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भारत, चीन के बीच सीमा मामलों की 31वीं बैठक

Lokesh Pal August 31, 2024 04:51 159 0

संदर्भ 

भारत और चीन ने 29 अगस्त, 2024 को बीजिंग में भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (Working Mechanism for Consultation and Coordination- WMCC) की 31वीं बैठक आयोजित की। 

संबंधित तथ्य

  • राजनयिक संबंध: यह बैठक 31 जुलाई को आयोजित 30वीं WMCC बैठक के एक महीने के अंदर हो रही है, हालाँकि दोनों बैठकों के बीच कोर कमांडर स्तर की सैन्य वार्ता नहीं हुई हैं। 
  • संघर्ष समाधान के लिए रचनात्मक वार्ता: दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति से निपटने तथा लंबित मुद्दों का समाधान करने के लिए स्पष्ट, रचनात्मक और दूरदर्शी चर्चा की। 
  • संवर्द्धित संचार: उन्होंने राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से गहन संपर्क पर सहमति व्यक्त की। 
  • सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए समझौता: दोनों पक्षों ने प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौतों, प्रोटोकॉल और दोनों सरकारों के बीच हुई सहमति के अनुसार सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर शांति और सौहार्द को ‘संयुक्त रूप से बनाए रखने’ का निर्णय लिया। 
    • इस बात पर फिर से जोर दिया गया कि शांति और सौहार्द की पुनर्स्थापना तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा के प्रति सम्मान द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति की पुनर्स्थापना के लिए आवश्यक आधार हैं। 

कूटनीतिक प्रयास

  • हालिया राजनयिक बैठकें: दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की पिछले दो महीनों में दो बार मुलाकात हुई है। पहली मुलाकात जुलाई में SCO शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी तथा दूसरी मुलाकात पिछले सप्ताह लाओस के वियनतियाने (Vientiane) में हुई थी। 
  • सैन्य और कूटनीतिक प्रयास: दोनों देश पूर्वी लद्दाख में LAC पर गतिरोध को हल करने के प्रयासों के तहत सैन्य और कूटनीतिक स्तरों पर कोर कमांडर-स्तरीय तथा WMCC वार्ता कर रहे हैं। 
  • सैन्य वार्ता में सीमित प्रगति: कोर कमांडर वार्ता का 21वाँ दौर फरवरी में आयोजित किया गया था, हालाँकि दोनों पक्ष दो शेष विवादित क्षेत्रों में समाधान की दिशा में किसी सफलता तक नहीं पहुँच सके। 

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद निपटान तंत्र 

  • वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने पर समझौता: यह समझौता सीमा निर्धारण के संबंध में अंतिम निर्धारण होने तक पक्षों के बीच सीमा सुरक्षा के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है। 
    • दोनों पक्ष आपस में मैत्रीपूर्ण और अच्छे संबंधों के अनुरूप सैनिकों की संख्या कम करने पर सहमत हुए। 
    • विश्वास बहाली के उपाय: दोनों पक्षों ने LAC पर विश्वास बहाली के उपाय करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें सैन्य गतिविधियों की सूचना देना भी शामिल है। 
  • सैन्य विश्वास निर्माण उपायों पर समझौता (1996): समझौते की शुरुआत शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पाँच सिद्धांतों के उल्लेख के साथ हुई। 
    • सैन्य तैनाती विवरण साझा करना: इसका उद्देश्य सैन्य तैनाती को सीमित करना और LAC के निकट सैन्य अभ्यास, हवाई घुसपैठ, सैन्य विमानों की उड़ानों और लैंडिंग से निपटने के तरीके पर विवरण साझा करना है। 
    • इसका उद्देश्य LAC के निकट ‘खतरनाक सैन्य गतिविधियों’ को रोकना है, इसमें ‘फ्लैग मीटिंग और दूरसंचार’ जैसे CBM को शामिल किया गया है और LAC को गलती से पार करने की घटनाओं से निपटा गया है। 
    • LAC की धारणा: समझौते के अनुच्छेद-10 में LAC की भिन्न धारणा को संबोधित करने के लिए दोनों देशों के बीच मानचित्रों के आदान-प्रदान का उल्लेख किया गया है। 
  • सीमा रक्षा सहयोग समझौता (2013): इस समझौते में सीमा स्थिरता और सुरक्षा, सूचना विषमता, तस्करी, सामाजिक-आर्थिक पुनर्निर्माण, पर्यावरण और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर रोग संचरण को शामिल किया गया है।

भारत-चीन सीमा विवाद

  • सीमा विवाद: चीन के साथ भारत का सीमा विवाद सबसे जटिल और दीर्घकालिक है, जिसमें 3,440 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) शामिल है। 
    • यह विवाद ब्रिटिश उपनिवेशवाद की विरासत और वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध से उपजा है। 
  • गतिरोध: दोनों देशों के बीच LAC पर कई बार झड़पें और गतिरोध हुए हैं, जिनमें सबसे उल्लेखनीय वर्ष 1967, 1987, 2013, 2017 और वर्ष 2020-2021 में हुए हैं। 
    • डोकलाम गतिरोध: वर्ष 2017 में डोकलाम क्षेत्र में चीनी घुसपैठ ने फिर से दोनों देशों के बीच सीमा गतिरोध को जन्म दिया, जो अभी भी जारी है। 
    • जून 2020 में गलवान घाटी में हुआ नवीनतम संघर्ष वर्ष 1975 के बाद से दोनों पक्षों के बीच पहला घातक टकराव था, जिसमें कम से कम 20 भारतीय और चार चीनी सैनिक मारे गए थे। 
  • प्रमुख विवादित क्षेत्र: भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया है:- 
    • पश्चिमी क्षेत्र: यह लद्दाख और चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन तक फैला हुआ है और 1,597 किलोमीटर लंबी LAC है। काराकोरम से चुमुर तक फैले 65 चिह्नित गश्ती बिंदुओं (Patrol Points-PP) तक गश्त की जाती है। 
    • मध्य क्षेत्र: यह हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड तक फैला हुआ है और दोनों देशों के बीच सबसे कम विवाद वाला क्षेत्र है, लेकिन इसमें हिमाचल में ताशीगांग-शिपकी ला (Tashigang-Shipki La), उत्तराखंड में सांग-नेलांग-पुलम सुमदा (Sang-Nelang-Pulam Sumda) और बाराहोती (Barahoti) जैसे कुछ विवाद बिंदु शामिल हैं। 
    • पूर्वी क्षेत्र: इसमें सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में नमखा चू (Namkha Chu), सुमदोरोंग चू (Sumdorong Chu), फिश टेल 1 (Fish Tail 1) और दिबांग घाटी (Dibang valley) जैसे स्थल शामिल हैं। हालाँकि चीन पूरे अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र को अपना अभिन्न अंग मानता है।

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