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विदेशी मुद्रा नियंत्रण पर IMF का विश्लेषण (IMF’s analysis on foreign exchange controls)

Samsul Ansari December 25, 2023 11:29 183 0

संदर्भ 

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने दिसंबर 2022 से अक्टूबर 2023 की अवधि में भारतीय मुद्रा का शानदार प्रबंधन किया।

संबंधित तथ्य

  • कम उतार-चढ़ाव: भारतीय रुपया 81.04 प्रति अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 83.29 प्रति अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जो 2.8% की बढ़ोतरी दर्शाता है। इसके विपरीत, इसी अवधि में यूरो-डॉलर की दर में 7.3% का अंतर आया है।
  • विनिमय व्यवस्था: भारत एक प्रबंधित फ्लोटिंग विनिमय दर प्रणाली (Managed Floating Exchange Rate system) का अनुसरण करता है, जहाँ मुद्रा विनिमय दर काफी हद तक बाजार द्वारा निर्धारित होती है और RBI केवल विनिमय दर या बाजार में अस्थिरता को रोकने के लिए कदम उठाता है।
  • सिफारिश: हालाँकि IMF ने कहा है कि भारतीय मुद्रा को अत्यधिक प्रबंधित किया गया था, जिससे यह एक ‘स्थिर व्यवस्था’ (Stabilized Arrangement) विनिमय दर में परिवर्तित हो गई थी।
    • IMF ने एक ऐसी प्रणाली की ओर बढ़ने का सुझाव दिया है, जो अधिक लचीलेपन की अनुमति देती है।
    • स्थिर व्यवस्था एक ऐसी स्थिति है जहाँ केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए बार-बार हस्तक्षेप करते हैं कि विनिमय दर के उतार-चढ़ाव बहुत कम हो।

विनिमय दर: यह एक देश की मुद्रा की तुलना में दूसरे देश की मुद्रा का मूल्य है।

IMF के बारे में

  • स्थापना: IMF की परिकल्पना वर्ष 1944 में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में की गई थी।
  • उद्देश्य: यह एक वैश्विक संगठन है, जो सभी सदस्य देशों के लिए सतत विकास और समृद्धि हेतु कार्य करता है।
  • सदस्य: भारत सहित 190 देश।
  • मुख्यालय: वाशिंगटन DC (संयुक्त राज्य अमेरिका)।
  • कार्य: इसकी प्रमुख भूमिका नीतियों में वित्तीय सलाह, वित्तीय सहायता और क्षमता का विकास करना है।
    • IMF सदस्य देशों को भुगतान संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए वित्तीय सहायता करता है जैसे- श्रीलंका, पाकिस्तान आदि।

IMF के विश्लेषण पर प्रश्नचिह्न   

  • हालाँकि, विशेषज्ञों का मानना है कि IMF का विश्लेषण निम्नलिखित कारणों से गलत है।
  • सुदृढ़ीकरण कारक: भारत का व्यापार घाटा औसतन 20 अरब डॉलर प्रति माह रहा, जबकि पिछले वर्ष यह औसतन 22.1 अरब डॉलर प्रति माह था।
    • चालू खाता का घाटा 27.3 अरब डॉलर था, जो पिछले वर्ष के घाटे 53.5 अरब डॉलर का लगभग आधा था।
    • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में करीब 45 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है।
    • विदेशी मुद्रा भंडार भी 563 बिलियन डॉलर से मामूली बढ़त के साथ 586 बिलियन डॉलर हो गया। 

कारक जो अस्थिरता में वृद्धि का कारण बन सकते हैं

  • अमेरिकी नीति: अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ‘पॉलिसी फंड रेट’ में बढ़ोतरी से डॉलर मजबूत हुआ, जिसका भारतीय रुपये सहित अन्य मुद्राओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

विदेशी मुद्रा विनिमय व्यवस्था (Foreign Exchange Regime) के प्रकार

  • स्थिर विनिमय दर (Fixed Exchange Rate): एक विनिमय दर व्यवस्था जहाँ सरकार या केंद्रीय बैंक किसी अन्य मुद्रा के साथ देश की आधिकारिक विनिमय दर निर्धारित करता है। उदाहरण के लिए, वर्ष 1947 में 1 पाउंड का मूल्य, 13.33 रुपये था।
  • अस्थिर विनिमय दर (Floating Exchange Rate): एक प्रणाली जहाँ विनिमय दर का निर्धारण आपूर्ति एवं माँग की शक्तियों द्वारा किया जाता है।
  • नियंत्रित विनिमय दर (Managed Floating Rate): इस प्रणाली में, देश का केंद्रीय बैंक कभी-कभी यह सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करता है कि मुद्रा बहुत अधिक अस्थिर न हो। वर्तमान में भारत इसी मॉडल का अनुसरण करता है।

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