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हाई सीज ट्रीटी

Lokesh Pal November 05, 2025 02:52 29 0

संदर्भ

“हाई सीज ट्रीटी” (High Seas Treaty), जिसे औपचारिक रूप से राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता (BBNJ) समझौता कहा जाता है, जनवरी 2026 में प्रभावी होगी।

BBNJ समझौते की पृष्ठभूमि

  • वर्ष 1982 का संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून पर अभिसमय (UNCLOS) राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे समुद्री जैव विविधता की सुरक्षा से संबंधित विषयों को पर्याप्त रूप से शामिल नहीं कर सका था।
  • इस कमी को दूर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2004 में एक अस्थायी कार्य समूह (Ad Hoc Working Group) का गठन किया।
  • वर्ष 2018 से वर्ष 2023 के बीच चार अंतर-सरकारी सम्मेलन आयोजित किए गए और अंततः यह संधि जून 2023 में अपनाई गई।

हाई सीज ट्रीटी (BBNJ समझौता) के बारे में

  • उद्देश्य: राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे समुद्री जैव विविधता के संरक्षण और सतत् उपयोग के लिए एक व्यापक ढाँचा स्थापित करना।
  • कानूनी आधार: यह संधि संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून पर अभिसमय (UNCLOS) के तहत एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी समझौता है।
    • यह “हाई सीज” में समुद्री जीवन की रक्षा के लिए पहला कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक समझौता है।

हस्ताक्षर और अनुमोदन

  • वैश्विक स्थिति (नवंबर 2025): 145 देशों ने संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से 75 ने अनुमोदन किया है।
  • भारत की स्थिति: भारत ने वर्ष 2024 में संधि पर हस्ताक्षर किए, किंतु अभी अनुमोदन नहीं किया है।

हाई सीज क्या हैं?

  • वर्ष 1958 के जेनेवा अभिसमय के अनुसार, हाई सीज वे समुद्री क्षेत्र हैं, जो किसी भी राज्य के अधिकार क्षेत्र से बाहर स्थित होते हैं।
  • ये किसी देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) से परे विस्तृत होते हैं, जो सामान्यतः तट से 200 समुद्री मील तक विस्तृत होता है।
  • इन क्षेत्रों में नौवहन, उड्डयन, मत्स्यपालन और वैज्ञानिक अनुसंधान की स्वतंत्रता होती है।

हाई सीज का महत्त्व

  • विस्तृत क्षेत्र: विश्व के महासागरों के 64% और पृथ्वी की सतह के 43% हिस्से को कवर करते हैं, यहाँ लगभग 2.2 मिलियन समुद्री प्रजातियाँ और सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं।
  • पर्यावरणीय नियामक: ये वैश्विक CO का 25% अवशोषित करते हैं, विश्व के 50% ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं और तापीय संतुलन बनाए रखते हैं।
  • संसाधन भंडार: समुद्री भोजन, खनिज, आनुवंशिक संसाधन और औषधीय यौगिक प्रदान करते हैं।
  • जैव विविधता केंद्र: अनेक ऐसी प्रजातियों का आवास, जो अब तक वैज्ञानिक रूप से अज्ञात हैं।
  • चुनौतियाँ: स्वामित्व की कमी के कारण अति-मत्स्यन, जैव विविधता की हानि, प्लास्टिक प्रदूषण (2021 में 1.7 करोड़ टन), अम्लीकरण और प्रदूषण जैसी समस्याएँ।

हाई सीज ट्रीटी के प्रमुख स्तंभ

  • समुद्री संरक्षित क्षेत्र (MPAs)
    • उच्च समुद्री क्षेत्रों में संरक्षित क्षेत्रों के निर्माण हेतु कानूनी ढाँचा है, जिसमे वर्तमान में केवल 1.45% हाई सीज क्षेत्र संरक्षित हैं।
    • वर्ष 2030 तक महासागरों के 30% संरक्षण के “30×30 लक्ष्य” को प्राप्त करने की दिशा में एक प्रमुख तंत्र।
  • समुद्री आनुवंशिक संसाधन (MGR) एवं लाभों का न्यायसंगत वितरण
    • अंतरराष्ट्रीय जल में MGR और डिजिटल सीक्वेंस इनफॉरमेशन (DSI) के उपयोग को नियंत्रित करता है।
    • लाभ-साझेदारी में मौद्रिक योगदान (राष्ट्रीय आय के आधार पर) और गैर-मौद्रिक योगदान (जैसे-प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, क्षमता निर्माण, संयुक्त अनुसंधान) शामिल हैं।
  • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA)
    • ऐसे सभी कार्यों के लिए अनिवार्य, जिनका अंतरराष्ट्रीय जल पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है।
    • प्रक्रिया में स्क्रीनिंग, स्कोपिंग, मूल्यांकन, सार्वजनिक सूचना और निगरानी शामिल हैं।
    • पारंपरिक और स्वदेशी ज्ञान को वैज्ञानिक तरीकों के साथ समन्वित करता है।
  • क्षमता निर्माण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण
    • प्रशिक्षण कार्यक्रम, अनुसंधान छात्रवृत्तियाँ और संस्थागत साझेदारी स्थापित करना।
    • समुद्री प्रौद्योगिकी हेतु क्षेत्रीय केंद्र विकसित करना, ताकि विकासशील देशों को वैश्विक समुद्री प्रशासन में प्रभावी भागीदारी मिल सके।

मुख्य चुनौतियाँ

  • “साझा विरासत” और “हाई सीज की स्वतंत्रता” के बीच अस्पष्टता
    • संधि दो परस्पर-विरोधी सिद्धांतों में संतुलन बनाने का प्रयास करती है:
      • मानवजाति की साझा विरासत सभी देशों को समान पहुँच और लाभ-साझेदारी का अधिकार।
      • हाई सीज की स्वतंत्रता  राज्यों को नौवहन, अनुसंधान और संसाधन उपयोग की स्वतंत्रता।
    • MGR पर साझा विरासत का आंशिक उपयोग शोध अधिकारों और लाभ-वितरण में अनिश्चितता उत्पन्न करता है।
  • समुद्री आनुवंशिक संसाधनों का शासन और लाभ-वितरण
    • पहले MGR शासन अस्पष्ट था, जिससे बायोपाइरेसी और विकसित देशों द्वारा संसाधनों के एकाधिकार का भय था।
    • हालाँकि संधि एक रूपरेखा प्रदान करती है, परंतु इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि लाभों की गणना और वितरण कैसे होगा तथा अनुपालन की निगरानी कौन करेगा।
  • प्रमुख शक्तियों की सीमित भागीदारी
    • तीन प्रमुख समुद्री शक्तियों संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस द्वारा इसका अनुसमर्थन न किए जाने से संधि की सफलता के लिए बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है।
    • उनकी भागीदारी के बिना, प्रवर्तन, वित्तपोषण और निगरानी तंत्र कमजोर रह सकते हैं।
    • उनकी अनुपस्थिति भू-राजनीतिक वैधता को भी कम करती है तथा वैश्विक साझा संसाधनों के सामूहिक शासन को कमजोर करती है।
  • मौजूदा बहुपक्षीय संस्थाओं से ओवरलैप
    •   BBNJ को अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ समन्वय स्थापित करना होगा, जैसे:
      • अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (ISA) — खनिज संसाधनों का नियमन।
      • क्षेत्रीय मत्स्य प्रबंधन संगठन (RFMOs) — मत्स्य संरक्षण और प्रबंधन।
    •  यदि समन्वय न हो सका, तो नीतिगत असंगति और समुद्री शासन का विखंडन हो सकता है।
  • कार्यान्वयन और निगरानी में कठिनाइयाँ
    • हाई सीज में MPA स्थापित करना अत्यधिक जटिल और महँगा कार्य है।
    • EIA हेतु वैज्ञानिक डेटा-साझेदारी की आवश्यकता होती है, जो कई देशों के लिए कठिन हो सकता है।
    • गतिशील महासागर प्रबंधन की आवश्यकता है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण विकृत समुद्री पारिस्थितिकी-तंत्र विकसित होता है, जिसके लिए निरंतर समीक्षा तंत्र की आवश्यकता होती है।

आगे की राह

  • कानूनी अस्पष्टताओं को स्पष्ट करना: लाभ-वितरण, अधिकार क्षेत्र और दायित्व से संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट किया जाए।
  • सार्वभौमिक अनुमोदन को प्रोत्साहित करना: प्रमुख शक्तियों को संधि का हिस्सा बनाने हेतु कूटनीतिक प्रयास बढ़ाए जाएँ।
  • संस्थागत समन्वय को मजबूत करना: UNCLOS, ISA, RFMOs और अन्य UN एजेंसियों के साथ सहयोग बढ़ाया जाए।
  • वैज्ञानिक क्षमता को सशक्त करना: विकासशील देशों को प्रौद्योगिकी, डेटा-साझेदारी और अनुसंधान वित्तपोषण में सहायता प्रदान की जाए।
  • अनुकूलनीय प्रबंधन अपनाना: बदलते समुद्री परिस्थितियों का सामना करने हेतु, वास्तविक समय आधारित निगरानी तंत्र और गतिशील समुद्री संरक्षित क्षेत्रों का उपयोग किया जाना चाहिए।

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