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निपाह वायरस के लिए मानव टीके का परीक्षण (Human vaccine trial for Nipah virus)

Samsul Ansari January 19, 2024 06:20 255 0

संदर्भ

ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने निपाह वायरस के लिए प्रथम मानव टीका परीक्षण शुरू किया है।

‘वायरल वेक्टर’ आधारित टीके

    • वायरल वेक्टर ऐसे उपकरण हैं जिनका उपयोग आमतौर पर आणविक जीवविज्ञानी कोशिकाओं में आनुवंशिक सामग्री पहुँचाने के लिए करते हैं। ये रोग उत्पन्न करने वाले वायरस से कोशिकाओं में एंटीजन बनाने वाली आनुवंशिक सामग्री को पहुँचाकर एक हानिरहित वायरस का उपयोग करते हैं, जिससे इसके खिलाफ सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा उत्पन्न होती है।
    • यह अधिकांश पारंपरिक टीकों से इस मायने में भिन्न है कि उनमें वास्तव में एंटीजन नहीं होते हैं, बल्कि वे उन्हें उत्पन्न करने के लिए अपनी कोशिकाओं का उपयोग करते हैं।
  • क्रियाविधि: यह मानव कोशिकाओं में एंटीजन के लिए आनुवंशिक कोड पहुँचाने के लिए एक संशोधित वायरस (वेक्टर) का उपयोग करता है। 
  • वेक्टर कोशिकाओं को संक्रमित करता है और उन्हें बड़ी मात्रा में एंटीजन बनाने का निर्देश देता है, जो फिर एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करता है। टीका कुछ रोगजनकों विशेष रूप से वायरस के साथ प्राकृतिक संक्रमण के दौरान जो प्रक्रिया होती है उसकी नकल करता है।

संबंधित तथ्य

  • नाम: ChAdOx1 NipahB वैक्सीन।
  • इस वैक्सीन निर्माण के लिए ChAdOx1 प्लेटफॉर्म का उपयोग किया गया है। वही इसका उपयोग ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका कोविड-19 टीका के लिए भी किया गया।
    • ChAdOx1, टीकों के लिए एक एडिनोवायरल वेक्टर (Adenoviral Vector) है, जिसे जेनर इंस्टिट्यूट, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया था।
  • परीक्षण: इसमें ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के नेतृत्व में अगले 18 महीनों की अवधि के लिए 18 से 55 वर्ष की आयु के 51 लोग शामिल होंगे।

निपाह वायरस के बारे में

  • निपाह वायरस पैरामाइक्सोवायरस (Paramyxoviruses) परिवार से संबंधित है।
  • सबसे पहले पहचान: इसे सबसे पहले तब पहचाना गया जब वर्ष 1998 में मलेशिया और सिंगापुर में सूअर पालकों के बीच इसका प्रकोप फैल गया।
  • वाहक: टेरोपोडिडे परिवार के फ्रूट बैट्स (Fruit Bats) इस वायरस के प्राकृतिक वाहक के रूप में कार्य करते हैं।
  • प्रभावित देश/क्षेत्र: सिंगापुर, मलेशिया, बांग्लादेश और भारत सहित एशिया के कई देशों में इसका प्रकोप हुआ है और भारत के केरल में इसका वार्षिक प्रकोप देखा जा रहा है।

संचरण की प्रकृति

  • यह प्रकृति में जूनोटिक है अर्थात् यह जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। किसी बीमार जानवर के स्राव या ऊतकों के असुरक्षित संपर्क से यह तेजी से फैलता है। उदाहरण:- मलेशिया के मामलों में।
  • संक्रमित चमगादड़ के मूत्र या लार से दूषित फल या फल उत्पादों (जैसे- कच्चे खजूर का रस) का सेवन संक्रमण का सबसे संभावित स्रोत था। उदाहरण:- केरल में मामले।

WHO अनुसंधान और विकास ब्लूप्रिंट के लिए प्राथमिक रोग

  • परिचय: यह WHO का एक उपकरण है, जो उन बीमारियों की पहचान करता है, जो अपनी महामारी क्षमता के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा उत्पन्न करती हैं और यह पता लगाने का प्रयास करता है कि ‘क्या इसके लिए पर्याप्त उपाय उपलब्ध हैं?
  • उद्देश्य: WHO के अनुसंधान एवं विकास ब्लूप्रिंट के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकालीन संदर्भों में अनुसंधान एवं विकास के लिए बीमारियों और रोगजनकों की एक सूची को प्राथमिकता देना।
  • उदाहरण: COVID-1, इबोला विषाणु, गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (SARS), निपाह, रिफ्ट वैली फीवर, जीका और रोग X (Disease X)।

  • मानव-से-मानव संचरण: संक्रमित मरीजों के परिवार और देखभाल करने वालों में भी निपाह वायरस के मामले सामने आए हैं। उदाहरण: सिलिगुड़ी, भारत में वर्ष 2001 में, 75% मामले अस्पताल के कर्मचारियों या आगंतुकों से संबंधित थे।
  • संक्रमण: मानव संक्रमण स्पर्शोन्मुख संक्रमण से लेकर तीव्र श्वसन संक्रमण और घातक इन्सेफलाइटिस तक होता है, जो 24 से 48 घंटों के भीतर गंभीर स्थिति में बदल जाता है।
    • ऐसा माना जाता है कि इसकी इन्क्यूबेशन अवधि (संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक का अंतराल) 4 से 14 दिनों तक होती है।
  • परीक्षण हेतु टेस्ट: रियल टाइम पोलीमरेज चेन रिएक्शन (RT-PCR) और एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट असे (ELISA) के माध्यम से एंटीबॉडी का पता लगाना।
  • उपचार: वर्तमान में निपाह वायरस संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट दवा या टीका नहीं है।
  • WHO स्थिति: WHO ने निपाह को WHO अनुसंधान और विकास ब्लूप्रिंट के लिए एक प्राथमिकता वाली बीमारी के रूप में पहचाना है और कहा है कि इसके महामारी का रूप लेने की संभावना है।

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