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सौर पीवी सेल पर ‘आयात प्रतिबंध’

Lokesh Pal April 11, 2024 05:57 164 0

संदर्भ

भारत के नवीकरणीय विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने के लिए सौर मॉड्यूल की स्थानीय सोर्सिंग बढ़ाने के प्रयासों पर हाल के सरकारी आदेशों को मीडिया में ‘आयात प्रतिबंध’ के रूप में व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया है।

संबंधित तथ्य

  • केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने और भारत के नवीकरणीय पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने के लिए ALMM सूची को फिर से लागू किया।

ALMM क्या है?

  • ALMM सूची का अर्थ ‘सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल के मॉडल और निर्माताओं की स्वीकृत सूची’ (Approved List of Models and Manufacturers of Solar Photovoltaic) है।
  • ALMM सरकारी परियोजनाओं में उपयोग के लिए पात्र सौर PV मॉड्यूल निर्माताओं की एक सूची है, जिसमें केंद्र एवं राज्य सरकारों को विद्युत बिक्री के लिए स्थापित कंपनियाँ भी शामिल हैं।
  • इसे सबसे पहले वर्ष 2021 में प्रस्तुत किया गया था, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष के लिए इसे स्थगित रखा गया था।

आयात प्रतिबंध

यह आयात को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा किया गया विनियमन है।

आयात प्रतिबंधों के प्रकारों में शामिल हैं

  • टैरिफ (Tariffs)
  • आयात कोटा (Import Quotas)
  • आयात को कवर करने के लिए उपलब्ध विदेशी मुद्रा की मात्रा पर प्रतिबंध
  • आयात जमा (Import Deposits)
  • आयात अधिभार (Import Surcharges)
  • विभिन्न श्रेणियों के आयात पर रोक

ALMM सूची को पुनः लागू करने का कारण

  • घरेलू विनिर्माण का समर्थन करना: ALMM सूची सरकारी परियोजनाओं के लिए घरेलू स्तर पर निर्मित सौर उपकरणों को प्राथमिकता देती है।
    • इसका उद्देश्य भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देना एवं आयात पर निर्भरता कम करना है।
  • बेहतर उत्पादन क्षमता: सरकार का मानना ​​है कि घरेलू निर्माताओं ने उत्पादन क्षमता बढ़ा दी है एवं अब वे सस्ते आयात के साथ प्रतिस्पर्द्धा कर सकते हैं।
    • ALMM सूची को दोबारा लागू करने को उचित ठहराने का यह भी एक प्रमुख कारण है।
  • आयात प्रतिस्थापन: सौर उपकरणों की स्थानीय माँग को पूरा करने के लिए घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए आयात प्रतिस्थापन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। हालाँकि, आयात पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।

भारत के सौर सेल आयात के आँकड़े

  • आयात निर्भरता
    • भारत सौर सेल और मॉड्यूल की अपनी माँग को पूरा करने के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर है।
      • चीन एवं वियतनाम इन उत्पादों के प्राथमिक आपूर्तिकर्ता हैं।

भारत में सौर ऊर्जा का दायरा

भारत में अनुमानित सौर ऊर्जा क्षमता 748.99 गीगावाट है, जो दर्शाता है कि सौर ऊर्जा की पूरी क्षमता का दोहन अभी तक नहीं किया जा सका है।

  • वर्ष 2024 में सौर ऊर्जा का योगदान
    • नवीकरणीय ऊर्जा हिस्सेदारी: नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पन्न होने वाली कुल ऊर्जा में सौर ऊर्जा का योगदान लगभग एक-तिहाई है।
    • इससे पता चलता है कि भारत में सौर ऊर्जा की अधिक संभावनाएँ हैं, जिसका पूरा उपयोग नहीं किया गया है।
  • माँग वृद्धि एवं आर्थिक गतिविधियाँ
    • माँग वृद्धि की सबसे तेज दर: भारत वर्ष 2026 तक विद्युत माँग में सबसे तेज वृद्धि दर वाला देश होगा।
      • इसका कारण मजबूत आर्थिक वृद्धि एवं चरम मौसम को कम करने के लिए उत्पादों की बढ़ती खपत है।

भविष्य के लिए लक्ष्य

  • वर्ष 2030 तक स्थापित क्षमता का लक्ष्य
    • भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से उल्लेखनीय 500 गीगावाट स्थापित क्षमता हासिल करना है।

  • आयात आँकड़े
    • पिछले पाँच वर्षों में, भारत ने लगभग 11.17 बिलियन डॉलर मूल्य के इन उत्पादों का आयात किया।
      • यह इसी अवधि के दौरान भारत के कुल निर्यात का लगभग 0.4% है।
  • चीन का प्रभुत्व
    • चीन, भारत के सौर सेल आयात का 53% एवं सौर PV मॉड्यूल आयात का 63% आपूर्ति करता है।

भारत के सौर सेल आयात पर निर्भर होने के कारण

  • चीन की प्रमुख विनिर्माण क्षमता: चीन के पास सौर सेल उत्पादन (पॉलीसिलिकॉन, वेफर, सेल एवं मॉड्यूल) के सभी चरणों में 80% से अधिक विनिर्माण क्षमता है।
    • उपरोक्त के अलावा, चीन के पास आसानी से उपलब्ध कच्चे माल, कुशल श्रम एवं कुशल विनिर्माण प्रक्रियाओं के साथ एक अच्छी तरह से स्थापित सौर सेल आपूर्ति शृंखला है।
      • इससे उन्हें जल्दी एवं विश्वसनीय रूप से सौर सेल का उत्पादन तथा वितरण करने की अनुमति मिलती है।
  • भारत में कम विनिर्माण क्षमता: भारत की घरेलू विनिर्माण क्षमता चीन की तुलना में काफी कम है एवं यह मुख्य रूप से संपूर्ण उत्पादन प्रक्रिया के बजाय अंतिम चरण (मॉड्यूल) पर केंद्रित है।
  • लागत प्रतिस्पर्द्धात्मकता: चीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन (80% विनिर्माण क्षमता), कम लागत, एवं एक रणनीतिक क्षेत्र के रूप में सौर पीवी को प्राथमिकता देने में सहायक सरकार की भूमिका इसे प्रतिस्पर्द्धी कीमतों पर सौर सेल प्रदान करने में सक्षम बनाती है।
    • चीन में, पॉलीसिलिकॉन की उत्पादन लागत में विद्युत का हिस्सा 40% से अधिक है।
  • सीमित घरेलू विकल्प: वर्तमान में भारत में चीनी आयात के लिए मजबूत घरेलू विकल्पों का अभाव था। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना का लक्ष्य इसे बदलना है, लेकिन घरेलू निर्माताओं को उत्पादन बढ़ाने एवं प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्द्धा करने में समय लगेगा।

सौर सेल आयात के लिए चीन पर निर्भरता कम करने के लिए भारत की नीतियाँ

भारत ने पिछले पाँच वर्षों में सौर आयात पर अपनी अत्यधिक निर्भरता को दूर करने के लिए तीन महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

  • ALMM ऑर्डर: यह प्रक्रिया जनवरी 2019 में ALMM ऑर्डर की शुरुआत के साथ शुरू हुई।
    • वैश्विक आपूर्ति शृंखला व्यवधानों के कारण कोविड-19 महामारी के दौरान इस मुद्दे को प्रमुखता मिली।
  • PLI योजना: वित्त मंत्री ने वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में ₹19,500 करोड़ की PLI योजना का प्रस्ताव रखा था।
    • उद्देश्य: पॉलीसिलिकॉन से लेकर सौर मॉड्यूल तक संपूर्ण सौर आपूर्ति शृंखला में घरेलू विनिर्माण को बढ़ाना।
  • उच्च आयात शुल्क का कार्यान्वयन: सरकार ने घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए शुल्क लगाया।
    • सोलर PV मॉड्यूल पर 40% सीमा शुल्क।
    • सौर PV सेल पर 25% सीमा शुल्क (ये शुल्क बाद में कम कर दिए गए)।

भारत की नीतियों का उद्देश्य 

  • सौर सेल आयात को कम करना। 
  • भारत में सौर उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना।
  • विशेषकर चीन से आयात पर निर्भरता कम करना।
  • दीर्घावधि में सौर ऊर्जा उत्पादन को अधिक लागत-प्रतिस्पर्द्धी बनाना।

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