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भारत-अफ्रीका संबंध

Lokesh Pal July 08, 2025 04:33 92 0

संदर्भ

हाल ही में घाना के अकरा में संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अफ्रीकी देशों के विकास में एक प्रतिबद्ध साझेदार है।

प्रधानमंत्री मोदी की घाना यात्रा के दौरान प्रमुख निर्णय

  • द्विपक्षीय व्यापार और निवेश
    • व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य: भारत और घाना का लक्ष्य अगले पाँच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना है।
    • भारतीय निवेश: भारतीय कंपनियों ने घाना में 900 परियोजनाओं में लगभग 2 बिलियन डॉलर का निवेश किया है।
    • भारत ने घाना के आर्थिक पुनर्गठन प्रयासों के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की।

  • यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित समझौते
    • सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (Cultural Exchange Programme- CEP) पर समझौता ज्ञापन: कला, संगीत, नृत्य, साहित्य और विरासत में सांस्कृतिक समझ और आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना।
    • भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) और घाना मानक प्राधिकरण (Ghana Standards Authority- GSA) के बीच समझौता ज्ञापन: मानकीकरण, प्रमाणन और अनुरूपता मूल्यांकन में सहयोग बढ़ाना।

    •  ITAM (घाना) और ITRA (भारत) के बीच समझौता ज्ञापन: पारंपरिक चिकित्सा में शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करना।
    • संयुक्त आयोग की बैठक पर समझौता ज्ञापन: द्विपक्षीय सहयोग तंत्र की नियमित समीक्षा और उसे बढ़ाने के लिए उच्च स्तरीय संवाद को संस्थागत बनाना।
  • फिनटेक और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (Digital Public Infrastructure- DPI)
    • UPI आधारित डिजिटल भुगतान: भारत ने घाना की वित्तीय प्रौद्योगिकी अवसंरचना के विकास में सहायता के लिए UPI के साथ अपने अनुभव साझा करने की पेशकश की।
  • खनन में सहयोग: भारतीय कंपनियाँ औद्योगिक विकास और आपूर्ति शृंखला लचीलेपन का समर्थन करने के लिए महत्त्वपूर्ण खनिजों की खोज तथा खनन में घाना के साथ सहयोग करेंगी।
  • रक्षा प्रशिक्षण और सुरक्षा सहयोग
    • रक्षा प्रशिक्षण, साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा और रक्षा आपूर्ति में सहयोग में वृद्धि।
    • ‘एकजुटता के माध्यम से सुरक्षा’ के ढाँचे के तहत रक्षा संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए समझौता।

  • आतंकवाद विरोधी सहयोग: दोनों देशों ने सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है और आतंकवाद विरोधी प्रयासों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
  • वैश्विक दक्षिण एकजुटता: दोनों नेताओं ने ‘ग्लोबल साउथ’ के भाग के रूप में निरंतर सहयोग का वचन दिया।
    • वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में घाना की भूमिका को स्वीकार किया गया।
  • अफ्रीकी संघ G20 सदस्यता: प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की अध्यक्षता के दौरान G20 में अफ्रीकी संघ की स्थायी सदस्यता पर प्रकाश डाला।

भारत-अफ्रीका संबंध

  • ऐतिहासिक संबंध: उपनिवेशवाद और रंगभेद के विरुद्ध भारत की लड़ाई, तथा गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के माध्यम से विकासशील देशों की आवाज बनने के लिए निरंतर प्रयास।
    • गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की स्थापना वर्ष 1961 में शीतयुद्ध के संदर्भ में विकासशील देशों के हितों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी।
  • कंपाला सिद्धांत: वर्ष 2018 में रेखांकित, अफ्रीका महाद्वीप के साथ भारत के जुड़ाव के लिए एक मार्गदर्शक ढाँचे के रूप में कार्य करता है।
  • भारत अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन: पहली बार वर्ष 2008 में नई दिल्ली में आयोजित, इसने पूरे अफ्रीकी राष्ट्रों के समूह के साथ एक व्यापक साझेदारी हेतु भारत के शुरुआती कूटनीतिक प्रयासों को चिह्नित किया।
  • भारत अफ्रीका व्यापार: फरवरी 2025 तक, भारत अफ्रीका का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
    • अफ्रीका में भारत का निवेश 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है, जिसे वर्ष 2030 तक दोगुना करने का लक्ष्य है।
    • अफ्रीका, अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (Africa, through the African Continental Free Trade Area – AfCFTA) के माध्यम से, उनके अनुकूलन को सुनिश्चित करने के लिए उत्पत्ति के उचित नियम लागू कर रहा है।
    • यह एक एकीकृत महाद्वीपीय बाजार प्रदान करेगा, जिस तक भारतीय फर्म आसानी से पहुँच सकती हैं और उसका लाभ उठा सकती हैं, जिससे अफ्रीका के साथ भारत के जुड़ाव का दायरा और स्तर बढ़ सकता है।
  • बुनियादी ढाँचा: जापान के साथ साझेदारी में अफ्रीकी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए भारत द्वारा एशिया अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर (Asia Africa Growth Corridor- AAGC) शुरू किया गया था।
    • भारतीय कंपनियों द्वारा लगभग 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ भारत, अफ्रीका में शीर्ष पाँच निवेशकों में से एक है।
  • रक्षा: आपसी जुड़ाव के लिए अभिसरण के नए क्षेत्रों की खोज करने के लिए भारत अफ्रीका रक्षा वार्ता (India Africa Defence Dialogue- IADD) को प्रत्येक दो वर्ष में एक बार आयोजित करने के लिए संस्थागत बनाया गया है।
    • इसमें क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद का मुकाबला शामिल है।
    • भारतीय सेना संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के रूप में काम कर रही है और अफ्रीका (कांगो, इथियोपिया-इरिट्रिया सीमा, सूडान और अन्य) में शांति स्थापना में भूमिका निभा रही है, बुनियादी ढाँचे का निर्माण कर रही है और भूमि से बारूदी सुरंगें हटा रही है।
  • शिक्षा: पड़ोसी और अफ्रीकी देशों के छात्रों को आकर्षित करने के लिए ‘भारत में अध्ययन’ शुरू किया गया।
    • भारत ने वर्ष 2015 के भारत अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन (India Africa Forum Summit- IAFS)-III के बाद से 42,000 छात्रवृत्तियाँ प्रदान की हैं।
    • युगांडा में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (National Forensic Sciences University- NFSU) और आईआईटी मुंबई के पहले विदेशी परिसर तंजानिया में स्थापित किए गए थे।
  • भारत और अफ्रीका के बीच स्वास्थ्य और चिकित्सा पर्यटन: भारत वर्ष 2010-2019 तक अफ्रीका के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक था, जिसकी हिस्सेदारी 19 प्रतिशत थी।
    • जनवरी 2021 से मार्च 2023 तक 42 अफ्रीकी देशों को ‘मेड इन इंडिया’ कोविड-19 वैक्सीन निर्यात की गई हैं।
    • भारत एक शीर्ष चिकित्सा पर्यटन स्थल बन गया है, जहाँ वर्ष 2020 में 19.5% अफ्रीकी पर्यटक चिकित्सा कारणों से आए हैं।
  • मानवीय सहायता: भारत ने खाद्य घाटे, बाढ़ और अन्य आवश्यकता चिंताओं को पूरा करने के लिए मानवीय सहायता प्रदान की है।
    • भारत ने खाद्य सुरक्षा में मदद के लिए मलावी को 1,000 मीट्रिक टन चावल, जाम्बिया को 1,300 मीट्रिक टन मक्का और जिम्बाब्वे को 1,000 मीट्रिक टन चावल भेजा।
    • भारत ने केन्या को बाढ़ राहत सहायता के रूप में 1 मिलियन डॉलर प्रदान किए, जिसमें चिकित्सा सहायता, शिशु आहार, जल शोधन आपूर्ति संबंधी सहायता शामिल है।

भारत की विदेश नीति में अफ्रीका का महत्त्व

  • ‘ग्लोबल साउथ’ में रणनीतिक भागीदारी: बहुध्रुवीय विश्व को आकार देने में अफ्रीका भारत का एक प्रमुख सहयोगी है।
    • दोनों ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और विश्व व्यापार संगठन जैसी वैश्विक संस्थाओं में सुधारों का समर्थन करते हैं।
    • वर्ष 2023 में भारत की G20 अध्यक्षता ने अफ्रीकी संघ को G20 में स्थायी सदस्यता दिलाई, जो अफ्रीका के लिए भारत की मजबूत वकालत को दर्शाता है।
  • व्यापार और आर्थिक महत्त्व: अफ्रीका तेल, गैस और खनिजों जैसे प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है।
    • वर्ष 2022-23 में अफ्रीका के साथ भारत का व्यापार $98 बिलियन तक पहुँच गया, जिससे अफ्रीका एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार बन गया।
  • ऊर्जा और महत्त्वपूर्ण खनिज: अफ्रीका भारत की ऊर्जा सुरक्षा और हरित परिवर्तन के लिए महत्त्वपूर्ण है।
    • भारतीय कंपनियाँ जिम्बाब्वे, नामीबिया और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में लीथियम और अन्य महत्त्वपूर्ण खनिजों की खोज कर रही हैं।
    • भारत अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के तहत अफ्रीका में सौर परियोजना भागीदारों को भी जोड़ता है।
  • सुरक्षा और रक्षा सहयोग: भारत संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन और सैन्य प्रशिक्षण के माध्यम से अफ्रीकी शांति और सुरक्षा का समर्थन करता है।
    • भारत ने संयुक्त राष्ट्र के तहत अफ्रीकी मिशनों में लगभग 5,000 कर्मियों को तैनात किया है।
  • विकास सहायता और क्षमता निर्माण: भारत ITEC तथा ई-विद्या भारती जैसे कार्यक्रमों के तहत ऋण, अनुदान और प्रशिक्षण प्रदान करता है।
    • अब तक, भारत ने अफ्रीकी देशों को 12.26 बिलियन डॉलर का ऋण प्रदान किया है।
  • प्रवासी और सांस्कृतिक संबंध: भारत के अफ्रीका में 3 मिलियन प्रवासी हैं।
    • वे मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस, केन्या, तंजानिया और युगांडा में हैं।
  • वे दोनों क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं।
  • चीन के प्रभाव का मुकाबला: चीन ने अफ्रीका में वर्ष 2000 से अब तक 170 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है।
    • भारत एक अलग मॉडल पेश करता है – माँग-संचालित, लोगों पर केंद्रित और कम शर्तों के साथ।
    • भारत का मॉडल क्षमता निर्माण और आपसी सम्मान पर आधारित है, न कि केवल ऋण और बुनियादी ढाँचे पर।

भारत के लिए घाना का महत्त्व

  • भू-राजनीतिक स्थिति: घाना रणनीतिक रूप से पश्चिम अफ्रीका में गिनी की खाड़ी के किनारे स्थित है, जो भारत को महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों और पश्चिम अफ्रीकी बाजारों तक पहुँच प्रदान करता है।
  • क्षेत्रीय स्थिरता: घाना, पश्चिम अफ्रीका में सबसे अधिक राजनीतिक रूप से स्थिर देशों में से एक है, जहाँ वर्ष 1996 से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होते रहे हैं, जो इसे इस क्षेत्र में लोकतांत्रिक शासन का आधार बनाता है।
  • आर्थिक व्यापार और निवेश: भारत सोने (घाना से कुल आयात का 70% से अधिक) और कोको का आयात करता है, जबकि फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी और कृषि-संबंधित उत्पादों का निर्यात करता है।
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: भारत और घाना समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर सहयोग करते हैं, घाना संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में एक महत्त्वपूर्ण भागीदार है।
  • सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध: घाना में 15,000 से अधिक भारतीय प्रवासी रहते हैं और भारत महोत्सव एवं अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसे सांस्कृतिक आदान-प्रदान लोगों के मध्य संबंधों को मजबूत करते हैं।
    • घाना को भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITEC) और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) की छात्रवृत्तियों से लाभ मिलता है।
  • विकास साझेदारी: भारत ने घाना के आर्थिक विकास में सहायता करते हुए ग्रामीण विद्युतीकरण और टेमा-मपाकादन रेलवे परियोजना सहित बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिए रियायती ऋण और अनुदान में $450 मिलियन का विस्तार किया है।
  • वैश्विक दक्षिण एकजुटता: दोनों देश वैश्विक शासन में ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए एक मजबूत अभिव्यक्ति का समर्थन करते हैं।
    • घाना भारत के UNSC सुधार और जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा मुद्दों में इसके नेतृत्व का समर्थन करता है।
  • मानवीय सहायता: भारत ने घाना को COVID-19 रोग की रोकथम हेतु टीके और अन्य मानवीय सहायता प्रदान की, जो महामारी के दौरान घाना के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

अफ्रीका में भारत के लिए अवसर

  • द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार: कृषि, खनन और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में व्यापार साझेदारी को मजबूत करना।
    • अफ्रीका भारतीय फार्मास्यूटिकल्स के लिए एक महत्त्वपूर्ण गंतव्य है, जो इस क्षेत्र में भारत के निर्यात का लगभग 18.5% है।
  • बुनियादी ढाँचे के विकास में निवेश: अफ्रीका में सड़क, रेलवे और बिजली परियोजनाओं के निर्माण के लिए बुनियादी ढाँचे के विकास में भारत की विशेषज्ञता का लाभ उठाना।
    • अफ्रीका को बुनियादी ढाँचे के लिए वार्षिक रूप से 100 बिलियन डॉलर से अधिक के निवेश की आवश्यकता है, जो भारतीय कंपनियों के लिए एक अप्रयुक्त बाजार प्रस्तुत करता है।
  • महत्त्वपूर्ण खनिजों को सुरक्षित करना: लीथियम और कोबाल्ट जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों तक पहुँच बढ़ाना, जो भारत के नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन संबंधी लक्ष्यों के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
    • अफ्रीका में विश्व के ज्ञात महत्त्वपूर्ण खनिज भंडार का 30% हिस्सा है और भारत ने पहले ही साझेदारी शुरू कर दी है, जैसे कि अर्जेंटीना में KABIL के लीथियम अन्वेषण समझौते (अफ्रीकी साझेदारी के माध्यम से)।
  • खाद्य सुरक्षा और कृषि सहयोग: खाद्य आयात पर अफ्रीका की निर्भरता को दूर करने के लिए कृषि प्रौद्योगिकियों, खाद्य प्रसंस्करण और सिंचाई पर सहयोग करना।
    • वर्ष 2022 में अफ्रीका का खाद्य आयात बिल 43 बिलियन डॉलर था, जबकि 282 मिलियन अफ्रीकी कुपोषित हैं, जो कृषि परिवर्तन की आवश्यकता को दर्शाता है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग: अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के तहत सौर और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का विकास करना।
    • भारत ने अफ्रीका में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 2 बिलियन डॉलर देने की प्रतिबद्धता जाहिर की है। सौर ऊर्जा पहल अफ्रीका के 600 मिलियन लोगों को बिजली की सुविधा प्रदान करने में मदद कर सकती है, जो वर्तमान में बिजली की पहुँच से वंचित हैं।
  • डिजिटल परिवर्तन और स्टार्ट-अप: भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली, ई-गवर्नेंस मॉडल और प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप का अफ्रीका में विस्तार करना।
    • अफ्रीका में 1.2 बिलियन से अधिक मोबाइल ग्राहक हैं, जो इसे UPI, आधार और Co-WIN प्लेटफॉर्म जैसे भारतीय डिजिटल समाधानों के लिए एक आकर्षक बाजार बनाता है।
  • स्वास्थ्य और दवा संबंधों को मजबूत करना: दवा निर्यात बढ़ाना और अफ्रीका में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढाँचे के विकास का समर्थन करना।
    • अफ्रीका के दवा आयात में भारतीय जेनेरिक दवाओं का हिस्सा 20% है। अनुमान है कि वर्ष 2030 तक अफ्रीका महाद्वीप का स्वास्थ्य सेवा बाजार 259 बिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगा, जो सस्ती दवाओं की बढ़ती माँग से प्रेरित है।
  • राजनीतिक और रणनीतिक गठबंधन: भारत के साथ कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करना और विश्व व्यापार संगठन तथा संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंचों पर अफ्रीकी देशों का समर्थन करना।
    • भारत ने अफ्रीकी संघ को G20 में स्थायी सदस्यता दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे अफ्रीकी हितों के लिए वैश्विक अधिवक्ता के रूप में अपनी भूमिका का प्रदर्शन हुआ।

भारत-अफ्रीका संबंधों में चुनौतियाँ

  • सीमित व्यापार एकीकरण: अफ्रीका का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार होने के बावजूद, भारत-अफ्रीका व्यापार केवल $90.5 बिलियन (वर्ष 2022-23) है, जबकि चीन-अफ्रीका व्यापार वर्ष 2021 में $250 बिलियन से अधिक हो गया है।
    • अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (AfCFTA) के तहत अफ्रीका का अंतर-क्षेत्रीय व्यापार अपार संभावनाएँ प्रदान करता है, लेकिन इन ढाँचों में भारत की भागीदारी सीमित है।
  • भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता: अफ्रीका चीन और अमेरिका जैसी वैश्विक शक्तियों के लिए एक प्रतिस्पर्द्धी क्षेत्र बन गया है, जो संसाधनों और बाजारों तक पहुँच के लिए प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं।
    • चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पहल ने पूरे अफ्रीका में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को वित्तपोषित किया है, जैसे कि केन्या और इथियोपिया में रेलवे, जिससे भारत का प्रभाव कम हो रहा है।
  • शासन और सुरक्षा संबंधी मुद्दे: अफ्रीका को विशेषतः साहेल क्षेत्र में राजनीतिक अस्थिरता, आतंकवाद और भ्रष्टाचार जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • वर्ष 2020 से 2023 के बीच, सूडान, नाइजर और बुर्किना फासो सहित सात अफ्रीकी देशों में 9 तख्तापलट हुए, जिससे राजनयिक संबंध जटिल हो गए।
  • विकास सहयोग का सीमित प्रभाव: भारत की ऋण रेखाएँ (LoC) और क्षमता निर्माण पहलों में प्रायः रणनीतिक एकीकरण की कमी होती है, जिससे उनका प्रभाव सीमित हो जाता है।
    • संपूर्ण अफ्रीकी ई-नेटवर्क जैसी परियोजनाओं ने कनेक्टिविटी में सुधार किया है, लेकिन गरीबी या खाद्य असुरक्षा जैसी बड़ी प्रणालीगत चुनौतियों का समाधान करने में विफल रही हैं।
  • स्वास्थ्य सेवा और दवा संबंधी चुनौतियाँ: भारत अफ्रीका के 62% दवा आयात की आपूर्ति करता है, लेकिन COVID-19 ने वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में कमजोरियों को उजागर किया है।
    • आपूर्ति शृंखला में व्यवधान के कारण अफ्रीकी देशों को टीकों और दवाओं तक पहुँचने में काफी देरी का सामना करना पड़ा।
  • सांस्कृतिक और शैक्षिक बाधाएँ: भारत में अफ्रीकी छात्रों के साथ भेदभाव के उदाहरण और शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में शिकायतें सांस्कृतिक तथा शैक्षिक आदान-प्रदान को बाधित करती हैं।
    • जबकि 95,000 अफ्रीकी छात्र चीन में पढ़ते हैं, भारत की भारत में अध्ययन पहल महत्त्वपूर्ण संख्या को आकर्षित करने में विफल रही है।
  • जलवायु परिवर्तन और खाद्य असुरक्षा: अफ्रीका की 282 मिलियन कुपोषित आबादी (वर्ष 2022) और बढ़ती जलवायु संबंधी आपदाओं पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
    • अफ्रीका के हॉर्न क्षेत्र में जारी भीषण सूखे ने खाद्य असुरक्षा को गंभीर रूप से बढ़ा दिया है, जिससे भारत जैसे देशों को मानवीय सहायता प्रदान करने की आवश्यकता महसूस हो रही है।

भारत-अफ्रीका संबंधों के लिए आगे की राह

  • आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना: नवीकरणीय ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके व्यापार पोर्टफोलियो में विविधता लाना।
  • भागीदारी को मजबूत करना: पिछला भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन (IAFS) वर्ष 2015 में आयोजित किया गया था। भारत को G20 में अपनी अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ की स्थायी सदस्यता को मिली ऐतिहासिक स्वीकृति का लाभ उठाते हुए जल्द ही भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन (IAFS-IV) का आयोजन करना चाहिए।
    • भारत-अफ्रीकी संघ निगरानी 1.5 स्तरीय वार्ता आपसी चिंताओं को दूर करने में सहायक हो सकती है और अदीस अबाबा, भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन-IV (IAFS-IV) के संभावित मेजबान के रूप में उभर सकता है।
    • नई दिल्ली में AU का क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करने से नियमित परामर्श की सुविधा होगी।
  • सुरक्षा सहयोग को बढ़ाना: आतंकवाद, समुद्री सुरक्षा और साइबर सुरक्षा में सहयोग बढ़ाना।
  • खाद्य और स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं को संबोधित करना: सतत् कृषि पर अफ्रीकी देशों के साथ साझेदारी करना और अफ्रीका के भीतर दवा निर्माण को बढ़ावा देना।
  • सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंधों का लाभ उठाना: भारत और चुनिंदा अफ्रीकी देशों में विश्वविद्यालयों, थिंक टैंक, नागरिक समाज और मीडिया संगठनों के बीच अधिक-से-अधिक संपर्क की आवश्यकता है।
    • भारत में अफ्रीकी अध्ययन के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना करना और अफ्रीकी छात्रों के लिए वीजा को उदार बनाना।
  • त्रिपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग: अफ्रीका की विकासात्मक चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका (India-Brazil-South Africa- IBSA) कोष जैसी त्रिपक्षीय पहल को बढ़ावा देना।
  • सतत् विकास पहल: अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) जैसे प्लेटफॉर्मों के माध्यम से अक्षय ऊर्जा और जलवायु कार्रवाई को बढ़ावा।
  • भारत की डिजिटल ताकत का लाभ उठाना: भारत के डिजिटल स्टैक (जैसे, UPI, बायोमेट्रिक्स, जन धन तकनीक) को अफ्रीकी देशों में दोहराया जा सकता है।
    • UPI और RuPay सेवाएँ पहले से ही मॉरीशस में संचालित हैं, केन्या, नामीबिया, घाना और मोजांबिक जैसे देश इसमें रुचि दिखा रहे हैं।
  • औद्योगीकरण और मूल्य संवर्द्धन के लिए समर्थन: भारत को कृषि, फार्मास्यूटिकल्स और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में उच्च मूल्य-वर्धित निवेश बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
    • भारतीय कंपनियाँ विनिर्माण आधार स्थापित करके, कृषि मशीनीकरण, खाद्य प्रसंस्करण और कोल्ड स्टोरेज बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देकर योगदान दे सकती हैं।

निष्कर्ष

भारत-अफ्रीका संबंधों में आपसी विकास को बढ़ावा देने, वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएँ हैं। मौजूदा चुनौतियों को नियंत्रित कर और व्यापार, सुरक्षा और विकास में रणनीतिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करके, दोनों क्षेत्र एक लचीली एवं समावेशी साझेदारी का निर्माण कर सकते हैं, जो उनकी आबादी को लाभ पहुँचाए और एक संतुलित वैश्विक व्यवस्था में योगदान दे।

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