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Lokesh Pal
October 10, 2025 03:16
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अमेरिका की वैश्विक प्राथमिकताओं और यूरोप की सामरिक स्वायत्तता की संभावना से प्रेरित बहुध्रुवीय पश्चिम के उदय ने परिवर्तित वैश्विक व्यवस्था में भारत की विदेश नीति के लिए अवसर और चुनौतियाँ दोनों प्रस्तुत की हैं।
बहुध्रुवीय पश्चिम, पश्चिम के पतन का नहीं बल्कि उसके आंतरिक बहुलवाद का संकेत है। भारत के लिए यह एक रणनीतिक अवसर प्रस्तुत करता है कि वह अपनी शर्तों पर कई पश्चिमी साझेदारों के साथ सहयोग स्थापित करे और साथ ही एक न्यायसंगत, समावेशी एवं बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के निर्माण में अपनी घरेलू क्षमताओं को मजबूत करे।
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