100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत में स्वास्थ्य बीमा

Lokesh Pal September 03, 2025 03:32 24 0

संदर्भ

भोरे समिति (1946) द्वारा परिकल्पित सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा (Universal Health Care–UHC) की दिशा में भारत की यात्रा अब भी अधूरी है। 

  • स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के विस्तार के बावजूद, कम सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय और लाभ-प्रधान निजी प्रदाताओं पर अत्यधिक निर्भरता, सभी नागरिकों के लिए समान, किफायती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं की प्राप्ति में प्रमुख अवरोध बनी हुई है।

भोरे समिति की रिपोर्ट (1946) ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल (UHC) को एक ऐसी प्रणाली के रूप में परिभाषित किया, जिसमें समुदाय के सभी सदस्यों को उनकी भुगतान क्षमता की परवाह किए बिना गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल की गारंटी दी जानी चाहिए।

भारत में स्वास्थ्य बीमा के बारे में

  • परिभाषा: स्वास्थ्य बीमा एक ऐसी व्यवस्था है, जो चिकित्सा व्यय के विरुद्ध वित्तीय जोखिम सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि व्यक्ति स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण गरीबी में न फँसे।
  • स्वास्थ्य बीमा के बारे में: स्वास्थ्य बीमा, चिकित्सा लागतों को कवर करने के लिए प्रीमियम या राज्य निधि के माध्यम से संसाधनों को एकत्रित करता है।
  • वितरण मॉडल: इसे सरकारी वित्तपोषित योजनाओं, नियोक्ता-आधारित समूह बीमा या निजी पॉलिसियों के माध्यम से लागू किया जा सकता है।
  • कवरेज: स्वास्थ्य बीमा आमतौर पर अस्पताल में भर्ती मरीजों के खर्च के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है, तथा बाह्य रोगी और निवारक सेवाओं तक सीमित विस्तार प्रदान करता है।

सेवाओं का प्रकार

अर्थ

उदाहरण

भारत में बीमा कवरेज

इन-पेशेंट (In-Patient -IPD) अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता वाला उपचार (≥24 घंटे) सर्जरी, ICU देखभाल, प्रसव व्यापक रूप से कवर किया गया (उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana- PMJAY), निजी बीमा)
बाह्य रोगी (Outpatient- OPD) बिना प्रवेश के परामर्श/उपचार डॉक्टर के दौरे, निदान, दवाइयाँ सीमित/शायद ही कभी कवर किया गया
निवारक रोग की रोकथाम या शीघ्र पता लगाने के उपाय टीके, जाँच, स्वास्थ्य जाँच बहुत सीमित, प्रायः बहिष्कृत

भारत में स्वास्थ्य बीमा की आवश्यकता

  • उच्च आउट-ऑफ-पॉकेट (OOP) व्यय: भारत में कुल स्वास्थ्य व्यय का लगभग 47% सीधे परिवारों से आता है, जिससे स्वास्थ्य सेवा वहनीय नहीं रहती और परिवार कर्ज या गरीबी के चक्र में फँस जाते हैं।
    • आउट-ऑफ-पॉकेट (OOP) व्यय से तात्पर्य स्वास्थ्य सेवाओं के उपयोग के समय परिवारों द्वारा किए गए प्रत्यक्ष भुगतान से है, जिसमें बीमा या सरकारी योजनाओं से कोई प्रतिपूर्ति नहीं होती।
    • इसमें परामर्श शुल्क, दवाइयाँ, नैदानिक ​​परीक्षण, अस्पताल में भर्ती होने और रोगियों द्वारा सीधे वहन की जाने वाली अन्य चिकित्सा लागतें शामिल हैं।
  • कम सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय: भारत सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सकल घरेलू उत्पाद का केवल 1.3% खर्च करता है, जो वैश्विक औसत 6.1% से काफी कम है, जिससे एक रिक्तता उत्पन्न होती है, जिसे बीमा योजनाएँ पूर्ण करने का प्रयास करती हैं।
  • स्वास्थ्य सेवा असमानताएँ: ग्रामीण आबादी, अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक और वंचित समुदायों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुँच का सामना करना पड़ता है, जो वित्तीय जोखिम संरक्षण की तात्कालिकता को दर्शाता है।
  • चिकित्सा लागत के माध्यम से गरीबी को बढ़ावा: नीति आयोग के अनुमान के अनुसार, स्वास्थ्य सेवा व्यय के कारण प्रत्येक वर्ष लगभग 6 करोड़ भारतीय गरीबी रेखा से नीचे चले जाते हैं, जिससे गरीबी का चक्र बिगड़ता जा रहा है।

भारत में स्वास्थ्य बीमा का महत्त्व

  • वित्तीय सुरक्षा: स्वास्थ्य बीमा परिवारों को स्वास्थ्य संबंधी अत्यधिक व्यय से बचाता है, जिससे चिकित्सा आपात स्थितियों के दौरान संकटकालीन ऋण लेने या जबरन संपत्ति बेचने से बचाव होता है।
  • बेहतर पहुँच: यह पैनलबद्ध नेटवर्क के माध्यम से सार्वजनिक और निजी अस्पतालों तक पहुँच को बढ़ाता है, जिससे रोगियों के लिए उपचार के विकल्प बढ़ते हैं।
  • समानता और सामाजिक न्याय: वित्तीय बाधाओं को कम करके, बीमा यह सुनिश्चित करता है कि गरीब और हाशिए पर स्थित लोग गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्राप्त कर सकें, जिससे सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिलता है।
  • आर्थिक उत्पादकता: एक स्वस्थ कार्यबल बीमारी के कारण होने वाली श्रम हानि को कम करता है। बीमा कवरेज आर्थिक दक्षता और उत्पादकता में वृद्धि को बढ़ावा देता है।

बीमा-प्रधान UHC की चुनौतियाँ और आलोचनाएँ

  • लाभ-संचालित स्वास्थ्य सेवा: प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के तहत लगभग दो-तिहाई व्यय निजी अस्पतालों पर होता है, जिससे सार्वजनिक सुविधाओं को मजबूत करने के बजाय लाभ कमाने वाली चिकित्सा व्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।
  • अस्पताल में भर्ती होने का पूर्वाग्रह: स्वास्थ्य बीमा प्राथमिक और बाह्य रोगी देखभाल की उपेक्षा करते हुए अस्पताल में भर्ती होने पर ध्यान केंद्रित करता है। इससे तृतीयक देखभाल पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है और निवारक सेवाओं से धन का विचलन होता है।
  • वृद्धों का बोझ: वृद्धों (70 वर्ष से अधिक) के बढ़ते नामांकन से अस्थिर वित्तीय दबाव का खतरा पैदा होता है। संसाधन महँगी तृतीयक देखभाल की ओर स्थानांतरित हो जाते हैं, जिससे बुनियादी सेवाओं पर ध्यान कम हो जाता है।
  • कम उपयोग: 80% कवरेज दावों के बावजूद, जागरूकता के अभाव और अस्पतालों के हतोत्साहन के कारण केवल 35% बीमित मरीजों (2022-23) ने बीमा सेवाओं का उपयोग किया।
  • पहुँच में भेदभाव: निजी अस्पताल प्रायः अधिक शुल्क के लिए बिना बीमित मरीजों को प्राथमिकता देते हैं, जबकि सार्वजनिक अस्पताल प्रतिपूर्ति के लिए बीमित मरीजों को प्राथमिकता देते हैं, जिससे असमानताएँ पैदा होती हैं।
  • विलंबित प्रतिपूर्ति: PMJAY के अंतर्गत 12,161 करोड़ रुपये से अधिक की लंबित राशि के कारण 609 अस्पतालों को योजना से पीछे हटना पड़ा, जिससे योजना की स्थिरता पर खतरा उत्पन्न हो गया।
  • भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी: 3,200 से अधिक अस्पतालों पर धोखाधड़ी का आरोप; पारदर्शी ऑडिट का अभाव बीमा योजनाओं की विश्वसनीयता को कमजोर करता है।
  • व्यवस्थागत कमजोरी: बीमा, सार्वजनिक स्वास्थ्य निवेश का विकल्प नहीं बन सकता। मजबूत प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा और सार्वजनिक अस्पतालों के बिना, बीमा एक अस्थायी राहत ही रह जाता है, न कि एक ढाँचागत समाधान।

वैश्विक पहल और सर्वोत्तम प्रथाएँ

  • यूनाइटेड किंगडम (NHS): राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (National Health Service- NHS) के अंतर्गत सार्वभौमिक, कर-वित्तपोषित स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है। सभी नागरिकों के लिए निःशुल्क उपचार सुनिश्चित करता है।
  • थाईलैंड (सार्वभौमिक कवरेज योजना, 2002): बाह्य रोगी और निवारक सेवाओं के समावेश को प्रदर्शित करता है। इस मॉडल ने स्वास्थ्य असमानताओं को उल्लेखनीय रूप से कम किया है।
  • जर्मनी (सामाजिक स्वास्थ्य बीमा [Social Health Insurance – SHI]): नियोक्ता और कर्मचारी के अंशदान में संतुलन स्थापित करता है। निजी प्रदाताओं का सशक्त विनियमन मानकीकृत लागत और सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करता है।
  • जापान (अनिवार्य स्वास्थ्य बीमा): लागत-साझाकरण सीमा के साथ व्यापक कवरेज सुनिश्चित करता है। डिजिटल निगरानी, धोखाधड़ी को रोकती है और समय पर प्रतिपूर्ति सुनिश्चित करती है।
  • कनाडा (सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित मॉडल): सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित, गैर-लाभकारी वितरण मॉडल को अपनाता है। लाभ प्रोत्साहन के बजाय समानता और रोकथाम पर जोर देता है।
  • भारत के लिए सबक: सख्त विनियमन, विस्तारित बाह्य रोगी देखभाल, पारदर्शिता और अधिक सार्वजनिक व्यय की आवश्यकता है। बिना निगरानी के निजी अस्पतालों पर अत्यधिक निर्भरता सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल (UHC) प्रदान नहीं करेगी।

सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ

  • आयुष्मान भारत-PMJAY: वर्ष 2018 में शुरू किया गया, यह विश्व का सबसे बड़ा सरकारी वित्त पोषित बीमा कार्यक्रम है, जो माध्यमिक और तृतीयक देखभाल के लिए प्रति परिवार वार्षिक रूप से ₹5 लाख का बीमा प्रदान करता है। वर्ष 2023-24 में, इसने ₹12,000 करोड़ के बजट के साथ 58.8 करोड़ व्यक्तियों को कवर किया।
  • राज्य स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम (State Health Insurance Programmes- SHIP): तमिलनाडु (CMCHIS), आंध्र प्रदेश (आरोग्यश्री) और केरल (करुण्य) जैसी राज्य योजनाएँ PMJAY की पूरक हैं। इनका संयुक्त बजट लगभग ₹16,000 करोड़ है, जो वार्षिक रूप से 8-25% की वृद्धि दर से बढ़ रहा है।
  • विरासती योजनाएँ: कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ESIS, 1952) और केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS, 1954) औद्योगिक श्रमिकों और सरकारी कर्मचारियों के लिए व्यापक सेवाएँ प्रदान करती रही हैं।
  • डिजिटल एकीकरण: आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) बीमा को डिजिटल स्वास्थ्य पहचान-पत्रों से जोड़ता है, जिससे स्वास्थ्य रिकॉर्ड की संचालनीयता संभव होती है और बेहतर पारदर्शिता एवं दक्षता के लिए बीमा दावों को सुव्यवस्थित किया जा सकता है।

PWOnlyIAS विशेष

भारतीय संविधान में स्वास्थ्य (सातवीं अनुसूची)

  • यद्यपि स्वास्थ्य सातवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य का विषय है, फिर भी संघ तथा समवर्ती सूचियों में इसके महत्त्वपूर्ण दायित्व निहित हैं, जिससे यह केंद्र और राज्यों के बीच एक संयुक्त उत्तरदायित्व बन जाता है।
  • राज्य सूची: सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता, अस्पताल और औषधालय, कब्रिस्तान और श्मशान घाट, और चिकित्सा का विनियमन राज्य सूची के अंतर्गत आते हैं, जिससे राज्य प्राथमिक रूप से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों, स्वच्छता और चिकित्सा कार्यबल विनियमन के लिए जिम्मेदार हो जाते हैं।
  • संघ सूची: पोर्ट क्वॉरन्टीन, इंटर-स्टेट क्वॉरन्टीन और प्रवास, चिकित्सा एवं उच्च शिक्षा मानकों का समन्वय, तथा राष्ट्रीय संस्थान एवं अनुसंधान जैसे मामले संघ सूची में आते हैं, जिससे केंद्र को नीति, मानक-निर्धारण, वित्त पोषण और AIIMS, ICMR, NHM और PMJAY जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों की जिम्मेदारी मिलती है।
  • समवर्ती सूची: शिक्षा (चिकित्सा सहित), विधिक और चिकित्सा पेशे, और राज्यों में संक्रामक रोगों की रोकथाम समवर्ती सूची में आते हैं, जिससे केंद्र और राज्य दोनों को कानून बनाने का अधिकार मिलता है। प्रमुख उदाहरणों में महामारी रोग अधिनियम, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI), और पर्यावरण अधिनियम शामिल हैं।

भारत में स्वास्थ्य पर संवैधानिक प्रावधान

  • राज्य नीति के निदेशक सिद्धांत (DPSP)
    • अनुच्छेद-38: राज्य द्वारा जन कल्याण हेतु सामाजिक व्यवस्था सुनिश्चित करना।
    • अनुच्छेद-39(E): श्रमिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा।
    • अनुच्छेद-41: बीमारी और दिव्यांगता की स्थिति में सार्वजनिक सहायता का अधिकार।
    • अनुच्छेद-42: न्यायसंगत और मानवीय कार्य स्थितियों तथा प्रसूति सहायता का प्रावधान।
    • अनुच्छेद-47: पोषण स्तर को बढ़ाना, जन स्वास्थ्य में सुधार लाना और मादक पेय एवं नशीले पदार्थों का निषेध करना राज्य का कर्तव्य है।
  • मौलिक अधिकार (अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े)
    • अनुच्छेद-21 (जीवन का अधिकार): सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसकी व्याख्या स्वास्थ्य के अधिकार को शामिल करने के लिए की गई (उदाहरणार्थ, पश्चिम बंगाल खेत मजदूर समिति बनाम पश्चिम बंगाल राज्य, 1996)।
    • अनुच्छेद-23 और 24: तस्करी, जबरन श्रम और खतरनाक बाल श्रम से संरक्षण (स्वास्थ्य आयाम)।
  • मौलिक कर्तव्य
    • अनुच्छेद-51A(G): प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार का कर्तव्य, जो सीधे सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा है।

स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले सतत् विकास लक्ष्य

  • SDG 1 (गरीबी उन्मूलन): स्वास्थ्य-जनित गरीबी को कम करता है।
  • SDG 2 (भूख शून्य): पोषण-स्वास्थ्य संबंध।
  • SDG 6 (स्वच्छ जल एवं स्वच्छता): रोगों की रोकथाम के लिए महत्त्वपूर्ण।
  • SDG 13 (जलवायु कार्रवाई): जलवायु-संबंधी स्वास्थ्य प्रभाव।

आगे की राह

  • स्वास्थ्य सेवा का पुनर्संतुलन: भारत को प्राथमिक और निवारक देखभाल में निवेश करके अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को पुनर्संतुलित करना होगा। इससे अनावश्यक अस्पताल में भर्ती होने की संख्या कम होगी और किफायती पहुँच में सुधार होगा।
  • कवरेज का विस्तार: कवरेज का विस्तार करके इसमें बाह्य रोगी सेवाएँ, निदान और मानसिक स्वास्थ्य सेवा को भी शामिल किया जाना चाहिए। यह वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप है।
  • निजी क्षेत्र का विनियमन: मुनाफाखोरी और शोषण को रोकने के लिए निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का सख्ती से विनियमन किया जाना चाहिए। मूल्य सीमा, उपचार प्रोटोकॉल और सख्त ऑडिट आवश्यक हैं।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय: 2025 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय को सकल घरेलू उत्पाद के कम-से-कम 2.5% तक बढ़ाना होगा। इससे सार्वजनिक अस्पताल की स्थिति सशक्त होगी और बीमा योजनाओं पर निर्भरता कम होगी।
  • जागरूकता अभियान: कमजोर आबादी के बीच उपयोगिता बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान आवश्यक हैं। लाभार्थियों को अपने अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए।
  • डिजिटल नवाचार: डिजिटल नवाचारों के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाया जाना चाहिए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), बिग डेटा और ब्लॉकचेन संबंधी धोखाधड़ी का पता लगा सकते हैं और समय पर भुगतान सुनिश्चित कर सकते हैं।
  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज: भारत को खंडित, लक्षित योजनाओं के बजाय एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। एक कर-वित्तपोषित, समतामूलक प्रणाली जिसमें मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य ढाँचा हो, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का स्थायी मार्ग है।

निष्कर्ष

सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल (UHC) की अवधारणा को साकार करना अनुच्छेद-21 के तहत जीवन के अधिकार को बनाए रखने, अनुच्छेद-14 के तहत समानता सुनिश्चित करने और राज्य नीति के निदेशक सिद्धांतों, विशेष रूप से अनुच्छेद-47 को पूरा करने के लिए आवश्यक है, जिससे स्वास्थ्य सेवा न्यायसंगत और सुलभ बन सके।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.