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भारत और वियतनाम का व्यापार 20 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है।

Lokesh Pal August 05, 2024 05:05 103 0

संदर्भ 

हाल ही में वियतनामी प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह (Pham Minh Chinh) तीन दिवसीय यात्रा पर भारत आए। 

वियतनामी प्रधानमंत्री का वक्तव्य

  • वियतनामी प्रधानमंत्री ने सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी, डिजिटल परिवर्तन, हरित हाइड्रोजन, फार्मास्यूटिकल्स, नवीकरणीय ऊर्जा एवं जैव प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में वियतनाम तथा भारत के बीच घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।
  • उन्होंने आपूर्ति शृंखलाओं, रणनीतिक संसाधनों, जलवायु कार्रवाई, पर्यावरण प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन, रक्षा एवं सुरक्षा में व्यापारिक संबंधों तथा रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने में दोनों सरकारों की भूमिका पर जोर दिया।
    • उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि आने वाले वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार मौजूदा 15 अरब डॉलर से बढ़कर 20 अरब डॉलर हो सकता है।

द्विपक्षीय बैठक के मुख्य बिंदु और परिणाम

  • राजनयिक संबंध: दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत और वियतनाम के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने पर चर्चा की।
    • दोनों नेताओं ने व्यापार, रक्षा और समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया।
  • रक्षा सहयोग: 14वीं भारत और वियतनाम रक्षा नीति साइबर सुरक्षा और सैन्य चिकित्सा जैसे उभरते क्षेत्रों के इर्द-गिर्द घूमती रही।
    • वियतनाम ने पाँच क्षेत्रों में सहयोग का सुझाव दिया – प्रतिनिधिमंडलों के मध्य वार्ता, कर्मचारियों की वार्ता, सेवा-से-सेवा सहयोग, शिक्षा और प्रशिक्षण, तथा रक्षा उद्योग सहयोग।
    • दोनों देशों ने हाइड्रोग्राफी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने और इन प्रयासों की निगरानी के लिए एक संयुक्त समिति बनाने पर सहमति व्यक्त की, जिससे कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाया जा सके।
  • आर्थिक और व्यापार संबंध: दोनों देशों ने व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई, जिससे द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 15 बिलियन डॉलर से आगे बढ़ाने का लक्ष्य हासिल हो सके।
    • व्यापार बाधाएँ: उन्होंने व्यापार संबंधों में सुधार के लिए व्यापार बाधाओं को हटाने और आर्थिक कूटनीति संवाद की स्थापना पर चर्चा की।
  • समुद्री सुरक्षा: दोनों देशों (भारत और वियतनाम) ने विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में समुद्री सुरक्षा सहयोग पर जोर दिया।
    • वे इस क्षेत्र में नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करने पर सहमत हुए।
    • क्रेडिट लाइन समझौता: वियतनाम की समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने के लिए 300 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। 
      • यह पहल वियतनाम की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए महत्त्वपूर्ण है, जिससे वह दक्षिण चीन सागर के विवादास्पद जल में अपने हितों की रक्षा कर सकेगा।
  • सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान: दोनों पक्षों ने लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान के महत्व पर प्रकाश डाला।

वियतनाम-भारत संबंध

  • राजनयिक संबंध: भारत एवं वियतनाम ने वर्ष 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित किए तथा तब से दोनों देशों के संबंध मजबूत होते गए हैं।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: दोनों देश समान ऐतिहासिक अनुभव साझा करते हैं, विशेषकर औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए अपने संघर्ष में।
  • द्विपक्षीय संबंध: भारत एवं वियतनाम के बीच दीर्घकालिक तथा मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, जो इसे दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण साझेदारियों में से एक बनाता है।
  • रणनीतिक एवं व्यापक साझेदारी
    • वर्ष 2007 में भारत एवं वियतनाम के बीच संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया गया।
    • वर्ष 2016 में, साझेदारी को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया गया, जो दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों को दर्शाता है।
  • आर्थिक सहयोग: पिछले 20 वर्षों में भारत और वियतनाम के बीच व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2000 में 200 मिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2019-2020 वित्तीय वर्ष में 12.3 बिलियन डॉलर हो गया है। 
    • वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए द्विपक्षीय व्यापार लगभग 14.82 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया। 
    • व्यापार का विवरण: भारत का वियतनाम को निर्यात लगभग 5.47 बिलियन डॉलर था। 
      • वियतनाम से भारत में आयात कुल लगभग 9.35 बिलियन डॉलर था।
  • रक्षा सहयोग: भारत और वियतनाम ने ‘वर्ष 2030 के लिए भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी पर संयुक्त विजन वक्तव्य’ (Joint Vision Statement on India-Vietnam Defense Partnership towards 2030) और आपसी रसद समर्थन (Mutual Logistics Support) पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
    • वियतनाम-भारत द्विपक्षीय सेना अभ्यास (Vietnam-India Bilateral Army Exercise- VINBAX): एक नियमित संयुक्त सैन्य अभ्यास।
    • आईएनएस कृपाण (INS Kirpan) का उपहार: भारत ने वियतनाम को सेवा में मौजूद मिसाइल कोर्वेट आईएनएस कृपाण उपहार में दिया।

भारत और वियतनाम के बीच बढ़ते व्यापार का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए लाभ

  • रोजगार सृजन: व्यापार बढ़ने से अक्सर विनिर्माण, परिवहन एवं लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में अधिक नौकरियाँ उत्पन्न होती हैं। चूँकि भारत वियतनाम को अधिक निर्यात करता है, यह भारतीय श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न कर सकता है।  
  • आर्थिक विकास: उच्च निर्यात का मतलब है भारतीय अर्थव्यवस्था में अधिक पैसा आना। इससे समग्र आर्थिक वृद्धि एवं विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
  • विदेशी निवेश: वियतनाम की बढ़ती अर्थव्यवस्था एवं भारत के साथ बढ़ता व्यापार भारत में अधिक विदेशी निवेश आकर्षित कर सकता है, जिससे व्यवसायों तथा बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिए पूँजी उपलब्ध होगी।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: अर्द्धचालक, डिजिटल परिवर्तन एवं हरित प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग से ज्ञान साझाकरण तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हो सकता है, जिससे भारत की तकनीकी प्रगति को लाभ होगा।
    • इससे ई-कॉमर्स, फिनटेक एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में मदद मिलेगी।
  • व्यापार में घाटा कम होना: हालाँकि भारत का वर्तमान में वियतनाम के साथ व्यापार घाटा बना हुआ है, बढ़े हुए निर्यात से इस अंतर को कम करने एवं भारत के व्यापार संतुलन में सुधार करने में मदद मिल सकती है।

चुनौतियाँ

  • व्यापार असंतुलन: यदि वियतनाम से आयात वियतनाम को निर्यात की तुलना में तेजी से बढ़ता है, तो व्यापार असंतुलन का खतरा है, जिससे संभावित रूप से भारत के लिए उच्च व्यापार घाटा हो सकता है।
  • प्रतिस्पर्द्धा: भारतीय व्यवसायों को वियतनामी उत्पादों से कड़ी प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ सकता है, खासकर कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कृषि जैसे क्षेत्रों में।
  • नियामक बाधाएँ: दोनों देशों के बीच नियामक मानकों एवं प्रथाओं में अंतर एक-दूसरे के बाजारों में प्रवेश करने वाले व्यवसायों के लिए बाधाएँ पैदा कर सकता है।
  • रसद एवं बुनियादी ढाँचा: अपर्याप्त रसद एवं बुनियादी ढाँचा भारत तथा वियतनाम के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं के कुशल प्रवाह में बाधा बन सकता है।
  • गुणवत्ता मानक: यह सुनिश्चित करना कि उत्पाद दोनों देशों के गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हैं, चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर छोटे एवं मध्यम आकार के उद्यमों के लिए।
  • भू-राजनीतिक तनाव: भू-राजनीतिक मुद्दे, विशेष रूप से चीन से जुड़े मुद्दे, व्यापार संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं एवं अनिश्चितताएँ पैदा कर सकते हैं।

आगे की राह

भारत और वियतनाम के बीच 20 अरब डॉलर के व्यापार के लक्ष्य को हासिल करने के लिए दोनों देश विभिन्न कदम उठा सकते हैं:-

  • व्यापार समझौतों को मजबूत बनाना: मौजूदा व्यापार समझौतों को बढ़ाना और टैरिफ तथा गैर-टैरिफ बाधाओं के बोझ को कम करने के लिए नियम बनाना। 
    • सुचारू ग्राहक प्रक्रिया स्थापित करने के लिए विनियामक ढाँचे को सुव्यवस्थित करना। 
  • बुनियादी ढाँचे का विकास: बंदरगाहों, राजमार्गों और रसद नेटवर्क जैसे दो देशों के बीच संपर्क बढ़ाने वाली बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में निवेश करना। 
    • ई-कॉमर्स और डिजिटल व्यापार का समर्थन करने के लिए डिजिटल बुनियादी ढाँचे को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए। 
  • क्षमता निर्माण
    • प्रशिक्षण कार्यक्रम: गुणवत्ता मानकों, बाजार पहुँच और निर्यात तत्परता में कौशल में सुधार के लिए कार्यशालाओं और प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन करना।
    • ज्ञान का आदान-प्रदान: विशेषज्ञता बढ़ाने के लिए देशों के बीच तकनीकी सहयोग और ज्ञान साझा करना।
  • नीतिगत समर्थन
    • सहायक नीतियाँ: सुनिश्चित करना कि सरकारी नीतियाँ लगातार व्यापार और निवेश को बढ़ावा दें।
    • बाधाओं को दूर करना: व्यापार वृद्धि में बाधा डालने वाले किसी भी नीतिगत मुद्दे की पहचान करें और उसका समाधान करना।
  • सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान
    • आदान-प्रदान को बढ़ावा देना: लोगों के बीच मजबूत रिश्ते और समझ बनाने के लिए सांस्कृतिक और शैक्षिक कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना।
    • भाषा और संस्कृति: व्यावसायिक बातचीत को आसान बनाने के लिए भाषा सीखने और सांस्कृतिक जागरूकता पहलों का समर्थन करना।

वियतनाम: एक अवलोकन

  • अवस्थिति
    • दक्षिण-पूर्व एशिया में अवस्थित है।
    • सीमावर्ती क्षेत्र 
      • उत्तर: चीन। 
      • उत्तर-पश्चिम: लाओस।
      • दक्षिण-पश्चिम: कंबोडिया।
      • पूर्व एवं दक्षिण: दक्षिण चीन सागर।
  • राजधानी: हनोई
  • प्रमुख नदियाँ
    • दक्षिण में मेकांग नदी।
    • उत्तर में लाल नदी (Red River)।
    • दोनों नदियाँ दक्षिण चीन सागर में बहती हैं।
  • मुद्रा: वियतनामी डोंग (VND)।

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