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भारत: विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार

Lokesh Pal September 18, 2025 02:59 125 0

संदर्भ

अंतरराष्ट्रीय मूल्य शिखर सम्मेलन 2025 में, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, भारत तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है और इसका लक्ष्य पाँच वर्षों में वैश्विक स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करना है।

  • वर्ष 2025 में भारत जापान को पीछे छोड़कर चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन जाएगा।

मुख्य आँकड़े एवं तथ्य

  • वैश्विक योगदान: भारत का ऑटोमोटिव क्षेत्र वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 7.1% का योगदान देता है।
  • बाजार का आकार: वाहनों और ऑटो कंपोनेंट सहित भारतीय ऑटोमोबाइल क्षेत्र का मूल्य लगभग ₹22 लाख करोड़ है, जो इसे अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े उद्योगों में से एक बनाता है।
  • यात्री वाहन बिक्री (2023): भारत ने 4.11 मिलियन इकाइयाँ बेचीं, जो जापान की लगभग 4 मिलियन इकाइयों की बिक्री सेअधिक थीं, जिससे वैश्विक रैंकिंग में एक बड़ा परिवर्तन आया।
  • निर्यात प्रदर्शन: वित्त वर्ष 2024 में, भारत ने 6.62 मिलियन वाहनों का निर्यात किया, जिससे यह दोपहिया और छोटी कारों का वैश्विक केंद्र बन गया।
  • दोपहिया वाहनों का प्रभुत्व: भारत के 50% से अधिक दोपहिया वाहनों का उत्पादन निर्यात किया जाता है, जो इस क्षेत्र में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता और लागत लाभ को दर्शाता है।
  • ऑटो कंपोनेंट: वित्त वर्ष 2024 में ₹6.14 लाख करोड़ ($74.1 बिलियन) के कारोबार के साथ, ऑटो कंपोनेंट क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में 2.3% का योगदान देता है, जिसका निर्यात 21.2 बिलियन डॉलर है, जिसके वर्ष 2026 तक 30 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
  • इलेक्ट्रिक वाहन का प्रवेश: अगस्त 2024 तक, 4.4 मिलियन EV पंजीकृत किए गए, जो कुल EV क्षेत्र का 6.6% भाग है, जो भारत की हरित गतिशीलता क्रांति की शुरुआत का संकेत है।
  • भविष्य की संभावनाएँ: लक्षित सुधारों और मजबूत GVC एकीकरण के साथ, भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक अपने वैश्विक ऑटो कंपोनेंट व्यापार हिस्सेदारी को 3% से बढ़ाकर 8% करना है।

भारत में ऑटोमोबाइल विकास के कारक

  • बढ़ती वैश्विक उपस्थिति: मारुति-सुज़ुकी और हुंडई से लेकर टोयोटा, टेस्ला और मर्सिडीज तक, सभी प्रमुख ऑटोमोबाइल ब्रांड अब भारत में निर्माण कर रहे हैं।
    • स्थानीय बाजारों के लिए वाहनों की असेंबलिंग की प्रथा अब विश्व में, विशेषतः अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण एशिया में, भारतीय निर्मित कारों के निर्यात की ओर बढ़ रहा है।

  • स्वच्छ एवं हरित गतिशीलता को बढ़ावा: इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को FAME II (इलेक्ट्रिक वाहनों का तीव्र अंगीकरण एवं विनिर्माण) और PLI योजनाओं के तहत समर्थन दिया जा रहा है, भारत एक EV पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहा है।
    • हाइड्रोजन गतिशीलता: 10 प्रमुख परिवहन मार्गों पर पायलट परियोजनाओं के साथ हाइड्रोजन ट्रकों का शुभारंभ एक भविष्योन्मुखी परिवर्तन का संकेत है।
    • वैकल्पिक ईंधन: आइसोब्यूटेनॉल (Isobutanol), बायो-बिटुमेन और एथेनॉल मिश्रणों पर परीक्षण संचालित हो रहे हैं, जिसका उद्देश्य तेल आयात को कम करना है।

  • सड़क अवसंरचना का विस्तार: भारत में अब संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है।
  • अन्य विकास कारक: एक बड़ा घरेलू बाजार, लागत प्रतिस्पर्द्धात्मकता, कुशल कार्यबल और मजबूत नीतिगत प्रोत्साहन (FAME, PM E-Drive, PLI, GST, स्क्रैपेज) सामूहिक रूप से भारत को ऑटोमोबाइल उत्पादन, निर्यात और EV नवाचार के लिए एक उभरते वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करते हैं।

विकास को गति देने वाली प्रमुख सरकारी पहल

  • FAME-II योजना (इलेक्ट्रिक वाहनों का तेजी से अपनाना और निर्माण): 16.15 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित किया गया और 10,985 चार्जिंग स्टेशनों को मंजूरी दी गई, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी आई।
  • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (Production Linked Incentive [PLI]) योजना – ऑटो और कंपोनेंट: ₹25,938 करोड़ के परिव्यय के साथ, यह योजना इलेक्ट्रिक वाहनों, हाइड्रोजन ईंधन सेल और ऑटो कंपोनेंट सहित उन्नत ऑटोमोटिव तकनीकों (Advanced Automotive Technologies- AAT) को बढ़ावा देती है।
  • PLI – ACC (एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल बैटरी): 50 GWh बैटरी इकोसिस्टम के निर्माण का लक्ष्य, जिसमें 40 GWh क्षमता चार कंपनियों को आवंटित की जाएगी, जो इलेक्ट्रिक वाहनों और स्टोरेज के विकास को बढ़ावा देगी।
  • PM ई-बस सेवा (2024-29): 38,000 से अधिक इलेक्ट्रिक बसें संचालित करने और स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने का लक्ष्य।
  • नीतिगत उपाय
    • इलेक्ट्रिक वाहनों पर GST 12% से घटाकर 5% कर दिया गया।
    • आवासीय और वाणिज्यिक परिसरों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों को अनिवार्य बनाने के लिए मॉडल बिल्डिंग उपनियम, 2016 में संशोधन किया गया।
    • वाहन स्क्रैपेज नीति (2021): यह नीति 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने, उत्सर्जन कम करने और नए वाहनों की माँग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करती है।

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