हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अंदर अवैध निर्माण और वृक्षों की कटाई से संबंधित एक मामले पर संज्ञान लिया।
संबंधित तथ्य
सर्वोच्च न्यायालय ने अनियमितताओं के संबंध में कहा कि जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पखराऊ में प्रस्तावित बाघ सफारी निर्माण स्थल पर अनुमति प्राप्त 163 वृक्षों के स्थान पर अनुमानित 6,053 वृक्ष अवैध रूप से काटे गए थे।
यहाँ उचित प्रशासनिक मंजूरी के बिना कंक्रीट की इमारतों का निर्माण भी किया गया।
सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत के विरुद्ध है।
सर्वोच्च न्यायालय ने एक समिति के गठन का निर्देश दिया, जिसमें केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, भारतीय वन्यजीव संस्थान और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) का गठन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38 L (1) के तहत किया गया है।
इस प्राधिकरण में शामिल हैं- पर्यावरण और वन मंत्रालय के प्रभारी मंत्री (अध्यक्ष के रूप में), पर्यावरण और वन मंत्रालय में राज्य मंत्री (उपाध्यक्ष के रूप में), संसद के तीन सदस्य, सचिव, पर्यावरण और वन मंत्रालय तथा अन्य सदस्य।
उद्देश्य: NTCA देश में बाघ संरक्षण को मजबूत करने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के दायरे में बाघों की स्थिति के मूल्यांकन, संचालित संरक्षण पहल और विशेष रूप से गठित समितियों की सिफारिशों के आधार पर सलाह/मानक दिशा-निर्देशों के माध्यम से निगरानी बनाए रखते हुए अपने जनादेश को पूरा कर रहा है। ।
यह समिति:-
क्षति की बहाली के लिए उपायों की सिफारिश करेगी।
स्थानीय वातावरण में क्षति होने से पहले उसकी मूल स्थिति में हुई पर्यावरणीय क्षति का आकलन करेगी।
बहाली के लिए लागत की मात्रा निर्धारित करेगी।
और ऐसे नुकसान के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों/अधिकारियों की पहचान करेगी।
जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व
परिचय
अवस्थिति: उत्तराखंड के नैनीताल जिले में
प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत: वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत कॉर्बेट नेशनल पार्क (भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान) में हुई थी, जो कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का एक हिस्सा है।
इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1936 में हैली नेशनल पार्क के रूप में की गई थी, जिसका उद्देश्य ‘लुप्तप्राय बंगाल टाइगर’ का संरक्षण करना था।
इसका नाम जिम कॉर्बेट के नाम पर रखा गया है जिन्होंने इसकी स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
भौगोलिक विशेषताएँ
इसके मुख्य क्षेत्र में कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान जबकि बफर जोन में ‘आरक्षित वन’ और साथ ही सोन नदी वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं।
इसका पूरा क्षेत्र पर्वतीय है और यह शिवालिक तथा बाह्य हिमालय भू-वैज्ञानिक प्रांतों के अंतर्गत आता है।
प्रमुख नदियाँ: रामगंगा, सोननदी, मंडल, पालेन और कोसी, रिजर्व से होकर बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं।
500 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत CTR 230 बाघों का वास-स्थल है और प्रतिसौ वर्ग किलोमीटर में 14 बाघों के साथ यह दुनिया का सबसे अधिक बाघ घनत्व वाला रिजर्व है।
वनस्पति
पौधों, वृक्षों, झाड़ियों, फर्न, घास, लताओं, जड़ी-बूटियों और बाँस आदि की लगभग 600 प्रजातियाँ।
साल, खैर एवं शीशम यहाँ सर्वाधिक पाए जाने वाले वृक्ष हैं।
जीव-जंतु
बाघों के अलावा तेंदुए भी पाए जाते हैं।
अन्य स्तनधारी जैसे जंगली बिल्लियाँ, काकड़ या कांकड़ (Barking Deer), चित्तीदार हिरण, साँभर हिरण, स्लॉथ बीयर आदि भी पाए जाते हैं।
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