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भारत-साइप्रस संबंध

Lokesh Pal June 17, 2025 03:33 78 0

संदर्भ

भारतीय प्रधानमंत्री की वर्तमान साइप्रस यात्रा, जो दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है, भारत के लिए इस द्वीपीय राष्ट्र के बढ़ते सामरिक महत्त्व को प्रदर्शित करती है।

संबंधित तथ्य

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साइप्रस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस तृतीय’ से सम्मानित किया गया है।

प्रधानमंत्री की ऐतिहासिक साइप्रस यात्रा के मुख्य निष्कर्ष

  • द्विपक्षीय रक्षा सहयोग कार्यक्रम (BDCP) 2025: इसमें पूर्वी भूमध्य सागर में संयुक्त नौसैनिक अभ्यास, आतंकवाद/समुद्री खतरों पर खुफिया जानकारी साझा करना और साइप्रस के सैन्य कर्मियों के लिए प्रशिक्षण शामिल है।
  • वास्तविक समय आधारित आतंकवाद विरोधी तंत्र: सीमापार आतंकवाद से निपटने के लिए सुरक्षा एजेंसियों के बीच सूचना विनिमय की स्थापना।
  • लिमासोल में भारतीय नौसेना संपर्क कार्यालय: भूमध्य सागर में भारत की समुद्री उपस्थिति को बढ़ाता है।
  • इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकनोमिक कॉरिडोर (IMEC): साइप्रस को व्यापार कॉरिडोर के लिए एक महत्त्वपूर्ण भूमध्यसागरीय प्रवेश द्वार के रूप में पुष्टि की गई है, जो चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का मुकाबला करेगा।
  • साइप्रस में UPI एकीकरण: सीमापार डिजिटल भुगतान को सक्षम करने, फिनटेक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए NPCI (भारत) और यूरोबैंक साइप्रस के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
  • GIFT सिटी-साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज लिंकेज: भारत के GIFT सिटी के साथ एकीकृत होने वाला पहला यूरोपीय एक्सचेंज, सीमा पार निवेश की सुविधा प्रदान करेगा।
  • $2 बिलियन का निवेश: साइप्रस के नवीकरणीय ऊर्जा और IT क्षेत्रों के लिए भारतीय निवेश।
  • EU-भारत संबंध: साइप्रस की वर्ष 2026 EU परिषद की अध्यक्षता भारत-EU मुक्त व्यापार समझौते (FTA) और IMEC का समर्थन करेगी।
  • तुर्किये-पाकिस्तान धुरी का प्रतिरोध: भारतीय प्रधानमंत्री की संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियंत्रित बफर जोन (ग्रीन लाइन) की यात्रा ने तुर्किये के विस्तारवादी रवैये के विरुद्ध एक स्पष्ट और मजबूत कूटनीतिक संदेश दिया।
  • सांस्कृतिक और तकनीकी सहयोग: शिपिंग, लॉजिस्टिक्स और डिजिटल सेवाओं में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत-साइप्रस-ग्रीस त्रिपक्षीय परिषद की शुरुआत की गई।

ऐतिहासिक और राजनयिक संबंध

  • साइप्रस और भारत के बीच मधुर राजनयिक संबंध वर्ष 1960 में ब्रिटेन से साइप्रस की स्वतंत्रता के समय से ही हैं।
  • भारत ने उत्तरी साइप्रस पर अधिकार करने वाले तुर्की के साथ लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष के बावजूद साइप्रस की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का लगातार समर्थन किया है।
  • संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय समर्थन: साइप्रस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन किया और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते का समर्थन किया।
  • आतंकवाद विरोधी सहयोग: दोनों देशों ने वैश्विक आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर सहयोग किया है, साइप्रस ने सीमा पार आतंकवाद पर भारत के दृष्टिकोण का समर्थन किया है।

ऑर्डर ऑफ मकारियोस तृतीय 

  • ऑर्डर ऑफ मकारियोस III साइप्रस गणराज्य द्वारा प्रदान की जाने वाली ‘नाइटहुड’ की सर्वोच्च उपाधि है।
  • इसका नाम इसके पहले राष्ट्रपति, आर्कबिशप मकारियोस III के नाम पर रखा गया है।

साइप्रस का सामरिक महत्त्व

  • साइप्रस और तुर्की के बीच प्रतिद्वंद्विता भारत की भागीदारी में भू-राजनीतिक आयाम जोड़ती है।
    • तुर्किये के सैन्य समर्थन सहित पाकिस्तान के साथ गहरे होते संबंधों ने भारत-तुर्किये  संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है।
  • तुर्किये को भारत का संकेत: साइप्रस के साथ संबंधों को मजबूत करके, भारत तुर्किये को एक रणनीतिक संदेश भेजता है, जो साइप्रस की संप्रभुता के लिए अपने समर्थन को मजबूत करता है, जबकि तुर्किये-पाकिस्तान सहयोग का मुकाबला करता है।

आर्थिक एवं कनेक्टिविटी संबंधी अवसर

  • साइप्रस भारत की व्यापार और कनेक्टिविटी महत्त्वाकांक्षाओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेषतः इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकनोमिक कॉरिडोर (IMEC) में।
  • IMEC और व्यापार केंद्र: भूमध्य सागर में साइप्रस की अवस्थिति इसे IMEC के तहत भारत-यूरोपीय संघ व्यापार के लिए एक महत्त्वपूर्ण पारगमन बिंदु बनाता है।
  • वर्ष 2026 में यूरोपीय संघ की अध्यक्षता: साइप्रस वर्ष 2026 में यूरोपीय संघ परिषद की अध्यक्षता करेगा, जिससे भारत को यूरोप के साथ आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर मिलेगा।

साइप्रस के बारे में

  • अवस्थिति: साइप्रस एक द्वीपीय देश है जो पूर्वी भूमध्य सागर में, तुर्किये के दक्षिण में और सीरिया और लेबनान के पश्चिम में अवस्थित है।
    • भौगोलिक रूप से एशिया का हिस्सा होने के बावजूद, यह राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से यूरोप के साथ जुड़ा हुआ है।
  • राजधानी: निकोसिया (Nicosia)
  • EU सदस्य: वर्ष 2004 में यूरोपीय संघ (EU) में शामिल हुआ
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: साइप्रस को वर्ष 1960 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त हुई, लेकिन इसके ग्रीक साइप्रस बहुसंख्यक (80%) और तुर्किये साइप्रस अल्पसंख्यक (18%) के बीच तनाव के कारण संघर्ष हुआ।
  • द्वीप का विभाजन
    • वर्ष 1974 में, ग्रीस के साथ एकीकरण की माँग कर रहे ग्रीक साइप्रसवासियों द्वारा तख्तापलट के बाद तुर्किये के उत्तरी भाग पर आक्रमण कर दिया।
    • अब यह द्वीप विभाजित है:
      • साइप्रस गणराज्य (अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त, यूरोपीय संघ का सदस्य)
      • उत्तरी साइप्रस का तुर्किये गणराज्य (केवल तुर्किये द्वारा मान्यता प्राप्त)
  • साइप्रस का भू-राजनीतिक महत्त्व
    • रणनीतिक स्थान: यूरोप, एशिया और मध्य-पूर्व के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करता है।
    • यूरोपीय संघ और NATO संबंध: साइप्रस यूरोपीय संघ का हिस्सा है, लेकिन NATO का नहीं, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा गतिशीलता जटिल हो जाती है।

निष्कर्ष

भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा साइप्रस के कूटनीतिक सहयोगी, आर्थिक साझेदार और तुर्किये के पाकिस्तान समर्थक रुख के रणनीतिक प्रतिसंतुलन के रूप में महत्त्व को रेखांकित करती है। चूँकि भारत यूरोप और भूमध्य सागर में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है, इसलिए साइप्रस व्यापार, सुरक्षा और भू-राजनीति में एक महत्त्वपूर्ण साझेदार के रूप में उभर रहा है।

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