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भारत और इजरायल समुद्री सुरक्षा (India and Israel Maritime Security)

Samsul Ansari December 22, 2023 11:04 177 0

संदर्भ

हाल ही में भारत और इजरायल ने यमन के हूती (Houthi) विद्रोहियों  की कार्रवाइयों के बाद लाल सागर (Red Sea) क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के लिए बढ़ते खतरों पर चर्चा की।

Hauthi Attachk in the Red Sea

संबंधित तथ्य

  • फ्रीडम ऑफ नेविगेशन: दोनों पक्षों ने बाब-अल-मंडाब जलडमरूमध्य (Bab-el-Mandeb Strait)  से गुजरने वाले जहाजों के लिए फ्रीडम ऑफ नेविगेशन की स्वतंत्रता पर चर्चा की, जिसे यमन के हूती विद्रोहियों से खतरा था। 
  • गाजा हमले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई: हाल ही में हूती (Houthis) उग्रवादियों द्वारा ने गाजा पर हमले के लिए इजरायल के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के रूप में मिसाइल हमले शुरू किए।
    • इन भारत में निर्मित जेट ईंधन की खेप ले जा रहा एक टैंकर इस हमले से बच गया।
  • ऑपरेशन प्राॅस्पैरिटी गार्जियन (Operation Prosperity Guardian): यह इजरायल जाने वाले अंतरराष्ट्रीय यातायात के खिलाफ हमलों की बढ़ती संख्या का मुकाबला करने के लिए अमेरिका द्वारा शुरू की गई एक बहुराष्ट्रीय सुरक्षा पहल है।
  • गठबंधन में अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, बहरीन, कनाडा, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, नॉर्वे, स्पेन और सेशेल्स शामिल हैं।

बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य: 

  • बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य (Bab-el-Mandeb strait) भूमध्य सागर और हिंद महासागर को जोड़ने वाला एक महत्त्वपूर्ण शिपिंग मार्ग है।
  • यह मध्य पूर्व, अफ्रीका और यूरोप के साथ भारत के व्यापार के लिए एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है।

  • समुद्री व्यापार पर प्रभाव: लाल सागर में जहाजों पर हूती (Houthi) उग्रवादियों के हमलों के कारण इस क्षेत्र में समुद्री व्यापार बाधित हुआ है, क्योंकि इन हमलों से बचने के लिये मालवाहक जहाजों को स्वेज नहर की बजाय केप ऑफ गुड होप के माध्यम से लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
    • इसके कारण परिवहन पर अतिरिक्त खर्च के साथ-साथ शिपमेंट में भी अधिक समय लग रहा है।
    • घ्यातव्य है वर्तमान में वैश्विक शिपिंग यातायात का लगभग 15% स्वेज नहर से होकर गुजरता है, जो यूरोप और एशिया को जोड़ने वाला सबसे छोटा शिपिंग मार्ग है।
    • हूती उग्रवादियों के हालिया हमलों के बाद तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ने का भय उत्पन्न हो गया है। 

समुद्री सुरक्षा क्या है?

  • समुद्री सुरक्षा की कोई सार्वभौमिक परिभाषा नहीं है परंतु इसके तहत यह समुद्री क्षेत्र के मुद्दों को राष्ट्रीय सुरक्षा, समुद्री पर्यावरण, आर्थिक विकास और मानव सुरक्षा के साथ जोड़कर देखा जाता है।
  • इसके तहत विश्व भारत के महासागरों के अलावा क्षेत्रीय समुद्रों, क्षेत्रीय जल, नदियों और बंदरगाहों को भी शामिल किया जाता है।

भारत के लिए समुद्री सुरक्षा का महत्त्व

  • लंबी तटरेखा: भारत के लिए, समुद्री सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है क्योंकि इसकी तटरेखा 7,000 किमी. से अधिक है, जो समुद्री खतरों के प्रति भारत की संवेदनशीलता को रेखांकित करती है।
    • 26/11 मुंबई आतंकवादी हमला: 26 नवंबर, 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने समुद्र के रास्ते दक्षिण मुंबई में घुसपैठ की।
  • महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे (Critical Infrastructure): समुद्री क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे ऊर्जा और संचार (विशेषकर इंटरनेट) जैसी बुनियादी सेवाओं की निरंतर आपूर्ति  की सुविधा प्रदान करते हैं ऐसे में इन्हें किसी भी क्षति या व्यवधान से बचाना आवश्यक है।
  • समुद्री व्यापार: भारत के कुल व्यापार में समुद्री व्यापार लगभग 95% (व्यापार में मात्रा के हिसाब से) और 70% ( मूल्य के हिसाब से) योगदान देता है।
  • इसके अतिरिक्त भारत का अधिकांश निर्यात और आयात हिंद महासागर के नौवहन मार्ग से होकर गुजरता है, ऐसे में भारत के लिए इस क्षेत्र में संचार के समुद्री मार्गों (Sea Lanes of Communication -SLOCs) की सुरक्षा सुनिश्चित करना बहुत ही आवश्यक है।
  • भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक मुद्दे: पिछले एक दशक में चीन,  हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region-IOR) में एक महत्त्वपूर्ण सैन्य शक्ति बन बनकर उभरा है।
    • चीन अपने स्ट्रिंग ऑफ पर्ल सिद्धांत (String of Pearl Theory) के साथ हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है।
    • उदाहरण- श्रीलंका मे हंबनटोटा बंदरगाह (Hambantota Port) और पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह (Gwadar Port) में चीन की सक्रियता।
  • अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone- EEZ): भारत का EEZ  लगभग 2.37 मिलियन वर्ग किमी. में फैला है, इस क्षेत्र में अन्वेषण और समुद्री संसाधनों के उपयोग पर भारत का विशेष अधिकार है।
  • ब्लू क्राइम (Blue Crime): इसमें गिनी की खाड़ी और मलक्का जलडमरूमध्य जैसे क्षेत्रों में समुद्री डकैती, अवैध सामान और मानव तस्करी, जैसे मादक पदार्थों का व्यापार और भूमध्यसागरीय क्षेत्र में प्रवासियों की तस्करी शामिल है।
    • सूचना संलयन केंद्र – हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR) द्वारा संकलित आँकड़ों  के अनुसार, वर्ष 2022 में 161 समुद्री और सशस्त्र डकैती (Armed Robbery) की घटनाएँ हुईं।
  • अन्य चुनौतियाँ: अन्य चिंताओं में डकैती, वस्तुओं और लोगों की अवैध तस्करी, अवैध मछली पकड़ना व प्रदूषण तथा मछली पकड़ने एवं समुद्री प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय मुद्दे शामिल हैं।
  • अल-कायदा (Al-Qaeda) से जुड़े और सोमालिया में स्थित आतंकवादी संगठन अल-शबाब (Al-Shabaab) ने हिंद महासागर क्षेत्र में वाणिज्यिक जहाजों और बंदरगाह सुविधाओं पर कई हमले किए हैं।
  • पर्यावरणीय मुद्दे (Environmental Issues): मछली पकड़ने के अप्रतिबंधित तरीके, शिपिंग प्रदूषण और समुद्र में अपशिष्ट निपटान के कारण समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारामक प्रभाव पड़ा है और मछलियों की संख्या में कमी आई है।
    •  समुद्री पर्यावरण की स्थिति न केवल मछुआरों की आजीविका के साधनों को खतरे में डालती है, बल्कि वैश्विक महासागरीय पारिस्थितिकी  और खाद्य सुरक्षा पर भी व्यापक प्रभाव डालती है।

भारत का समुद्री सुरक्षा तंत्र

  • IMBL की गश्त: भारतीय नौसेना अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (International Maritime Boundary Line-IMBL) पर गश्त करती है।
    • भारतीय तटरक्षक (ICG) को 200 समुद्री मील (EEZ) तक गश्त और निगरानी करने का उत्तरदायित्त्व सौंपा गया है।
  • उथले तटीय क्षेत्रों में गश्त (Patrolling in Shallow Coastal Areas): राज्य तटीय/समुद्री पुलिस (State Coastal Police-SCP/Marine Police-MP) उथले तटीय क्षेत्रों में नाव से गश्त करती है।
    • SCP का क्षेत्राधिकार तट से 12 समुद्री मील तक है।
    •  ICG और IN का क्षेत्रीय जल (SMP के साथ) सहित पूरे समुद्री क्षेत्र (200 समुद्री मील तक) पर अधिकार क्षेत्र है।
  • क्रीक (कच्छ) क्षेत्रों की गश्त (Patrolling of Creek Areas): सीमा सुरक्षा बल (BSF) को गुजरात के क्रीक क्षेत्रों और पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में तैनात किया गया है।

भारत के लिए समुद्री सुरक्षा से संबंधित चुनौतियाँ

  • ओवरलैपिंग क्षेत्राधिकार (Overlapping Jurisdiction): तटीय क्षेत्रों में गश्त और निगरानी के कार्य को नौ तटीय राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में राज्य तटीय पुलिस (State Coastal Police- SCP) को सौंपा गया है। इसमें दो मुख्य कमियाँ हैं। 
    • इसके परिणामस्वरूप भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक (Indian Coast Guard) और  SCP के बीच क्षेत्राधिकार ओवरलैप हो जाता है, जिससे मंत्रालय और बल दोनों स्तरों पर कमांड के बीच समन्वय की कमी पैदा होती है।
  • नौसेना और ICG के बीच समन्वय: एक 4 स्टार जनरल रैंक के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के पद को रक्षा मंत्रालय के तहत गठित सैन्य मामलों के विभाग (Department of Military Affairs-DMA)  के सचिव के रूप में इसका नेतृत्त्व करने का उत्तरदायित्त्व सौंपा गया था

भारत में समुद्री क्षेत्र

  • समुद्री क्षेत्र अधिनियम, 1976 के अनुसार, भारत के समुद्री क्षेत्रों को पाँच तटरक्षक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, भारतीय तटरक्षक  (ICG) समुद्री क्षेत्रों के प्रवर्तन के लिए जिम्मेदार है।

  • सेना, नौसेना और वायु सेना को  DMA के तहत रखा गया है जबकि भारतीय तटरक्षक (ICG) को रक्षा मंत्रालय के तहत रखा गया था।
  • यह भारतीय नौसेना और ICG के बीच शांतिकाल और युद्धकाल दोनों परिदृश्यों में समन्वय को रोकता है।
  • समुद्री सीमाओं की सुरक्षा ICG का प्राथमिकता से बाहर: समुद्री और अन्य राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा की दृष्टि से भारत के समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना ICG को सौंपा गया है।
  • इसकी स्थापना भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए एक एजेंसी के रूप में नहीं बल्कि भारत के समुद्री क्षेत्रों की पुलिस व्यवस्था और सामान्य पर्यवेक्षण के लिए की गई थी।
  • संचार का समुद्री मार्ग (Sea Lines of Communication ,SLOCs): SLOCs के लिए खतरा समुद्री डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी, प्रदूषण, दुर्घटनाओं, खदानों, चोक पॉइंटों को बंद करने, अंतर-राज्यीय संघर्ष और क्षेत्राधिकार के विवादों (territorial disputes) की चुनौतियों से भी उत्पन्न होता है।
    • एशिया के समुद्री मार्ग क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व सहित विभिन्न खतरों के प्रति संवेदनशील बने हुए हैं। उदाहरण-दक्षिण चीन सागर विवाद, ताइवान पर संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच संघर्ष।
    • पूर्वी हिंद महासागर में चीन की गैर-सैन्य गतिविधियाँ भारत के लिए चिंता का विषय है।

सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र (Information Fusion Centre-Indian Ocean Region or IFC-IOR):

  • IFC-IOR की स्थापना वर्ष 2018 में गुरुग्राम में सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (Information Management and Analysis Centre-IMAC) के परिसर में की गई थी।
  • वर्तमान में वहाँ 12 अंतर्राष्ट्रीय संपर्क अधिकारी (ILOs) तैनात हैं।

  • वैश्विक स्तर पर तेल के कुल  समुद्री व्यापार का 80% से अधिक  IOR से होकर गुजरता है।
  • बुनियादी ढाँचे की बाधाएँ (Infrastructure Constraints): कई देशों से भारतीय नौसेना के सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र  (IFC-IOR)  में अंतरराष्ट्रीय संपर्क अधिकारी (International Liaison Officers-ILO) तैनात करने का अनुरोध किया गया है, लेकिन बुनियादी ढाँचे की बाधाओं के कारण ऐसा नहीं किया जा सका है।

Centrality of Maritime security to SAGAR and IPOI

समुद्री सुरक्षा के लिए पहलें

  • सागर या ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’ विजन (SAGAR-Security and Growth for all in the Region): इसका उद्देश्य भारत की मुख्य भूमि और द्वीपों के समुद्री हितों की रक्षा करना है।
  • हिंद-प्रशांत महासागर पहल (Indo-Pacific Oceans’ Initiative-IPOI):   IPOI का उद्देश्य क्षेत्रीय समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करना है।
  • सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र  (IFC-IOR): यह भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित एक क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा केंद्र है।
  • समुद्री कार्यक्षेत्र जागरूकता के लिए इंडो-पैसिफिक साझेदारी (Indo-Pacific Partnership for Maritime Domain Awareness-IPMDA) पहल: IPMDA भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री  क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण पहल है।
  • शेयर्ड अवेयरनेस एंड डीकाॅन्फ्लिक्सन (Shared Awareness and Deconfliction-SHADE) कार्यक्रम: इसे अन्य समुद्री बलों के साथ उच्च स्तर के सहयोग तक पहुँचने के लिए सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ाने के लिए स्थापित किया गया है।
  • कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (Colombo Security Conclave): यह हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारत, श्रीलंका, मॉरीशस एवं  मालदीव की भागीदारी वाला एक समूह है।

आगे की राह

  • वैश्विक समुद्री सुरक्षा के लिए पाँच सिद्धांतों का रोडमैप: भारत के प्रधानमंत्री ने वैश्विक समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पाँच सिद्धांतों का प्रस्ताव रखा जिसमें शामिल हैं:
    • वैध समुद्री व्यापार से बाधाओं को दूर करना।
    • उत्तरदायी समुद्री कनेक्टिविटी को प्रोत्साहित करना।
    • समुद्री विवादों को शांतिपूर्ण तरीकों से और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर निस्तारण।
    • नॉन स्टेट एक्टर्स द्वारा उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं और समुद्री खतरों का संयुक्त रूप से सामना करना।
    • समुद्री पर्यावरण और संसाधनों का संरक्षण।

समुद्री क्षेत्र के विनियमन हेतु अंतरराष्ट्रीय तंत्र

  • अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (International Maritime Organization-IMO): यह समुद्री सुरक्षा से संबंधित मामलों पर सदस्य देशों को समर्थन, सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • समुद्र में जीवन की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय अभिसमय (International Convention for the Safety of Life at Sea-SOLAS): SOLAS को व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा से संबंधित सभी अंतरराष्ट्रीय संधियों में सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS) : इसे वर्ष 1982 में अपनाया गया था। यह दुनिया के महासागरों और समुद्रों में कानून और व्यवस्था की एक व्यापक व्यवस्था निर्धारित करता है तथा महासागरों एवं उनके संसाधनों के सभी उपयोगों को नियंत्रित करने वाले नियम स्थापित करता है।

  • पृथक समुद्री सुरक्षा बल (Separate Maritime Guarding Force): समुद्री सीमा सुरक्षा कार्य और ICG के संबंधित बुनियादी ढाँचे, संपत्तियों और जनशक्ति को विभाजित करके तथा इसे गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में रखकर एक अलग बल बनाया जाना चाहिए।
  • समुद्री सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संरचना: समुद्री सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को विनियमित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तर्ज पर एक संयुक्त राष्ट्र निकाय बनाने की आवश्यकता है।
  • मुद्दे विशिष्ट समूह (Issue Specific Grouping): एक निकाय जिसमें मुद्दे-विशिष्ट उपसमूह (उदाहरण के लिए अवैध मछली पकड़ना, चोरी, तस्करी) के साथ-साथ क्षेत्रीय उपसमूह [पश्चिमी हिंद महासागर, होर्मुज (Hormuz) जलडमरूमध्य, गिनी की खाड़ी ( Gulf of Guinea)] शामिल हों,  से समुद्री क्षेत्र के मौजूदा समन्वय मुद्दों को अधिक बेहतर ढंग से सुधारने में मदद मिल सकती है।
  • समुद्री सुरक्षा के लिए नवीन तकनीकें: उपग्रह और मानव रहित हवाई वाहन (UAV) प्रौद्योगिकी में सुधार से क्षेत्र की निगरानी एवं पर्यवेक्षण बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
  • नई समुद्री पुलिसिंग तकनीकों का विकास  (Development of New Maritime policing techniques): समुद्री क्षेत्र में उभरती चुनौतियों से निपटने हेतु नए नवीन एवं लक्षित उपायों जैसे- फ्लोटिंग पुलिस स्टेशनों (Floating Police Stations) का उपयोग और तटीय समुदायों के साथ निकट सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

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