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हेबर-बॉश प्रक्रम

Lokesh Pal October 16, 2024 02:51 68 0

संदर्भ 

वायुमंडल से 100 मिलियन टन नाइट्रोजन को पृथक कर दिया गया है और हैबर-बॉश प्रक्रम (Haber-Bosch Process) के माध्यम से उर्वरक में परिवर्तित कर दिया गया है, जिससे मृदा में 165 मिलियन टन अभिक्रियाशील नाइट्रोजन सम्मिलित हो गई है।

हेबर-बॉश प्रक्रम (Haber-Bosch Process) के बारे में 

  • हैबर-बॉश प्रक्रम में हाइड्रोजन (H2) के साथ अभिक्रिया के माध्यम से वायुमंडलीय नाइट्रोजन (N2) को अमोनिया (NH3) में परिवर्तित किया जाता है।
  • इस प्रक्रम में धातु उत्प्रेरक (लोहा) का उपयोग किया जाता है तथा यह अभिक्रिया उच्च तापमान एवं दाब में संचालित होती है।

हेबर-बॉश प्रक्रम का मुख्य प्रभाव

  • खाद्य उत्पादन में वृद्धि: सिंथेटिक उर्वरकों के एक प्रमुख घटक अमोनिया का बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव बनाकर, हैबर-बॉश प्रक्रम ने फसल की पैदावार में अभूतपूर्व वृद्धि की, जिससे तेजी से बढ़ती वैश्विक आबादी को भोजन उपलब्ध कराना संभव हो सका।
  • सिंथेटिक नाइट्रोजन उर्वरक: इस प्रक्रम से सालाना 100 मिलियन टन नाइट्रोजन वातावरण से पृथक की गई, जिससे यह 165 मिलियन टन अभिक्रियाशील नाइट्रोजन उर्वरकों में परिवर्तित हो गई।
  • जनसंख्या वृद्धि: अनुमान है कि वर्तमान में वैश्विक आबादी का एक-तिहाई हिस्सा इस प्रक्रम से उत्पन्न नाइट्रोजन उर्वरकों का उपयोग करके उपजाए गए खाद्य पदार्थों पर निर्भर करता है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव: उर्वरकों से प्राप्त अतिरिक्त नाइट्रोजन के कारण पर्यावरणीय क्षति हुई है, जिसमें अम्लीय वर्षा, मृदा क्षरण, जलमार्ग प्रदूषण, तथा यूट्रोफिकेशन के कारण जलीय प्रणालियों में ऑक्सीजन की कमी शामिल है। 

नाइट्रोजन के बारे में

  • वायु में नाइट्रोजन अधिकतर N2 के रूप में होती है, जहाँ दो नाइट्रोजन परमाणु आपस में जुड़ते हैं।
    • वे तीन इलेक्ट्रॉनों के जोड़े साझा करके एक ट्रिपल बॉण्ड बनाते हैं, जिससे अणु लगभग अटूट हो जाता है।
    • नाइट्रोजन ट्रिपल बॉण्ड को तोड़ने के लिए आवश्यक ऊर्जा इतनी अधिक (946 kJ/mol) है कि आणविक नाइट्रोजन लगभग निष्क्रिय हो जाती है।
  • नाइट्रेट्स (Nitrates): ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के अणु, जो पृथ्वी के वायुमंडल में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
    • अभिक्रिया होने पर, परमाणु नाइट्रोजन आयनिक नाइट्राइड बना सकता है, जिसे अभिक्रियाशील नाइट्रोजन भी कहा जाता है जैसे- अमोनिया (NH3), अमोनियम (NH4+) या नाइट्रेट्स (NO3)।
  • अभिक्रियाशील नाइट्रोजन की भूमिका (Role of Reactive Nitrogen): पौधों को एंजाइम, प्रोटीन और अमीनो एसिड के संश्लेषण के लिए इस प्रकार के नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है।
    • फलीदार पौधे स्वतंत्र रूप से नाइट्रोजन का उत्पादन कर सकते हैं।
    • लेकिन चावल, गेहूँ, मक्का और आलू जैसी महत्त्वपूर्ण खाद्य फसलें एवं सामान्य फल एवं सब्जियाँ मृदा से नाइट्रोजन का अवशोषण करती हैं।
    • जैसे-जैसे मानव आबादी की संख्या में वृद्धि होती जाती है, कृषि उत्पादकता एवं उत्पादन में वृद्धि करना आवश्यक हो जाता है, जिससे कृषि संबंधी मृदा में नाइट्रोजन तेजी से कम होता जाता है, जिसकी प्रतिपूर्ति के लिए उर्वरकों की आवश्यकता होती है।
  • मनुष्य एवं पशु: मनुष्य एवं पशुओं को पौधों से 9 पूर्व-निर्मित नाइट्रोजन युक्त अमीनो एसिड की आवश्यकता होती है।
    • मानव शरीर में नाइट्रोजन लगभग 2.6% होता है।

नाइट्रोजन प्राकृतिक रूप से कैसे उपलब्ध है?

  • लाइटनिंग
    • केवल लाइटिंग में ही इतनी ऊर्जा होती है कि वह N ट्रिपल बॉण्ड को तोड़ सके। लाइटिंग बोल्ट में, हवा में मौजूद नाइट्रोजन, ऑक्सीजन के साथ मिलकर NO और NO2 जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड बनाता है।
    • फिर वे जलवाष्प के साथ मिलकर नाइट्रिक और नाइट्रस अम्ल (क्रमशः HNO3 और HNO2) बना सकते हैं।
    • अभिक्रियाशील नाइट्रोजन युक्त बूँदें: वर्षा होने पर अभिक्रियाशील नाइट्रोजन युक्त बूँदों के रूप में खेत, जंगल और घास के मैदानों को उर्वरक प्राप्त होता है।
      • यह अनुमान है कि इस मार्ग से प्रति वर्ष प्रति एकड़ लगभग 10 किलोग्राम नाइट्रोजन मृदा में सम्मिलित हो जाती है।
  • चयापचय प्रक्रिया (Metabolic Process)
    • यह एजोटोबैक्टर (Azotobacter) बैक्टीरिया द्वारा किया जाता है, जो अभिक्रियाशील नाइट्रोजन बनाता है।
    • राइजोबियम जैसे कुछ सूक्ष्मजीवों ने पोषण के बदले में अभिक्रियाशील नाइट्रोजन प्रदान करने के लिए फलीदार पौधों (तिपतिया घास, मटर, सेम, अल्फाल्फा और बबूल) के साथ सहजीवी संबंध विकसित किए हैं।
    • एजोला (Azolla), जलीय फर्न की एक प्रजाति है, जिसका साइनोबैक्टीरियम एनाबेना एजोला (Cyanobacterium Anabaena Azollae) के साथ सहजीवी संबंध है, जो हवा से नाइट्रोजन को अवशोषित कर सकता है और उसे अभिक्रियाशील नाइट्रोजन में बदल सकता है, इसलिए सूखा एवं सड़ने वाला एजोला खेत के लिए एक प्रभावी उर्वरक है।

नाइट्रोजन चक्र (Nitrogen Cycle)

  • नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation): वायुमंडलीय नाइट्रोजन (N₂) को नाइट्रोजन-फिक्सिंग बैक्टीरिया द्वारा अमोनिया (NH₃) या अमोनियम आयनों (NH₄⁺) में परिवर्तित किया जाता है, जो मिट्टी में या पौधों (जैसे फलीदार पौधे) के साथ सहजीवी संबंधों में पाए जा सकते हैं। यह कदम जीवित जीवों के लिए नाइट्रोजन को सुलभ बनाता है।

  • नाइट्रीकरण (Nitrification)
    • पहला चरण: नाइट्रोसोमोनस (Nitrosomonas) जैसे बैक्टीरिया द्वारा अमोनिया को नाइट्राइट (NO₂⁻) में ऑक्सीकृत किया जाता है।
    • दूसरा चरण: नाइट्राइट (Nitrite) को नाइट्रोबैक्टर (Nitrobacter) जैसे बैक्टीरिया द्वारा नाइट्रेट (NO₃⁻) में ऑक्सीकृत किया जाता है। नाइट्रेट एक ऐसा रूप है, जिसे पौधे आसानी से ग्रहण कर सकते हैं।
  • अमोनीकरण (Ammonification) या खनिजीकरण (Mineralization): कार्बनिक पदार्थ (मृत पौधे और जानवर, साथ ही पशु अपशिष्ट) का अपघटन होने से अमोनिया वापस मृदा में सम्मिलित हो जाती है। यह चरण नाइट्रोजन को पारिस्थितिकी तंत्र में पुनर्चक्रित करता है।
  • डीनाइट्रीफिकेशन (Denitrification): नाइट्रेट्स को डीनाइट्रीफाइंग बैक्टीरिया [जैसे- स्यूडोमोनास (Pseudomonas)] द्वारा वापस नाइट्रोजन गैस (N₂) में परिवर्तित किया जाता है और वायुमंडल में छोड़ दिया जाता है।
    • यह चरण नाइट्रोजन को वायुमंडल में वापस करके नाइट्रोजन चक्र को पूरा करता है, जिससे इसके स्तरों को विनियमित करने में सहायता मिलती है।

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