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कृषि में दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए उत्कृष्टता केंद्र (ISSCA)

Lokesh Pal June 05, 2025 03:52 38 0

संदर्भ

अर्द्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) ने विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली (RIS) के साथ मिलकर कृषि नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कृषि में दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए उत्कृष्टता केंद्र (ISSCA) लॉन्च किया तथा शुष्क भूमि क्षेत्रों में सहयोग एवं कृषि-समाधानों को बढ़ाने के लिए डेवलपमेंट एंड नॉलेज शेयरिंग इनिशिएटिव (DAKSHIN) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

डेवलपमेंट एंड नॉलेज शेयरिंग इनिशिएटिव (DAKSHIN)

  • DAKSHIN का अर्थ है डेवलपमेंट एंड नॉलेज शेयरिंग इनिशिएटिव , जो कृषि सहित विकास क्षेत्रों में दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत सरकार के नेतृत्व वाला एक प्लेटफार्म है।
  • DAKSHIN को वर्ष 2023 में लॉन्च किया गया था।
  • विदेश मंत्रालय विकासशील देशों के लिए अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली (Research and Information System for Developing Countries) जैसे साझेदार संस्थानों से परिचालन समर्थन के साथ DAKSHIN के लिए नोडल मंत्रालय है।
  • विशेषताएँ
    • DAKSHIN एक डिजिटल ज्ञान-साझाकरण प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करता है, जो सतत् एवं प्रतिकृति विकास समाधानों तक पहुँच प्रदान करता है।
    • यह वैश्विक दक्षिण के देशों के मध्य सहकर्मी अधिगम, क्षमता निर्माण एवं साझेदारी सुविधा को बढ़ावा देता है।

नए केंद्र के बारे में

  • नाम: कृषि में दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए ICRISAT उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) (ISSCA)।
  • भारत के हैदराबाद में स्थित है।
  • उद्देश्य: कृषि अनुसंधान को व्यावहारिक समाधानों में बदलना है, जिन्हें बढ़ाया जा सकता है।
    • यह भारत की कृषि विशेषज्ञता को अन्य विकासशील देशों के साथ साझा करने के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
    • कृषि ज्ञान को लोकतांत्रिक बनाने और सीख को नीतिगत सिफारिशों में बदलने का प्रयास करता है।
    • अपने निजी बीज उद्योग को विकसित करने के इच्छुक देशों का समर्थन करता है।

अर्द्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) के बारे में

  • यह एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संगठन है, जो शुष्क भूमि क्षेत्रों में आजीविका में सुधार करने के लिए कार्य कर रहा है।
  • स्थापना: ICRISAT की स्थापना वर्ष 1972 में एक गैर-लाभकारी, अंतरराष्ट्रीय संगठन के रूप में की गई थी एवं यह CGIAR नेटवर्क का एक हिस्सा है।
    • इसका मुख्यालय हैदराबाद, भारत में स्थित है।
  • सदस्य: ICRISAT को भारत सहित 60 से अधिक देशों के संघ द्वारा समर्थित किया जाता है एवं यह विश्व भर में राष्ट्रीय सरकारों, क्षेत्रीय संगठनों तथा विकास एजेंसियों के साथ साझेदारी करता है।
  • उद्देश्य
    • यह अर्द्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त ज्वार, बाजरा, चना एवं अरहर जैसी जलवायु-लचीली फसलों को विकसित करने पर केंद्रित है।
    • इसका उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से खाद्य सुरक्षा को बढ़ाना, गरीबी को कम करना तथा सतत् कृषि को बढ़ावा देना है।

विकासशील देशों के लिए अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली (Research and Information System for Developing Countries) के बारे में

  • यह दिल्ली में स्थित एक स्वायत्त नीति अनुसंधान संस्थान है।
  • स्थापना: नीति अनुसंधान के लिए एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में पहली बार मई 1983 में नई दिल्ली में स्थापित किया गया।
    • वर्ष 1983 में, गुटनिरपेक्ष देशों के राष्ट्राध्यक्षों या सरकार के सातवें सम्मेलन की सिफारिश के बाद बनाया गया।
  • उद्देश्य: विकासशील देशों के बीच दक्षिण-दक्षिण सहयोग का समर्थन करना।
    • क्षेत्रीय आर्थिक साझेदारी में शामिल होना।
  • अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्र
    • वैश्विक आर्थिक शासन एवं सहयोग
    • व्यापार, निवेश एवं आर्थिक सहयोग
    • प्रौद्योगिकी एवं विकास के मुद्दे
    • क्षेत्रीय संपर्क एवं व्यापार सुविधा।

दक्षिण-दक्षिण सहयोग में UN FAO की भूमिका

  • वैश्विक सुविधाकर्ता: संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन तकनीकी सहयोग तथा संस्थागत ढाँचे के साथ 100 से अधिक देशों का समर्थन करता है।
  • मुख्य हस्तक्षेप: FAO सतत् कृषि, जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन एवं वैश्विक दक्षिण भागीदारों के बीच ज्ञान साझा करने को बढ़ावा देता है।
    • FAO-चीन SSC कार्यक्रम: सबसे बड़े वैश्विक SSC कार्यक्रमों में से एक, कृषि विशेषज्ञों, प्रदर्शन खेतों एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करता है।
    • FAO-ब्राजील कार्यक्रम: लैटिन अमेरिका एवं अफ्रीका में भुखमरी उन्मूलन तथा स्कूल भोजन कार्यक्रमों का समर्थन करता है।
    • FAO-भारत त्रिकोणीय भागीदारी: अफ्रीकी एवं एशियाई देशों में डिजिटल कृषि एवं जलवायु-स्मार्ट कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देता है।
  • प्रभाव: एशिया, अफ्रीका एवं लैटिन अमेरिका में जलवायु-स्मार्ट, कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों को बढ़ाने में मदद करता है।

कृषि क्षेत्र में वैश्विक दक्षिण की चुनौतियाँ

  • जलवायु तनाव: सूखा, अनियमित वर्षा एवं बढ़ते तापमान फसल उत्पादकता को प्रभावित करते हैं।
  • संसाधन संबंधी बाधाएँ: पूँजी, लागत, बुनियादी ढाँचे एवं आधुनिक तकनीक तक सीमित पहुँच।
  • खाद्य सुरक्षा अंतराल: उत्पादन में कमी एवं खराब आपूर्ति शृंखलाओं के कारण लगातार भुखमरी तथा कुपोषण।
  • नीति एवं ज्ञान संबंधी बाधाएँ: अनुसंधान एवं कमजोर विस्तार प्रणालियाँ नवाचारों के प्रसार में बाधा डालती हैं।

कृषि नवाचार में भारत का वैश्विक नेतृत्व

  • रणनीतिक पहल: DAKSHIN जैसे प्लेटफॉर्म वैश्विक दक्षिण देशों में विकास साझेदारी एवं प्रशिक्षण का समर्थन करते हैं।
  • संस्थागत शक्ति: ICAR एवं DARE स्थायी कृषि-समाधानों को हस्तांतरित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान संगठनों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं।
  • डिजिटल एग्री-टेक: भारत वैश्विक स्तर पर छोटे किसानों के लिए कम लागत वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म एवं जलवायु-स्मार्ट तकनीकों को तैनात करने में अग्रणी है।

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