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भारत-म्यांमार सीमा प्रबंधन (India-Myanmar Border Management)

Samsul Ansari January 06, 2024 05:10 236 0

सन्दर्भ:

हाल ही में भारत सरकार द्वार अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम के साथ लगने  वाली भारतम्यांमार सीमा की 1,643 किमी में से 300 किमी अतिरिक्त सीमा पर स्मार्ट बाड़ लगाने के आदेश जारी करने की तैयारी की जा रही है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारतम्यांमार सीमा।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारतम्यांमार सीमा पर व्याप्त चुनौतियाँ और इनके समाधान के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम तथा आगे की राह

पृष्ठभूमि: 

  • मई 2023 में मणिपुर में संघर्ष के बाद, केंद्र ने सीमा पर बाड़ लगाने के लिए एक परियोजना शुरू की थी।
  • पिछले वर्ष 10 किलोमीटर के पायलट प्रोजेक्ट के पूरा होने और अतिरिक्त 80 किलोमीटर के लिए स्मार्ट फेंसिंग के आदेश  के बाद यह विकास संभव हुआ है। 
    • जिससे स्मार्ट फेंसिंग की कुल लंबाई 390 किलोमीटर हो गई है।
  • जातीय संघर्ष: यह निर्णय वहाँ हो रहे जातीय संघर्षों और म्यांमार से चिनकुकी नागरिकों के अवैध प्रवास की पृष्ठभूमि में किया गया है।
  • अवैध गतिविधियाँ: भारत और म्यांमार के मध्य खुली सीमा पर उत्पादों, नशीले पदार्थों, हथियारों और गोलाबारूद की बड़े पैमाने पर तस्करी हुई है।
  • एफएमआर का अंत: स्मार्ट बाड़ लगाने के बाद, भारत और म्यांमार के मध्य सीमा पर मुक्त आवाजाही व्यवस्था (FMR) बंद हो जाएगी।
    • एफएमआर को इस आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देखा जा रहा है।
    • यह विद्रोहियों और अवैध प्रवासियों दोनों को निर्बाध सीमा पार करने की सुविधा प्रदान करता है।

सीमा प्रबंधन क्या है?

  • सीमा प्रबंधन के प्राथमिक लक्ष्यों में शत्रुतापूर्ण हितों के खिलाफ देश की सीमाओं को सुरक्षित करना और वैध व्यापार एवं वाणिज्य को सुविधाजनक बनाते हुए ऐसे तत्वों को रोकने में सक्षम प्रणालियों को लागू करना शामिल है।

भारतम्यांमार सीमा:

  • भारतीय राज्यों के साथ सीमा: भारत के चार पूर्वोत्तर राज्योंमिजोरम, नागालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के साथ लगभग 1600 किलोमीटर की सीमा है
  • संवेदनशील भू-भाग: इस सीमा की विशेषता ऊँचे पहाड़, गहरे नदी नाले और घने जंगल हैं। 
    • यह क्षेत्र सीमित आर्थिक विकास के साथ विरल आबादी वाला बना हुआ है।

भारतम्यांमार सीमा की चुनौतियाँ:

  • म्यांमार में हाल ही में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद अवैध अप्रवासियों के प्रवेश में वृद्धि देखि गई है।
  • स्वर्ण त्रिभुज (गोल्डन ट्राऐंगल ) से नशीली दवाओं का व्यापार होना  जो थाईलैंड, लाओस और म्यांमार की सीमाओं का मिलन बिंदु है
  • ड्रग तस्करों और विद्रोही समूहों के मध्य अंतर्संबंध: मणिपुर के मुख्यमंत्री कार्यालय के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2022 में मणिपुर में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम के तहत 500 मामले दर्ज किए गए और 625 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था
  • नशीले पदार्थों और अवैध हथियारों की तस्करी: छोटे हथियारों और हल्के हथियारों (SALW) की तस्करी का संबंध अवैध दवाईयों की अर्थव्यवस्था के कार्यों  से है।
    • रिपोर्ट के अनुसार, राखाइन उग्रवादियों के साथसाथ म्यांमार के सागाईंग क्षेत्र में प्रशिक्षण शिविर वाले भारतीय विद्रोही अवैध हथियारों के मुख्य खरीदार हैं।
  • मानव तस्करी: म्यांमार के भीतर अस्थिरता, उथलपुथल और आंतरिक सत्ता संघर्ष ने अवैध लाभ के लिए कमजोर व्यक्तियों का शोषण करने वाले आपराधिक सिंडिकेट को जन्म दिया है
  • जातीय संघर्ष: म्यांमार से भारत में आदिवासी कुकीचिन लोगों के अवैध प्रवास का  कारण मणिपुर में मैती और कुकी के मध्य चल रहा जातीय संघर्ष है।

सरकारी हस्तक्षेप:

  • बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए सीमा अवसंरचना और प्रबंधन (BIM) योजना
  • भारतपाकिस्तान सीमा (IPB) और भारतबांग्लादेश सीमा (IBB) पर स्थितिसाम्य जागरूकता में सुधार के लिए व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली
  • सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP) अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की विशेष विकासात्मक जरूरतों और कल्याण को पूरा करने के लिए यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
  • अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में चयनित गांवों के व्यापक विकास के लिए वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम (VVP) लाई गई है

भारतम्यांमार सीमा मुद्दें में आगे की राह:

  • 24 घंटे सीमा सुरक्षा: भारतम्यांमार सीमा की निरंतर निगरानी के लिए एक नियमित सीमा सुरक्षा बल तैनात करने की आवश्यकता है।
  • सीमा अवसंरचना का निर्माण: इसमें समग्र सीमा अवलोकन चौकियों (BOP), सीमा सड़क और बाधा प्रणाली का निर्माण शामिल है।
  • गश्त और सुरक्षा कार्यों को अलग करना: सीमा पर गश्त के साथसाथ सीमा सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रभार असम राइफल्स (AR) के पास है।
    • इस प्रकार, इसकी बटालियनों का एक बड़ा हिस्सा उग्रवाद विरोधी गतिविधियों में लगा हुआ है, जिससे सीमा सुरक्षा अधिक कठिन हो जाती है। इस प्रकार, दोनों कार्यों को पूरी तरह से अलग करने की आवश्यकता है।
  • इसके अलावा, सीमा की रक्षा करने वाली बटालियनों को सीमा पर ही तैनात करने की आवश्यकता है जबकि वर्तमान में वे भारतीय क्षेत्र के अंदर से काम कर रहे हैं।
  • कानूनी ढाँचे को मजबूत करना: तस्करी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए भारत और म्यांमार की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के मध्य बेहतर समन्वय आवश्यक है। 
    • संयुक्त अभियान और खुफिया जानकारी साझा करने से तस्करों को रोकने और पीड़ितों को बचाने में मदद मिल सकती है।
  • द्विपक्षीय संस्थागत तंत्र को मजबूत करना: भारत ने म्यांमार के साथ संस्थागत तंत्र का गठन किया है जिसे बदलते परिदृश्यों  के साथ संशोधित करने की आवश्यकता है।

                                                                                                              News Source: The Economic Times

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