100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

नेस्ले बेबी उत्पादों में हाई शुगर कंटेंट

Lokesh Pal April 24, 2024 06:38 212 0

संदर्भ

स्विस NGO ‘पब्लिक आई एवं इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क’ (Public Eye and International Baby Food Action Network) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत, अफ्रीकी एवं लैटिन अमेरिकी देशों में बेचे जाने वाले नेस्ले कंपनी के बेबी फूड उत्पादों में यूरोप में बेचे जाने वाले उत्पादों की तुलना में शुगर की मात्रा अधिक पाई गई है। 

संबंधित तथ्य

  • वैश्विक खाद्य एवं पेय पदार्थ कंपनी ‘नेस्ले’ द्वारा विभिन्न देशों में बेचे जाने वाले लगभग 150 बेबी उत्पादों का बेल्जियम की प्रयोगशाला में परीक्षण किया गया।

WHO की सिफारिश

  • WHO की सिफारिश के अनुसार, मोटापे एवं असाध्य रोगों को नियंत्रित करने के लिए, तीन वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए किसी भी भोजन में अतिरिक्त शर्करा या मीठा करने वाले एजेंटों की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
  • WHO ने बच्चों एवं वयस्कों में मुफ्त शुगर का सेवन उनकी कुल ऊर्जा खपत के 10% तक कम करने का भी आह्वान किया है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • यह पाया गया कि छह महीने के बच्चों के लिए सभी 15 सेरेलैक उत्पाद, जो यूनाइटेड किंगडम एवं जर्मनी में बिना किसी अतिरिक्त शुगर के बेचे जाते हैं, भारत में प्रति उत्पाद 2.7 ग्राम अतिरिक्त शुगर पाई गई थी।
  • इथियोपिया एवं थाईलैंड में बेचे जाने वाले उत्पादों में लगभग 6 ग्राम अतिरिक्त शुगर होती है।
  • दक्षिण-पूर्व एशिया में छोटे बच्चों के लिए बेचे जाने वाले 1,600 बेबी ग्रेन, स्नैक्स एवं रेडी-टू-ईट भोजन में से लगभग आधे उत्पादों (44 प्रतिशत) में अतिरिक्त शुगर तथा स्वीटनेस शामिल हैं।

अतिरिक्त शुगर हानिकारक क्यों हैं?

  • प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली शुगर: शुगर एक सरल प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला कार्बोहाइड्रेट है, जो दूध (लैक्टोज के रूप में ) और फल (फ्रक्टोज के रूप में) में पाया जाता है। कोई भी उत्पाद जिसमें दूध (जैसे- दही, दूध या क्रीम) या फल (ताजा, सूखा) होता है, उसमें कुछ प्राकृतिक शर्करा विद्यमान होती है।
  • फ्री शुगर: फ्री शुगर या अतिरिक्त शुगर को किसी खाद्य पदार्थ की तैयारी अथवा प्रसंस्करण के दौरान अलग से मिलाया जाता है एवं इसमें सफेद शुगर, ब्राउन शुगर तथा शहद जैसी प्राकृतिक शर्करा के साथ-साथ उच्च फ्रक्टोज कॉर्न सिरप जैसे रासायनिक रूप से निर्मित स्वीटनेस भी शामिल होती है।
  • फ्री शुगर मिलाने से अतिरिक्त शुगर की लत, मोटापा, अधिक वजन एवं अन्य असाध्य रोग पैदा होते हैं।

अधिक शुगर के सेवन से होने वाले जोखिम

  • अधिक वजन एवं मोटापा: शुगर का अधिक सेवन शरीर के अतिरिक्त वजन एवं मोटापे में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। इससे टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग तथा विभिन्न कैंसर विकसित होने का खतरा भी होता है।
  • दाँतों का स्वास्थ्य: उच्च शुगर का सेवन दाँतों की समस्याओं से निकटता से जुड़ा हुआ है, जिसमें कैविटी भी शामिल है। खाद्य एवं पेय पदार्थों में मौजूद शर्करा प्लाक बैक्टीरिया को पोषित करके दाँतों की सड़न प्रक्रिया में भाग लेती है, जो एसिड उत्पन्न करती है, जिससे दाँतों का इनेमल नष्ट हो जाता है।
  • असाध्य रोग: बहुत अधिक शुगर का सेवन करने से चयापचय संबंधी समस्याएँ, हृदय जोखिम, मधुमेह आदि जैसी पुरानी बीमारियाँ विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है।
    • भारत में गैर-संचारी रोगों (Non-Communicable Diseases- NCDs) का वैश्विक भार वर्ष 1990 में 38% से बढ़कर वर्ष 2019 में 65% हो गया है, जिसमें आहार संबंधी जोखिमों के कारण सालाना 1.2 मिलियन मौतें होती हैं।
  • अस्वास्थ्यकर भोजन प्राथमिकताओं का विकास: बच्चों को उच्च शुगर वाले खाद्य पदार्थों से अवगत कराने से वे आजीवन अत्यधिक मीठे खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दे सकते हैं।
  • पोषण संबंधी विस्थापन: अधिक मीठे खाद्य पदार्थों वाले आहार में अक्सर आवश्यक पोषक तत्त्वों की कमी होती है। जब लोग बहुत अधिक शर्करा युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, तो वे फल, सब्जियाँ एवं साबुत अनाज का कम सेवन करते हैं, जो आवश्यक विटामिन, खनिज तथा फाइबर प्रदान करते हैं।
  • आर्थिक बोझ: अधिक शुगर के सेवन से संबंधित बीमारियों का आर्थिक प्रभाव काफी अधिक होता है।
    • भारत में, अधिक वजन एवं मोटापे से जुड़ी लागत वर्ष 2017 में लगभग 23 बिलियन डॉलर थी, जिसके वर्ष 2060 तक बढ़कर 480 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है।
    • ये स्थितियाँ स्वास्थ्य देखभाल व्यय में वृद्धि एवं उत्पादकता में हानि में योगदान करती हैं।

भारत में खाद्य विनियमन मानक

  • खाद्य विनियमन मानकों को प्रमुख रूप से भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यह व्यापक दिशा-निर्देश निर्धारित करता है तथा उन्हें लागू करता है।
  • शुगर कंटेंट के लिए नियम: शिशु पोषण मानकों को नियंत्रित करने वाले भारतीय नियम अतिरिक्त शर्करा के लिए कोई ऊपरी सीमा निर्दिष्ट नहीं करते हैं। इसके बजाय, वे प्रोटीन, वसा एवं कार्बोहाइड्रेट जैसे विभिन्न मैक्रोन्यूट्रिएंट्स के साथ-साथ विटामिन C, विटामिन D, आयरन तथा जिंक जैसे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की आवश्यकताओं को रेखांकित करते हैं।
    • वे सुक्रोज और फ्रक्टोज को कार्बोहाइड्रेट स्रोतों के रूप में उपयोग करने की भी अनुमति देते हैं, बशर्ते कि वे भोजन में कुल कार्बोहाइड्रेट का 20 प्रतिशत से कम हों।
  • खाद्य योजक एवं संदूषक: किसी भी खाद्य उत्पाद में ऐसे योजक या प्रसंस्करण सहायक पदार्थ नहीं हो सकते हैं, जो FSSAI द्वारा अनुमोदित नहीं हैं। इसी प्रकार, भोजन में निर्दिष्ट सीमा से अधिक दूषित या विषाक्त पदार्थ नहीं होने चाहिए। उदाहरण: खाद्य रंग एजेंट के रूप में रोडामाइन B पर प्रतिबंध।
  • कीटनाशक एवं अवशेष: खाद्य उत्पादों को कीटनाशकों, पशु चिकित्सा दवाओं, एंटीबायोटिक्स तथा अन्य औषधीय पदार्थों जैसे अवशेषों के लिए निर्धारित सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए।
    • कीटनाशक अधिनियम, 1968 निर्देश देता है कि पंजीकृत फ्यूमिगेंट्स को छोड़कर किसी भी कीटनाशक का सीधे खाद्य उत्पादों पर उपयोग नहीं किया जाता है।
  • पैकेजिंग एवं लेबलिंग: लेबलिंग से उपभोक्ताओं को खाद्य उत्पाद की विशेषताओं, उत्पत्ति या गुणवत्ता के बारे में गुमराह नहीं किया जाना चाहिए। 
  • विज्ञापन मानक: खाद्य उत्पादों का विज्ञापन भ्रामक नहीं होना चाहिए और खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम तथा उसके नियमों के प्रावधानों का पालन करना चाहिए।
  • लाइसेंसिंग और पंजीकरण: सभी खाद्य विक्रेताओं एवं ऑपरेटरों को खाद्य सुरक्षा तथा मानक अधिनियम के तहत पंजीकृत या लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता है। एक राज्य में काम करने वालों को राज्य के खाद्य एवं औषधि प्रशासन के साथ पंजीकरण कराना होगा, जबकि कई राज्यों में काम करने वालों को केंद्रीय FSSAI के साथ पंजीकरण कराना होगा।
  • पेयजल का उपयोग: भोजन तैयार करने में शामिल संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके जल स्रोतों का परीक्षण किया जाए एवं पीने योग्य होने के लिए प्रमाणित किया जाए ताकि यह गारंटी दी जा सके कि खाना पकाने के लिए उपयोग किया जाने वाला पानी उपभोग के लिए सुरक्षित है।

आगे की राह

  • ‘हाई फैट शुगर साल्ट’ (HFSS) करों का कार्यान्वयन: स्वास्थ्य जोखिमों से निपटने के लिए भारत में HFSS करों को लागू करने की आवश्यकता है, जिसमें स्वस्थ विकल्पों को प्रोत्साहित करने, उद्योग सुधार को बढ़ावा देने एवं स्वास्थ्य देखभाल पर आर्थिक तनाव को कम करने में उनकी भूमिका पर जोर दिया गया है।
  • वैश्विक मानकों के साथ सामंजस्य: FSSAI को अपने नियमों को वैश्विक मानकों के साथ संरेखित करने की आवश्यकता है जैसे कि शिशु आहार में फ्री शुगर की आवश्यकता को कम करना, ताकि खाद्य कंपनियाँ भारत एवं अन्य विकसित देशों के बीच भेदभाव न करें।
  • सार्वजनिक जागरूकता और प्रकटीकरण: पैक्ड खाद्य पदार्थों पर अनिवार्य प्रकटीकरण का अनुमान कैसे लगाया जाए, इसके बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। इससे उन्हें अपने खाद्य विकल्पों के बारे में सूचित निर्णय लेने का अधिकार मिलेगा।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.