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भारत- मालदीव द्विपक्षीय संबंध

Lokesh Pal October 09, 2024 03:22 75 0

संदर्भ

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने और उन्हें मजबूत करने के लिए नई दिल्ली में मुलाकात की।

मालदीव के लिए हालिया आर्थिक चुनौतियाँ

  • ऋण चूक संकट (Debt Default Crisis): मालदीव संभावित ऋण चूक का सामना कर रहा है, इसका विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 440 मिलियन डॉलर रह गया है, जो केवल 1.5 महीने के आयात के लिए पर्याप्त है।
  • डाउनग्रेडेड क्रेडिट रेटिंग (Downgraded Credit Ratings): मूडीज ने मालदीव की क्रेडिट रेटिंग को घटा दिया है, जिसमें डिफॉल्ट जोखिम में वृद्धि का हवाला दिया गया है क्योंकि विदेशी मुद्रा भंडार वर्ष 2025 में सरकार के 600 मिलियन डॉलर और वर्ष 2026 में 1 बिलियन डॉलर से अधिक के बाहरी ऋण भुगतान से काफी नीचे है।

संबंधित तथ्य

  • मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू वर्तमान में 6 से 10 अक्टूबर, 2024 तक भारत की महत्त्वपूर्ण पाँच दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं। यह यात्रा पदभार ग्रहण करने के बाद से भारत की उनकी पहली द्विपक्षीय यात्रा है।
  • यह यात्रा इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि मुइज्जू के ‘इंडिया आउट’ अभियान के अंतर्गत सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में स्थिरता आ गई थी।

  • 15 नवंबर, 2012 को स्थापित सार्क मुद्रा स्वैप फ्रेमवर्क (SAARC Currency Swap Framework) का उद्देश्य अल्पकालिक विदेशी मुद्रा तरलता आवश्यकताओं या भुगतान संतुलन के मुद्दों का सामना कर रहे सार्क सदस्य देशों का समर्थन करना है।
  • यह सदस्य देशों को अमेरिकी डॉलर, यूरो या भारतीय रुपये में स्वैप निकासी के माध्यम से वित्तपोषण तक पहुँचने में सक्षम बनाता है।

बैठक के मुख्य बिंदु

  • समझौता: भारतीय रिजर्व बैंक और मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण (Maldives Monetary Authority) ने सार्क मुद्रा स्वैप फ्रेमवर्क (SAARC Currency Swap Framework) के अंतर्गत 400 मिलियन डॉलर और 30 बिलियन भारतीय रुपये ($357 मिलियन) की मुद्रा स्वैप लाइनों पर सहमति व्यक्त की है। ये 18 जून, 2027 तक वैध रहेंगे।
    • यह समझौता दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्राओं में भुगतान की अनुमति देता है।
    • मुद्रा विनिमय समझौते का उद्देश्य मालदीव को अपने मौजूदा विदेशी मुद्रा संकट से उबारने में मदद करना है।
  • व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा भागीदारी (Comprehensive Economic and Maritime Security Partnership): भारत और मालदीव द्विपक्षीय संबंधों को ‘व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा भागीदारी’ (Comprehensive Economic and Maritime Security Partnership) में बदलने पर सहमत हुए।
  • मुक्त व्यापार समझौतों पर बातचीत की शुरुआत (Initiation of Free Trade Agreements Negotiations): दोनों देश मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिए वार्ता शुरू करने पर सहमत हुए हैं।
  • टी-बिल का रोलओवर (Rollover of T-bills): भारत ने 50 मिलियन डॉलर के ट्रेजरी बिल को एक और वर्ष के लिए आगे बढ़ाकर मालदीव को महत्त्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान की है।
  • मालदीव में RuPay कार्ड की शुरुआत: RuPay कार्ड की शुरुआत करके भारत का लक्ष्य भारतीय पर्यटकों के लिए वित्तीय लेन-देन को सुविधाजनक बनाना है, जिससे मालदीव के पर्यटन क्षेत्र की रिकवरी में सहायता मिलेगी।
  • भारत द्वारा मालद्वीव में निर्माण किए गए मकानों को वहाँ के निवासियों को सौंपना: भारत ने अपनी आर्थिक सहायता से निर्मित 700 मकान मालद्वीव को सौंपे।
  • हस्ताक्षरित समझौते: न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण, भ्रष्टाचार की रोकथाम, कानून प्रवर्तन प्रशिक्षण, खेल एवं युवा मामलों सहित समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
  • हवाई अड्डा रनवे: अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात के लिए हनीमाधू द्वीप (Hanimaadhoo Island) पर संयुक्त रूप से निर्मित रनवे का उद्घाटन किया गया।
  • तटरक्षक बल का समर्थन: रक्षा और सुरक्षा सहयोग को पुनर्स्थापित करने की उम्मीद में, भारत ने मालदीव के तटरक्षक जहाज की मरम्मत एवं रखरखाव करने का फैसला किया, जिसे उसने कुछ वर्ष पहले उपहार में दिया था।
  • मालदीव से अनुरोध: ऋण चुकौती छूट (Debt Repayment Waivers) और अतिरिक्त ऋण लाइनों के लिए भारत ने मालद्वीव से अनुरोध किया है।
    • मालदीव के राष्ट्रपति ने भारतीय पर्यटकों की वापसी की उम्मीद जताई, जिनकी संख्या भारत में सोशल मीडिया बहिष्कार अभियान के बाद आधी हो गई है।

मालदीव: एक समग्र अवलोकन

  • अवस्थिति: मालदीव भारत के दक्षिण में हिंद महासागर में अवस्थित है। 
    • यह एशिया का सबसे छोटा देश है।

  • राजधानी: माले।
  • भारत और मालदीव को अलग करने वाला चैनल: आठ डिग्री चैनल (Eight Degree Channel) भारत के मिनिकॉय द्वीप (Minicoy Island), जो लक्षद्वीप (Lakshadweep Islands) का हिस्सा है, को मालदीव से अलग करता है।
  • भागीदारी: मालदीव संयुक्त राष्ट्र (United Nations), राष्ट्रमंडल राष्ट्र (Commonwealth of Nations), इस्लामिक सहयोग संगठन (Organisation of Islamic Cooperation) का सदस्य है।
    • यह शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) का एक वार्ता साझेदार है।

भारत के लिए मालदीव का महत्त्व 

  • रणनीतिक स्थान: हिंद महासागर में अवस्थित, मालदीव महत्त्वपूर्ण समुद्री संचार मार्गों (Sea Lanes of Communication- SLOC) पर अवस्थित है, जो अदन की खाड़ी (Gulf of Aden), होर्मुज की खाड़ी (Gulf of Hormuz) और मलक्का जलडमरूमध्य (Strait of Malacca) के बीच समुद्री व्यापार को सुविधाजनक बनाता है।
    • भारत के लगभग 50% बाह्य व्यापार और 80% ऊर्जा आयात अरब सागर में इन SLOCs के रास्ते से होकर गुजरता है।
  • क्षेत्रीय स्थिरता: भारत, हिंद महासागर में शांति एवं स्थिरता के लिए मालदीव को महत्त्वपूर्ण भागीदार मानता है, जबकि भारत समुद्री सुरक्षा में एक महत्त्वपूर्ण भागीदार है।
  • साझा चुनौतियाँ: दोनों देश आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी एवं समुद्री डकैती जैसी साझा चुनौतियों को स्वीकार करते हैं, जिससे सहयोगात्मक रणनीतिक परिदृश्य को बढ़ावा मिलता है।
  • सागर (SAGAR) और नेबरहुड फर्स्ट पाॅलिसी (Neighbourhood First Policy): यह भारत के क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (Security and Growth for All in the Region- SAGAR) और नेबरहुड फर्स्ट पाॅलिसी के दृष्टिकोण का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
    • राजनीतिक एवं आर्थिक रूप से स्थिर मालदीव भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के अनुरूप है।
  • समूहों के सदस्य: मालदीव दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (South Asian Association for Regional Cooperation- SAARC) और दक्षिण एशिया उपक्षेत्रीय आर्थिक सहयोग (South Asia Subregional Economic Cooperation- SASEC) का सदस्य है।

मालदीव के लिए भारत का महत्त्व 

  • मालदीव का प्रथम प्रत्युत्तरदाता: भारत, मालदीव के लिए संकट के समय में सदैव प्रथम प्रत्युत्तरदाता रहा है।
    • उदाहरण: भारत वर्ष 2004 की सुनामी के दौरान मालदीव की सहायता करने वाला पहला देश था, साथ ही दिसंबर 2014 में माले में जल संकट के दौरान भी।
    • मालदीव में खसरा के प्रकोप को रोकने के लिए जनवरी 2020 में भारत ने खसरे के टीके की 30,000 खुराकें तुरंत भेजीं।
    • कोविड-19 के दौरान, महामारी से लड़ने के लिए मालदीव भारत से टीका प्राप्त करने वाला पहला बाहरी देश था।
  • नेट सिक्योरिटी प्रदाता (Net Security provider): वर्ष 1988 में, ऑपरेशन कैक्टस (Operation Cactus) के अंतर्गत भारतीय सशस्त्र बलों ने तख्तापलट के प्रयास को बेअसर करने में मालदीव सरकार की सहायता की थी।
  • विकास संबंधी प्रयास: भारत, मालदीव को विभिन्न विकास परियोजनाओं जैसे अड्डू विकास परियोजना (Addu Development Project) (सड़क एवं भूमि सुधार), गुलहिफाल्हू बंदरगाह परियोजना (Gulhifalhu Port Project), हुलहुमाले क्रिकेट स्टेडियम (Hulhumale Cricket Stadium), ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना (Greater Male Connectivity Project) आदि के लिए ऋण प्रदान कर रहा है।
  • व्यापारिक संबंध: भारत वर्ष 2022 में मालदीव का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और वर्ष 2023 में सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा।
  • पर्यटन राजस्व: वर्ष 2023 में, मालदीव आने वाले पर्यटकों में सबसे अधिक संख्या भारत से थी।
  • भारतीय प्रवासी: मालदीव में भारतीय दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है।

भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंधों में चुनौतियाँ

  • गठबंधनों में बदलाव: मालदीव में सरकार में बदलाव से विदेश नीति एवं प्राथमिकताओं में बदलाव हो सकता है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों की स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
    • उदाहरण के लिए, हाल ही में निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू जिनके बारे में माना जाता है कि वे चीन के पक्ष में हैं।
  • भारतीय प्रभाव की धारणा: मालदीव में, यह धारणा बढ़ती जा रही है कि स्थानीय मामलों में भारत का प्रभाव अत्यधिक है, जिसके कारण कुछ समूहों में भारत विरोधी भावनाएँ बढ़ रही हैं।
    • उदाहरण: मालदीव की राजनीति में ‘इंडिया आउट’ अभियान ने हाल के वर्षों में भारतीय उपस्थिति को देश की संप्रभुता के लिए खतरा बताया है।
  • चीन का प्रभाव: निवेश और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के माध्यम से मालदीव में चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिए चुनौती बन गया है।
    • उदाहरण: मालदीव चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (Belt and Road Initiative- BRI) में भागीदार बन गया।
    • भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति का उद्देश्य चीन की बढ़ती उपस्थिति का प्रतिकार करना है।
  • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: मालदीव आतंकवाद और समुद्री डकैती जैसे खतरों के प्रति संवेदनशील है, जिसके लिए मजबूत सुरक्षा सहयोग की आवश्यकता है।
    • हालाँकि, सुरक्षा के प्रति अलग-अलग दृष्टिकोण, विशेष रूप से विदेशी सैन्य उपस्थिति के संबंध में, टकराव का कारण बन सकते हैं।
  • बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में देरी: ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना (Greater Malé Connectivity Project) जैसी भारत समर्थित बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के पूरा होने में देरी से मालदीव सरकार और जनता में निराशा उत्पन्न हो सकती है, जिससे रिश्ते और भी खराब हो सकते हैं।
  • पर्यटन संबंधी चुनौतियाँ: मालदीव में पर्यटन क्षेत्र में कूटनीतिक विवाद के कारण तनाव बढ़ गया है, क्योंकि लक्षद्वीप द्वीपसमूह की अपनी यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री के प्रति अपमानजनक टिप्पणी की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप सोशल मीडिया पर मालदीव का बहिष्कार करने का चलन शुरू हो गया।

भारत और मालदीव संबंधों में सुधार के लिए आगे की राह

  • आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना: भारत को बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को प्राथमिकता देकर और आर्थिक सहयोग बढ़ाकर मालदीव के साथ विकासोन्मुखी दृष्टिकोण पर जोर देना चाहिए। उदाहरण के लिए-
    • भारत की उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजना (High Impact Community Development Project- HICDP) को युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
    • ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना (Greater Male Connectivity Project) को तेजी से आगे बढ़ाना, माले बंदरगाह पर भीड़भाड़ कम करने के लिए थिलाफुशी (Thilafushi) में अत्याधुनिक वाणिज्यिक बंदरगाह विकसित करने के लिए सहयोग करना।
    • मालदीव को चीन की ‘ऋण जाल’ नीति के बारे में जागरूक रहना चाहिए, जैसा कि श्रीलंका में देखा गया है और अपने विदेशी संबंधों में इसी तरह के नुकसान से बचने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करना चाहिए।
  • रक्षा सहयोग को मजबूत करना: ‘एकुवेरिन’ (Ekuverin), ‘दोस्ती’ (Dosti) और ‘ऑपरेशन शील्ड’ (Operation Shield) जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यासों को बढ़ाना।
    • भारत द्वारा समर्थित उथुरु थिला फाल्हू (Uthuru Thila Falhu- UTF) में चल रही ‘एकाथा’ (Ekatha) बंदरगाह परियोजना, मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (Maldives National Defence Force- MNDF) की परिचालन क्षमताओं को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी।
    • भारत, मालदीव और श्रीलंका के बीच त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना।
  • स्वास्थ्य सहयोग को बढ़ाना: मालदीव सरकार द्वारा इंडियन फार्माकोपिया (Indian Pharmacopoeia) को मान्यता दिलाने की दिशा में कार्य करना तथा किफायती, गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति के लिए भारत-मालदीव जन औषधि केंद्र स्थापित करना।
  • व्यापार सहयोग: दोनों देशों को वस्तुओं एवं सेवाओं के व्यापार पर ध्यान केंद्रित करते हुए द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा शुरू करनी चाहिए।

  • कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (Colombo Security Conclave-CSC): यह एक क्षेत्रीय सुरक्षा समूह है, जिसमें भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव और मॉरीशस शामिल हैं।
    • सेशेल्स (Seychelles) एक पर्यवेक्षक राष्ट्र है।
    • स्थायी सचिवालय: कोलंबो
    • CSC सदस्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSAs) और उप एनएसए को एक साथ लाता है।

    • भारत और मालदीव के बीच स्थानीय मुद्राओं में व्यापार लेनदेन के निपटान को क्रियान्वित करना, जिसका उद्देश्य व्यापार संबंधों को गहरा करना और विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता को कम करना है।
  • क्षेत्रीय सहयोग: दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) और हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) की बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लें, ताकि समुद्री डकैती, IUU (अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित) मछली पकड़ना, नशीली दवाओं की तस्करी और आतंकवाद आदि जैसे क्षेत्रीय मुद्दों का समाधान किया जा सके।
  • कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन की पुष्टि: हाल ही में हस्ताक्षरित कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (Colombo Security Conclave) को मजबूत करने से समुद्री सुरक्षा में सामूहिक प्रयासों में वृद्धि होगी, क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।

निष्कर्ष

मालदीव राष्ट्रपति की हालिया भारत यात्रा भारत-मालदीव संबंधों के लिए महत्त्वपूर्ण बिंदु है, जिसमें दोनों नेताओं ने बुनियादी ढाँचे और आर्थिक सुधार पर ध्यान केंद्रित किया। मालदीव आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत की भागीदारी महत्त्वपूर्ण बनी हुई है।

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