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भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता

Lokesh Pal March 04, 2025 04:18 16 0

संदर्भ

भारत और यूरोपीय संघ ने वर्ष 2025 के अंत तक अपने बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को पूरा करने का निर्णय लिया है।

संबंधित तथ्य

  • प्रधानमंत्री मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने एक संतुलित, महत्त्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभकारी FTA के महत्त्व पर जोर दिया।

बैठक के मुख्य बिंदु

  • मुक्त व्यापार समझौता (FTA): यह पहली बार है जब FTA के लिए कोई स्पष्ट समय-सीमा तय की गई है, जिस पर वर्ष 2007 से बातचीत चल रही है।
  • निवेश और भौगोलिक संकेतक (GI): FTA के साथ-साथ निवेश संरक्षण और भौगोलिक संकेतों पर समझौतों के लिए बातचीत चल रही है।
  • तकनीकी सहयोग: दोनों पक्षों ने सेमीकंडक्टर, एआई, उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग और 6G में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। अंतरिक्ष संबंधी वार्ता भी शुरू की जाएगी।
  • सुरक्षा और रक्षा भागीदारी: यूरोपीय संघ जापान और दक्षिण कोरिया के साथ अपने समझौतों के समान भारत के साथ भविष्य की सुरक्षा और रक्षा भागीदारी की संभावना तलाश रहा है।
    • इसमें सीमा पार आतंकवाद, समुद्री सुरक्षा खतरों, साइबर हमलों का मुकाबला करने और महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

भारत की मुक्त व्यापार समझौता (FTA) यात्रा

  • भारत की FTA यात्रा की शुरुआत (2000): भारत की FTA यात्रा भारत-श्रीलंका FTA से शुरू हुई, जो 1 मार्च, 2000 को लागू हुई।
  • पूर्व की ओर देखो नीति और एशिया-प्रशांत फोकस
    • भारत ने शुरुआत में पूर्व की ओर देखो नीति के तहत एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ FTA  पर ध्यान केंद्रित किया।
    • पश्चिमी बाजारों से परे निर्यात में विविधता लाने के लिए सिंगापुर, आसियान, कोरिया, जापान और मलेशिया के साथ FTA पर हस्ताक्षर किए।
    • भारत बाद में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) से हट गया, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र का एक प्रमुख व्यापार समूह है।

भारत से संबंधित प्रमुख मुक्त व्यापार समझौते (FTA)

  • भारत ने विभिन्न देशों/क्षेत्रों के साथ 13 क्षेत्रीय व्यापार समझौते (RTA)/मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • भारत ने एशिया प्रशांत व्यापार समझौते (APTA) सहित 6 अधिमान्य व्यापार समझौतों (PTA) पर भी हस्ताक्षर किए हैं।
  • इन समझौतों का उद्देश्य भारत के व्यापार संबंधों को मजबूत करना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और बाजार तक पहुँच को सुगम बनाना है।
  • यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA): भारत और आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड वाले EFTA ब्लॉक ने 10 मार्च, 2024 को एक व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते (TEPA) पर हस्ताक्षर किए।
    • इस समझौते का उद्देश्य दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ाना है। EFTA सदस्य देशों द्वारा अनुसमर्थन के बाद TEPA के वर्ष 2025 के अंत से पहले लागू होने की उम्मीद है।
  • भारत-मॉरीशस CECPA: वर्ष 2021 में हस्ताक्षरित, किसी अफ्रीकी देश के साथ भारत का पहला व्यापार समझौता।
  • भारत-ऑस्ट्रेलिया ECTA: दिसंबर 2022 में हस्ताक्षरित, कृषि और खनिज जैसे प्रमुख क्षेत्रों को बढ़ावा देगा।
  • भारत-यूएई सीईपीए: वर्ष 2022 में लागू किया गया, जिससे द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
  • दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA): टैरिफ कम करने के लिए SAARC देशों के बीच वर्ष 2006 में लागू किया गया।
  • दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA): टैरिफ कम करने के लिए SAARC देशों के बीच वर्ष 2006 में लागू किया गया।
  • भारत-नेपाल व्यापार संधि: प्राथमिक उत्पादों तक शुल्क मुक्त पहुँच प्रदान करती है।
  • व्यापार, वाणिज्य और पारगमन पर भारत-भूटान समझौता: कई वस्तुओं पर टैरिफ समाप्त करता है।
  • भारत-थाईलैंड मुक्त व्यापार समझौता: वर्ष 2004 में अर्ली हार्वेस्ट स्कीम के तहत शुरू किया गया।
  • भारत-सिंगापुर CEPA: व्यापार, सेवाओं और निवेश को कवर करता है।
  • भारत-मलेशिया CEPA: वर्ष 2011 से प्रभावी, व्यापार, सेवाओं और निवेश को कवर करता है।
  • भारत-जापान CEPA: वर्ष 2011 से अधिकांश वस्तुओं पर टैरिफ समाप्त करता है।
  • भारत-दक्षिण कोरिया CEPA: टैरिफ कम करता है और व्यापार को बढ़ावा देता है।
  • भारत-आसियान FTA: वर्ष 2010 में वस्तुओं के लिए स्थापित, वर्ष 2014 में सेवाओं के लिए विस्तारित।

भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता (FTA)

  • वर्ष 2025 के लिए समय सीमा तय: भारत और यूरोपीय संघ ने वर्ष 2025 के अंत तक अपने लंबे समय से प्रतीक्षित FTA को पूरा करने का निर्णय किया है।
  • पुनः शुरू हुई बातचीत: FTA वार्ता, जो वर्ष 2007 में शुरू हुई थी, लेकिन ब्रैक्सिट के कारण वर्ष 2017 में छोड़ दी गई थी, वर्ष 2022 में पुनः प्रारंभ हुई।
  • सबसे बड़ा व्यापार सौदा: भारत-ईयू FTA वैश्विक स्तर पर अपनी तरह का सबसे बड़ा व्यापार सौदा होने वाला है।
    • इसका उद्देश्य बाजार पहुँच को बढ़ाना, व्यापार बाधाओं को दूर करना और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना है, जो वर्ष 2023-24 में वस्तुओं में 137.41 बिलियन अमेरिकी डॉलर और सेवाओं में 51.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
  • मुख्य वार्ता क्षेत्र: FTA  के साथ-साथ, भारत और यूरोपीय संघ निवेश संरक्षण और भौगोलिक संकेतक (GI) पर समझौतों पर बातचीत कर रहे हैं।
    • ये व्यापार सौदे के पूरक होंगे और आर्थिक सहयोग के लिए एक व्यापक ढाँचा प्रदान करेंगे।
  • सामरिक महत्त्व: FTA ऐसे महत्त्वपूर्ण समय पर आया है, जब भारत और EU दोनों को अमेरिका से संभावित उच्च आयात शुल्क का सामना करना पड़ सकता है।
    • अपनी साझेदारी को मजबूत करने से व्यापार में विविधता लाने और अन्य बाजारों पर निर्भरता कम करने में मदद मिलती है।
  • व्यापक सहयोग क्षेत्र: व्यापार से परे, FTA सेमीकंडक्टर, AI, 6G, ग्रीन हाइड्रोजन और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEEC) जैसे क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक बड़े खाके का हिस्सा है।
  • आर्थिक और भू-राजनीतिक संदर्भ: FTA को उभरते वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जाता है, जिसमें भारत और EU दोनों अपनी रणनीतिक स्वायत्तता और आर्थिक लचीलापन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

प्रस्तावित FTA  के लाभ

  • भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच व्यापार संबंधों में अपार संभावनाएँ हैं, जो पूरक अर्थव्यवस्थाओं, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और वैश्विक व्यापार साझेदारी में विविधता लाने में पारस्परिक रुचि से प्रेरित हैं।

भारत के लिए प्रमुख लाभ

  • बाजार में बेहतर पहुँच: भारतीय सामान, खास तौर पर कपड़ा और परिधान, टैरिफ में कटौती से लाभान्वित होंगे, जिससे वे यूरोपीय संघ के बाजार में अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनेंगे।
  • प्रमुख क्षेत्रों में वृद्धि
    • फार्मास्यूटिकल्स: भारत, जेनेरिक दवाओं का एक प्रमुख उत्पादक है, जिसे आसान विनियामक अनुमोदन और बाजार पहुँच प्राप्त होगी।
    • आईटी और सेवाएँ: भारत की आईटी और पेशेवर सेवा फर्मों को कम व्यापार प्रतिबंधों और कुशल पेशेवरों के लिए बढ़ी हुई गतिशीलता से लाभ होगा।
    • कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य: भारतीय कृषि निर्यात, जैसे कि चाय, मसाले और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर कम टैरिफ और विनियामक बाधाएँ देखने को मिलेंगी।
  • विदेशी निवेश को बढ़ावा: यूरोपीय संघ भारत के सबसे बड़े निवेशकों में से एक है और FTA  विनिर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा तथा बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों में अधिक एफडीआई आकर्षित करेगा।
  • मजबूत बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): बढ़ी हुई आईपीआर सुरक्षा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और नवाचार को प्रोत्साहित करेगी।
  • रोजगार सृजन और आर्थिक विकास: बढ़े हुए निर्यात और निवेश से लाखों नौकरियाँ पैदा होंगी, खासकर कपड़ा, विनिर्माण और आईटी सेवाओं में।
    • मजबूत व्यापारिक संबंधों से भारत की जीडीपी वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा तथा वैश्विक व्यापार में उसकी स्थिति मजबूत होगी।

यूरोपीय संघ के लिए प्रमुख लाभ

  • भारत के बढ़ते बाजार तक पहुँच: भारत की 1.4 बिलियन आबादी ऑटोमोबाइल, मशीनरी और लक्जरी सामान सहित यूरोपीय संघ के उद्योगों के लिए एक विशाल उपभोक्ता आधार प्रस्तुत करती है।
    • FTA टैरिफ और विनियामक बाधाओं को कम करके भारत में यूरोपीय संघ के ब्रांडों की अधिक बिक्री की सुविधा प्रदान करेगा।
  • मजबूत निवेश माहौल: यूरोपीय संघ की कंपनियों को भारत में बेहतर निवेश संरक्षण मिलेगा, जिससे एक स्थिर और पारदर्शी कारोबारी माहौल सुनिश्चित होगा।
    • भारत की विस्तारित डिजिटल अर्थव्यवस्था यूरोपीय फिनटेक, दूरसंचार और एआई कंपनियों के लिए अवसर प्रदान करती है।
  • आपूर्ति शृंखलाओं का विविधीकरण: वैश्विक आपूर्ति शृंखला व्यवधानों के बीच, यूरोपीय संघ की कंपनियाँ भारत से सोर्सिंग करके चीन पर निर्भरता कम कर सकती हैं।
    • भारत की मेक इन इंडिया और चीन+1 रणनीतियाँ आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाने के यूरोपीय संघ के प्रयासों के अनुरूप हैं।
  • अक्षय ऊर्जा सहयोग का विस्तार: भारत अपने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र का तेजी से विस्तार कर रहा है और यूरोपीय संघ की कंपनियाँ सौर, पवन और हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं में निवेश कर सकती हैं।
    • FTA टिकाऊ ऊर्जा समाधानों में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा प्रदान कर सकता है।
  • रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग: FTA अंतरिक्ष, रक्षा और साइबर सुरक्षा में यूरोपीय संघ-भारत सहयोग को मजबूत करेगा।
    • मेक इन इंडिया पहल के तहत यूरोपीय कंपनियों को भारत के बढ़ते रक्षा क्षेत्र तक पहुँच प्राप्त होगी।

मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement- FTA)

  • मुक्त व्यापार समझौता (FTA) दो या दो से अधिक देशों के बीच एक संधि है, जिसका उद्देश्य टैरिफ, कोटा और आयात/निर्यात प्रतिबंधों जैसे व्यापार अवरोधों को कम करना या समाप्त करना है।
  • FTA माल, सेवाओं और निवेशों के मुक्त प्रवाह की सुविधा प्रदान करते हैं, भाग लेने वाले देशों के बीच आर्थिक सहयोग और एकीकरण को बढ़ाते हैं।

FTA की मुख्य विशेषताएँ

  • टैरिफ में कमी या उन्मूलन – FTA  व्यापार किए जाने वाले सामानों पर सीमा शुल्क को कम या हटा देते हैं।
  • बाजार पहुँच: FTA  सदस्य देशों में वस्तुओं और सेवाओं तक तरजीही पहुँच प्रदान करते हैं।
  • सेवाओं में व्यापार: कुछ FTA  आईटी, वित्त और पेशेवर सेवाओं जैसे क्षेत्रों में उदारीकरण को भी कवर करते हैं।
  • निवेश संरक्षण: FTA  में अक्सर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सुरक्षा और बढ़ावा देने के प्रावधान शामिल होते हैं।
  • बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): कई समझौतों में पेटेंट, ट्रेडमार्क और कॉपीराइट पर खंड शामिल होते हैं।
  • मूल के नियम: FTA तरजीही उपचार के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए वस्तुओं हेतु मानदंड निर्धारित करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि केवल सदस्य देशों को लाभ हो।

मुक्त व्यापार समझौतों के प्रकार

  • द्विपक्षीय FTA: दो देशों के बीच समझौते (जैसे- भारत-यूएई सीईपीए)।
  • बहुपक्षीय FTA: कई देशों या क्षेत्रीय समूहों के बीच (जैसे- भारत-आसियान FTA) समझौते।
  • व्यापक आर्थिक भागीदारी: माल, सेवाओं, निवेश और अन्य क्षेत्रों को कवर करने वाले FTA  (जैसे- भारत-जापान CEPA)।

भारत-यूरोपीय संघ व्यापार संभावना

  • आर्थिक संबंध: यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जो वर्ष 2023 में भारतीय व्यापार का 12.2 प्रतिशत हिस्सा होगा, जो अमेरिका और चीन से आगे है।
    • यूरोपीय संघ संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारतीय निर्यात के लिए दूसरा सबसे बड़ा गंतव्य भी है। 
    • दूसरी ओर, भारत यूरोपीय संघ का नौवाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जो वर्ष 2023 में वस्तुओं के कुल व्यापार का 2.2 प्रतिशत हिस्सा है, जो अमेरिका, चीन और यू.के. से काफी पीछे है। 
    • पिछले दो दशकों में भारत तथा यूरोपीय संघ के बीच व्यापार में तीन गुने की वृद्धि हुई  है, जो मजबूत द्विपक्षीय जुड़ाव का संकेत देता है। 
    • भारत में 6,000 से अधिक यूरोपीय संघ की कंपनियाँ काम करती हैं, जो 8 मिलियन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करती हैं।
  • निवेश परिदृश्य: यूरोपीय संघ भारत के शीर्ष विदेशी निवेशकों में से एक है।
    • यूरोपीय फर्मों ने भारत में प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में भारी निवेश किया है।
    • निवेश संरक्षण पर प्रस्तावित समझौते का उद्देश्य स्थिर निवेश वातावरण सुनिश्चित करना है।

यूरोपीय संघ (EU)

  • यूरोपीय संघ (EU) मुख्य रूप से यूरोप में स्थित 27 सदस्य देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक संघ है।
  • यह अपने सदस्यों के बीच आर्थिक एकीकरण, राजनीतिक सहयोग और साझा मूल्यों को बढ़ावा देने वाले सबसे प्रभावशाली वैश्विक संगठनों में से एक है।
  • GDP: यूरोपीय संघ अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
  • व्यापार: यूरोपीय संघ वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा व्यापारिक समूह है, जो विश्व व्यापार का लगभग 15% हिस्सा है। यह अमेरिका, चीन और भारत जैसे देशों के लिए एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार है।
  • एकल बाजार: यूरोपीय संघ सदस्य देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं, पूँजी और लोगों की मुक्त आवाजाही की अनुमति देता है।

यूरोपीय आयोग

  • यूरोपीय आयोग यूरोपीय संघ का कार्यकारी निकाय है। इसकी मुख्य भूमिकाएँ इस प्रकार हैं:-
    • नए कानून और नीतियाँ प्रस्तावित करना।
    • उनके कार्यान्वयन की निगरानी करना।
    • यूरोपीय संघ के बजट का प्रबंधन करना।

भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता वार्ता में चुनौतियाँ

  • यूरोपीय संघ की प्रमुख माँगें
    • वाइन और स्पिरिट पर कर कटौती: यूरोपीय संघ वाइन और स्पिरिट पर आयात शुल्क में महत्त्वपूर्ण कटौती के लिए दबाव बना रहा है, जो वर्तमान में भारत में उच्च है।
      • यह भारत के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है, क्योंकि इसका असर घरेलू उत्पादकों और राज्य के राजस्व पर पड़ता है।
    • बौद्धिक संपदा (IP) व्यवस्था को मजबूत करना: यूरोपीय संघ, विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में, सुदृढ़ आईपी सुरक्षा चाहता है।
      • भारत, जो अपने जेनेरिक दवा उद्योग के लिए जाना जाता है, कठोर बौद्धिक संपदा नियमों के प्रति सतर्क है, जो किफायती दवाओं तक पहुँच को सीमित कर सकते हैं।
    • ऑटोमोबाइल पर शुल्क में कटौती: यूरोपीय संघ चाहता है कि भारत ऑटोमोबाइल पर शुल्क कम करे, जो यूरोप के लिए एक प्रमुख निर्यात क्षेत्र है।
      • भारत का घरेलू ऑटोमोबाइल उद्योग यूरोपीय आयातों से बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा को लेकर चिंतित है।
  • भारत की प्रमुख माँगें
    • आईटी क्षेत्र के लिए डेटा सुरक्षा स्थिति: भारत अपने आईटी और आईटी-सक्षम सेवाओं (ITES) क्षेत्र के लिए डेटा सुरक्षा मान्यता की वकालत कर रहा है।
    • इससे भारतीय IT कंपनियों के लिए यूरोपीय संघ के बाजार तक आसान पहुँच सुनिश्चित होगी और डेटा स्थानीयकरण तथा गोपनीयता विनियमों पर चिंताओं का समाधान होगा।
    • यूरोपीय संघ के सेवा बाजार तक बेहतर पहुँच: भारत स्वास्थ्य सेवा, इंजीनियरिंग और आईटी सेवाओं जैसे क्षेत्रों में अपने पेशेवरों के लिए बेहतर बाजार पहुँच की माँग कर रहा है।
      • इसमें भारतीय कुशल श्रमिकों के लिए सरलीकृत वीजा और वर्क परमिट प्रक्रियाएँ शामिल हैं।
  • घरेलू दबाव: दोनों पक्षों को आंतरिक संवेदनशीलताओं का सामना करना पड़ रहा है, भारतीय उद्योग बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा से चिंतित हैं और यूरोपीय संघ के सदस्य देशों की प्राथमिकताएँ अलग-अलग हैं।

आगे की राह 

  • समझौता और लचीलापन: दोनों पक्षों को इन चुनौतियों से निपटने के लिए बीच की राह तलाशनी होगा।
    • उदाहरण के लिए, भारत ऑटोमोबाइल पर चरणबद्ध शुल्क कटौती पर विचार कर सकता है, जबकि यूरोपीय संघ डेटा सुरक्षा और सेवाओं तक पहुँच पर रियायतें दे सकता है।
  • फास्ट-ट्रैक वार्ता: भारत-यूरोपीय संघ FTA के महत्त्व को देखते हुए, दोनों पक्षों को विरासत व्यापार मुद्दों को संबोधित करते हुए और एक संतुलित सौदा सुनिश्चित करते हुए शीघ्र निष्कर्ष पर पहुँचने का लक्ष्य रखना चाहिए।
  • टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधा समाधान: भारत को अपनी निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के लिए कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोबाइल जैसे प्रमुख क्षेत्रों में टैरिफ कटौती तथा गैर-टैरिफ बाधाओं को हटाने के लिए बातचीत करनी चाहिए।
  • भू-राजनीतिक संदर्भ: विशेष रूप से अमेरिका के साथ चल रहे वैश्विक व्यापार तनाव, वार्ता में तात्कालिकता पर जोर देते हैं, जिससे दोनों पक्षों के लिए मतभेदों को तेजी से हल करना महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
  • स्थायित्व और हरित अर्थव्यवस्था सहयोग: भारत को यूरोपीय संघ के पर्यावरण मानकों के साथ संरेखित करने के लिए कार्बन ट्रेडिंग तंत्र, टिकाऊ विनिर्माण और हरित ऊर्जा परियोजनाओं सहित जलवायु कार्रवाई पहलों पर यूरोपीय संघ के साथ जुड़ना चाहिए।
  • संस्थागत संवाद तंत्र: भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (Trade and Technology Council- TTC) के तहत नियमित मंत्रिस्तरीय और वरिष्ठ अधिकारी स्तर की बैठकों को उभरती व्यापार चुनौतियों और अवसरों को संबोधित करना जारी रखना चाहिए।

निष्कर्ष

भारत और यूरोपीय संघ दोनों ही व्यापार, प्रौद्योगिकी और सुरक्षा को केंद्र में रखते हुए अपनी रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यदि FTA  को अंतिम रूप दिया जाता है, तो इससे आर्थिक संबंधों को अत्यधिक बढ़ावा मिल सकता है और वैश्विक व्यापार समझौतों के लिए एक नया मानक स्थापित हो सकता है।

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