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हिमाचल प्रदेश पूर्ण साक्षर घोषित

Lokesh Pal September 10, 2025 02:46 14 0

संदर्भ

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2025 पर, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश राज्य को त्रिपुरा, मिजोरम, गोवा एवं लद्दाख के बाद 99.30% साक्षरता के साथ पूर्ण कार्यात्मक साक्षरता प्राप्त करने वाला पाँचवाँ राज्य/केंद्रशासित प्रदेश घोषित किया।

संबंधित तथ्य 

  • भारत की साक्षरता दर वर्ष 2011 में 74% से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 80.9% हो गई है।
  • साक्षरता एवं पूर्ण साक्षरता की परिभाषा {(शिक्षा मंत्रालय) के अनुसार}
    • साक्षरता: समझ के साथ पढ़ने, लिखने एवं गणना करने की क्षमता, इसमें डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता तथा महत्त्वपूर्ण जीवन कौशल शामिल हैं।
    • पूर्ण साक्षरता: किसी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश द्वारा 95% साक्षरता का लक्ष्य प्राप्त करना (100% के बराबर माना जाता है)।
    • मूल्यांकन: NILP के अंतर्गत, एक निरक्षर व्यक्ति को आधारभूत साक्षरता एवं संख्यात्मक मूल्यांकन परीक्षा (Foundational Literacy and Numeracy Assessment Test- FLNAT) उत्तीर्ण करने पर आधिकारिक रूप से साक्षर के रूप में मान्यता दी जाती है।

आधारभूत साक्षरता एवं संख्यात्मक मूल्यांकन परीक्षा (FLNAT) के बारे में

  • अवलोकन: FLNAT, ULLAS पहल के तहत आयोजित एक राष्ट्रव्यापी परीक्षा है, जो भाग लेने वाले राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के सभी जिलों में लागू की जाती है।
  • उद्देश्य: 15 वर्ष एवं उससे अधिक आयु के पंजीकृत निरक्षर शिक्षार्थियों के आधारभूत साक्षरता तथा संख्यात्मक कौशल का आकलन करने के लिए डिजाइन किया गया।
  • परीक्षा की भाषा: शिक्षार्थियों की क्षेत्रीय भाषा में परीक्षा का संचालन, जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 द्वारा प्रतिपादित बहुभाषावाद के सिद्धांत को प्रोत्साहन मिलता है।
  • मूल्यांकन कवरेज: यह पठन, लेखन एवं संख्यात्मकता का मूल्यांकन करता है, जिसमें प्रत्येक खंड 50 अंकों का होता है और कुल अंक 150 निर्धारित हैं।
  • कार्यान्वयन: भाग लेने वाले राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के सभी जिलों में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (DIETs) एवं सरकारी/सहायता प्राप्त स्कूलों में आयोजित किया जाता है।
  • प्रमाणन: सफल शिक्षार्थियों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (National Institute of Open Schooling- NIOS) से प्रमाण-पत्र प्राप्त होते हैं।

न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम (NILP) के बारे में

  • अवलोकन: NILP, जिसे ‘समाज में सभी के लिए आजीवन शिक्षा की समझ’ (Understanding of Lifelong Learning for All in Society) अर्थात् उल्लास (ULLAS) के नाम से भी जाना जाता है, यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य 15 वर्ष एवं उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में निरक्षरता का उन्मूलन करना है।
  • नोडल मंत्रालय: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (भारत सरकार)
  • कार्यकाल: वित्त वर्ष 2022-27 (5 वर्ष) के दौरान कार्यान्वित।
  • कार्यान्वयन: NILP का संचालन स्वयंसेवकों द्वारा किया जाता है, जो शिक्षण एवं अधिगम को सशक्त बनाने हेतु छात्र स्वयंसेवकों तथा सामुदायिक भागीदारी के सहयोग का उपयोग करता है।
  • लाभार्थी: इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों की पहचान राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में सर्वेक्षणकर्ताओं द्वारा मोबाइल ऐप पर घर-घर जाकर सर्वेक्षण के माध्यम से की जाती है।
    • 15 वर्ष से अधिक आयु के सभी निरक्षर लोग इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
  • उद्देश्य
    • सभी निरक्षर वयस्कों (15+ वर्ष) को लक्षित करना, जिसमें महिलाओं एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े राज्यों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
    • NIC, NCERT एवं NIOS के सहयोग से विकसित ऑनलाइन शिक्षण, अधिगम तथा मूल्यांकन प्रणाली (Online Teaching, Learning and Assessment System- OTLAS) के माध्यम से 5 करोड़ शिक्षार्थियों (प्रति वर्ष 1 करोड़) को शिक्षित करना।
  • NILP के पाँच घटक
    • आधारभूत साक्षरता एवं अंकगणित (FLN)- बुनियादी पठन, लेखन तथा अंकगणित।
    • महत्त्वपूर्ण जीवन कौशल – डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता, स्वास्थ्य जागरूकता एवं कानूनी साक्षरता।
    • बुनियादी शिक्षा – कक्षा 3, 5 एवं 8 के समकक्ष।
    • व्यावसायिक कौशल विकास – रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कौशल निर्माण।
    • सतत् शिक्षा – आजीवन सीखने के अवसर एवं सामुदायिक पुस्तकालय।

निरक्षरता के कारण आने वाली चुनौतियाँ

  • वित्तीय लेन-देन: वित्तीय मामलों के प्रबंधन एवं समझने में कठिनाई।
  • रोजगार के आवेदन: रोजगार के आवेदनों को पूरा करने एवं बाजार में प्रभावी ढंग से शामिल होने में असमर्थता।
  • मीडिया एवं प्रौद्योगिकी की समझ: मीडिया एवं प्रौद्योगिकी को समझने तथा उनका उपयोग करने में चुनौतियाँ।
  • अधिकारों को समझना: व्यक्तिगत अधिकारों एवं जिम्मेदारियों को समझने की सीमित क्षमता।
  • उत्पादक क्षेत्रों में भागीदारी: उच्च साक्षरता एवं तकनीकी कौशल की आवश्यकता वाले क्षेत्रों में सीमित भागीदारी।

साक्षरता पर सरकारी पहल

  • समग्र शिक्षा अभियान: समावेशी एवं समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्री-स्कूल से कक्षा 12 तक स्कूली शिक्षा के लिए एक एकीकृत कार्यक्रम।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)-2020: राज्य-विशिष्ट लक्ष्यों एवं समय सीमाओं के साथ, वर्ष 2025 तक सभी प्राथमिक विद्यालयों में सार्वभौमिक मूलभूत साक्षरता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय आधारभूत साक्षरता तथा संख्यात्मकता मिशन की शुरुआत की गई।
  • निपुण भारत: वर्ष 2026-27 तक कक्षा 3 के बच्चों के लिए सार्वभौमिक आधारभूत साक्षरता एवं गणनात्मकता प्राप्त करने के लिए शुरू किया गया। यह समग्र शिक्षा योजना के अंतर्गत पाँच स्तरीय कार्यान्वयन संरचना (राष्ट्र, राज्य, जिला, ब्लॉक तथा स्कूल स्तर) का अनुसरण करता है।

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस (ILD) के बारे में

  • पृष्ठभूमि: UNESCO की वर्ष 1966 की घोषणा के बाद, वर्ष 1967 से, अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस प्रतिवर्ष 8 सितंबर को मनाया जाता है।
    • यह नीति निर्माताओं एवं जनता को न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण तथा सतत् समाज बनाने में साक्षरता की महत्त्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है।
  • अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2025 की थीम: “डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना।” (Promoting Literacy in the Digital Era.)
    • इसका मुख्य उद्देश्य डिजिटल साक्षरता को सुदृढ़ करना है, आलोचनात्मक सोच विकसित करते हुए, विश्वसनीय जानकारी की पहचान करने तथा सुरक्षित डिजिटल जुड़ाव को बढ़ावा देने के साथ-साथ ऑनलाइन सामग्री तक पहुँचने, उसका मूल्यांकन करने, निर्माण करने और साझा करने की क्षमता विकसित करना।
    • अवसर: डिजिटल उपकरण सीखने की पहुँच का विस्तार कर सकते हैं, विशेष रूप से वंचित समूहों के लिए।
    • जोखिम: डिजिटलीकरण से उत्पन्न दोहरी चुनौतियाँ न केवल बहिष्कार की स्थिति को और गंभीर बना सकती हैं, बल्कि गोपनीयता, निगरानी, नैतिकता, पूर्वाग्रह, निष्क्रिय उपभोग और पर्यावरणीय प्रभाव जैसी चिंताओं को भी गहरा कर सकती हैं।
  • साक्षरता का महत्त्व
    • इसे एक मानवीय मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो अन्य अधिकारों एवं स्वतंत्रताओं तक पहुँच को सक्षम बनाता है।
    • समानता, न्याय, विविधता, सहिष्णुता एवं वैश्विक नागरिकता के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल, मूल्य तथा दृष्टिकोण प्राप्त करने का आधार प्रदान करता है।
  • वर्तमान वैश्विक चुनौतियाँ
    • 739 मिलियन युवाओं एवं वयस्कों में अभी भी बुनियादी साक्षरता कौशल का अभाव है (वर्ष 2024)।
    • 10 में से 4 बच्चे न्यूनतम पठन दक्षता हासिल करने में असफल रहते हैं।
    • वर्ष 2023 में 272 मिलियन बच्चे एवं किशोर स्कूल की पहुँच से बाहर होंगे।

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