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भारत तथा ब्रिटेन ने व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए

Lokesh Pal July 25, 2025 04:15 54 0

संदर्भ

भारत और ब्रिटेन ने एक व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे आर्थिक संबंधों को मजबूती मिलने और प्रौद्योगिकी, निवेश, जलवायु, रक्षा और प्रवास जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की संभावना है।

  • यह समझौता व्यापार की जाने वाली 99% वस्तुओं पर टैरिफ को समाप्त करता है, जिससे बाजार में पर्याप्त पहुँच उपलब्ध होती है और भारत तथा ब्रिटेन के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलता है।
  • दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 56 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जिसे वर्ष 2030 तक दोगुना करने का संयुक्त लक्ष्य है।

भारत-ब्रिटेन CETA की मुख्य विशेषताएँ

  • 99% टैरिफ उन्मूलन: FTA लगभग सभी व्यापार क्षेत्रों (99%) पर टैरिफ समाप्त कर देगा, जिससे कृषि, समुद्री उत्पाद, वस्त्र और इंजीनियरिंग वस्तुओं जैसे भारतीय निर्यातों को लाभ होगा और व्यापार मूल्य का लगभग 100% कवर होगा।
    • प्रमुख श्रम-प्रधान क्षेत्रों में, समुद्री उत्पादों पर शुल्क पहले के 20 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है, वस्त्र और परिधान पर 12 प्रतिशत, रसायनों पर 8 प्रतिशत और धातुओं पर 10 प्रतिशत।
    • प्रसंस्कृत खाद्य क्षेत्र पर शुल्क 70 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है, जिससे भारतीय निर्यातकों को अधिक लाभ मिला है।
  • क्षेत्रों के लिए विशेष लाभ: IT, सेवा और शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों को ब्रिटेन के बाजारों तक बेहतर पहुँच मिलेगी, जिससे विशेष रूप से भारतीय प्रतिभाओं को लाभ होगा।
  • सामाजिक सुरक्षा अंशदान पर तीन वर्ष की छूट: दोहरे अंशदान समझौते के अनुसार, ब्रिटेन में भारतीय कामगारों को एक महत्त्वपूर्ण छूट का लाभ मिलेगा, जिससे उनकी गतिशीलता और श्रम बाजारों तक उनकी पहुँच में सुधार होगा।
    • DCC एक द्विपक्षीय समझौता है, जो दो देशों के बीच सामाजिक सुरक्षा अंशदानों का समन्वय करता है और दोहरे कराधान को रोकता है।

A. कृषि और समुद्री क्षेत्र

  • कृषि: भारत को फलों, सब्जियों, मसालों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों सहित कई कृषि उत्पादों के लिए शुल्क-मुक्त पहुँच प्राप्त हुई है। 95% से अधिक कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य टैरिफ लाइनों पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।
  • शुल्क-मुक्त पहुँच से अगले तीन वर्षों में कृषि निर्यात में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की संभावना है, जो वर्ष 2030 तक भारत के 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कृषि-निर्यात के लक्ष्य में योगदान देगा।
    • इस समझौते से महाराष्ट्र (अंगूर, प्याज), गुजरात (मूँगफली, कपास), पंजाब और हरियाणा (बासमती चावल), केरल (मसाले) और पूर्वोत्तर राज्यों (बागवानी) को लाभ होगा।
    • भारत संवेदनशील क्षेत्रों- डेयरी उत्पाद, सेब, जई, तथा खाद्य तेलों पर कोई टैरिफ रियायत नहीं दे रहा है।
    • व्यापार में तकनीकी बाधाओं (TBT) से संबंधित प्रावधान प्रमाणन को सुव्यवस्थित करेंगे, जिससे निर्यातकों के लिए समय और लागत में कमी आएगी।
  • समुद्री: समुद्री उत्पादों, विशेष रूप से झींगा, टूना मछली पर ब्रिटिश टैरिफ समाप्त होने से ब्रिटेन के 5.4 अरब डॉलर के समुद्री आयात बाजार में भारतीय निर्यात के लिए नए बाजार खुलेंगे।
    • भारत की हिस्सेदारी केवल 2.25 प्रतिशत बनी हुई है, जो एक महत्त्वपूर्ण अप्रयुक्त निर्यात अवसर को रेखांकित करता है। भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल और तमिलनाडु का विस्तार होगा।
  • नए बाजार अवसर: कटहल, बाजरा और जैविक जड़ी-बूटियों जैसे उभरते उत्पादों की भी ब्रिटेन में बाजार पहुँच बढ़ेगी।

B. कपड़ा, इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स

  • वस्त्र: 1,100 से अधिक वस्त्र उत्पाद श्रेणियों के लिए शून्य शुल्क बाजार पहुँच, जिससे भारत को बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने में मदद मिलेगी।
    • जिन क्षेत्रों में तेजी से विकास होने की संभावना है, उनमें RMG (रेडीमेड गारमेंट्स), घरेलू वस्त्र, कालीन और हस्तशिल्प शामिल हैं, जहाँ शुल्कों को हटाने से तत्काल और पर्याप्त प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ प्राप्त होते हैं।
    • भारत को 1 से 2 वर्षों के भीतर ब्रिटेन में कम-से-कम 5 प्रतिशत अतिरिक्त बाजार हिस्सेदारी हासिल होने की संभावना है।
    • वस्त्र और परिधान के क्षेत्र में, जबकि ब्रिटेन का कुल आयात (26.95 अरब अमेरिकी डॉलर) भारत के वैश्विक निर्यात (36.71 अरब अमेरिकी डॉलर) से कम है, भारत अभी भी ब्रिटेन को केवल 1.79 अरब अमेरिकी डॉलर की आपूर्ति करता है।
  • इंजीनियरिंग: मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत टैरिफ उन्मूलन (18 प्रतिशत तक) के साथ, ब्रिटेन को इंजीनियरिंग निर्यात अगले पाँच वर्षों में लगभग दोगुना हो सकता है, जो वर्ष 2029-30 तक 7.5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो जाएगा।
    • भारत का वैश्विक निर्यात 77.79 अरब अमेरिकी डॉलर है, जबकि ब्रिटेन 193.52 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के ऐसे उत्पादों का आयात करता है, फिर भी भारत से केवल 4.28 अरब अमेरिकी डॉलर का ही आयात होता है, जो विस्तार की प्रबल संभावना का संकेत देता है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर: शून्य शुल्क पहुँच से स्मार्टफोन, ऑप्टिकल फाइबर और इन्वर्टर जैसे क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे ब्रिटेन के बाजार में भारत की स्थिति मजबूत होगी।
  • सॉफ्टवेयर और IT-सक्षम सेवाएँ: पहली बार, ब्रिटेन ने महत्त्वाकांक्षी सेवा प्रतिबद्धताएँ जाहिर की हैं, जिसके तहत IT, वित्तीय सेवाओं, दूरसंचार, शिक्षा आदि क्षेत्रों में बाजार पहुँच प्रदान की गई है, जिससे उच्च मूल्य वाले अवसर सृजित हुए हैं।
    • यह समझौता सरल वीजा प्रक्रियाओं के साथ आर्किटेक्ट, शेफ और योग प्रशिक्षकों जैसे भारतीय पेशेवरों के लिए आसान प्रवेश की सुविधा प्रदान करता है।

C. फार्मा और रसायन

  • फार्मा: ब्रिटेन के बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं के लिए शून्य टैरिफ प्रावधान, भारतीय दवा निर्यात को और अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाते हैं।
    • भारत वैश्विक स्तर पर 23.31 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात करता है और ब्रिटेन लगभग 30 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात करता है, लेकिन भारतीय फार्मा क्षेत्र का योगदान 1 अरब अमेरिकी डॉलर से कम है, जो विकास की पर्याप्त संभावना दर्शाता है।
  • चिकित्सा उपकरण: शल्य चिकित्सा उपकरण, नैदानिक उपकरण, ECG मशीन, एक्स-रे प्रणाली जैसे चिकित्सा उपकरणों पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।
  • रसायन: इस मुक्त व्यापार समझौते से ब्रिटेन को भारत के रासायनिक निर्यात में 30-40% की वृद्धि होने की संभावना है, जिससे विकास के नए रास्ते खुलेंगे।
    • रसायन और संबद्ध उत्पादों में, भारत वैश्विक स्तर पर 40.52 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निर्यात करता है, जहाँ एक ओर ब्रिटेन 35.11 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात करता है, वहीं भारत की हिस्सेदारी केवल 843 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो उस बाजार में भारतीय निर्यात के लिए अपार विस्तार की संभावना को दर्शाता है।

D. अन्य क्षेत्र और नवाचार

  • प्लास्टिक और खेल के सामान: प्लास्टिक, फिल्म, शीट, पाइप, पैकेजिंग, टेबलवेयर और किचनवेयर के लिए शुल्क मुक्त पहुँच, जिसका उद्देश्य ब्रिटेन के प्रमुख आयात स्रोतों, जैसे जर्मनी, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, नीदरलैंड, बेल्जियम और फ्राँस, के साथ भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना है।
    • अनुमानित वृद्धि दर 15 प्रतिशत है, और कैलेंडर वर्ष 2030 के लिए अगले 5 वर्षों का लक्ष्य 186.97 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।
  • खेल सामग्री/खिलौने: भारतीय सामग्री और खिलौनों को ब्रिटेन के आयात शुल्क समाप्त होने से लाभ होगा, जिससे वे चीन या वियतनाम जैसे देशों की तुलना में अधिक मूल्य-प्रतिस्पर्द्धी हो जाएँगे, जिनके ब्रिटेन के साथ ऐसे मुक्त व्यापार समझौते नहीं हैं।
    • फुटबॉल, क्रिकेट उपकरण, रग्बी बॉल और गैर-इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों के निर्यात में वृद्धि होने की संभावना है।
  • रत्न एवं आभूषण: FTA के तहत टैरिफ में छूट से अगले 2-3 वर्षों में ब्रिटेन को भारत के रत्न एवं आभूषण निर्यात में दोगुनी वृद्धि होने का अनुमान है।
    • भारत का ब्रिटेन को कुल रत्न एवं आभूषण निर्यात 941 मिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जिसमें से 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर आभूषणों से आता है।
  • चमड़ा: इस मुक्त व्यापार समझौते से अगले 1-2 वर्षों में ब्रिटेन की बाजार हिस्सेदारी में 5 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। निर्यात 90 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है।
    • भारत के चमड़े और जूतों पर 16 प्रतिशत से शून्य शुल्क समाप्त कर दिया गया है, जिससे भारत के शिल्प कौशल को विश्व भर में गौरव प्राप्त होगा।
    • आगरा, कानपुर, कोल्हापुर, चेन्नई जैसे केंद्रों में स्थित सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) को शुल्क-मुक्त निर्यात, भौगोलिक संकेतक (GI) संरक्षण और सरलीकृत मानकों का लाभ मिलेगा।
  • नवप्रवर्तन अध्याय: FTA में नवप्रवर्तन और नई प्रौद्योगिकियों के व्यापार को समर्थन देने के प्रावधान शामिल हैं, जिससे उभरते क्षेत्रों में विकास के लिए गतिशील वातावरण को बढ़ावा मिलेगा।

निष्कर्ष

भारत-UK मुक्त व्यापार समझौता (FTA) एक ऐतिहासिक समझौता है, जो द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और दोनों देशों में अधिक रोजगार सृजन का वादा करता है। यह भारत की अपनी वैश्विक व्यापार उपस्थिति को मजबूत करने की महत्त्वाकांक्षाओं के अनुरूप है, साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि कृषि, इंजीनियरिंग और IT जैसे क्षेत्रों को बेहतर बाजार पहुँच का लाभ मिले।

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