100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

अरावली रेंज में अवैध खनन

Lokesh Pal May 13, 2024 06:15 229 0

संदर्भ 

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात को अरावली पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए अग्रिम आदेश तक अरावली पर्वत शृंखला में खनन गतिविधियों के लिए अंतिम अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया। 

संबंधित तथ्य  

  • मौजूदा पट्टों पर प्रभाव: प्रतिबंध मौजूदा वैध खनन पट्टों को प्रभावित नहीं करेगा, जिससे संचालित खनन कार्यों की निरंतरता सुनिश्चित होगी।
    • हालाँकि, पर्यावरणीय जोखिमों को कम करने के लिए कड़े नियम एवं निगरानी तंत्र लागू किए जाने चाहिए। 
  • जाँच और अनुमोदन प्रक्रिया: राज्यों को अरावली क्षेत्र के भीतर खनन पट्टा आवेदनों को संसाधित करने की अनुमति है।
    • हालाँकि, खनन गतिविधियों के लिए अंतिम अनुमति के लिए पर्यावरण मानदंडों का पालन सुनिश्चित करते हुए उच्चतम न्यायालय से अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
  • एक समान परिभाषा के लिए समिति का गठन: अरावली पहाड़ियों की असंगत परिभाषाओं के मुद्दे से निपटने के लिए, उच्चतम न्यायालय ने एक समिति के गठन का आदेश दिया।

अरावली पर्वत शृंखला को परिभाषित करना

  • भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India- FSI) की रिपोर्ट के अनुसार, अरावली पर्वत श्रृंखला को पहाड़ियों एवं पहाड़ियों के निचले हिस्से के चारों ओर एक समान 100 मीटर चौड़े बफर जोन के रूप में अरावली को परिभाषित किया गया है।

    • इस समिति का कार्य संबंधित राज्यों में अरावली पर्वतमाला की एकीकृत परिभाषा स्थापित करना है।
    • समिति में अन्य लोगों के अलावा, केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के सचिव, इन सभी चार राज्यों के वन सचिव और FSI एवं CEC के एक-एक प्रतिनिधि शामिल होंगे।
    • इस पहल का उद्देश्य नियामक प्रयासों को सुव्यवस्थित करना और पर्यावरण संरक्षण उपायों में सुधार करना है।

अरावली पर्वतमाला के बारे में 

  • उत्तर-पश्चिमी भारत का अरावली पर्वत, विश्व के सबसे पुराने वलित पर्वतों में से एक है।
  • गठन: ये वलित पर्वत हैं, जिनमें चट्टानें मुख्य रूप से वलित परत से बनती हैं, जब दो अभिसरण प्लेटें (Convergent Plates) पर्वत निर्माणकारी संचलन (Orogenic Movement) द्वारा एक-दूसरे की ओर बढ़ती हैं।
    • अरावली शृंखला प्रोटेरोजोइक युग से संबंधित है, जब एक पुरानी भारतीय उपमहाद्वीपीय प्लेट मुख्य यूरेशियन प्लेट से टकरा गई थी।
  • विस्तार और स्थान: यह नई दिल्ली में रायसीना हिल्स से लेकर गुजरात में खेडब्रह्मा और पालनपुर (दक्षिण-पश्चिम दिशा में) तक फैला हुआ है। इसके अंतर्गत आने वाले राज्य दक्षिणी हरियाणा और राजस्थान और गुजरात हैं।
    • इसकी कुल लंबाई लगभग 692 किलोमीटर है।  
    • इस लंबाई का लगभग 80%, जो लगभग 550 किलोमीटर है, राजस्थान राज्य में अवस्थित है।
      • इसकी दो मुख्य शृंखलाएँ हैं- साँभर सिरोही रेंज और साँभर खेतड़ी रेंज (राजस्थान)
      • सबसे ऊँची चोटी: 1,722 मीटर (5656 फीट) गुरु शिखर (माउंट आबू, अर्बुदा पर्वत शृंखला) 
  • स्थलाकृतिक संरचना: इसकी स्थलाकृतिक संरचना एक उबड़-खाबड़, चट्टानी और पहाड़ी है।
    • नदियाँ: यहाँ प्रमुख नदियाँ बनास, लूनी, साहिबी आदि हैं।
    • खनिज: कार्बन डेटिंग से पता चला है कि पर्वतमाला में खनन किए गए ताँबा और अन्य धातुएँ कम-से-कम 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व की हैं।
      • प्रमुख खनिज: कॉपर, जस्ता, संगमरमर, सीसा, चाँदी आदि। 
      • जनजातीय समुदाय: भील, भील-मीणा, मीना, गरासिया और अन्य

अरावली का महत्त्व 

  • खनिजों का समृद्ध स्रोत 
    • अलौह खनिज (Non-Ferrous Metal) जैसे जस्ता, सोना, चाँदी और लौह खनिज जैसे ताँबा अयस्क और सीसा,
    • अधात्विक खनिज और भवन निर्माण के पत्थर जैसे संगमरमर, चूना पत्थर आदि।
  • जैव विविधता का समृद्ध निवास स्थान: इसमें समृद्ध जैव विविधता है, जो 300 देशज पौधों की प्रजातियों, 120 पक्षी प्रजातियों और सियार एवं नेवले जैसे विभिन्न अद्वितीय जीवों का आवास है। 
  • पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखना 
    • मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए: इन पहाड़ियों ने हवा के वेग को भी नियंत्रित किया और भारतीय रेगिस्तान (थार) को पूर्वी राजस्थान, भारत के गंगा के मैदानी क्षेत्रों, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ओर फैलने से रोकने में सहायक सिद्ध हुई हैं।
    • महत्त्वपूर्ण जल निकासी प्रणाली: अरावली श्रृंखला उत्तर-पश्चिम में सिंधु बेसिन और पूर्व में गंगा बेसिन के बीच एक जल विभाजक के रूप में कार्य करती है।
    • समृद्ध वन ‘हरे फेफड़ों’ के रूप में कार्य करते हैं: इसके वन क्षेत्र वायु प्रदूषण और मृदा अपरदन के विरुद्ध ‘हरे फेफड़ों’ के रूप में कार्य करते हैं।
  • सांस्कृतिक: पहाड़ियाँ और वन क्षेत्र स्थानीय समुदायों के लिए सांस्कृतिक महत्त्व प्रदान करते हैं। 
    • माउंट आबू में जैन धर्म का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है, जो पर्यटन की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है।

अरावली में खनन संबंधी चिंताएँ  

  • पर्यावरणीय क्षरण (Environmental Degradation) 
    • अवैध उत्खनन के कारण राजस्थान में अरावली की 25% से अधिक और 31 पर्वत शृंखलाएँ विलुप्त हो गई हैं। 
    • तेंदुए, धारीदार लकड़बग्घे, सियार, नीलगाय और पाम सिवेट (Palm Civets) सहित विविध वनस्पतियों एवं जीवों के आवास का ह्रास हुआ है। 
    • अरावली से निकलने वाली बनास, लूनी, साहिबी और सखी जैसी नदियों में जल की मात्रा कम होने के कारण ये सूख जाती हैं। 
  • पारिस्थितिकी प्रभाव 
    • अत्यंत गहराई तक खुदाई या खनन करने से जलभृतों (Aquifers) को नुकसान हो रहा है, जिससे जल का प्रवाह बाधित हो जाता है और परिणामस्वरूप झीलें सूख जाती हैं और नई झीलों का निर्माण हो जाता है।
    • अरावली के किनारे प्राकृतिक वन नष्ट होने से मानव-वन्यजीवों के बीच संघर्ष की घटनाओं में वृद्धि हो रही है।
    • बदले हुए प्राकृतिक जल निकासी पैटर्न से पूरे NCR क्षेत्र में जल विज्ञान प्रणाली और जल स्तर को खतरा है।
  • अंतरपीढ़ीगत समता (Intergenerational Equity) 
    • अरावली रेंज में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भविष्य की पीढ़ियों पर बोझ डालेगा, इसलिए अंतर-पीढ़ीगत समता सुनिश्चित करने के लिए विधिक ढाँचे की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
  • खनन की व्यापकता एवं प्रभाव 
    • उचित औद्योगीकरण और सतत् आजीविका स्रोतों (Sustainable Livelihood Sources) के अभाव में, समुदाय आय के लिए खनन और सहायक उद्योगों पर निर्भर हैं।
    • NCR और आस-पास के क्षेत्रों में निर्माण सामग्री की माँग अरावली में खनन गतिविधियों को बढ़ाती है।
  • कार्यान्वयनात्मक चुनौतियाँ
    • अस्पष्ट कानून (Ambiguous law): अनुचित स्वामित्व और भूमि के निजीकरण की प्रक्रिया के संबंध में, विशेष रूप से क्षेत्र के लिए वन की कोई स्पष्ट परिभाषित परिभाषा नहीं है।

आगे की राह

  • प्रवर्तन उपाय (Enforcement Measures): अंधाधुंध खनन और निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने वाले न्यायिक आदेशों का सख्ती से कार्यान्वयन अरावली क्षेत्र में पहाड़ी शृंखलाओं के नुकसान को काफी हद तक कम कर सकता है।
  • पुनर्वनीकरण पहल: पुनर्वनीकरण प्रयास अरावली जैव विविधता पार्क में किए गए सफल पुनर्स्थापन के समान, अरावली को उनकी मूल वनस्पति स्थिति में पुनर्स्थापित कर सकते हैं।
  • द ग्रेट ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट: अफ्रीका की ‘ग्रेट ग्रीन वॉल’ परियोजना से प्रेरित होकर, भारत की महत्त्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य गुजरात से दिल्ली-हरियाणा सीमा तक 1,400 किमी. लंबी और 5 किमी. चौड़ी हरित पट्टी स्थापित करना है।
    • यह पहल बढ़ती भूमि क्षरण दर और थार रेगिस्तान के पूर्वी विस्तार को संबोधित करती है।
  • सरकार के सक्रिय सहयोग से सामुदायिक सहभागिता: विचारों का आदान-प्रदान, जागरूकता अभियान आदि।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.