//php print_r(get_the_ID()); ?>
Lokesh Pal
October 17, 2025 02:59
35
0
केरल द्वारा हाल ही में वर्ष 1972 के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम (WLPA) में किए गए संशोधन ने बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्षों (HWC) को सुलझाने के प्रयासों को लेकर बहस को पुनः जीवंत कर दिया है। यह बहस इस बात पर केंद्रित है कि भारत में संरक्षण और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन कैसे स्थापित किया जाए।
भारत में मानव-वन्यजीव संघर्ष, पारिस्थितिकी दृष्टि से जितनी बड़ी चुनौती है, उतनी ही प्रशासनिक और नैतिक चुनौती भी है। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 को अब अनुकूली, समावेशी और मानवीय दृष्टिकोण से लागू किया जाना चाहिए। केरल दर्शाता है कि विज्ञान और करुणा द्वारा निर्देशित सह-अस्तित्व ही महत्त्वपूर्ण है। केवल सहकारी संघवाद और नैतिक नेतृत्व ही जैव विविधता और मानव जीवन दोनों की रक्षा कर सकता है।
<div class="new-fform">
</div>
Latest Comments