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भारत-फ्राँस संबंध (India-France relations)

Samsul Ansari January 29, 2024 05:51 498 0

संदर्भ

फ्राँस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों वर्ष 2024 के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए है।

संबंधित तथ्य

  • गणतंत्र दिवस के लिए छठा निमंत्रण: फ्राँस ने भारत के गणतंत्र दिवस के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया और यह राष्ट्रपति मैक्रों का तीसरा भारतीय दौरा था, तथा भारत-फ्राँस संबंधों के इतिहास में छठी बार किसी  राष्ट्रपति को गणतंत्र दिवस पर आमंत्रित किया गया है, जो किसी भी देश के लिए अधिकतम संख्या है।
    • फ्राँसीसी  राष्ट्रपति को आमंत्रण भेजे जाने से पहले इस बार के गणतंत्र दिवस समारोह के लिये अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को  मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था, हालाँकि उन्होंने गणतंत्र दिवस समारोह और क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने में असमर्थता व्यक्त की।

  • जयपुर में रोड शो: प्रधानमंत्री मोदी और फ्राँस के राष्ट्रपति मैक्रों ने राजस्थान के जयपुर में रोड शो किया, साथ ही दोनों नेताओं ने जयपुर के आमेर किले (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल)के यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल जंतर मंतर और हवा महल की यात्रा की।

मुख्य परिणाम

  • रक्षा:
    • भारत-फ्राँस रक्षा औद्योगिक साझेदारी के लिए रोडमैप।
    • भारत के रक्षा मंत्रालय और फ्राँस के सशस्त्र बलों के मंत्रालय के बीच रक्षा अंतरिक्ष साझेदारी पर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर।
  • अंतरिक्ष: न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (New Space India Limited -NSIL) और एरियनस्पेस एसएएस (Arianespace SAS), फ्राँस  के बीच समझौता ज्ञापन।

 

  • नागरिक उड्डयन: भारत में H125 हेलीकॉप्टरों के लिए असेंबली लाइन स्थापित करने के लिए टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TATA Advanced Systems Limited-TASL) और एयरबस के बीच समझौता ज्ञापन।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी: भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) और फ्राँस  के आईएनआरई  (INRAE- Institut national de recherche pour L’Agriculture, L’Alimentation Et L’Environnement) के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में एक सहयोगात्मक रूपरेखा समझौता हुआ है। 
  • यह समझौता भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) और फ्राँस की राष्ट्रीय अनुसंधान एजेंसी (ANR) के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।

भारत और फ्राँस वार्ता की प्रमुख घोषणाएँ

  • वर्ष 2026 को भारत-फ्राँस नवाचार वर्ष घोषित किया गया। 
  • एफिल टॉवर पर यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) का संचालन। 
  • अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के STAR-C कार्यक्रम के अंतर्गत सेनेगल में एक सौर अकादमी की स्थापना करना। 
  • मार्सिले (Marseille) में भारत के वाणिज्य दूतावास और हैदराबाद में फ्रेंच ब्यूरो डी फ्राँस (Bureau de France) की स्थापना करना। 
  • प्रवासन और गतिशीलता भागीदारी समझौते के तहत युवा व्यावसायिक योजना का संचालन। 
  • फ्राँस के संस्थानों में पढ़े भारतीय परास्नातक छात्रों के लिए, 5 वर्ष की वैधता वाले शेंगेन वीजा की शुरुआत करने की घोषणा की है। 
  • वर्ष 2025 में नीस में आयोजित होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन के लिए फ्राँस को समर्थन देने की घोषणा की गई। 

भारत-फ्राँस संबंधों की पृष्ठभूमि

  • राजनयिक और राजनीतिक संबंध: भारत-फ्राँस के बीच वर्ष 1947 में राजनयिक संबंध में स्थापित हुए थे और इस साझेदारी को वर्ष 1998 में रणनीतिक स्तर तक बढ़ा दिया गया था।
  • सहयोग के स्तंभ: रक्षा और सुरक्षा, अंतरिक्ष और नागरिक परमाणु मामलों के क्षेत्रों में सहयोग रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख स्तंभ हैं।

  • सहयोग के नए क्षेत्र: भारत और फ्राँस  द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय और बहुपक्षीय प्रारूपों में सहयोग के नए क्षेत्रों में तेजी से शामिल हो रहे हैं, जिनमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, डिजिटलीकरण, साइबर सुरक्षा और उन्नत कंप्यूटिंग, आतंकवाद रोधी सहयोग, जलवायु परिवर्तन, नवीकरणीय ऊर्जा और सतत् विकास आदि शामिल हैं।
  • भारत को फ्राँस का समर्थन
    • फ्राँस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता के लिये भारत की दावेदारी और संयुक्त राष्ट्र के सुधारों का लगातार समर्थन किया है। फ्राँस ने भारत के एक पर्यवेक्षक देश के रूप में हिंद महासागर आयोग (IOC) में शामिल होने का भी समर्थन किया है।
    • भारत के मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (Missile Technology Control Regime- MTCR), वासेनार अरेंजमेंट (Wassenaar Arrangement- WA) और ऑस्ट्रेलिया ग्रुप (Australia Group- AG) में शामिल होने में फ्राँस का समर्थन महत्त्वपूर्ण था।
    • फ्राँस ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (Nuclear Suppliers Group -NSG) में शामिल होने की भारत की माँग का हमेशा समर्थन किया है।
  • फ्राँस को भारत का समर्थन: भारत ने फ्राँस की हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (Indian Ocean Rim Association-IORA) की सदस्यता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • होराइजन 2047 (Horizon 2047)- “भारत और फ्राँस  के बीच रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगाँठ, भारत-फ्राँस संबंधों के सौ वर्ष की ओर”:
    • होराइजन 2047 वर्ष 2047 तक सभी क्षेत्रों में फ्राँस-भारत द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है, वर्ष 2047, भारत की स्वतंत्रता के 100 वर्ष के साथ दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 100 वर्ष और भारत-फ्राँस रणनीतिक साझेदारी के 50 वर्षों का प्रतीक होगा।

भारत-फ्राँस संबंधों का महत्त्व

  • आर्थिक संबंध: भारत और फ्राँस के बीच पिछले 5 वर्षों में (वित्त वर्ष 2022-23 तक) वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार $11-13 अरब के बीच स्थिर बना हुआ है। 
    • वित्त वर्ष 2022-23 में कुल माल व्यापार ने पहली बार $13 बिलियन का आँकड़ा पार किया, इसी अवधि में भारत से फ्राँस को किया जाने वाला निर्यात $7 बिलियन से अधिक हो गया है।
    • सेवाओं में व्यापार: फ्राँसीसी सेंट्रल बैंक के अनुसार, जनवरी से दिसंबर 2022 के बीच फ्राँस को भारतीय सेवाओं का निर्यात € 2.37 बिलियन से बढ़कर € 2.93 बिलियन हो गया है । 
      • जबकि फ्राँस से भारत को सेवाओं का आयात वर्ष 2021 के € 3.90 बिलियन से घटकर वर्ष 2022 में € 3.68 बिलियन हो गया है।
भारत-फ्राँस  वस्तुओं का व्यापार
भारत से फ्राँस को शीर्ष 5 निर्यात (वित्त वर्ष 2022-23):

  • खनिज ईंधन, खनिज तेल और उनके आसवन के उत्पाद; बिटुमिनस पदार्थ; खनिज मोम ($1.29 अरब)।
  • परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीनरी और यांत्रिक उपकरण; उसके हिस्से ($974 मिलियन)।
  • विद्युत मशीनरी और उपकरण तथा उसके हिस्से; ध्वनि रिकॉर्डर, टेलीविजन रिकॉर्डर तथा उनके हिस्से ($704 मिलियन)।
  • फार्मास्युटिकल उत्पाद ($447 मिलियन)।
  • परिधान और कपड़े के सामान के लेख, बुना हुआ या क्रोकेटेड नहीं ($390 मिलियन)।
भारत द्वारा फ्राँस से शीर्ष 5 आयात (वित्त वर्ष 2022-23):

  • विमान, अंतरिक्ष यान और उसके हिस्से ($1.75 अरब)।
  • परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीनरी और यांत्रिक उपकरण; उसके हिस्से ($933 मिलियन)।
  • विद्युत मशीनरी व उपकरण और उसके हिस्से; ध्वनि रिकॉर्डर, टेलीविजन छवि और ध्वनि रिकॉर्डर आदि ($505 मिलियन)।
  • खनिज ईंधन, खनिज तेल और उनके आसवन के उत्पाद; बिटुमिनस पदार्थ; खनिज मोम ($410 मिलियन)।
  • ऑप्टिकल, चिकित्सा या शल्य चिकित्सा उपकरण और उनके हिस्से व सहायक उपकरण ($237 मिलियन)
  • रक्षा साझेदारी: फ्राँस के साथ रक्षा औद्योगिक रोडमैप, जो जेट इंजन प्रौद्योगिकी को स्थानांतरण के साथ सैन्य प्रणालियों की सह-डिजाइनिंग, सह-विकास, सह-उत्पादन को प्राथमिकता देता है।
    • फ्राँस जेट इंजन तकनीक हस्तांतरित करने का इच्छुक है जो केवल कुछ ही देशों के पास है।
    • इसके अलावा भारतीय नौसेना के विमानवाहक के लिए फ्राँस से 26 राफेल-एम लड़ाकू जेट और तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन श्रेणी की पारंपरिक पनडुब्बियों की खरीद प्रमुख रक्षा सौदों में शामिल हैं। 
  • सुरक्षा संबंध: भारत और फ्राँस आंतरिक सुरक्षा, मानव तस्करी, वित्तीय अपराध और पर्यावरणीय अपराध सहित अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ लड़ाई में अपने सहयोग को गहरा कर रहे हैं।
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र: भारत और फ्राँस ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी व्यापक रणनीति के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए संयुक्त कार्रवाई के लिए एक रोडमैप अपनाया है।
    • आतंकवाद-विरोधी: दोनों देशों ने आतंकवाद-रोधी कार्रवाई के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और फ्राँस के जीआईजीएन (GIGN- Groupe d’intervention de la Gendarmerie nationale) के बीच सहयोग के औपचारीकरण की दिशा में किए गए कार्यों का स्वागत किया है। 
  • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में साझेदारी: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और फ्राँसीसी अंतरिक्ष एजेंसी (CNES) के बीच कई समझौतों के माध्यम से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में वैज्ञानिक और व्यावसायिक साझेदारी को बढ़ाया जा रहा है। इन समझौतों में शामिल हैं: पुन: प्रयोज्य लॉन्चरों, संयुक्त पृथ्वी अवलोकन उपग्रह तृष्णा को अंतिम रूप देना शामिल हैं।
    • उदाहरण के लिए, दोनों पक्षों ने रक्षा-अंतरिक्ष साझेदारी के लिए एक नए समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो उन्हें “अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता” के क्षेत्र में बढ़ावा देने में सहायता प्रदान करेगा, साथ ही उपग्रह प्रक्षेपण पर समन्वय पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया।
  • नागरिक परमाणु ऊर्जा: दोनों पक्षों ने जैतापुर में 6-यूरोपीय दबावयुक्त रिएक्टर (European Pressurized Reactor-EPR) बिजली संयंत्र परियोजना पर हुई प्रगति का स्वागत किया है। उन्होंने छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों और उन्नत मॉड्यूलर रिएक्टरों पर एक सहयोग कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया है।
  • नीली अर्थव्यवस्था: वर्ष 2022 में फ्राँस  और भारत द्वारा अपनाए गए ‘रोडमैप ऑन ब्लू इकॉनमी एंड ओशन गवर्नेंस’ के तहत, समुद्री अनुसंधान पर IFREMER (फ्राँसीसी समुद्री शोध संस्थान) और भारत के राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (National Institute of Ocean Technology-NIOT) के बीच साझेदारी का शुभारंभ।
  • नागरिक उड्डयन: भारत और फ्राँस के बीच नागरिक विमानन के क्षेत्र में तकनीकी और सुरक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर, जिसका उद्देश्य भारत तथा फ्राँस के बीच हवाई मार्गों के विस्तार एवं भारतीय नागरिक विमानन बाजार के विकास को समर्थन देना है।
    • इसके अलावा, हाल ही में, यूरोपीय विमान निर्माता कंपनी एयरबस और भारत के टाटा के बीच सिविल हेलीकॉप्टरों के स्थानीय निर्माण के लिए एक संयुक्त उद्यम पर सहमति व्यक्त की गई है।
  • संस्कृति: वर्ष 1980 में स्थापित द्विपक्षीय सांस्कृतिक संवाद के साथ फ्राँस और भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान हमेशा बहुत गहन रहा है।
    • उदाहरण के लिए, हाल ही में नई दिल्ली में एक प्रमुख नए राष्ट्रीय संग्रहालय की स्थापना के लिए फ्राँस और भारत के बीच साझेदारी की घोषणा की गई थी।
    • इसके अलावा, हाल ही में फ्राँस के सेर्गी में तिरुवल्लुवर की प्रतिमा का उद्घाटन किया गया।

भारत-फ्राँस  संबंधों से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ

  • भू-राजनीतिक दृष्टिकोण में अंतर: यूक्रेन-रूस संघर्ष, चीन की बढ़ती आक्रामकता से जुड़ी चिंताओं आदि जैसे वैश्विक मुद्दों पर भारत और फ्राँस के राजनयिक दृष्टिकोण में कुछ मतांतर देखे जा रहे हैं।
    • उदाहरण के लिए, भारत द्वारा चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का समर्थन करने से इनकार करने के बाद, फ्राँस पहला ऐसा देश बन गया है जो अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और पूर्वी यूरोप में चीन के साथ संयुक्त रूप $1.7 बिलियन से अधिक की सात बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का निर्माण करेगा।
  • रुकी हुई परियोजनाएँ: जैतापुर में रिएक्टर बनाने के लिए वर्ष 2009 में पहली बार हस्ताक्षर किए गए नागरिक परमाणु सहयोग समझौते पर तकनीकी और इंजीनियरिंग से जुड़े मुद्दों पर सहमति न बन पाने के कारण दोनों पक्षों के बीच बात आगे नहीं बढ़ पाई है।
  • फ्राँसीसी पत्रकार मुद्दे पर विरोध: हाल ही में, भारत में तैनात लगभग 30 विदेशी संवाददाताओं ने एक फ्राँसीसी पत्रकार के मामले को लेकर विरोध पत्र जारी किया है, जिस पर भारतीय अधिकारियों ने कुछ नियमों का उल्लंघन करने के लिए नोटिस जारी किया था।
  • मुक्त व्यापार समझौते का अभाव:  भारत और फ्राँस के बीच मुक्त-व्यापार समझौते (FTA) के लिए बातचीत को छह वर्षों तक चली कई दौर की वार्ताओं के बाद वर्ष 2013 में निलंबित कर दिया गया था। 
    • हालाँकि, वर्ष 2022 में, भारत और यूरोपीय संघ (EU) ने लंबे समय से लंबित व्यापार और निवेश समझौते के लिए बातचीत फिर से शुरू की, लेकिन इसे अभी भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है।

आगे की राह

  • परियोजनाओं का समयबद्ध कार्यान्वयन : इन परियोजनाओं को समय पर पूर्ण करने की आवश्यकता है। 
    • उदाहरण के लिए, भारत और फ्राँस महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में 9,900 मेगावाट के जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए एक वित्तपोषण तंत्र और स्थानीयकरण घटक को बढाने का प्रयास कर रहे हैं।
  • वैश्विक चुनौतियों पर सहयोग: बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच, भारत और फ्राँस अंतरराष्ट्रीय शांति तथा स्थिरता के हित में एक साथ काम करने एवं नियम आधारित व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।
  • द्विपक्षीय समर्थन सुनिश्चित करना: दोनों देश मजबूत ऐतिहासिक संबंध साझा करते हैं और द्विपक्षीय समर्थन दिखाने वाले कई उदाहरण हैं, जो इस समर्थन को जारी रखने की आवश्यकता को दर्शाते हैं।
    • हाल ही में, भारतीय प्रधानमंत्री ने जी-20 की भारत की अध्यक्षता के लिए फ्राँस के निरंतर समर्थन के लिए फ्राँसीसी राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया।
  • उदाहरण के लिए, फ्राँसीसी राष्ट्रपति ने आश्वासन दिया कि फ्राँस वर्ष 2036 के ओलंपिक खेलों की मेजबानी के लिए भारत का समर्थन करेगा।

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