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मानव तस्करी (human trafficking)

Samsul Ansari December 29, 2023 10:50 270 0

संदर्भ 

हाल ही में, दुबई से 303 भारतीय यात्रियों को लेकर निकारागुआ जाने वाले एक विमान को मानव तस्करी के संदेह में फ्रांस में रोक दिया गया था।

संबंधित तथ्य  

  • उड़ान का मार्ग: संयुक्त अरब अमीरात के दुबई से 303 यात्रियों के साथ उड़ान भरने वाले  विमान को पेरिस से 150 किलोमीटर पूर्व में वैट्री हवाई अड्डे पर रोक दिया गया था।
    • संभावित मानव तस्करी के बारे में एक अज्ञात सूचना के आधार पर फ्रांसीसी पुलिस ने हस्तक्षेप किया।
  • यात्रियों की वापसी: फ्रांसीसी अधिकारियों ने लगभग 276 यात्रियों, जिनमें अधिकतर भारतीय थे, को लेकर एक चार्टर जेट को भारत जाने की अनुमति दी।
  • शरण के लिए आवेदन: फ्रांसीसी अधिकारियों के अनुसार, दो नाबालिगों सहित 25 व्यक्तियों ने शरण के लिए आवेदन करने की इच्छा व्यक्त की और फ्रांस में ही रुक गए।
    • फ्रांस की संगठित अपराध नियंत्रण इकाई JUNALCO ने इसकी जाँच की है हालाँकि एयरलाइन अधिकारीयों ने मानव तस्करी में शामिल होने से इनकार किया है।
  • यात्रा का संदिग्ध कारण: हालाँकि उनकी यात्रा का कारण अज्ञात है, गुजरात पुलिस ने ‘एजेंटों’ से जुड़े एक संदिग्ध अवैध आव्रजन नेटवर्क का पता लगाने के लिए टीमों का गठन किया है।
  • यात्रियों का मूल स्थान: फ्रांस से लौटे चार्टर्ड विमान में अधिकांश यात्री गुजरात के बनासकांठा, पाटन, मेहसाणा और आनंद जिलों से थे।

मानव तस्करी के बारे में

  • मानव तस्करी बल, धोखाधड़ी या धोखे के माध्यम से लोगों की भर्ती, परिवहन, स्थानांतरण, आश्रय या प्राप्ति है, जिसका उद्देश्य लाभ के लिए उनका शोषण करना है।
  • दुनिया में होने वाले मानव तस्करी संबंधी अपराध के शिकार हर उम्र और हर पृष्ठभूमि के पुरुष, महिलाएँ और बच्चे हो सकते हैं।
  • तस्कर अक्सर अपने पीड़ितों को बरगलाने और मजबूर करने के लिए हिंसा या धोखाधड़ी वाली रोजगार एजेंसियों तथा शिक्षा एवं नौकरी के अवसरों के फर्जी वादों का इस्तेमाल करते हैं।
  • मानव तस्करी के विभिन्न रूप (चित्र देखें)

human trafficking

मानव तस्करी के कारण

पुश फैक्टर (Push Factors)

  • खराब सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ: कई परिवारों में व्यापक गरीबी और चुनौतीपूर्ण सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ असुरक्षा पैदा करती हैं, जिससे व्यक्ति बेहतर अवसरों की तलाश में तस्करों के जाल में फँस जाते हैं।
  • प्राकृतिक आपदाएँ और विनाश: बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाएँ जैसे कि बाढ़, जन हानि में योगदान करती हैं, लोगों को जीवनयापन हेतु वैकल्पिक साधनों की तलाश करने के लिए मजबूर करती हैं और अक्सर तस्करों का शिकार बन जाती हैं।
  • शिक्षा और अवसरों की कमी: शिक्षा और अवसरों तक सीमित पहुँच, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए, असुरक्षा को बढ़ाती है क्योंकि तस्कर, कौशल एवं आय विकल्पों की अनुपस्थिति का लाभ उठाते हैं।
  • दहेज का दबाव: दहेज के लिए पैसे इकट्ठा करने के दबाव के कारण परिवार अपनी बेटियों को काम के लिए दूर-दराज के स्थानों पर भेज सकते हैं, जिससे वे तस्करी के प्रति संवेदनशील हो सकती हैं।
  • निष्क्रिय पारिवारिक जीवन: पारिवारिक वातावरण में शिथिलता, घरेलू हिंसा और लड़कियों की निम्न स्थिति ऐसे कारकों को बढ़ावा देती है, जो व्यक्तियों को तस्करी के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं।

पुल फैक्टर (Pull Factors)

  • विवाह, श्रम और गोद लेने की माँग: नाबालिग लड़कियों की शादी, कम वेतन तथा कम उम्र में श्रम जैसी परिस्थितियाँ तस्करों के लिए आकर्षण उत्पन्न करती हैं।
  • महिलाओं पर अधिक बोझ: तस्करों की लैंगिक जानकारी प्रदान करने वाले 30 प्रतिशत देशों में तस्करों में सबसे बड़ा अनुपात महिलाओं का है।
  • सेक्स उद्योग की माँग में वृद्धि: सेक्स उद्योग में महिलाओं की बढ़ती माँग एक आकर्षण कारक के रूप में कार्य करती है, जो तस्करों को कमजोर व्यक्तियों का यौन शोषण करने के लिए प्रेरित करती है।
    • ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की वर्ष 2009 की रिपोर्ट के अनुसार, मानव तस्करी का सबसे आम कारण (79 प्रतिशत) यौन शोषण है।
    • यौन शोषण की शिकार मुख्यतः महिलाएँ और लड़कियाँ होती हैं।

मानव तस्करी का प्रभाव

  • शारीरिक परिणाम: पीड़ित अक्सर शारीरिक शोषण, चोटों और यौन संचारित संक्रमण (STIs) और HIV सहित बीमारियों के संपर्क में आते हैं।
  • मनोवैज्ञानिक परिणाम: मनोवैज्ञानिक परिणामों के रूप में पीड़ितों को आक्रामकता, अवसाद, भटकाव, अलगाव और एकाग्रता में कठिनाइयों का अनुभव करना पड़ता है।
    • मानसिक स्वास्थ्य परिणामों में चिंता, अवसाद और अभिघातजन्य तनाव विकार (Post-Traumatic Stress Disorder-PTSD) शामिल हैं। बचाए गए लोगों का मानसिक स्वास्थ्य अक्सर उनके द्वारा बर्दाश्त किये गए शोषण से प्रभावित होती है।
  • पुनः एकीकरण में कठिनाई: पीड़ित व्यक्ति, अक्सर समाज में पुनः एकीकृत होने और सामान्य जीवन पुनः शुरू करने के लिए संघर्ष करते हैं। इससे संबंधित चुनौतियों में सामाजिक कलंक, सामाजिक हाशिए पर पहुँच जाना और रिश्तों के पुनर्निर्माण में कठिनाइयाँ शामिल हैं।
  • मानव अधिकारों का उल्लंघन: मानव तस्करी मूल रूप से पीड़ितों के अधिकारों का उल्लंघन करती है और सहयोग पर आधारित सशर्त सुरक्षा पूर्ण मानव अधिकारों तक उनकी पहुँच को और अधिक प्रभावित कर सकती है।
  • कानूनी और आप्रवासन चुनौतियाँ: पीड़ितों को कानूनी और आप्रवासन संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है जिससे उनकी रिकवरी जटिल हो सकती है। आपराधिक कार्यवाही में अवैध व्यापार किए गए व्यक्तियों को साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे उनके अधिकारों एवं गरिमा का उल्लंघन हो सकता है।

भारत में तस्करी से संबंधित संवैधानिक और विधायी प्रावधान

  • संवैधानिक प्रावधान
    • अनुच्छेद-23 (1): मानव या व्यक्तियों की तस्करी पर रोक लगाता है। इसमें कहा गया है, “मानव तस्करी और बेगार एवं जबरन श्रम के अन्य समान रूप निषिद्ध हैं और इस प्रावधान का कोई भी उल्लंघन कानून द्वारा दंडनीय अपराध होगा।”
  • अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956
    • अनैतिक व्यापार अधिनियम में व्यावसायिक यौन शोषण के लिए तस्करी को रोकने के लिए प्राथमिक कानून है।
  • आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013
    • मानव तस्करी का मुकाबला करने के लिए व्यापक उपायों की पेशकश करते हुए, भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) की धारा 370 को धारा 370 और 370A के साथ प्रतिस्थापित किया गया।
    • यह शारीरिक और यौन शोषण, गुलामी, दासता और जबरन अंग विच्छेद सहित शोषण के विभिन्न रूपों के लिए बच्चों की तस्करी को संबोधित करती है।
  • यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (Protection of Children from Sexual Offences- POCSO) अधिनियम, 2012
    • यह अधिनियम बच्चों को यौन दुर्व्यवहार एवं शोषण से बचाने के लिए अधिनियमित किया गया था।
  • अन्य विशिष्ट संवैधानिक और विधायी प्रावधान
    • बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006
    • बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम, 1976
    • बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986
    • मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994
  • भारतीय दंड संहिता
    • धारा 372 और 373 जैसी विशिष्ट धाराएँ वेश्यावृत्ति के लिए लड़कियों की बिक्री एवं खरीद से संबंधित हैं।
  • राज्य-विशिष्ट विधान
    • राज्य सरकारों ने तस्करी को संबोधित करने के लिए विशिष्ट कानून बनाए हैं। उदाहरण के लिए, पंजाब मानव तस्करी रोकथाम अधिनियम, 2012।

मानव तस्करी को रोकने और उससे निपटने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • तस्करी विरोधी सेल (Anti Trafficking Cell- ATC)
    • संचार और समन्वय के केंद्र बिंदु के रूप में केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) में तस्करी विरोधी नोडल सेल की स्थापना की गई है।
  • मानव तस्करी विरोधी इकाइयाँ (Anti-Human Trafficking Units- AHTUs): केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश भर के विभिन्न जिलों में 332 मानव तस्करी विरोधी इकाइयाँ स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय AHTU की स्थापना के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • न्यायिक संगोष्ठी
    • ट्रायल कोर्ट के न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षित और संवेदनशील बनाने के लिए उच्च न्यायालय स्तर पर न्यायिक संगोष्ठी का आयोजन करना।
    • इसका उद्देश्य मानव तस्करी से संबंधित विभिन्न मुद्दों का समाधान करना और त्वरित अदालती प्रक्रिया सुनिश्चित करना है।
    • अब तक विभिन्न राज्यों में ग्यारह न्यायिक संगोष्ठी आयोजित की जा चुकी हैं।
  • मानव तस्करी विरोधी वेब पोर्टल
    • केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जानकारी एवं संसाधन हेतु एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग नामक एक वेब पोर्टल लॉन्च किया। इसका उद्देश्य सलाह एवं मानक संचालन प्रक्रियाओं तक पहुँच बढ़ाना है।
  • उज्ज्वला योजना: महिला और बाल विकास मंत्रालय ‘उज्ज्वला’ लागू कर रहा है जो तस्करी की रोकथाम और वाणिज्यिक यौन शोषण के लिए तस्करी किए गए पीड़ितों के बचाव, पुनर्वास, पुन: एकीकरण और प्रत्यावर्तन के लिए एक व्यापक योजना है।
  • नया विधान
    • व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, 2018 लोकसभा द्वारा पारित किया गया था, किंतु राज्यसभा में पास नहीं हो सका और बाद में समाप्त हो गया।
    • व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, देखभाल और पुनर्वास) विधेयक, 2021 का मसौदा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जून 2021 में प्रकाशित किया गया था।

भारत में तस्करी पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन कराना

  • संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन
    • भारत ने अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (United Nations Convention on Transnational Organised Crime- UNCTOC) की पुष्टि की है।
    • प्रोटोकॉल कार्यान्वयन: अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन प्रोटोकॉल के अनुरूप मानव तस्करी को परिभाषित करते हुए आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2013 अधिनियमित किया गया।
  • सार्क कन्वेंशन
    • भारत ने वेश्यावृत्ति के लिए महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने और मुकाबला करने पर सार्क कन्वेंशन की पुष्टि की है।
    • क्षेत्रीय कार्य बल: सार्क कन्वेंशन को लागू करने के लिए एक क्षेत्रीय कार्य बल की स्थापना की।
    • अध्ययन यात्रा: भारत में मानव तस्करी विरोधी इकाइयों (Anti Human Trafficking Units-AHTUs) के अनुभवों से सीखने के लिए सार्क सदस्य देशों के लिए एक अध्ययन यात्रा का आयोजन किया गया।
  • द्विपक्षीय तंत्र (भारत-बांग्लादेश)
    • टास्क फोर्स: सीमा पार तस्करी के मुद्दों के समाधान के लिए भारत और बांग्लादेश के बीच एक टास्क फोर्स का गठन किया गया।
    • समझौता ज्ञापन: मानव तस्करी को रोकने, बचाव, पुनर्प्राप्ति, प्रत्यावर्तन और पुनर्एकीकरण पर द्विपक्षीय सहयोग के लिए जून 2015 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

आगे की राह

  • व्यवस्थित कार्रवाई: इस प्रकार की मानव व्यापार प्रणाली के भीतर कड़े सुधार उपायों की आवश्यकता होती है। सभी एजेंसियों एवं प्राधिकरणों का समन्वय पहला कदम होना चाहिए।
  • तस्करी रोधी इकाइयों (Anti-Trafficking Units- AHTUs) की भूमिका को बढ़ावा दिया जाना चाहिए: प्रशिक्षित कर्मियों वाली एक समर्पित इकाई पुलिस बल पर बोझ को कम कर सकती है और कुशल जाँच सुनिश्चित कर सकती है।
    • AHTU न्यायालयों, गैर-सरकारी संगठनों एवं संबंधित संस्थानों/व्यक्तियों  जैसे हितधारकों के साथ सहयोग कर सकते हैं, जो तस्करी से निपटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।
  • विश्वसनीय डेटा का अभाव: प्रामाणिक वैश्विक डेटा की कमी के कारण सरकारों  एवं अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए तस्करी से सफलतापूर्वक निपटना कठिन हो जाता है।
    • सूचना संग्रह प्रणाली को तत्काल मजबूत करना होगा एवं देशों को अपराधों को स्वीकार करने एवं परिश्रमपूर्वक रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: विभिन्न देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों और नागरिकों के बीच मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग होना चाहिए।
  • कठोर दंड प्रावधान: ऐसे अपराधों के खिलाफ कड़े कानून एवं कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। परीक्षणों के अपेक्षाकृत कम जोखिम के कारण कानूनी ढाँचे में अंतराल और कमजोर कानून प्रवर्तन तथा आपराधिक न्याय प्रणालियों का उपयोग करने वाले संगठित आपराधिक समूहों में वृद्धि हुई है।
  • तकनीकी समाधान: बड़े डेटा सेट का विश्लेषण करने, तस्करी के रुझानों की पहचान करने और संभावित हॉटस्पॉट की भविष्यवाणी करने के लिए उन्नत डेटा एनालिटिक्स टूल तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता एल्गोरिदम विकसित की जानी चाहिए।
    • आपूर्ति शृंखलाओं में पारदर्शिता बढ़ाने, तस्करी की आशंका वाले उद्योगों में जबरन श्रम को रोकने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करना चाहिए।
  • शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से रोकथाम: समुदायों, विशेष रूप से कमजोर समूहों को तस्करों के जोखिमों और रणनीति के बारे में सूचित करने के लिए व्यापक शिक्षा कार्यक्रम लागू करना।
    • सतर्कता को बढ़ावा देने और व्यक्तियों को तस्करी को पहचानने तथा रिपोर्ट करने के लिए सशक्त बनाने के लिए जागरूकता अभियान, कार्यशालाएँ एवं मीडिया पहल आयोजित करना।
  • पीड़ितों के लिए सहायता एवं पुनर्वास: व्यापक पीड़ित-केंद्रित सहायता प्रणाली स्थापित करना, जो जीवित बचे लोगों के लिए आश्रय, स्वास्थ्य देखभाल, परामर्श और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करती है।
    • पुन:एकीकरण कार्यक्रम सुनिश्चित करना, जो बचे लोगों को अपने जीवन का पुनर्निर्माण करने एवं बिना किसी कलंक के समाज में पुनः शामिल होने में मदद करें।
  • मूल कारणों से निपटें: आर्थिक रूप से कमजोर आबादी के लिए स्थायी आजीविका के अवसर एवं आर्थिक सशक्तीकरण कार्यक्रम बनाकर गरीबी और आर्थिक असमानताओं को दूर करना।
    • समावेशिता, समानता एवं सामाजिक समर्थन संरचनाओं को बढ़ावा देकर सामाजिक भेदभाव और हाशिए पर जाने से बचाना।

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