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भारत-नेपाल सीमा मुद्दे का इतिहास

Lokesh Pal May 09, 2024 05:07 195 0

संदर्भ

हाल ही में नेपाल की कैबिनेट ने 100 रुपये के नोट पर एक मानचित्र लगाने का निर्णय लिया, जिसमें उत्तराखंड में भारत द्वारा प्रशासित कुछ क्षेत्रों को अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में दर्शाया गया।

संबंधित तथ्य

  • विवादित क्षेत्र
    • यह क्षेत्रीय विवाद 372 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को लेकर है, जिसमें उत्तराखंड के पिथौरागढ जिले में भारत-नेपाल-चीन सीमा पर स्थित लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी शामिल हैं। 
    • नेपाल लंबे समय से यह दावा करता रहा है कि इन क्षेत्रों पर ऐतिहासिक और स्पष्ट रूप से उसका अधिकार है।
    • इस मानचित्र को चार वर्ष पहले नेपाल की संसद में सर्वसम्मति से अपनाया गया था। भारत और नेपाल के प्रधानमंत्रियों ने सीमा मुद्दे की जाँच और राजनयिक चैनलों के माध्यम से समाधान करने पर सहमति व्यक्त की है।

सीमा मुद्दे की उत्पत्ति

  • वर्ष 1814-16 के आंग्ल-नेपाल युद्ध के अंत में सुगौली की संधि के परिणामस्वरूप नेपाल को ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों अपने क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा खोना पड़ा।
  • संधि के अनुच्छेद-5 ने काली नदी के पूर्व की भूमि पर नेपाल के शासकों के अधिकार क्षेत्र को छीन लिया।
  • वर्ष 1819, 1821, 1827 और 1856 में भारत के ब्रिटिश सर्वेयर जनरल द्वारा जारी किए गए मानचित्रों में काली नदी का उद्गम लिम्पियाधुरा में दिखाया गया था। 
  • वर्ष 1879 में प्रकाशित अगले मानचित्र में स्थानीय भाषा में इस नदी का नाम ‘कुटी यांगती’ प्रयोग किया गया।
  • वर्ष 1920-21 में प्रकाशित मानचित्र में कुटी यांगती नाम बरकरार रखा गया था, लेकिन इसमें एक अलग ‘काली नदी’ की पहचान की गई। 
    • इस नदी को एक मंदिर स्थल से निकलने वाली धारा के रूप में दर्शाया गया था और यह लगभग एक किलोमीटर नीचे की ओर मुख्य धारा में शामिल हो रही थी। 
    • हालाँकि वर्ष 1947 में भारत छोड़ने से पहले अंग्रेजों द्वारा जारी किए गए अंतिम मानचित्र में लिम्पियाधुरा से निकलने वाली काली नदी की प्रारंभिक स्थिति दिखाई गई थी।
  • इस क्षेत्र के गाँव- गुंजी, नाभी, कुटी और कालापानी, जिन्हें तुलसी न्युरांग और नाभीडांग के नाम से भी जाना जाता है, वर्ष 1962 तक नेपाल सरकार की जनगणना के अंतर्गत आते थे, तथा लोग काठमांडू में सरकार को भूमि राजस्व का भुगतान करते थे। हालाँकि उस वर्ष भारत- चीन युद्ध के बाद स्थिति बदल गई।
  • भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने नेपाल के राजा महेंद्र से संपर्क किया और कालापानी का उपयोग करने की अनुमति माँगी, जो रणनीतिक रूप से भारतीय सेना के लिए एक बेस के रूप में ‘ट्राइजंक्शन’ के करीब स्थित था।
  • द्विपक्षीय वार्ता में यह बताया गया कि राजा महेंद्र ने यह क्षेत्र भारत को उपहार में दिया था, लेकिन यह मुद्दा कभी हल नहीं हुआ। 

सीमा मुद्दे से संबंधित भारत-नेपाल वार्ता

  • द्विपक्षीय वार्ता में आधिकारिक तौर पर नेपाल का प्रतिनिधित्व करने वाली कई प्रमुख हस्तियों ने दावा किया कि प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल (अप्रैल 1997-मार्च 1998) ने वादा किया था कि अगर नेपाल अपने दावे के लिए साक्ष्य प्रस्तुत करने में सक्षम होगा तो वे इन क्षेत्रों को छोड़ देंगे।
  • जुलाई 2000 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नेपाल के प्रधानमंत्री जी.पी. कोइराला को आश्वासन दिया कि भारत को नेपाली क्षेत्र के एक इंच में भी कोई दिलचस्पी नहीं है।
  • वर्ष 2014 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा से सभी विवादास्पद मुद्दों के समाधान की उम्मीद जगी थी।  
    • वह और उनके नेपाली समकक्ष, सुशील प्रसाद कोइराला, कालापानी और सुस्ता में सीमा मुद्दे के शीघ्र समाधान के लिए एक सीमा कार्य समूह स्थापित करने पर सहमत हुए, जो 145 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है, जो गंडक नदी का प्रवाह क्षेत्र बदलने के बाद भारतीय क्षेत्र में आ गया था। 
  • वर्ष 2023 में भारत से लौटने के बाद, नेपाल के प्रधानमंत्री ने दावा किया कि भारत ने उन्हें आश्वासन दिया कि सीमा मुद्दे को जल्द-से-जल्द सुलझा लिया जाएगा; हालाँकि, आधिकारिक यात्रा के अंत में आधिकारिक बयान में इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया था।

द्विपक्षीय संबंधों में तनाव

  • वर्ष 2005-14 की अच्छे संबंधों की अवधि, जब भारत ने नेपाल में हिंदू साम्राज्य को एक धर्मनिरपेक्ष संघीय गणराज्य में बदलने में मध्यस्थता की थी, यह अवधि वर्ष 2015 में तब समाप्त हो गई, जब नेपाल ने भारत के उस सुझाव को सिरे से खारिज कर दिया कि नेपाल का नया संविधान होना चाहिए।
  • सितंबर 2015 में शुरू हुई नेपाल की 134-दिवसीय नाकाबंदी ने भारत के साथ संबंधों में अविश्वास पैदा कर दिया और केपी शर्मा ओली सरकार ने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के नए स्रोत के रूप में चीन के साथ व्यापार और पारगमन समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए त्वरित कदम उठाए।
  • फरवरी 2018 में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी) के अध्यक्ष ओली नए संविधान के तहत हुए पहले चुनाव में भारी जनादेश के साथ प्रधानमंत्री के रूप में पुनर्निर्वाचित हुए। 
  • वर्ष 2020 में ओली सरकार ने नेपाल के नए मानचित्र के लिए संसद में आम सहमति बनाने का बीड़ा उठाया, जिसमें औपचारिक रूप से उत्तराखंड में स्थित 372 वर्ग किमी. का क्षेत्र शामिल था,  नेपाल सरकार ने इसे वापस लाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
  • भारत ने नेपाल की “कार्टोग्राफिक आक्रामकता” को अस्वीकार्य बताया, लेकिन कहा कि इस मुद्दे को सुबूतों के आधार पर राजनयिक चैनलों के माध्यम से हल करना होगा।
    •  गौरतलब है कि ओली की पार्टी के नेपाल में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होने के दो महीने से भी कम समय बाद 100 रुपये के नए नोटों पर कैबिनेट का फैसला आया है।

भारत के लिए नेपाल का महत्त्व

  • नेपाल 5 भारतीय राज्यों- उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और बिहार के साथ सीमा साझा करता है। इसलिए सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान का एक महत्त्वपूर्ण बिंदु है।
  • नेपाल का भारत के लिए महत्त्व का दो अलग-अलग कोणों से अध्ययन किया जा सकता है:
    • भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उनका सामरिक महत्त्व।
    • अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की भूमिका में उनका स्थान।
  • नेपाल भारत की ‘हिमालयी सीमाओं’ के ठीक बीच में है और भूटान के साथ, यह एक उत्तरी ‘सीमा’ के रूप में स्थित है और चीन से किसी भी संभावित आक्रमण के खिलाफ बफर राज्यों के रूप में कार्य करता है।
  • वो नदियाँ, जिनका उद्गम स्थल नेपाल में है, पारिस्थितिकी और जलविद्युत क्षमता के संदर्भ में भारत की बारहमासी नदी प्रणालियों को पोषित करती हैं।
  • कई हिंदू और बौद्ध धार्मिक स्थल नेपाल में हैं, जो इसे बड़ी संख्या में भारतीयों के लिए एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाते हैं।

वर्ष 2020 की स्थिति से भिन्नता

  • वर्ष 2020 में जब नया मानचित्र नेपाल की संसद द्वारा अपनाया गया था, के विपरीत मुद्रा नोट पर मानचित्र लगाने पर कोई सहमति नहीं दिख रही है। 
  • सत्तारूढ़ गठबंधन में UML और CPN दल एक साथ हैं, लेकिन मुख्य विपक्षी और संसद में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है।
  • नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल के आर्थिक सलाहकार और नेपाल के केंद्रीय बैंक, राष्ट्र बैंक के पूर्व गवर्नर चिरंजीवी नेपाल ने कैबिनेट के फैसले को “नासमझीपूर्ण” और “भड़काऊ” बताया है।

चीन के साथ निकटता

  • प्रारंभिक आकलन के आधार पर, सरकार को उम्मीद है कि चीन के साथ बेहतर सड़क संपर्क के साथ वर्ष 2015 जैसी नाकाबंदी की स्थिति में नेपालियों की कठिनाइयाँ बहुत कम होंगी।
  • नेपाल ने 1960 के दशक की शुरुआत में सीमा आयोग की द्विपक्षीय बैठकों के माध्यम से चीन के साथ अपने सीमा मुद्दों को सुलझाया है। 

भारत-नेपाल पहल

  • अरुण -3 जल विद्युत परियोजना
    • वर्ष 2019 में कैबिनेट ने अरुण -3 पनबिजली परियोजना के लिए ₹1236 करोड़ के निवेश को भी मंजूरी दी।
    • अरुण-3 हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना (900 मेगावाट) पूर्वी नेपाल में अरुण नदी पर स्थित एक रन-ऑफ-रिवर है।
  • सैटेलाइट कैंपस की स्थापना
    • भारत ने रूपन्देही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) का एक उपग्रह परिसर स्थापित करने की पेशकश की है और भारतीय एवं नेपाली विश्वविद्यालयों के बीच हस्ताक्षर करने के लिए कुछ मसौदा समझौता ज्ञापन भेजा है।
  • सीमा पार रेल लिंक
    • जयनगर (बिहार) से कुर्था (नेपाल) तक 35 किलोमीटर के क्रॉस-बॉर्डर रेल लिंक के संचालन को आगे बिजलपुरा और बर्दीबास तक बढ़ाया जाएगा।
  • डबल सर्किट ट्रांसमिशन लाइन
    • एक अन्य परियोजना में 90 किमी. लंबी 132 केवी डबल सर्किट ट्रांसमिशन लाइन शामिल है, जो टीला (सोलुखुम्बु) को भारतीय सीमा के करीब मिरचैया (सिराहा) से जोड़ती है।
  • बहुपक्षीय परियोजनाएँ
    • इसके अतिरिक्त, रेलवे क्षेत्र में तकनीकी सहयोग प्रदान करने वाले समझौतों, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में नेपाल के शामिल होने और पेट्रोलियम उत्पादों की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन के बीच भी समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

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