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आव्रजन और विदेशी आदेश, 2025

Lokesh Pal September 04, 2025 03:28 61 0

संदर्भ

केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने आव्रजन और विदेशी आदेश, 2025 को अधिसूचित किया है, जिससे विदेशी न्यायाधिकरणों (Foreigners Tribunals- FT) को प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की शक्तियाँ प्राप्त हो गई हैं।

  • यह आदेश विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 का स्थान लेगा।

संबंधित तथ्य

  • यह आदेश आव्रजन और विदेशी अधिनियम, 2025 के तहत अधिसूचित किया गया है, जो प्रभावी हो गया है, जिससे विदेशियों के प्रवेश, प्रवास और निकास के लिए भारत की नियामक व्यवस्था में व्यापक बदलाव होगा।

आव्रजन और विदेशी आदेश, 2025 के प्रमुख प्रावधान

  • न्यायाधिकरण की शक्तियाँ 
    • यदि कोई व्यक्ति, जिसकी राष्ट्रीयता विवादित है, पेश होने में विफल रहता है, तो विदेशी न्यायाधिकरण (FT) को गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अधिकार है।
    • जो व्यक्ति भारतीय राष्ट्रीयता सिद्ध नहीं कर पाते, उन्हें हिरासत भेजा जा सकता है।
    • सदस्यों की अधिकतम संख्या तीन है; 30 दिनों के भीतर समीक्षा किए जाने पर एकपक्षीय आदेश रद्द किए जा सकते हैं।
  • प्रयोज्यता: यह कानून पूरे भारत में लागू है, हालाँकि वर्तमान में विदेशी व्यापार केंद्र केवल असम में कार्यरत हैं।
  • रोजगार प्रतिबंध: विदेशियों को केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति के बिना रक्षा, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, पेट्रोलियम, मानवाधिकार, बिजली और जल आपूर्ति के क्षेत्रों में काम करने से प्रतिबंधित किया गया है।
  • सीमा सुरक्षा भूमिका: सीमा सुरक्षा बलों और तटरक्षक बल को बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय विवरण एकत्र करके और प्रवासियों को वापस भेजकर अवैध प्रवेश को रोकने का काम सौंपा गया है।
  • राज्य सरकार की भूमिका: राज्यों को अवैध प्रवासियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने की निगरानी के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना आवश्यक है।
  • प्रवेश/ठहरने से इनकार करने के आधार: यदि विदेशियों पर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियाँ, आतंकवाद, जासूसी, या दुष्कर्म, हत्या, बाल तस्करी, नशीले पदार्थों, हवाला, नकली मुद्रा (क्रिप्टो सहित), साइबर अपराध, या मानवता के विरुद्ध अपराध जैसे गंभीर अपराधों का आरोप सिद्ध होता है, तो उन्हें प्रवेश या ठहरने से मना किया जा सकता है।

विदेशी न्यायाधिकरणों (FTs) के बारे में

  • स्थापना: विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 के तहत स्थापित, जो विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 3 के माध्यम से जारी किया गया था।
  • प्रकृति: अर्द्ध-न्यायिक निकाय।
  • उद्देश्य: राज्य प्राधिकारियों को संदिग्ध विदेशियों के मामलों को न्याय निर्णयन के लिए संदर्भित करने की अनुमति देना।
  • अधिकार क्षेत्र: वर्तमान में केवल असम तक सीमित; अन्य राज्यों में, मामलों को विदेशी अधिनियम के तहत निपटाया जाता है।
  • संरचना: न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं, या न्यायिक अनुभव वाले सिविल सेवकों द्वारा चुने गए सदस्यों की अध्यक्षता में।
  • संख्या: गृह मंत्रालय (2021) के अनुसार, असम में 300 न्यायाधिकरण थे, हालाँकि राज्य के गृह और राजनीतिक विभाग के अनुसार केवल 100 ही कार्यरत हैं।
  • कार्य
    • शक्तियाँ: सिविल कोर्ट के समान समन जारी कर सकता है, शपथ पर जाँच कर सकता है और दस्तावेजों की माँग कर सकता है।
    • सूचना: न्यायाधिकरण को संदर्भ प्राप्त होने के 10 दिनों के भीतर (अंग्रेजी या राज्य की आधिकारिक भाषा में) सूचना देनी होगी।
    • प्रतिक्रिया: संदिग्ध व्यक्ति के पास जवाब देने के लिए 10 दिन और साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए 10 दिन का समय होता है।
    • समय-सीमा: संदर्भ के 60 दिनों के भीतर मामले का निपटारा किया जाना चाहिए।
    • परिणाम: यदि नागरिकता सिद्ध करने में असमर्थ हो, तो व्यक्ति को निर्वासन तक एक निरोध केंद्र (जिसे अब ‘ट्रांजिट कैंप’ कहा जाता है) भेज दिया जाता है।

आव्रजन और विदेशी अधिनियम, 2025 के प्रमुख प्रावधान

  • नकली यात्रा दस्तावेज (Fake/Fraudulent Travel Documents): 
    • नकली या धोखाधड़ी से प्राप्त पासपोर्ट या वीजा का उपयोग करना या प्रदान करना एक आपराधिक अपराध है।
    • न्यूनतम 2 वर्ष का कारावास, जिसे 7 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है; न्यूनतम ₹1 लाख का जुर्माना, जिसे ₹10 लाख तक बढ़ाया जा सकता है।
  • प्रतिबंधित क्षेत्र: वैध दस्तावेजों के बिना प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश करने वाले विदेशियों को 5 वर्ष तक की जेल या ₹5 लाख तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
  • आव्रजन चौकियाँ: केंद्र सरकार विशिष्ट प्रवेश/निकास चौकियाँ निर्धारित कर सकती है, जिन पर आव्रजन अधिकारी तैनात होंगे।
  • आव्रजन ब्यूरो: वीज़ा जारी करने, प्रवेश नियमन, पारगमन, प्रवास, आवागमन और निकास जैसे आव्रजन कार्यों को प्रबंधित करने के लिए स्थापित।
  • अनिवार्य रिपोर्टिंग आवश्यकताएँ
    • होटलों, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और नर्सिंग होम को विदेशियों की उपस्थिति की सूचना नागरिक/आव्रजन अधिकारियों को देनी होगी।
    • एयरलाइनों और शिपिंग कंपनियों को भारतीय प्रवेश बंदरगाहों पर यात्रियों और चालक दल के सदस्यों का विवरण पहले से प्रस्तुत करना होगा।
  • सरकारी शक्तियाँ: केंद्र सरकार को उन परिसरों को विनियमित अथवा बंद करने का अधिकार है, जहाँ विदेशी नागरिक प्रायः आते हैं; साथ ही वह उनके संचालन पर शर्तें भी लगा सकती है, जिनमें कुछ श्रेणियों के विदेशी नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध भी शामिल है।
  • गिरफ्तारी की शक्ति: हेड कांस्टेबल रैंक से नीचे के पुलिस अधिकारियों को बिना पासपोर्ट के भारत में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों को बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार है।

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