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भारत-बांग्लादेश संबंध (India-Bangladesh relations)

Samsul Ansari January 08, 2024 03:35 638 0

संदर्भ

हाल ही में बांग्लादेश में संपन्न हुए आम चुनावों में विपक्षी दलों के बहिष्कार के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग पार्टी को लगातार चौथी बार विजय प्राप्त हुई।

संबंधित तथ्य:

  • बांग्लादेश में सत्तारूढ़ और विपक्षी दल: प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग (Awami League-AL) पार्टी वर्ष 2009 से बांग्लादेश पर शासन कर रही है।
  • पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्त्व वाले मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (Bangladesh Nationalist Party-BNP) ने चुनाव का बहिष्कार किया।
    • BNP ने वर्ष 2001 से 2006 के बीच बांग्लादेश पर शासन किया गया।
  • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव: अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसी बाह्य अंतरराष्ट्रीय शक्तियों ने बांग्लादेश पर स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने के लिये दबाव डाला है, जिससे विपक्षी दल को भी प्रतिस्पर्धा करने का एक उचित अवसर प्राप्त हो।
  • असंतोष का दमन (Suppression of Dissent): बांग्लादेश की वर्तमान सरकार विपक्षी सदस्यों की गिरफ्तारी की अनुमति देकर उनके असंतोष को दबा रही है साथ ही विपक्षी समर्थकों को डरा-धमकाकर और हिंसक तरीके से हमला करके उनके अभियान को बाधित किया जा रहा है।
    • विरोध प्रदर्शनों और बहिष्कारों के साथ भ्रष्टाचार और मुद्रास्फीति जैसी चिंताओं को भी जोड़कर देखा जा रहा है। 
  • भारत के लिए चुनावों का महत्त्व: भारत के लिए बांग्लादेश के हालिया चुनाव काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना का समर्थन करता है तथा शेख हसीना ने पिछले कई वर्षों में दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण और पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंधों को समर्थन दिया है।
    • वह शेख मुजीबुर रहमान की पुत्री हैं, जो बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति और अवामी लीग के अध्यक्ष थे।
    • 17 अप्रैल, 1971 से 15 अगस्त, 1975 को हत्या होने तक इन्होंने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।

बांग्लादेश के राजनीतिक दल और इसका भारत पर प्रभाव:

  • अवामी लीग:
    • वृद्धि और विकास में भारत के साथ सहयोग: वर्ष 2009 से बांग्लादेश पर शासन करने वाली प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग (AL) पूरे बांग्लादेश में अपना प्रभुत्त्व बनाए हुए है।
      • भारत और बांग्लादेश के मजबूत संबंध विकास एवं प्रगति में सहयोग पर आधारित हैं।
    • सुरक्षा खतरों के खिलाफ कार्रवाई: पूर्वी सीमा पर सक्रिय आतंकवादी और उग्रवादी समूहों से निपटने के लिए भारत ने जो सक्रिय कार्यवाही की, इससे सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का काफी हद तक समाधान हुआ है।
      • इसने बांग्लादेश में सक्रिय नृजातीय विद्रोही समूहों (Ethnic Insurgent Groups) के खिलाफ कार्रवाई की जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में अस्थिरता को बढ़ाने में शामिल रहते हैं।
      • वर्ष 2013 में भारत ने आतंकवादियों के प्रत्यर्पण के लिए बांग्लादेश के साथ एक प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
      • इसके बाद बांग्लादेश ने अलगाववादी समूह [यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (United Liberation Front of Asom-ULFA)] के प्रमुख नेताओं को भारत को सौंप दिया, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत से पृथक एक स्वतंत्र असम की स्थापना करना था।
    • भारत-विरोधी उग्रवादी समूहों के विरुद्ध कार्यवाही:  बांग्लादेश ने उन भारत-विरोधी उग्रवादी समूहों की गतिविधियों पर नियंत्रण स्थापित किया  है जो वहाँ प्रशिक्षण शिविर संचालित करते थे और बांग्लादेशी क्षेत्र के मार्गों के माध्यम से हथियारों का परिवहन करते थे।
    • भूमि सीमा संबंधी समझौता: इस ऐतिहासिक समझौते के तहत दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के समाधान के लिये साझा प्रयास किये गए। भारत से बांग्लादेश को कुल 17,160.63 एकड़ क्षेत्रफल के 111 अलग-अलग क्षेत्रों/भूमि के हिस्सों के हस्तांतरण को सुगम बनाया गया। इसके साथ ही भारत को बांग्लादेश में स्थित 51 अलग-अलग क्षेत्र प्राप्त हुए, जिनका कुल क्षेत्रफल 7,110.02 एकड़ था।
    • ऋण सहायता: वर्ष 2010 में, शेख हसीना की भारत यात्रा के दौरान भारत ने अपने विकास सहायता कार्यक्रम के तहत बांग्लादेश को $1 बिलियन का ऋण प्रदान किया। वर्तमान में बांग्लादेश भारत से सबसे बड़ा सहायता प्राप्तकर्ता देश है, जिसे $8-9 बिलियन की सहायता राशि प्रदान की जा रही है।
    • गंगा जल संधि: वर्ष 1996 में प्रधानमंत्री के रूप में शेख हसीना के पहले कार्यकाल के दौरान, दोनों देशों ने गंगा नदी के जल बंटवारे के लिए गंगा जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
    • उत्तर पूर्वी राज्यों से कनेक्टिविटी: बांग्लादेश के रास्ते से भारत की पूर्वोत्तर क्षेत्र तक पहुँच सिलीगुड़ी कॉरिडोर [जिसे सामान्यतः चिकन नेक क्षेत्र (Chicken’s Neck Region) कहा जाता है] पर भारत की पहुँच संबंधी सुभेद्यता (Vulnerability) को कम करता है।

  • बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) गठबंधन:
    • भारत के प्रति दुर्भावना: BNP गठबंधन बांग्लादेश का मुख्य विपक्षी दल है, जिसे जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) जैसी कट्टरपंथी, रूढ़िवादी राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है। इसका रुझान भारत विरोधी रहा है तथा ऐसा माना जाता है कि इसका संबंध पाकिस्तान के ISI से है।
    • इस्लामी कट्टरपंथियों को समर्थन: इसने कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा का समर्थन किया है जो भारत की कई नीतियों के आलोचक रहे हैं और भारत पर मुसलमानों के हितों के खिलाफ कार्य करने का आरोप लगाते हैं।
    • भारत विरोधी गतिविधियों का समर्थन: खालिदा जिया के नेतृत्व वाले BNP के बांग्लादेशी इस्लामिक कट्टरपंथी समूहों के साथ घनिष्ठ संबंध है।
      • इसने बांग्लादेश में शरण लेने की कोशिश कर रहे ULFA जैसे भारत विरोधी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था। माना जाता है कि जिया और BNP भारत के रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी चीन के साथ मजबूत रिश्ते विकसित कर रहे हैं।
    • चीन के साथ BNP के संबंध: BNP ने भारत के रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी चीन के साथ मजबूत संबंध विकसित किए हैं।

भारत-बांग्लादेश संबंध: 

दोनों पड़ोसी देशों के बीच वर्तमान संबंधों को ‘सोनाली अध्याय’ या ‘स्वर्णिम अध्याय’ के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति की सफलता का प्रतीक है। इन संबंधों के आयाम इस प्रकार हैं:

  • व्यापार: बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। भारत एशिया में बांग्लादेश का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य भी है।
    • द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2020-21 में $9.69 बिलियन था जो वित्त वर्ष 2021-22 में  बढ़कर $16.15 बिलियन हो गया है।
  • विकासात्मक परियोजनाएँ: भारत अपनी ऋण सहायता (Line of Credit) योजना के माध्यम से बांग्लादेश में विभिन्न बुनियादी ढांचे और संपर्क परियोजनाओं को वित्त पोषण कर रहा है। अब तक कुल राशि $8 बिलियन से अधिक हो गई है और यह ऋण बहुत कम ब्याज दर पर दिया जा रहा है।
    • भारत ने पद्मा पुल के निर्माण के लिए भी अनुदान प्रदान किया है जो भारत और बांग्लादेश के उत्तर और दक्षिण क्षेत्रों के बीच महत्वपूर्ण रेल-सड़क संपर्क प्रदान करेगा।
  • संपर्क परियोजनाएँ: इसमें अगरतला (भारत के त्रिपुरा में) और अखौरा (बांग्लादेश में) के बीच मल्टी मॉडल सड़क-रेल लिंक, चिल्हाटी और हल्दीबाड़ी के बीच पुराने रेल लिंक को फिर से शुरू करना और ढाका से शिलांग, अगरतला और कोलकाता तक बस कनेक्टिविटी शामिल है।
  • जलमार्ग संपर्क: त्रिपुरा से बांग्लादेश तक माल और यात्रियों की आवाजाही की सुविधा के लिए फेनी नदी पर नए पुल का निर्माण किया गया है।
  • ऊर्जा: भारत द्वारा बांग्लादेश के पाबना जिले के रूपपुर में परमाणु ऊर्जा संयंत्र सुविधाओं की स्थापना और निर्माण किया जा रहा है। 
  • बांग्लादेश भारत से लगभग 2,000 मेगावाट बिजली का आयात कर रहा है।

संबंधों में चुनौतियाँ:

  • अमेरिका द्वारा प्रतिबंध: अवामी लीग द्वारा चुनाव के दौरान अपनाई गई ‘अलोकतांत्रिक’ प्रक्रियाओं पर संयुक्त राज्य अमेरिका ने खुले तौर पर अपना असंतोष व्यक्त किया है।
    • बांग्लादेश पर संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिबंध से बांग्लादेश की चीन पर निर्भरता बढ़ सकती है।
    • कई पश्चिमी देशों ने मानवाधिकारों के हनन और न्यायेतर हत्याओं (Extrajudicial killings) का हवाला देते हुए बांग्लादेश पर प्रतिबंध लगाने की वकालत की है।
  • चीनी कारक: बांग्लादेश चीन के साथ रणनीतिक रूप से जुड़ रहा है, BRI (Belt and Road Initiative) वित्त पोषित बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में निवेश $10 बिलियन से अधिक हो गया है।
    • बांग्लादेश और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022 में $25 बिलियन से अधिक हो गया है। 
    • वर्तमान में बांग्लादेश भारत से 1,160 मेगावाट बिजली का आयात करता है, लेकिन इसने वर्ष 2021 तक 1,845 मेगावाट घरेलू बिजली उत्पादन के लिए लगभग $450 मिलियन के चीनी निवेश को आकर्षित किया है।
  • अल्पसंख्यक संबंधी चिंताएँ: बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यक आबादी के अत्याचारों का सामना करना पड़ रहा है।
    • देश की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी महज 8% है।
  • बांग्लादेश से अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के प्रवाह संबंधी चिंताएँ: बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल और असम में अवैध प्रवासियों के प्रवाह ने जनसांख्यिकीय चुनौतियाँ पैदा की हैं जिसके कारण भारतीय नागरिकों के लिए संसाधनों पर दबाव बढ़ा है।
  • अवैध प्रवासन और मानव तस्करी: अवैध घुसपैठ और मानव तस्करी में शामिल रैकेट दोनों तरफ सक्रिय हैं।
    • हाल ही में सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force-BSF) की मानव तस्करी रोधी इकाई (Anti-Human Trafficking Unit) ने दो बांग्लादेशी और एक भारतीय महिला को मानव तस्करों के चंगुल से बचाया है।
    • BSF के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के अनुसार, जनवरी से नवंबर 2023 के बीच 2,345 लोगों को अवैध रूप से सीमापार करने के आरोप में पकड़ा गया है। 
  • माल की तस्करी: संपूर्ण सीमा पर कई प्रकार की वस्तुओं का अवैध रूप से व्यापार किया जाता है।
    • एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2014 में भारत से बांग्लादेश को होने वाला अवैध निर्यात लगभग $4 अरब का था, जो लगभग औपचारिक व्यापार की मात्रा के बराबर है।
    • भारत-बांग्लादेश सीमा पर सोने और नकली भारतीय मुद्रा नोटों (Fake Indian Currency Notes-FICN) की बड़े पैमाने पर तस्करी हो रही है।
    • वर्ष 2022 में दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने लगभग 114 किलोग्राम सोना जब्त किया और नकली मुद्रा की तस्करी वर्ष 2022 के 3.33 लाख रुपये से बढ़कर नवंबर 2023 में 15.86 लाख रुपये तक पहुँच गई।
  • नशीली दवाओं की तस्करी: बांग्लादेश को ड्रग तस्करों और ड्रग माफियाओं के लिए एक पारगमन बिंदु (Transit point) के रूप में प्रयोग किया जा रहा है, जो बर्मा और स्वर्ण त्रिकोण (गोल्डन ट्राएंगल) के अन्य देशों से हेरोइन और अफीम को विभिन्न गंतव्य स्थानों तक पहुँचाते हैं।
  • मवेशी तस्करी: भारत-बांग्लादेश सीमा के छिद्रपूर्ण होने के कारण प्रत्येक वर्ष 20 लाख से अधिक भारतीय मवेशियों की बांग्लादेश में तस्करी की जाती है।
  • जल बँटवारे का मुद्दा: हिमालय से निकलकर सिक्किम और पश्चिम बंगाल से होते हुए भारत के असम में ब्रह्मपुत्र (बांग्लादेश में जमुना) में मिलने वाली तीस्ता नदी भारत और बांग्लादेश, दोनों मित्र देशों के बीच विवाद का एक प्रमुख मुद्दा है।

आगे की राह:

  • द्विपक्षीय समर्थन सुनिश्चित करना (Securing Bipartisan Support): भारत का आधिकारिक रुख बांग्लादेश में सत्ता संभालने वाले किसी भी व्यक्ति के साथ जुड़ने का है और भरता ने कई मौकों पर ‘खालिदा जिया’ तक भी अपनी पहुँच स्थापित की है।
    • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में अपनी बांग्लादेश यात्रा के दौरान खालिदा जिया (BNP की नेता) से मुलाकात की( खालिदा जिया ने वर्ष 2012 में भारत की यात्रा की थी)। भारत की यात्रा के दौरान उन्होंने कहा था कि तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के साथ यह चर्चा एक नए दौर की शुरुआत” है।
  • अवैध प्रवास के मुद्दे को संबोधित करना: अवैध प्रवास के मुद्दे को हल करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अवैध प्रवासियों को मतदान का अधिकार और भारतीय राष्ट्रीयता प्राप्त न हो।
    • केंद्रीय गृह मंत्रालय की 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 4,000 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने और सड़क निर्माण का कार्य मार्च, 2024 तक पूरा हो जाएगा।
  • सुरक्षा सहयोग: सुरक्षा सहयोग को संस्थागत बनाने की आवश्यकता है ताकि यह किसी भी देश में किसी विशेष सरकार के कार्यकाल तक ही सीमित न रहे।
  • जल बँटवारा संबंधी मुद्दा: द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि और जल बँटवारे संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर करके एकनई शुरुआत की जा सकती है। साथ ही तीस्ता मुद्दे का शीघ्र समाधान भी आवश्यक है। 
  • नागरिक संपर्क: लोगों-से-लोगों (पीपुल टू पीपुल) के आपसी संपर्क को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इसके लिए एक उदार वीजा प्रणाली लागू की जानी चाहिए।

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