरासत के विरुद्ध व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है।
    • निजी एवं सार्वजनिक दोनों प्राधिकारियों के विरुद्ध जारी किया जा सकता है।
  • जारी करने की सीमाएँ: रिट निम्नलिखित मामलों में जारी नहीं की जा सकती:-
    • जब हिरासत वैध हो।
    • न्यायालय या विधायिका की अवमानना ​​की कार्यवाही में।
    • जब हिरासत का आदेश किसी सक्षम न्यायालय द्वारा दिया गया हो।
    • यदि हिरासत में लिया गया व्यक्ति जारी करने वाले न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो।

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