चीन के उत्तरी प्रांतों में विशेष रूप से 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) का प्रकोप देखा जा रहा है।
भारत में अभी तक HMPV का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन वह चीन की स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है।
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के बारे में
परिवार: ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) न्यूमोविरिडे परिवार का एक श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाला वायरस है, जो सामान्य सर्दी के समान हल्के संक्रमण उत्पन्न करता है।
रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (Respiratory Syncytial Virus-RSV), खसरा तथा कंठमाला (मम्प्स) भी न्यूमोविरिडे परिवार से संबंधित हैं।
शीतकालीन रोग: HMPV ऊपरी तथा निचले श्वसन तंत्र के संक्रमण का कारण बन सकता है और आम तौर पर सर्दियों और शुरुआती वसंत में देखा जाता है।
कब खोजा गया: इस वायरस की पहचान सबसे पहले वर्ष 2001 में नीदरलैंड में बर्नाडेट जी. वैन डेन हूगेन नामक वैज्ञानिक द्वारा 28 छोटे बच्चों के श्वसन स्राव में की गई थी।
संवेदनशीलता: बच्चे तथा बुजुर्ग एवं कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (HIV) वाले लोग इस संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
अनुमान है कि बच्चों में 10% से 12% श्वसन संबंधी बीमारियाँ HMPV के कारण होती हैं।
लक्षण: संक्रमण में सामान्य सर्दी जैसे लक्षण दिखते हैं, जैसे खाँसी, बहती या बंद नाक, गले में खराश, बुखार और घरघराहट।
इनक्यूबेशन अवधि: यह आमतौर पर तीन से छह दिन की होती है।
संक्रमण: HMPV संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है, जैसे खाँसने, छींकने से स्राव या फिर छूने से, संक्रमित व्यक्ति के साथ निकट संपर्क में आने से जैसे हाथ मिलाना, गले लगना, दरवाजे की कुंडी या फोन या कीबोर्ड को छूना।
जटिलताएँ: HMPV गंभीर होने पर जटिलताएँ पैदा कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है।
ब्रोंकियोलाइटिस, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, अस्थमा या COPD का प्रकोप, कान का संक्रमण (ओटिटिस मीडिया)।
उपचार: HMPV के उपचार के लिए कोई टीका या विशिष्ट एंटीवायरल उपलब्ध नहीं है। HMPV के लिए एंटीबायोटिक्स काम नहीं करेंगे।
अधिकांश लोगों को बुखार और दर्द से राहत पाने के लिए ओवर-द-काउंटर दवाओं की आवश्यकता होती है, संभवतः डिकंजेस्टेन्ट के साथ।
निदान: आणविक निदान परीक्षण के व्यापक उपयोग ने ऊपरी और निचले श्वसन संक्रमण के एक महत्त्वपूर्ण कारण के रूप में एचएमपीवी की पहचान और जागरूकता बढ़ाई है।
रोकथाम
WASH हाइजीन अपनाना: हाथ धोने जैसी स्वच्छता संबंधी आदतें बीमारी को रोकने में मदद करती हैं। साथ ही, संक्रमण से दूर रहने के लिए अपने पैरों को धोना, चेहरे को साफ रखना, खाँसते और छींकते समय मुँह को ढकना और मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता जैसी व्यक्तिगत स्वच्छता संबंधी आदतें भी महत्त्वपूर्ण हैं।
दूरी बनाए रखना: संक्रमित व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क से बचने के लिए, चेहरे, नाक, आँख और मुँह को छूने से बचें और उनकी मौजूदगी में मास्क पहनें।
सावधानी: अस्थमा या ‘क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज’ (COPD) जैसी पहले से मौजूद श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए और खुद को संक्रमण से बचाना चाहिए।
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