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हॉयल-नार्लीकर गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत

Lokesh Pal May 22, 2025 04:22 84 0

संदर्भ

प्रख्यात भारतीय खगोल वैज्ञानिक, विज्ञान संचारक और पद्म विभूषण से सम्मानित जयंत नार्लीकर का हाल ही में 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

खगोल वैज्ञानिक जयंत नार्लीकर के बारे में

  • वैज्ञानिक योगदान: डॉ. जयंत नार्लीकर ने वर्ष 1964 में अंग्रेजी खगोलशास्त्री और प्रोफेसर फ्रेड हॉयल के साथ मिलकर गुरुत्वाकर्षण के प्रसिद्ध हॉयल-नार्लीकर सिद्धांत प्रस्तुत किया।
  • साहित्यिक योगदान
    • वैज्ञानिक कहानी– धूमकेतु (द कॉमेट)।
    • उनकी आत्मकथा चार नगरांतले मजे विश्व (चार शहरों की मेरी कहानी) को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • संस्थान निर्माता: पुणे में ‘द इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स’  (IUCAA) की स्थापना की।
  • पुरस्कार और मान्यता
    • वर्ष 1965 में पद्म भूषण और वर्ष 2004 में पद्म विभूषण।
    • वर्ष 1996 में विज्ञान के लोकप्रियकरण के लिए यूनेस्को कलिंग पुरस्कार।
    • वर्ष 2004 में फ्रेंच एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी से प्रिक्स जूल्स जैनसेन।
    • गोविंद स्वरूप लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड।

गुरुत्वाकर्षण के ‘हॉयल-नार्लीकर सिद्धांत’ के बारे में

  • हॉयल-नार्लीकर गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत का एक वैकल्पिक सिद्धांत है। यह गुरुत्वाकर्षण का वर्णन करने के लिए माच के सिद्धांत और विद्युत चुंबकत्व के विचारों को जोड़ता है।
  • सिद्धांत: हॉयल-नार्लीकर गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत, माच के सिद्धांत (Mach’s Principle) को शामिल करता है, जो सुझाव देता है कि ब्रह्मांड में प्रत्येक वस्तु का द्रव्यमान प्रत्येक अन्य वस्तु के साथ उसकी अंतःक्रिया से प्रभावित होता है।
    • इस सिद्धांत के अनुसार, किसी वस्तु का जड़त्व (अर्थात् उसकी गति की स्थिति में परिवर्तन का विरोध करने की प्रवृत्ति) ब्रह्मांड में अन्य सभी पदार्थों के साथ उसकी अंतःक्रिया से उत्पन्न होती है।
  • सिद्धांत घटक
    • ब्रह्मांड का स्थिर अवस्था सिद्धांत: बिग बैंग सिद्धांत का एक विकल्प, यह सुझाव देता है कि ब्रह्मांड की कोई शुरुआत (बिग-बैंग) नहीं थी और इसका कोई अंत नहीं था और इसका विस्तार अनंत है।
      • विस्तार: इस सिद्धांत ने एक विस्तारित ब्रह्मांड को स्वीकार किया, लेकिन प्रस्तावित किया कि ब्रह्मांड इस तरह के विस्तार से उत्पन्न शून्य को भरने के लिए लगातार नए हाइड्रोजन परमाणुओं का निर्माण करके एक स्थिर घनत्व बनाए रखने में सक्षम था।
    • एक “सृजन क्षेत्र (Creation Field)” (सी-फील्ड): इस सिद्धांत ने पदार्थ के निरंतर निर्माण के लिए एक काल्पनिक नकारात्मक ऊर्जा क्षेत्र (Negative Energy Field) का प्रस्ताव रखा।।
      • जब यह क्षेत्र पर्याप्त रूप से सक्रिय हो जाता है, तो अंतरिक्ष में किसी भी बिंदु पर एक नया हाइड्रोजन परमाणु स्वतः उत्पन्न हो सकता है।
    • कोई निश्चित गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक नहीं: होयल-नार्लीकर सिद्धांत प्रस्तावित करता है कि गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक (G) ब्रह्मांड में पदार्थ के औसत घनत्व का एक फलन है, जो आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत के विपरीत है, जो एक निश्चित गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक (G) मानता है।
  • सिद्धांत के अनुप्रयोग
    • ब्लैक होल के निर्माण का अध्ययन करना: इस सिद्धांत को स्पेसटाइम में शून्य-द्रव्यमान सतहों के अस्तित्व से ब्लैक होल और व्हाइट होल के निर्माण को समझने के लिए लागू किया गया है।
    • असामान्य रेडशिफ्ट (Anomalous Redshifts): यह सुझाव दिया गया है, कि ‘क्वासर’ और आकाशगंगाओं से संबंधित असामान्य रेडशिफ्ट परिघटना को इस सिद्धांत के शून्य-द्रव्यमान सतहों में स्थानीय परिवर्तन द्वारा समझाया जा सकता है।
    • संशोधित गुरुत्वाकर्षण: कुछ शोधकर्ताओं ने ‘डार्क एनर्जी’ और ब्रह्मांड के त्वरित विस्तार को समझाने के लिए ‘हॉयल-नार्लीकर सिद्धांत’ के अंतर्गत ज्यामिति और पदार्थ में संशोधनों की खोज की है।
  • गुरुत्वाकर्षण के हॉयल-नार्लीकर सिद्धांत को चुनौतियाँ
    • वर्ष 1965 में कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड (CMB) विकिरण की खोज ने बिग बैंग थ्योरी के पक्ष में और साक्ष्य दिए एवं इस तरह गुरुत्वाकर्षण के होयल-नार्लीकर सिद्धांत की स्वीकृति को सीमित कर दिया।
      • कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड (CMB) विकिरण (जिसे बिग बैंग की प्रतिध्वनि या शॉकवेव माना जाता है।) पहले प्रकाश का ठंडा अवशेष (Cooled Remnant) है, जो पूरे ब्रह्मांड में स्वतंत्र रूप से यात्रा कर सकता है।

कारक

आइंस्टीन का सामान्य सापेक्षता सिद्धांत 

(Einstein’s Theory of General Relativity)

हॉयल-नार्लीकर गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत 

(Hoyle–Narlikar Theory of Gravity)

मूल अवधारणा (Core Concept) “गुरुत्वाकर्षण, द्रव्यमान और ऊर्जा की उपस्थिति के कारण स्पेसटाइम की वक्रता का परिणाम है। इसका उद्देश्य गुरुत्वाकर्षण मेंमाच के सिद्धांत को शामिल करना है, जो यह सुझाव देता है कि जड़त्व और द्रव्यमान ब्रह्मांड में अन्य सभी पदार्थों के साथ अंतःक्रिया से उत्पन्न होते हैं।
गुरुत्वाकर्षण प्रभाव (Gravitational Effects) स्पेसटाइम की ज्यामिति, विशेष रूप से किसी क्षेत्र की वक्रता, उस क्षेत्र में मौजूद द्रव्यमान और ऊर्जा की मात्रा से निर्धारित होती है। किसी भी स्थान पर गुरुत्वाकर्षण प्रभाव पूरे ब्रह्मांड में मौजूद पदार्थों से प्रभावित होता है, न कि केवल आस-पास की वस्तुओं से।
जड़त्व का स्पष्टीकरण सामान्य सापेक्षता सिद्धांत जड़त्व की उत्पत्ति को सीधे संबोधित नहीं करता है। यह सिद्धांत बताता है कि जड़त्व का निर्धारण, ब्रह्मांड में अन्य सभी द्रव्यमानों के साथ किसी वस्तु की अंतःक्रिया द्वारा होता है।
साक्ष्य समर्थन सामान्य सापेक्षता सिद्धांत को अवलोकन संबंधी साक्ष्यों द्वारा समर्थन प्राप्त है, जैसे कि विशाल पिंडों के चारों ओर प्रकाश का झुकाव, बुध की कक्षा का अग्रगमन, तथा गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पूर्वानुमान। हॉयल-नार्लीकर सिद्धांत को पर्याप्त अवलोकनात्मक समर्थन पाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।

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