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भारत-कनाडा संबंध

Lokesh Pal October 17, 2024 03:09 193 0

संदर्भ 

हाल ही में भारत ने छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित करने का आदेश दिया और अन्य ‘लक्षित राजनयिकों’ के साथ-साथ कनाडा में अपने उच्चायुक्त को भी वापस बुलाने की घोषणा की। 

हालिया घटनाएँ और कूटनीतिक तनाव

  • हरदीप सिंह निज्जर की हत्या
    • कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 सितंबर, 2023 को संसद को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से भारतीय सरकारी एजेंटों को जोड़ने वाले ‘विश्वसनीय आरोपों’ के बारे में सूचित किया। 
      • एक कनाडाई नागरिक और खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ता, जो भारत में अलगाववाद को बढ़ावा देने में शामिल था।
    • भारत ने आरोपों का खंडन करते हुए कनाडा पर अपने नागरिकों को हिंसक अलगाववाद (खालिस्तान आंदोलन) को बढ़ावा देने की अनुमति देने का आरोप लगाया।
  • राजनीतिक तनाव में वृद्धि
    • शुरुआत में यह मुद्दा कूटनीतिक चर्चा तक ही सीमित था, लेकिन बाद में यह व्यक्तिगत राजनीतिक हमलों में बदल गया। यह बदलाव भविष्य के कूटनीतिक प्रयासों को जटिल बनाता है। 
    • ट्रूडो ने इस मामले पर सार्वजनिक रूप से चर्चा की, जिसमें 12 अक्टूबर, 2024 को सिंगापुर में भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके कनाडाई समकक्ष के बीच बैठक भी शामिल है।
  • कूटनीतिक परिणाम
    • कनाडा ने भारत से छह भारतीय राजनयिकों की राजनयिक छूट हटाने को कहा, जिसे भारत ने अस्वीकार कर दिया।
    • प्रत्युत्तर के रूप में भारत ने राजनयिकों को वापस बुला लिया और छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया।
    • इससे पहले भारत ने कनाडा से भारत में अपनी राजनयिक उपस्थिति कम करने को भी कहा था।

संबंध में प्रमुख मुद्दे और विसंगतियाँ

  • राजनयिक प्रतिरक्षा और आरोप
    • कनाडा का दावा है कि छह भारतीय राजनयिक अवैध खुफिया जानकारी जुटाने में शामिल थे।
    • भारत ने इसे निराधार और ‘दुष्प्रचार’ बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की और इस बात पर जोर दिया कि राजनयिक छूट एक मानक मानदंड है।

  • खालिस्तान आंदोलन
    • भारत खालिस्तान समर्थकों के प्रति कनाडा की नरम रवैये की आलोचना करता है, उनकी गतिविधियों को भारत की क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा मानता है।
    • कनाडाई अधिकारियों का तर्क है कि ये गतिविधियाँ चिंताजनक होते हुए भी कनाडा के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कानूनों के तहत वैध हैं।
  • पश्चिमी लोकतंत्रों के दोहरे मापदंड
    • कनाडा सहित पश्चिमी देशों की विडंबना यह है कि जब उनके सुरक्षा हित खतरे में होते हैं तो वे अक्सर मौलिक स्वतंत्रता की अवहेलना करते हैं।
    • भारत के घरेलू मुद्दों पर जस्टिन ट्रूडो की पिछली टिप्पणियों को भारत अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के रूप में देखता है।

राजनयिक प्रतिरक्षा (Diplomatic Immunity)

  • राजनयिक प्रतिरक्षा: अंतरराष्ट्रीय कानून का सिद्धांत (Principle of international law) जिसके अनुसार, विदेशी सरकारी अधिकारी अपनी आधिकारिक एवं व्यक्तिगत गतिविधियों दोनों के लिए स्थानीय न्यायालयों एवं अन्य प्राधिकरणों के अधिकार क्षेत्र के अधीन नहीं हैं।
  • राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन, 1961 (Vienna Convention on Diplomatic Relations, 1961): राजनयिक कर्मचारियों को विशेषाधिकार और प्रतिरक्षा प्रदान करता है।
    • भारत ने वर्ष 1965 में इसे स्वीकार किया और वर्ष 1972 में राजनयिक संबंध (वियना कन्वेंशन) अधिनियम 1972 [Diplomatic Relations (Vienna Convention) Act of 1972] के माध्यम से इसकी पुष्टि की। 
  • राजनयिक संबंधों की समाप्ति संबंधी अभिसमय: अभिसमय राष्ट्रों के बीच राजनयिक संबंधों की समाप्ति के लिए प्रक्रियाओं की रूपरेखा तैयार करता है, जिसमें राजनयिक एजेंट की वापसी और राजनयिक मिशन का समाप्त होना शामिल है।
  • वाणिज्यदूतीय संबंध (Consular Relations): वर्ष 1963 में अपनाया गया वियना वाणिज्यदूतीय संबंध अभिसमय (Vienna Convention on Consular Relations), राष्ट्रों के बीच कांसुलर संबंधों के लिए नियम स्थापित करके VCDR का पूरक है।
    • हालाँकि VCDR मुख्य रूप से राजनयिक मिशनों से संबंधित है।
    • कांसुलर संबंधों पर कन्वेंशन कांसुलर मिशनों और अधिकारियों पर केंद्रित है।

हाल के मुद्दों के कारण प्रभाव एवं चिंताएँ

आर्थिक संबंधों पर प्रभाव

  • भारत में कनाडा का निवेश
    • कनाडा ने भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग 75 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, विशेष तौर पर बुनियादी ढाँचे, वित्तीय सेवाओं, फिनटेक, रियल एस्टेट आदि में।
    • प्रमुख निवेशकों में ‘कैनेडियन पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड’ (CPPIB) और ‘कैस डे डेपोट एट प्लेसमेंट डु क्यूबेक’ (CDPQ) शामिल हैं।
    • भारत में 600 कनाडाई कंपनियाँ मौजूद हैं और 1,000 से ज्यादा कनाडाई फर्म कारोबार कर रही हैं।
  • विफल हुए व्यापार समझौते
    • भारत और कनाडा के बीच मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement- FTA) पर बातचीत रुकी हुई है।
    • FTA से भारतीय परिधानों, फार्मास्यूटिकल्स और मशीनरी के निर्यात में वृद्धि होगी, साथ ही सेवाओं में अधिक सहयोग होगा।
  • न्यूनतम व्यापार प्रभाव: राजनीतिक तनाव के बावजूद, निजी क्षेत्र ने व्यापार प्रवाह को बनाए रखा है।
    • अभी तक किसी भी देश द्वारा कोई बड़ा व्यापार प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।

रणनीतिक चिंताएँ

  • भू-राजनीतिक बदलाव: यूरोपीय संघ और ब्रिटेन सहित अन्य पश्चिमी देशों के साथ आर्थिक संबंधों को गहरा करने का भारत का प्रयास, कनाडा के साथ बिगड़ते संबंधों से होने वाले किसी भी नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकता है।
  • पश्चिमी समर्थन: कनाडा के आरोपों का मुकाबला करने और अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए भारत के प्रमुख पश्चिमी सहयोगियों के साथ जुड़ने की संभावना है।

भविष्य के संभावित प्रभाव

  • दीर्घकालिक कूटनीतिक परिणाम: आपसी तनाव बढ़ने से रिश्ते खराब हो सकते हैं, जिससे द्विपक्षीय व्यापारिक जुड़ाव, व्यापार, धन प्रेषण और शैक्षिक सहयोग प्रभावित हो सकता है।
  • निवेश में बदलाव: आपसी तनाव के बावजूद, भारतीय बाजार वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षक बना हुआ है और कनाडाई निवेश सिंगापुर या यूएई जैसे अन्य देशों के माध्यम से फिर से आ सकता है।

राजनयिक संबंधों में पारस्परिकता का सिद्धांत (Principle of reciprocity in diplomatic relations)

  • अंतरराष्ट्रीय कानून में पारस्परिकता के सिद्धांत में विदेशियों को नागरिकों के बराबर माना जाता है, जो विशिष्ट अंतर-सरकारी समझौतों द्वारा प्रदान और विनियमित होते हैं।
  • इसमें कानून में विशिष्ट संबंधों के कानूनी प्रभावों के आवेदन की अनुमति देना शामिल है, जब ये प्रभाव विदेशी देशों द्वारा समान रूप से स्वीकार किए जाते हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय कानून में, पारस्परिकता का अर्थ राज्यों के बीच समानता और आपसी सम्मान का अधिकार है।
  • यह इस विचार पर आधारित है कि एक पक्ष द्वारा की गई कार्रवाइयों और रियायतों का दूसरे पक्ष द्वारा समान प्रतिक्रिया के साथ सामना किया जाना चाहिए।

द्विपक्षीय संबंध

  • भारत ने वर्ष 1947 में कनाडा के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए।
  • कनाडा भारत के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े पहले देशों में से एक था, लेकिन वर्ष 1974 में भारत के परमाणु परीक्षणों के बाद यह संबंध टूट गया।
  • अप्रैल 2015 में, द्विपक्षीय संबंध को रणनीतिक साझेदारी में बदल दिया गया।
  • द्विपक्षीय तंत्र: दोनों पक्ष संवाद तंत्रों के माध्यम से द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाते हैं जैसे-
    • मंत्रिस्तरीय स्तर- रणनीतिक, व्यापार और ऊर्जा संवाद
    • विदेश मामलों के कार्यालय के मध्य संवाद
    • अन्य क्षेत्र-विशिष्ट संयुक्त कार्य समूह (JWG)।
  • वाणिज्य दूतावास मामले: वर्ष 1994 में पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (Mutual Legal Assistance Treaty) और वर्ष 1987 में प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaty) पर हस्ताक्षर किए गए। 
  • परमाणु सहयोग समझौता (Nuclear Cooperation Agreement): वर्ष 2010 में हस्ताक्षरित जिसके तहत असैन्य परमाणु सहयोग पर संयुक्त समिति (Committee on Civil Nuclear Cooperation) की स्थापना की गई।
  • व्यापार सांख्यिकी और निर्भरताएँ
    • भारत, कनाडा का 10वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।
      • वित्त वर्ष 2024 में द्विपक्षीय व्यापार: 8.4 बिलियन डॉलर।
      • वर्ष 2023 में गिरावट का रुख दिखा (वर्ष 2022 में 10.50 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 7.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर)।

    • कनाडा को भारत का कुल निर्यात: वर्ष 2022-23 में 4.10 बिलियन अमेरिकी डॉलर।
      • कनाडा को भारत के निर्यात की प्रमुख वस्तुएँ: रत्न, आभूषण और कीमती पत्थर, दवा उत्पाद, रेडीमेड वस्त्र, यांत्रिक उपकरण, लोहा और इस्पात के सामान, आदि।
    • कनाडा से भारत का आयात: वर्ष 2022-23 में 4.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग निर्यात के बराबर)।
      • कनाडा से भारत का आयात: दालें, अखबारी कागज, लुगदी, अभ्रक, पोटाश, लौह स्क्रैप, ताँबा, खनिज और औद्योगिक रसायन आदि।
  • भारत में कनाडा का निवेश
    • भारत में 18वाँ सबसे बड़ा विदेशी निवेशक, जो भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह का 0.5 प्रतिशत है।
      • कनाडा के पेंशन फंड ने भारत में संचयी रूप से लगभग 55 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है।
      • वर्ष 2000 से अब तक कनाडा का भारत में कुल FDI लगभग 4.07 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
      • भारत में कनाडा के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में सेवाओं और बुनियादी ढाँचे का योगदान करीब 41 प्रतिशत है।
    • दोनों पक्ष वस्तुओं, सेवाओं, निवेश, व्यापार सुविधा आदि में व्यापार सहित एक व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (Comprehensive Economic Partnership Agreement- CEPA) के लिए तकनीकी वार्ता में लगे हुए हैं। 
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग
    • IC-IMPACTS (सामुदायिक परिवर्तन और स्थिरता में तेजी लाने के लिए अभिनव बहुविषयक भागीदारी के लिए भारत-कनाडा केंद्र- India-Canada Centre for Innovative Multidisciplinary Partnerships to Accelerate Community Transformation and Sustainability) कनाडा-भारत अनुसंधान उत्कृष्टता का एकमात्र केंद्र है, जो कनाडा और भारत के बीच अनुसंधान सहयोग के विकास के लिए समर्पित है।
    • पृथ्वी विज्ञान विभाग और पोलर कनाडा (Polar Canada) ने शीत जलवायु (आर्कटिक) अध्ययन पर ज्ञान और वैज्ञानिक अनुसंधान के आदान-प्रदान के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है।
  • अंतरिक्ष सहयोग
    • ISRO और CSA (कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी) ने बाहरी अंतरिक्ष की खोज और उपयोग के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं और विशेष रूप से उपग्रह ट्रैकिंग तथा अंतरिक्ष खगोल विज्ञान को संबोधित करने वाली दो कार्यान्वयन व्यवस्थाओं पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं।
    • इसरो की वाणिज्यिक शाखा ANTRIX ने कई कनाडाई उपग्रहों को लॉन्च किया है।
      • इसरो ने वर्ष 2018 में PSLV से अपना 100वाँ उपग्रह प्रक्षेपित किया, साथ ही कनाडा का पहला LEO (लो अर्थ ऑर्बिट) उपग्रह भी प्रक्षेपित किया।

भारतीय प्रवासी और धनप्रेषण

  • कनाडा में अप्रवासी भारतीयों की एक बड़ी आबादी निवास करती है, जिसमें भारतीय मूल के 16 लाख लोग रहते हैं, जो कुल कनाडाई जनसंख्या का 3 प्रतिशत से अधिक है तथा 7,00,000 अनिवासी भारतीय हैं।
    • वर्ष 2021 की कनाडाई जनगणना के अनुसार, सिख कनाडा की आबादी का 2.1 प्रतिशत हैं और वे देश के सबसे तेजी से बढ़ते धार्मिक समूह हैं। 
    • भारत के बाद, कनाडा दुनिया में सिखों की सबसे बड़ी आबादी निवास करती है।

  • भारतीय छात्र
    • वर्ष 2022 के आँकड़ों के अनुसार, भारत कनाडा में अध्ययन करने वाले विदेशी छात्रों (कनाडा में सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों का लगभग 40 प्रतिशत) का शीर्ष स्रोत बन गया है, जिनकी संख्या 2.3 लाख है।
    • भारतीय छात्र कनाडा में अध्ययन कर रहे हैं और धन प्रेषण प्रवाह तथा कनाडा की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
  • कनाडा से धन प्रेषण: कनाडा ने वर्ष 2021-22 में कुल आवक धन प्रेषण में 0.6 प्रतिशत का योगदान दिया।

भारत द्वारा संभावित उपाय

  • शिक्षा क्षेत्र पर प्रभाव
    • भारत भारतीय छात्रों को कनाडा में पढ़ने से रोक सकता है।
    • कनाडा की शिक्षा प्रणाली को नुकसान पहुँचा सकता है, क्योंकि कनाडा में लगभग 25% विदेशी छात्र भारतीय हैं।
  • OCI (ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया) कार्ड रद्दीकरण
    • भारत खालिस्तान समर्थक भारतीय मूल के कनाडाई नागरिकों के OCI कार्ड रद्द कर सकता है, जिससे उन्हें आंदोलन में शामिल होने पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
  • संपत्ति और वीजा उपाय
    • भारत खालिस्तानी समर्थकों के संपत्ति अधिकारों को निलंबित कर सकता है।
    • अलगाववादी गतिविधियों में शामिल भारतीय मूल के कनाडाई नागरिकों के वीजा में देरी या उन पर जाँच बढ़ा सकता है।
    • भारत भारतीय मूल के संदिग्ध कनाडाई नागरिकों के लिए बहु-प्रवेश वीजा को भी निलंबित कर सकता है।
  • व्यापार प्रतिबंध
    • भारत, कनाडा पर व्यापार प्रतिबंध लगा सकता है।
    • कनाडा, भारत के शीर्ष-10 व्यापारिक साझेदारों में से एक है, लेकिन भारत का कनाडा के साथ व्यापार अधिशेष है।
    • भारत, कनाडा के वित्तीय संस्थानों के भारत में निवेश को रोक सकता है (कनाडाई पेंशन फंडों की भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ी हिस्सेदारी है)।

भारत-कनाडा संबंधों के लिए आगे की राह

  • कूटनीतिक जुड़ाव और संवाद: दोनों देशों को तनाव कम करने के लिए शांत कूटनीति और बैक-चैनल वार्ता को प्राथमिकता देनी चाहिए।
    • G20 और संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से निरंतर जुड़ाव, रचनात्मक संवाद के अवसर प्रदान कर सकता है।
  • आपसी सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करना: कनाडा को अपनी धरती पर सक्रिय खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ताओं जैसे भारत विरोधी तत्त्वों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। बदले में, भारत को कनाडा के अधिकारियों के साथ उनके द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों पर बातचीत करनी चाहिए और आरोपों को संबोधित करने में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए।
  • लोगों-से-लोगों के बीच संबंध: राजनयिक तनाव के बावजूद, कनाडा में भारतीय प्रवासी मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दोनों देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्रों, कुशल श्रमिकों और व्यवसायों पर राजनीतिक तनाव का प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
  • व्यापार और निवेश संबंधों की पुष्टि: मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर चर्चा फिर से शुरू करना और आर्थिक सहयोग के लिए नए रास्ते तलाशना संबंधों को स्थिर करने में सहायता कर सकता है।
    • भारत में कनाडा के निवेश और इसके विपरीत, पारस्परिक आर्थिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक संघर्षों से अलग रखा जाना चाहिए।
  • वैश्विक मुद्दों पर सहयोग: भारत और कनाडा जलवायु परिवर्तन, सतत् विकास और वैश्विक सुरक्षा जैसी साझा चिंताओं पर मिलकर कार्य कर सकते हैं।
  • संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखना: भारत को अपनी स्थिति स्पष्ट करने और कूटनीतिक अलगाव से बचने के लिए अपने पश्चिमी सहयोगियों के साथ बातचीत जारी रखनी चाहिए।
    • कनाडा को अपनी ओर से घरेलू राजनीति को विदेश नीति पर हावी होने देने के दीर्घकालिक भू-राजनीतिक परिणामों पर विचार करना चाहिए, विशेषकर भारत जैसी उभरती वैश्विक शक्ति के साथ।

निष्कर्ष

भारत-कनाडा संबंधों में मौजूदा तनाव को केवल सतत् कूटनीति, संप्रभुता के लिए आपसी सम्मान और साझा हितों पर व्यावहारिक सहयोग के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है। दोनों देशों को दीर्घकालिक रणनीतिक लाभों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि राजनीतिक मतभेद उनके ऐतिहासिक रूप से मजबूत संबंधों और आर्थिक साझेदारी को कमजोर न करें।

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