विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने घोषणा की है कि भारत सरकार ने ट्रैकोमा को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या की श्रेणी से हटा दिया है।
संबंधित तथ्य
भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र का तीसरा देश बन गया।
ट्रैकोमा (Trachoma)
परिचय: यह क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस (Chlamydia Trachomatis) जीवाणु के संक्रमण से होने वाला नेत्र रोग है।
यदि इसका उपचार न किया जाए तो यह अपरिवर्तनीय अंधेपन (Irreversible Blindness) का कारण बनता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ट्रैकोमा को एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Disease) घोषित कर दिया है।
वितरण: ट्रैकोमा अफ्रीका, मध्य और दक्षिण अमेरिका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया और मध्य पूर्व के सबसे गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक विस्तृत है।
रोग का प्रसार:
व्यक्तिगत संपर्क के माध्यम से (हाथों, कपड़ों, बिस्तर या कठोर सतहों के माध्यम से)
उन मक्खियों द्वारा जो किसी संक्रमित व्यक्ति की आँख या नाक से निकले स्राव के संपर्क में आई हों।
WHO ट्रैकोमा को समाप्त करने के लिए सुरक्षित रणनीति (सर्जरी, एंटीबायोटिक्स, चेहरे की सफाई और पर्यावरण सुधार) की सिफारिश करता है।
अक्टूबर 2024 तक, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा 20 देशों को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में ट्रैकोमा को समाप्त करने के लिए मान्यता दी गई है:-
वर्ष 2021 में, 69,266 लोगों को बीमारी के उन्नत चरणों के लिए सर्जिकल उपचार प्राप्त हुए और 64.6 मिलियन लोगों का एंटीबायोटिक दवाओं से उपचार किया गया।
वर्ष 2021 में वैश्विक एंटीबायोटिक कवरेज 44% थी।
भारत सरकार के प्रयास
भारत सरकार ने वर्ष 1963 में राष्ट्रीय ट्रैकोमा नियंत्रण कार्यक्रम (National Trachoma Control Program) प्रारंभ किया और बाद में ट्रैकोमा नियंत्रण प्रयासों को भारत के ‘नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस एंड विजुअल इंपेयरमेंट’ (National Program for Control of Blindness & Visual Impairment- NPCBVI) में एकीकृत कर दिया गया।
परिणामस्वरूप, वर्ष 2017 में भारत को संक्रामक ट्रैकोमा से मुक्त घोषित कर दिया गया।
हालाँकि, वर्ष 2019 से वर्ष 2024 तक भारत के सभी जिलों में ट्रैकोमा मामलों की निगरानी जारी रहेगी।
वर्तमान में यह घटकर 1% से भी कम रह गया है।
उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Diseases – NTDs)
NTDs, उष्णकटिबंधीय संक्रमणों का विविध समूह होते हैं, जो अफ्रीका, एशिया और अमेरिका के विकासशील क्षेत्रों में कम आय वाली आबादी में सामान्य है।
NTDs विभिन्न रोगाणुओं, जैसे-वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ और परजीवी कृमियों (Helminths) के कारण होते हैं।
इन्हें ‘उपेक्षित’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडे से लगभग अनुपस्थित हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 17 आधिकारिक NTDs की सूची तैयार की है।
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