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भारत एवं श्रीलंका द्विपक्षीय संबंध

Lokesh Pal April 08, 2025 02:57 71 0

संदर्भ 

भारतीय प्रधानमंत्री की श्रीलंका यात्रा भारत-श्रीलंका के बीच संबंध एवं प्रगाढ़ता को दर्शाती है। 

यात्रा के मुख्य परिणाम एवं समझौते

  • रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर: कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के माध्यम से सहयोग को मजबूत किया गया तथा हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग को बढ़ाया गया।
  • श्रीलंका से आश्वासन: श्रीलंका ने इस बात की पुष्टि की कि उसके भू-भाग का उपयोग भारत के सुरक्षा हितों के विरुद्ध नहीं किया जाएगा, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।
  • भारत द्वारा सहायता प्राप्त रेलवे आधुनिकीकरण परियोजनाएँ: माहो-ओमानथाई लाइन (128 किमी.) का नवीनीकरण 91.27 मिलियन डॉलर की भारतीय सहायता से किया गया।
    • माहो से अनुराधापुरा तक उन्नत सिग्नलिंग प्रणाली, जिसे 14.89 मिलियन डॉलर के भारतीय अनुदान से वित्तपोषित किया गया है।
  • त्रिंकोमाली ऊर्जा हब विकास: बहु-उत्पाद पाइपलाइन और बंदरगाह ऊर्जा अवसंरचना को संयुक्त रूप से विकसित किया जाएगा।
    • ग्रिड इंटरकनेक्टिविटी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे भारत और श्रीलंका के मध्य विद्युत व्यापार की अनुमति मिलेगी।
  • ‘सम्पूर’ सौर ऊर्जा परियोजना: दोनों नेताओं द्वारा वर्चुअल रूप से उद्घाटन किया गया, जो श्रीलंका के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान देगा।

कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (Colombo Security Conclave- CSC)

  • कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के बारे में: CSC एक क्षेत्रीय सुरक्षा समूह है, जिसमें भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव और मॉरीशस शामिल हैं, जिसमें सेशेल्स पर्यवेक्षक के रूप में है।
    • इसका मुख्य उद्देश्य साझा चिंता के अंतरराष्ट्रीय खतरों तथा चुनौतियों का समाधान करके क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है।
  • उत्पत्ति: CSC की शुरुआत वर्ष 2011 में भारत, मालदीव और श्रीलंका को शामिल करते हुए समुद्री सुरक्षा सहयोग के लिए त्रिपक्षीय संगठन के रूप में हुई थी।
    • भारत-मालदीव तनाव के कारण वर्ष 2014 के बाद यह निष्क्रिय हो गया।
    • इस पहल को पुनर्सक्रिय किया गया तथा वर्ष 2020 में कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के रूप में पुनः आयोजित किया गया।
    • पुनरुत्थान के दौरान मॉरीशस भी इसमें शामिल हुआ, उसके बाद बांग्लादेश को भी इसमें शामिल किया गया।
  • संरचना: CSC सदस्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSAs) और उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की नियमित बैठकों के माध्यम से कार्य करता है।
  • सचिवालय: गतिविधियों के समन्वय के लिए कोलंबो, श्रीलंका में एक स्थायी सचिवालय स्थापित किया गया है।

  • भारत और श्रीलंका के बीच ऋण पुनर्गठन समझौता संपन्न हुआ: 100 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के भारतीय ऋणों को अनुदान में परिवर्तित किया गया।
    • कोलंबो के पुनर्भुगतान के बोझ को कम करने के लिए भारतीय ऋणों पर ब्याज दरें कम कर दी गईं।
  • डिजिटल पहचान परियोजना: भारत ने श्रीलंका की डिजिटल पहचान परियोजना को समर्थन देने के लिए 300 करोड़ रुपये का अनुदान दिया।
  • पूर्वी श्रीलंका के लिए विशेष सहायता पैकेज: भारत पूर्वी प्रांतों में सामाजिक और आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिए 2.4 बिलियन श्रीलंकाई रुपये (~ 66 करोड़ रुपये) प्रदान करेगा।
  • अनुराधापुरा में जय श्री महाबोधि तीर्थस्थल का दौरा: प्रधानमंत्री मोदी तथा राष्ट्रपति दिसानायके ने संयुक्त रूप से पवित्र महाबोधि वृक्ष पर प्रार्थना की, जो गहरे सभ्यतागत संबंधों का प्रतीक है।
  • भारतीय प्रधानमंत्री को ‘मित्र विभूषण’ से सम्मानित किया गया: यह किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के लिए श्रीलंका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
    • आतंकवादी हमलों (वर्ष 2019) से सुरक्षा, कोविड-19 और आर्थिक संकट के दौरान भारत के समर्थन के लिए प्रदान किया गया।
  • मछुआरे और समुद्री मुद्दे: मछुआरों की गिरफ्तारी और नाव जब्त करने पर मानवीय दृष्टिकोण के लिए संयुक्त प्रतिबद्धता। श्रीलंका ने ‘बॉटम ट्रॉलिंग’ को समाप्त करने के लिए भारत से सहायता का अनुरोध किया, जो अपरिवर्तनीय पारिस्थितिकी क्षति का कारण बनता है।

दौरे का महत्त्व

  • प्राथमिकता का संकेत: राष्ट्रपति दिसानायके ने अपनी पहली विदेश दौरे के लिए भारत को चुना, और अब प्रधानमंत्री मोदी, दिसानायके के राष्ट्रपति काल में श्रीलंका की यात्रा करने वाले पहले विदेशी नेता बन गए हैं।
    • यह भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ (Neighbourhood First) नीति के तहत क्षेत्रीय निकटता के लिए पारस्परिक कूटनीतिक प्राथमिकता और नई प्रतिबद्धता का संकेत देता है।
  • द्विपक्षीय सुरक्षा को मजबूत करना: वर्ष 2025 रक्षा समझौता ज्ञापन भारत-श्रीलंका सुरक्षा सहयोग को औपचारिक रूप प्रदान करता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ाने और हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक रणनीतिक कदम का प्रतिनिधित्व करता है।
  • भारत को रणनीतिक आश्वासन: श्रीलंका की यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता कि उसके क्षेत्र और आसपास के जल का उपयोग भारत के हितों के विरुद्ध नहीं किया जाता है, सीधे तौर पर चीनी समुद्री उपस्थिति, विशेष रूप से हंबनटोटा बंदरगाह के आसपास बढ़ती हुई भारत की चिंताओं को कम करता है।
  • भारत के समर्थन की मान्यता: ‘मित्र विभूषण पुरस्कार’ प्रदान करना भारत के निरंतर समर्थन और सांस्कृतिक आत्मीयता को स्वीकार करता है।

भारत और श्रीलंका के बीच ऐतिहासिक संबंध

  • प्राचीन सांस्कृतिक संबंध: यह संबंध 2,500 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है, तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक के बेटे महिंदा द्वारा श्रीलंका में बौद्ध धर्म की शुरुआत की गई, जिससे गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध स्थापित हुए।
  • चोल प्रभाव: दक्षिण भारत के चोल राजवंश ने 10वीं शताब्दी ई. में श्रीलंका पर आक्रमण किया और कला, वास्तुकला और भाषा में एक स्थायी विरासत छोड़ी।
  • उपनिवेशवाद के बाद का सहयोग: दोनों देशों ने लगभग एक ही समय में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की, अर्थात् भारत ने वर्ष 1947 में और श्रीलंका ने वर्ष 1948 में स्वतंत्रता प्राप्त की तथा भारत ने लोकतांत्रिक संस्थाओं के निर्माण में श्रीलंका की सहायता की।
  • नृजातीय संघर्ष और IPKF: भारत ने श्रीलंका के गृहयुद्ध के दौरान एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, 13वें संशोधन के माध्यम से तमिल अधिकारों का समर्थन करने के लिए वर्ष 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते पर हस्ताक्षर किए और भारतीय शांति सेना (IPKF) को तैनात किया।
  • राजीव गांधी की हत्या का प्रभाव: वर्ष 1991 में ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम’ (LTTE) द्वारा की गई हत्या ने भारत की नीति में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ ला दिया, जिससे अधिक सतर्क दृष्टिकोण अपनाया गया।
  • युद्धोत्तर चरण: वर्ष 2009 में गृहयुद्ध समाप्त होने के बाद, भारत ने श्रीलंका में सुलह और विकास का समर्थन करना जारी रखा है।

भारत के लिए श्रीलंका का महत्त्व

  • रणनीतिक भू-राजनीतिक स्थिति: श्रीलंका हिंद महासागर में भारत के दक्षिणी सिरे के निकट स्थित है, जो इसे क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने में भारत के लिए एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी बनाता है।
    • यह भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (Security and growth for all in the region- SAGAR) दृष्टिकोण में एक केंद्रीय स्थान रखता है।
  • समुद्री सुरक्षा साझेदार: पाक जलडमरूमध्य और मन्नार की खाड़ी जैसे प्रमुख समुद्री अवरोध बिंदुओं के निकट स्थित, श्रीलंका भारत के समुद्री हितों और समुद्री मार्गों की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध: भारत और श्रीलंका के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक संबंध हैं, जो कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करते हैं और लोगों के मध्य संबंधों को बढ़ावा देते हैं।
  • ऊर्जा सुरक्षा और संपर्क: श्रीलंका भारत की ऊर्जा रणनीति के लिए महत्त्वपूर्ण है, जो नवीकरणीय ऊर्जा पहल और सीमा पार विद्युत संपर्क सहित क्षेत्रीय ऊर्जा सहयोग के अवसर प्रदान करता है।
  • दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय प्रभाव: दक्षिण एशिया में प्रमुख अभिकर्ताओं के रूप में, भारत और श्रीलंका का सहयोग क्षेत्रीय गतिशीलता को आकार दे सकता है, जिससे पूरे क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास को बढ़ावा मिलेगा।

बहुपक्षीय संगठन, जहाँ भारत और श्रीलंका दोनों सदस्य हैं:

  • दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क)
    • सदस्य: अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका।
    • फोकस: विकास, व्यापार और संस्कृति पर दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग।
  • बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक)
    • सदस्य: बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्याँमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड।
    • फोकस: कनेक्टिविटी, व्यापार और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग।
  • इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA): यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसमें भारत और श्रीलंका सहित हिंद महासागर की सीमा से संलग्न 23 सदस्य देश शामिल हैं।
  • राष्ट्रमंडल राष्ट्र: राष्ट्रमंडल राष्ट्र 56 स्वतंत्र देशों का एक स्वैच्छिक संघ है, जिनमें से अधिकांश पहले ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा थे। भारत और श्रीलंका दोनों इसके सदस्य हैं।

श्रीलंका के लिए भारत का महत्त्व

  • विकास सहायता: वित्तीय वर्ष 2024-25 में, भारत ने श्रीलंका को अपनी सहायता राशि में उल्लेखनीय वृद्धि करते हुए इसे ₹245 करोड़ कर दिया, जो पिछले वर्ष के ₹60 करोड़ से काफी अधिक है, जो मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को दर्शाता है।
  • पर्यटन वृद्धि: भारत श्रीलंका में पर्यटकों का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है।
    • वर्ष 2024 की पहली छमाही में, लगभग 2,00,000 भारतीय पर्यटकों ने दौरा किया, जो कुल आगमन का 18% है। यह वृद्धि श्रीलंका के पर्यटन क्षेत्र की रिकवरी में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है।
  • श्रीलंकाई आर्थिक संकट के दौरान राहत: भारत ने लगभग 4 बिलियन डॉलर की आपातकालीन वित्तीय सहायता प्रदान की, ऐसे समय में राहत प्रदान की, जब नागरिक आवश्यक वस्तुओं की गंभीर कमी के बीच संघर्ष कर रहे थे।
  • अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) बेलआउट: भारत IMF को वित्तीय आश्वासन प्रदान करने वाले पहले देशों में से एक था, जो वर्ष 2023 में स्वीकृत IMF के $2.9 बिलियन बेलआउट पैकेज के लिए एक शर्त थी।
  • सबसे बड़ा वैश्विक व्यापारिक भागीदार: भारत और श्रीलंका के बीच मार्च 2000 से एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है, जिसने द्विपक्षीय व्यापार को काफी बढ़ावा दिया है। परिणामस्वरूप, भारत श्रीलंका का सबसे बड़ा वैश्विक व्यापारिक भागीदार बन गया है, जिसका व्यापार पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ रहा है।
  • अन्य
    • मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR): भारत लगातार श्रीलंका में आपात स्थितियों के दौरान प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में कार्य करता है, समय पर मानवीय सहायता और आपदा राहत सहायता प्रदान करता है।
    • क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग: भारत कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के माध्यम से क्षेत्रीय सुरक्षा में श्रीलंका की भूमिका का समर्थन करता है, सामूहिक समुद्री और क्षेत्रीय सुरक्षा ढाँचे को बढ़ावा देता है।
    • समुद्री और क्षमता निर्माण सहायता: भारत, श्रीलंका में विशेष रूप से भारतीय अनुदान द्वारा वित्तपोषित समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (MRCC) की स्थापना जैसी परियोजनाओं के माध्यम से क्षमता निर्माण में सहायता करता है।

भारत और श्रीलंका के बीच अभ्यास

  • मित्र शक्ति (Mitra Shakti): यह भारत और श्रीलंका के मध्य एक वार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास है, जो अर्द्ध-नगरीय क्षेत्रों में उग्रवाद और आतंकवाद रोधी अभियानों पर केंद्रित है।
    • यह श्रीलंकाई सेना द्वारा आयोजित सबसे बड़ा द्विपक्षीय अभ्यास है और भारत एवं श्रीलंका के बीच बढ़ती रक्षा साझेदारी का एक प्रमुख तत्त्व है।
  • SLINEX: यह भारतीय और श्रीलंकाई नौसेनाओं के मध्य एक द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास है।
    • इसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में नौसैनिक संचालन, संचार और संयुक्त युद्धाभ्यास पर ध्यान केंद्रित करते हुए समुद्री अंतर-संचालन को बढ़ाना है।

भारत श्रीलंका संबंधों में चुनौतियाँ

  • मत्स्यपालन संघर्ष: श्रीलंका के तमिल मछुआरों और तमिलनाडु के भारतीय मछुआरों के बीच लंबे समय से चल रहा विवाद, मुख्य रूप से भारतीय नौकाओं द्वारा बॉटम-ट्रॉलिंग के उपयोग के कारण है, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाता है और स्थानीय आजीविका को खतरे में डालता है।
    • हालाँकि दोनों देशों ने वर्ष 2016 में ‘बॉटम-ट्रॉलिंग’ को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने पर सहमति जताई थी, लेकिन श्रीलंकाई मछुआरों का दावा है कि भारतीय ट्रॉलर इस प्रथा को जारी रखते हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को हानि और आर्थिक नुकसान होता है।
  • तमिल राजनीतिक समाधान: श्रीलंका के युद्ध प्रभावित तमिल समुदाय को राजनीतिक समाधान प्राप्त करने और उत्तर और पूर्व में लंबे समय से विलंबित प्रांतीय परिषद चुनाव कराने में भारत के समर्थन की आशा है।
  • ऋण कूटनीति: हंबनटोटा बंदरगाह जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिए श्रीलंका की चीनी ऋणों पर निर्भरता ने रणनीतिक परिसंपत्तियों पर चीनी नियंत्रण को जन्म दिया है, जिससे भारत के क्षेत्रीय हितों को चुनौती मिली है।
  • समुद्री सीमा विवाद: कच्चातीवु पाक जलडमरूमध्य में एक छोटा निर्जन द्वीप है, जो बंगाल की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है।
    • यह श्रीलंका और भारत के बीच एक विवादित क्षेत्र है, जिस पर वर्ष 1976 तक भारत का दावा था और वर्तमान में श्रीलंका द्वारा प्रशासित है।
  • श्रीलंका में 13वें संशोधन के लिए भारत का समर्थन: श्रीलंका के गृहयुद्ध के बाद, भारत ने लगातार 13वें संशोधन के पूर्ण कार्यान्वयन का समर्थन किया है ताकि सत्ता का सार्थक हस्तांतरण सुनिश्चित किया जा सके, खासकर उत्तरी और पूर्वी प्रांतों में।

13वें संशोधन के बारे में

  • वर्ष 1987 में भारत-श्रीलंका समझौते के माध्यम से प्रस्तुत किए गए 13वें संशोधन ने श्रीलंका की प्रांतीय परिषद प्रणाली की नींव रखी।
  • इसका उद्देश्य भूमि, पुलिस, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, आवास और वित्त जैसे क्षेत्रों पर अधिकार को प्रांतीय स्तर पर स्थानांतरित करके शासन का विकेंद्रीकरण करना था।

आगे की राह

  • नियमित संवाद और सहयोग: भारत और श्रीलंका को क्षेत्रीय शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए आपसी सम्मान के आधार पर नियमित संवाद तथा सहयोग के माध्यम से अपने संबंधों को आगे बढ़ाना चाहिए।
  • नृजातीय रेखाओं से परे पहुँच को व्यापक बनाना: भारत को एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जो श्रीलंका में सभी समुदायों और हितधारकों को शामिल करे ताकि मजबूत, अधिक समावेशी द्विपक्षीय संबंध बनाए जा सकें।
    • क्षेत्रीय राजनीति को विदेशी जुड़ाव को निर्देशित करने की अनुमति देने से भारत के दीर्घकालिक रणनीतिक हितों को नुकसान पहुँचने और चीन जैसी बाहरी शक्तियों को प्रभाव प्रदान करने का जोखिम है।
  • चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना: भारत को पारदर्शी संवाद के माध्यम से और बुनियादी ढाँचे, व्यापार और विकास जैसे क्षेत्रों में प्रतिस्पर्द्धी, सतत् विकल्प प्रदान करके श्रीलंका में चीन के रणनीतिक पदचिह्न को सक्रिय रूप से संबोधित करना चाहिए।
  • गैर-पारस्परिक लेकिन दृढ़ समर्थन प्रदान करना: भारत को एक मार्गदर्शक के रूप में श्रीलंका को गैर-पारस्परिक सहायता और समर्थन देना जारी रखना चाहिए, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी सद्भावना का सम्मान किया जाए तथा उसके रणनीतिक हितों की रक्षा की जाए।
  • तमिल सुलह को बढ़ावा देना: उत्तरी प्रांत में तमिलों के जीवन स्तर में सुधार लाने और हस्तांतरण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए श्रीलंका के साथ सहयोग करना।

निष्कर्ष 

पड़ोसी प्रथम और सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) जैसी नीतियों द्वारा निर्देशित भारत-श्रीलंका संबंध, क्षेत्रीय शांति और समृद्धि के लिए समावेशी वार्ता तथा रणनीतिक सहयोग के माध्यम से और अधिक मजबूत हो सकते हैं।

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