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भारत-जापान 2+2 बैठक

Lokesh Pal August 22, 2024 01:27 65 0

संदर्भ

हाल ही में तीसरी भारत-जापान 2+2 विदेश और रक्षा मंत्रिस्तरीय बैठक  (India-Japan 2+2 Foreign and Defence Ministerial Meeting) नई दिल्ली, भारत में आयोजित की गई, जिसमें हिंद-प्रशांत पर ध्यान केंद्रित किया गया। 

तीसरी भारत-जापान 2+2 बैठक पर मुख्य निष्कर्ष

इस वार्ता ने मंत्रियों को मौजूदा द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा करने तथा दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए नई पहलों की खोज करने हेतु एक मंच प्रदान किया। निम्नलिखित विभिन्न प्रमुख चर्चाएँ हुईं:-

  • नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था (Rules-based International Order): मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों पर आधारित नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने और मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। इसका अर्थ है:-
    • राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान
    • बल प्रयोग या धमकी का सहारा लिए बिना विवादों का शांतिपूर्ण समाधान
    • उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि सभी देशों को यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदलने के किसी भी प्रयास से बचना चाहिए।
  • क्वाड, आसियान और हिंद-प्रशांत (Quad, ASEAN and Indo-Pacific): उन्होंने क्वाड में अपने सहयोग को महत्त्व दिया तथा जुलाई 2024 में टोक्यो में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में हुई चर्चा के आधार पर इसे और आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
    • मंत्रियों ने आसियान की एकता और केंद्रीयता के प्रति अपने दृढ़ समर्थन तथा ‘भारत-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण’ (ASEAN Outlook on the Indo Pacific- AOIP) के प्रति अपने पूर्ण समर्थन को दोहराया।
      • AOIP खुलेपन, पारदर्शिता, समावेशिता, नियम-आधारित ढाँचे और अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति सम्मान जैसे सिद्धांतों को कायम रखता है।
    • मंत्रियों ने साझा हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा की।
  • सुरक्षा और सामरिक संबंध (Security and Strategic Ties): उन्होंने दिसंबर 2022 में जारी जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के बाद द्विपक्षीय सुरक्षा और रक्षा सहयोग को और बढ़ाने की संभावनाओं का स्वागत किया।
    • उन्होंने इस सहयोग को जापान-भारत विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी (Japan-India Special Strategic and Global Partnership) का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ माना।
    • उन्होंने जापान और भारत के बीच सुरक्षा सहयोग पर वर्ष 2008 के संयुक्त घोषणा-पत्र को संशोधित और अद्यतन करने की इच्छा व्यक्त की, ताकि इसमें समकालीन प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित किया जा सके और उनके सामने मौजूद समकालीन सुरक्षा चुनौतियों के प्रति प्रत्युत्तर दिया जा सके।
    • उन्होंने अंतरिक्ष, समुद्री मामलों और अफ्रीका में बातचीत करने की इच्छा व्यक्त की तथा अंतरिक्ष एवं साइबर के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को और अधिक गहरा करने पर सहमति व्यक्त की।
    • वे आर्थिक सुरक्षा और सामरिक व्यापार के क्षेत्र में आगे सहयोग के लिए गहन वार्ता को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
    • उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को मजबूत बनाने के उद्देश्य से सुरक्षा परिषद सुधार पर मिलकर कार्य करना जारी रखने पर भी सहमति व्यक्त की।
    • दोनों देशों ने रक्षा नीति वार्ता, उप-मंत्री/विदेश सचिव स्तरीय वार्ता, विदेश कार्यालय परामर्श, निरस्त्रीकरण एवं अप्रसार वार्ता, साइबर वार्ता और अन्य क्षेत्रीय परामर्श जैसे विभिन्न संवादों के माध्यम से सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में पहले ही प्रगति कर ली है।
  • महिलाओं की भागीदारी (Women Participation): मंत्रियों ने महिला, शांति और सुरक्षा (Women, Peace and Security- WPS) की प्रगति तथा शांति अभियानों में जापानी और भारतीय महिलाओं की सक्रिय भागीदारी का स्वागत किया।
    • उन्होंने संघर्षों को रोकने, राहत एवं पुनर्प्राप्ति प्रयासों को आगे बढ़ाने तथा स्थायी शांति स्थापित करने में महिलाओं की अग्रणी भूमिका के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला।
  • लोगों के बीच आदान-प्रदान (People-to-People Exchanges): मंत्रियों ने लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के प्रयासों का समर्थन किया, जो रणनीतिक साझेदारी के पूरक हैं।
    • उन्होंने फुकुओका (Fukuoka) में एक नया वाणिज्य दूतावास स्थापित करने के भारत के निर्णय के महत्त्व की सराहना की। 
    • उन्होंने सितंबर में जापान में ‘भारत माह’ (India Month) और भारत में ‘जापान माह’ (Japan Month) मनाए जाने का भी स्वागत किया।
  • आतंक और आतंक के सुरक्षित ठिकानों को जड़ से उखाड़ फेंकना (Root out Terror and Terror Safe Havens): मंत्रियों ने सीमापार आतंकवाद सहित सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद एवं हिंसक उग्रवाद की स्पष्ट रूप से निंदा की तथा 26/11 मुंबई, पठानकोट व अन्य हमलों के अपराधियों को न्याय के दायरे में लाने का आह्वान किया।
    • उन्होंने अलकायदा (Al Qaeda), आईएसआईएस/दाएश (ISIS/Daesh), लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Tayyiba), जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammad) और उनके प्रॉक्सी समूहों सहित सभी संयुक्त राष्ट्र-सूचीबद्ध आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया।
    • आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को नष्ट करने, आतंकवादियों के वित्तपोषण चैनलों को समाप्त करने तथा आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही को रोकने के लिए दृढ़ कार्रवाई करना।
  • रक्षा सहयोग और आदान-प्रदान (Defence Cooperation and Exchanges): मंत्रियों ने पहली संयुक्त सेवा स्टाफ वार्ता आयोजित होने तथा सितंबर 2022 में पिछली बैठक के बाद से दोनों पक्षों के बीच रक्षा सहयोग और प्रत्येक घटक के बीच आदान-प्रदान में हुई प्रगति की सराहना की।
    • उन्होंने निम्नलिखित विषयों का स्वागत किया:-
      • जापानी लड़ाकू विमानों का पहला हवाई दौरा तथा भारतीय वायु सेना द्वारा आयोजित प्रथम बहुपक्षीय अभ्यास तरंग शक्ति (Tarang Shakti) में उनकी भागीदारी।
      • जापान एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स (Japan Air Self Defence Force- JASDF) और भारतीय वायु सेना (IAF) के बीच द्विपक्षीय लड़ाकू अभ्यास ‘वीर गार्जियन 2023’ (Veer Guardian 2023) के उद्घाटन संस्करण का आयोजन।
      • वर्ष 2023 में पहली बार एक कैलेंडर वर्ष में तीनों सेवाओं के द्विपक्षीय अभ्यास का आयोजन।
    • मंत्रियों ने ‘धर्म गार्जियन’ (Dharma Guardian), जेआईएमईएक्स (JIMEX) और ‘मालाबार’ (Malabar) सहित द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय अभ्यास जारी रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
    • मंत्रियों ने जापान समुद्री आत्मरक्षा बल और भारतीय नौसेना बल द्वारा भारत में जहाज रखरखाव के क्षेत्र में भविष्य में सहयोग की संभावनाओं का स्वागत किया।
  • प्रौद्योगिकी पर: मंत्रियों ने मानवरहित भू-वाहन (Unmanned Ground Vehicle- UGV)/रोबोटिक्स के क्षेत्र में सहयोग के सफल समापन की सराहना की।
    • उन्होंने एकीकृत जटिल रेडियो एंटीना (Unified Complex Radio Antenna- UNICORN) और संबंधित प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण तथा संबंधित व्यवस्थाओं पर शीघ्र हस्ताक्षर के लिए हुई प्रगति की सराहना की।
    • मंत्रियों ने रक्षा उपकरण एवं प्रौद्योगिकी सहयोग पर सातवें जापान-भारत संयुक्त कार्य समूह पर अपना संतोष व्यक्त किया तथा रक्षा उपकरण एवं प्रौद्योगिकी में भविष्य में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की।

2+2 विदेश और रक्षा मंत्रिस्तरीय बैठक के बारे में

‘2+2’ रक्षा और विदेश मंत्री स्तरीय वार्ता में दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों के साथ-साथ उनके संबंधित समकक्षों की भागीदारी होती है।

  • प्रयोजन: सामरिक, सुरक्षा संबंधी मुद्दों और कूटनीतिक मामलों पर चर्चा करना।
  • आयोजन: भारत प्रमुख रणनीतिक साझेदारों (अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, ब्रिटेन, रूस और ब्राजील) के साथ ‘2+2’ वार्ता आयोजित करता है।
    • अमेरिका भारत का सबसे पुराना और सबसे महत्त्वपूर्ण 2+2 वार्ता साझेदार है।
  • तर्क: यह साझेदारों को एक-दूसरे की रणनीतिक चिंताओं एवं संवेदनशीलताओं को बेहतर ढंग से समझने एवं सराहने में सक्षम बनाता है, ताकि दोनों पक्षों के राजनीतिक कारकों को ध्यान में रखा जा सके, ताकि तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश में अधिक मजबूत, अधिक एकीकृत रणनीतिक संबंध का निर्माण किया जा सके।
  • महत्त्व
    • रक्षा और सामरिक समझौता: यह विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों पर चर्चा और अनुसमर्थन के लिए एक महत्त्वपूर्ण मंच है।
      • उदाहरण: गहन सैन्य सहयोग के लिए, भारत और अमेरिका ने लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA), कम्युनिकेशंस कम्पेटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (COMCASA), बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) जैसे ट्रोइका समझौतों (Troika Pacts) पर हस्ताक्षर किए हैं।
    • क्षेत्रीय चिंताओं का समाधान: भारत और उसके साझेदारों के लिए अपने सामरिक हितों को संरेखित करना महत्त्वपूर्ण है।
      • उदाहरण: चीन की बढ़ती आक्रामकता के परिणामस्वरूप जापान, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (QUAD) मंच के भीतर सहयोग की आवश्यकता उत्पन्न हो गई है।
    • संबंधों का विस्तार: भारत 2+2 वार्ता को महत्त्व देता है तथा बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देने में साझा विश्व दृष्टिकोण और लक्ष्यों को स्वीकार करता है।

भारत-जापान द्विपक्षीय संबंधों के बारे में

पिछले दशक में भारत-जापान संबंधों ने एक विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी का रूप ले लिया है। इस विकास का कारण है बढ़ते हित और बढ़ती गतिविधियाँ।

  • राजनयिक और रणनीतिक संबंध: इसकी शुरुआत 28 अप्रैल, 1952 को जापान के साथ एक अलग शांति संधि के समापन के साथ हुई। तब से, सहयोग के क्षेत्रों की एक विस्तृत शृंखला को कवर करने के लिए वर्षों में संबंध परिपक्व हुए हैं।
    • संबंधों को मजबूत करना (Strengthening Relations): भारत-जापान संबंधों को वर्ष 2000 में ‘वैश्विक साझेदारी’ (Global Partnership), वर्ष 2006 में ‘रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’ (Strategic and Global Partnership) तथा वर्ष 2014 में ‘विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी’ (Special Strategic and Global Partnership) के स्तर तक उन्नत किया गया।
    • अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौता (Acquisition and Cross-Servicing Agreement- ACSA): इस समझौते पर बातचीत चल रही है जिसके माध्यम से जापान अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में भारतीय सुविधाओं तक पहुँच प्राप्त कर सकता है और भारत जिबूती में जापान की नौसैनिक सुविधा तक पहुँच प्राप्त कर सकता है।
    • असैन्य परमाणु सहयोग: नवंबर 2016 में परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
    • समुद्री डोमेन जागरूकता (Maritime Domain Awareness- MDA) में प्रगति: भारत के पास राष्ट्रीय समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA) के तहत विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए गुरुग्राम में स्थित हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR) के दो केंद्र [सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (Information Management and Analysis Centre- IMAC) और सूचना संलयन केंद्र (Information Fusion Centre)] हैं। 
      • भारत और जापान के बीच वर्ष 2006 से नियमित वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं।
    • भारत-जापान एक्ट ईस्ट फोरम (India-Japan Act East Forum): इसकी स्थापना वर्ष 2017 में भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ और जापान की ‘फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी’ के तहत भारत-जापान सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए की गई थी।
  • राजनीतिक संबंध
    • वर्ष 2007: जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत आए और उन्होंने भारतीय संसद में प्रसिद्ध ‘दो समुद्रों का संगम’ (The Confluence of Two Seas) भाषण दिया। 
      • उन्हें वर्ष 2021 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
    • वर्ष 2013: वर्ष 2013 एक ऐतिहासिक वर्ष था, जिसमें जापानी सम्राट अकिहितो और महारानी मिचिको (Michiko) पहली बार भारत आए।
    • वर्ष 2019: भारतीय राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद जापान के सम्राट के राज्याभिषेक समारोह में भाग लेने के लिए अक्टूबर 2019 में जापान गए थे।
    • वर्ष 2022: मार्च 2022 में जापानी प्रधानमंत्री ने 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए आधिकारिक तौर पर भारत का दौरा किया। दोनों पक्षों ने ‘कोविड-19 के बाद एक शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध विश्व के लिए साझेदारी’ शीर्षक से एक संयुक्त वक्तव्य पर सहमति व्यक्त की।
    • वर्ष 2023: मार्च 2023 में जापानी प्रधानमंत्री भारत आए और भारतीय प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक की। दोनों पक्षों ने जापानी भाषा पर सहयोग ज्ञापन (MoC) को नवीनीकृत किया, जिस पर मूल रूप से वर्ष 2017 में हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें उच्च स्तरीय भाषा सीखने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
      • भारत और जापान ने वर्ष 2023 को ‘भारत-जापान पर्यटन आदान-प्रदान वर्ष’ (India-Japan Year of Tourism Exchange) के रूप में मनाने की घोषणा की है, जिसका विषय ‘हिमालय को माउंट फूजी से जोड़ना’ (Connecting Himalayas with Mount Fuji) है।
    • मई 2023 में, भारतीय प्रधानमंत्री G7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित सदस्य के रूप में भाग लेने के लिए जापान का दौरा किया। 
    • सितंबर 2023 में, जापानी प्रधानमंत्री G20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत का दौरा किया।
    • 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक: इसे दोनों देशों के विदेश और रक्षा सचिवों के बीच बैठक के उन्नयन के रूप में देखा जा रहा है।
      • जापान दूसरा देश है जिसके साथ भारत की 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता है (अमेरिका के बाद)।
    • भारत-जापान फोरम (India-Japan Forum): भारत-जापान फोरम का पहला सम्मेलन जुलाई 2021 में आयोजित किया गया था। इसमें दोनों सरकारों, संसद, उद्योग, थिंक टैंक और शिक्षा जगत के प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
    • जापान में सबसे पुराना अंतरराष्ट्रीय मैत्री निकाय (Oldest International Friendship Body in Japan): वर्ष 1903 में स्थापित जापान-भारत एसोसिएशन (Japan-India Association) जापान का सबसे पुराना अंतरराष्ट्रीय मैत्री निकाय है।
  • रक्षा संबंध
    • विभिन्न द्विपक्षीय अभ्यास: जिमैक्स (नौसेना), मालाबार अभ्यास (नौसेना अभ्यास), ‘वीर गार्जियन’ और शिन्यू (SHINYUU) मैत्री (वायु सेना) तथा धर्म गार्जियन (सेना)। 
    • जापान ने 30% विमान भारत में बनाने की प्रतिबद्धता जताई है, जिससे भारतीय रक्षा विनिर्माण में सुधार होगा।
  • सामान्य समूह
    • भारत और जापान दोनों ही क्वाड, G-20 और G-4, इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर (International Thermonuclear Experimental Reactor- ITER) के सदस्य हैं।
      • जापान भारत के नेतृत्व वाली पहलों जैसे कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA), आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure- CDRI) और उद्योग परिवर्तन के लिए नेतृत्व समूह (Leadership Group for Industry Transition- LeadIT) में भी शामिल हो गया है।
  • आर्थिक एवं वाणिज्यिक संबंध
    • वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत के साथ जापान का द्विपक्षीय व्यापार कुल 22.85 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। 
    • भारत-जापान व्यापक आर्थिक भागीदारी (Comprehensive Economic Partnership- CEPA): यह अगस्त 2011 में लागू हुई।
      • यह सर्वाधिक व्यापक है और इसमें वस्तुओं एवं सेवाओं के व्यापार, प्राकृतिक व्यक्तियों की आवाजाही, निवेश, बौद्धिक संपदा अधिकार, सीमा शुल्क प्रक्रियाएँ और अन्य व्यापार संबंधी मुद्दों को शामिल किया गया है।
      • जापान को भारत का प्राथमिक निर्यात: पेट्रोलियम उत्पाद, कार्बनिक रसायन; मछली और क्रस्टेशियन, मोलस्क और अन्य जलीय अकशेरुकी; परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीनरी और यांत्रिक उपकरण, आदि।
      • जापान से भारत का प्राथमिक आयात: मशीनरी, विद्युत मशीनरी, लोहा और इस्पात उत्पाद, प्लास्टिक सामग्री, अलौह धातु, मोटर वाहनों के पुर्जे आदि।

    • द्विपक्षीय स्वैप व्यवस्था (Bilateral Swap Arrangement): दोनों देश द्विपक्षीय स्वैप व्यवस्था पर सहमत हुए हैं, जो उनके केंद्रीय बैंकों को 75 बिलियन डॉलर तक की स्थानीय मुद्राओं का आदान-प्रदान करने की अनुमति देगा।
    • जापानी निवेश और आधिकारिक विकास सहायता (ODA)
      • भारत में जापानी FDI: यह मुख्य रूप से ऑटोमोबाइल, विद्युत उपकरण, दूरसंचार, रसायन, वित्तीय (बीमा) और फार्मास्यूटिकल क्षेत्रों में रहा है।
        • मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका और नीदरलैंड के बाद जापान FDI के स्रोत देशों में पाँचवें स्थान पर है।
      • जापान वर्ष 1958 से भारत को द्विपक्षीय ऋण और अनुदान सहायता प्रदान करता रहा है। जापान भारत का सबसे बड़ा द्विपक्षीय साझीदार है।
  • लोगों के बीच संबंध: हाल के वर्षों में, आईटी पेशेवरों और इंजीनियरों सहित कई पेशेवरों के आगमन के साथ भारतीय समुदाय की संरचना में बदलाव आया है। टोक्यो में निशिकासाई (Nishikasai) क्षेत्र एक ‘मिनी-भारत’ (Mini-India) के रूप में उभर रहा है।
    • ऐसा कहा जाता है कि जापान और भारत के बीच आदान-प्रदान छठी शताब्दी में शुरू हुआ था, जब जापान में बौद्ध धर्म का आगमन हुआ था। 
    • बौद्ध धर्म के माध्यम से भारतीय संस्कृति का जापानी संस्कृति पर बहुत प्रभाव पड़ा है, और यही जापानी लोगों की भारत के प्रति निकटता की भावना का स्रोत है।

द्विपक्षीय संबंधों की चुनौतियाँ

भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय संबंधों के समक्ष निम्नलिखित विभिन्न चुनौतियाँ हैं, जिनका समाधान किया जाना आवश्यक है:

  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती चीनी आक्रामकता: हिंद-प्रशांत क्षेत्र के कुछ हिस्सों में चीन की शक्ति और प्रभाव बढ़ रहा है।
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सामने अनेक चुनौतियाँ हैं, जैसे- यूक्रेन युद्ध, खाद्य सुरक्षा, साइबर स्पेस, इसके अलावा समुद्र की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना और कनेक्टिविटी जैसे मुद्दे भी हैं।
  • व्यापार अंतर: चीन के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों की तुलना में दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध अविकसित रहे हैं। 
    • ई-कॉमर्स नियम (ओसाका ट्रैक) और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership) जैसे आर्थिक मुद्दों पर भारत और जापान दोनों के हित अलग-अलग हैं।
    • भाषा संबंधी बाधाओं, उच्च गुणवत्ता और सेवा मानकों के कारण भारत जापानी बाजार में प्रवेश करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
  • रूस एक कारक के रूप में: यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के जवाब में भारत और जापान के बीच मतभेद है। जापान अमेरिका के गठबंधन का हिस्सा है और उसने भी रूस के खिलाफ प्रतिबंधों में हिस्सा लिया है, जबकि भारत ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है।
    • इसके अलावा, भारत द्वारा वोस्तोक अभ्यास (Vostok Exercises) में भाग लेने पर भी मतभेद है, जो दक्षिण कुरील द्वीप (रूस और जापान के बीच विवादित क्षेत्र) के निकट आयोजित किया गया था।
  • क्वाड और ब्रिक्स के बीच संतुलन: भारत चीन के नेतृत्व वाली बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में शामिल नहीं हुआ है, जबकि वह क्वाड और AIIB का सदस्य है। भारत ने लंबे समय से जापान और ऑस्ट्रेलिया के कट्टर, अमेरिका समर्थक विदेश नीति रुख के विपरीत एक गुटनिरपेक्ष दृष्टिकोण अपनाया है।
    • इसलिए भारत को क्वाड और ब्रिक्स के बीच संतुलन बनाना होगा।
  • एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर (AAGC) परियोजना: AAGC की व्यवहार्यता के साथ-साथ इसमें शामिल परियोजनाओं की प्रकृति पर भी संदेह है।
  • रक्षा निर्यात: भारत अन्य देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करना चाहता है, जो संभवतः जापान के अपने रक्षा निर्यात के साथ प्रतिस्पर्द्धा कर सकें।
    • एंफीबियस यूएस-2 (Amphibious US-2) विमानों की खरीद के लिए बातचीत कई वर्षों से चल रही है।

आगे की राह

भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को गहरा और मजबूत करने के लिए निम्नलिखित विभिन्न उपाय किए जाने की आवश्यकता है:

  • क्षेत्रीय ताकत में वृद्धि: भारत और जापान दोनों के पास आर्थिक और सैन्य ताकत है, जिसका उपयोग भविष्य में क्षेत्रीय ताकत के लिए किया जा सकता है और चीन कारक का भी मुकाबला किया जा सकता है। 
  • प्रदूषण पर कार्रवाई: प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा है और जापानी हरित प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके प्रदूषण से निपटा जा सकता है।
    • उदाहरणमियावाकी तकनीक (Miyawaki Technique): देशज पौधों से घने जंगल बनाना।
    • संयुक्त ऋण तंत्र (Joint crediting mechanism- JCM): JCM के तहत, जापानी कंपनियाँ अपनी अत्याधुनिक पर्यावरण प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके, विकासशील देशों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद करने के बदले में कार्बन क्रेडिट अर्जित कर सकेंगी।
  • व्यापार बाधा का समाधान: द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना और आर्थिक सहयोग की पूरी क्षमता का एहसास करना।
    • जापानी डिजिटल प्रौद्योगिकी को भारतीय कच्चे माल और श्रम के साथ मिलाकर संयुक्त उद्यम बनाए जा सकते हैं।
    • यदि भारत द्वारा जापान से स्वदेश निर्मित एंफीबियस यूएस-2 विमानों की खरीद सफलतापूर्वक की जाती है, तो यह भारत के ‘मेक इन इंडिया’ में भी योगदान दे सकता है।
  • लोगों के बीच आदान-प्रदान बढ़ाना: जापान में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए जापान में भारतीय आईटी पेशेवरों को शामिल करना।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी में साझेदारी का विस्तार करना: जैसे 5G, दूरसंचार नेटवर्क सुरक्षा, पनडुब्बी केबल प्रणाली और क्वांटम संचार।
    • दोनों देश पनडुब्बियों के उत्पादन की तकनीक तथा मानवरहित ग्राउंड वाहन और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में सहयोगात्मक अनुसंधान में भी लगे हुए हैं।
  • सामरिक संपर्क पर सहयोग: ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और ‘गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना के लिए साझेदारी’ के बीच तालमेल का उपयोग करके दक्षिण एशिया को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ना।

निष्कर्ष

जापान-भारत विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी दोनों देशों के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती चुनौतियों का समाधान करने का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करती है। 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता सैन्य सहयोग को मजबूत करने, क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और गतिशील विश्व व्यवस्था में साझा हितों को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण है।

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