100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत को वर्ष 2047 तक ‘उच्च आय की स्थिति’ तक पहुँचने के लिए त्वरित सुधारों की आवश्यकता है

Lokesh Pal March 10, 2025 03:14 16 0

संदर्भ

विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को वर्ष 2047 तक उच्च आय वाला देश बनने के लिए अपने सुधारों में अत्यधिक तीव्रता लाने की आवश्यकता है।

उच्च आय स्थिति (High-Income Status) क्या है?

  • उच्च आय की स्थिति एक वर्गीकरण है, जिसका उपयोग विश्व बैंक द्वारा प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (Gross National Income-GNI) के आधार पर देशों को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है। 
  • यह किसी देश के आर्थिक विकास और जीवन स्तर का एक प्रमुख संकेतक है।

विश्व बैंक द्वारा आय वर्गीकरण

  • वित्तीय वर्ष 2025 के लिए विश्व बैंक एटलस पद्धति का उपयोग करते हुए प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI) के आधार पर अर्थव्यवस्थाओं को वर्गीकृत करता है।
    • निम्न आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ: प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय $1,145 या उससे कम।
    • निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ: प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय $1,146 और $4,515 के मध्य।
    • उच्च मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ: प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय $4,516 और $14,005 के मध्य।
    • उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ: प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय $14,005 या उससे अधिक।

भारत की वर्तमान आर्थिक स्थिति

  • वर्ष 2007-08 में, भारत को निम्न मध्यम आय वाले देश के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जिसकी प्रति व्यक्ति आय $1,022 (IMF) थी।
    • वर्ष 2024 तक, यह आँकड़ा बढ़कर $2,697 हो गया है।
  • IMF के अनुमानों के अनुसार, भारत की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2029 तक $4,195 तक पहुँच सकती है, जिसका अर्थ है कि वर्ष 2032 तक यह उच्च मध्यम आय वाला देश बन सकता है।
  • हालाँकि, वर्ष 2047 तक उच्च आय का दर्जा प्राप्त करने के लिए निरंतर उच्च वृद्धि की आवश्यकता होगी।

मध्यम आय वर्ग संबंधी चुनौती

  • दक्षिण कोरिया, चेक गणराज्य और रोमानिया जैसे कुछ देश ही सफलतापूर्वक मध्यम से उच्च आय की स्थिति में आ पाए हैं।
  • मध्यम आय जाल में फँसे देश: ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और मलेशिया जैसे देश इस परिवर्तन में असमर्थ रहे हैं, और मध्यम आय के जाल में फँसे हुए हैं।
  • भारत की चुनौती: इस स्थिति से बचने के लिए, भारत को आने वाले दशकों में 7.8% वार्षिक वृद्धि दर बनाए रखनी होगी।
    • यह कोविड-19 महामारी से पहले के दो दशकों में हासिल की गई 6.7% की वृद्धि दर से काफी अधिक है।

उच्च आय का दर्जा प्राप्त करने के लिए भारत के समक्ष चुनौतियाँ

  • उच्च वृद्धि को बनाए रखना: भारत को 7.8% की औसत वार्षिक वृद्धि दर बनाए रखने की आवश्यकता है, लेकिन भू-राजनीतिक तनाव और धीमी वैश्विक वृद्धि जैसी वैश्विक बाधाएँ प्रगति में बाधा डाल सकती हैं।
    • कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को बाधित किया, जिससे भारत के विकास की गति प्रभावित हुई।
  • अर्थव्यवस्था में कृषि का प्रभुत्व: कम उत्पादकता वाली कृषि में एक बड़ा कार्यबल संलग्न है, जबकि विनिर्माण और सेवाओं जैसे उच्च उत्पादकता वाले क्षेत्रों में धीमा परिवर्तन है।
    • भारत के 46% से अधिक कार्यबल कृषि में कार्यरत हैं, जो राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में केवल 18% का योगदान देता है।
  • निवेश और उत्पादकता: 33% का मौजूदा निवेश-जीडीपी अनुपात 40% लक्ष्य से नीचे है। कमजोर निजी निवेश और कम उत्पादकता वृद्धि आर्थिक विस्तार को और बाधित करती है।
    • विलंबित बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं और विनियामक बाधाओं ने निजी निवेश को हतोत्साहित किया है।
  • रोजगार सृजन और श्रम बाजार: भारत में गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, जिसमें महिला श्रम भागीदारी कम (41.7%) है और कार्यबल कौशल और उद्योग की आवश्यकताओं के बीच समन्वय की कमी है।
  • वित्तीय क्षेत्र में सुधार: अकुशल ऋण आवंटन, अविकसित कॉरपोरेट बॉण्ड बाजार और सार्वजनिक बैंकों में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPAs) का उच्च स्तर विकास को सीमित करता है।
    • भारत में कॉरपोरेट बॉण्ड बाजार अविकसित है, जो सकल घरेलू उत्पाद का केवल 16% है, जबकि अमेरिका में यह 50% है।
  • व्यापार और एफडीआई: उच्च टैरिफ, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में बाधाएँ और कम निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता भारत की वैश्विक मूल्य शृंखलाओं (GVCs) में एकीकरण को बाधित करती है।
    • वैश्विक निर्यात (वस्तु और सेवाएँ) में भारत की हिस्सेदारी 2.1% थी, जो अब केवल 2.1% है, जो चीन के 14.7% से बहुत कम है।
  • बुनियादी ढाँचा और लॉजिस्टिक्स: खराब बुनियादी ढाँचा, लॉजिस्टिक्स और अपर्याप्त शहरी विकास लागत बढ़ाते हैं और प्रतिस्पर्द्धा को कम करते हैं।
    • विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (2023) में भारत थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों से पीछे 38वें स्थान पर है।
  • क्षेत्रीय असमानताएँ: राज्यों में आय असमानता बनी हुई है, कम आय वाले राज्य विकास के मामले में पिछड़ रहे हैं। समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए राज्य-विशिष्ट सुधारों की आवश्यकता है।
    • महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों की प्रति व्यक्ति आय बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे कम आय वाले राज्यों की तुलना में काफी अधिक है।
  • पर्यावरणीय स्थिरता: भारत जलवायु परिवर्तन, नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन तथा सतत् विकास के लिए प्रदूषण तथा अपशिष्ट प्रबंधन जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है।

उच्च आय की स्थिति प्राप्त करने के लिए प्रमुख प्रयास

आर्थिक सुधार और औद्योगिक विकास

  • आत्मनिर्भर भारत अभियान: घरेलू विनिर्माण, प्रौद्योगिकी संवर्द्धन और औद्योगिक प्रतिस्पर्द्धा के माध्यम से आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • मेक इन इंडिया: उत्पादकता और रोजगार सृजन को बढ़ाने के लिए विनिर्माण में विदेशी और घरेलू निवेश को प्रोत्साहित करता है।
  • उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना: मुख्य क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है।
  • व्यवसाय करने में आसानी के सुधार: नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना, अनुपालन बोझ को कम करना और निवेश को आकर्षित करने के लिए डिजिटल प्रशासन को बढ़ावा देना।

बुनियादी ढाँचे का विकास

  • राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP): परिवहन, ऊर्जा और जल संसाधन जैसे क्षेत्रों में अवसंरचना विकास के लिए ₹111 लाख करोड़ की निवेश योजना।
  • गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान: मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स में सुधार और आपूर्ति शृंखला की अक्षमताओं को कम करने के उद्देश्य से।
  • भारतमाला और सागरमाला परियोजनाएँ: व्यापार और वाणिज्य को सुविधाजनक बनाने के लिए सड़क और बंदरगाह संपर्क को बढ़ाना।

मानव पूँजी विकास

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020: कौशल विकास, अनुसंधान और उद्योग-अकादमिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • कौशल भारत मिशन: रोजगार क्षमता में सुधार के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास प्रदान करता है।
  • आयुष्मान भारत योजना: सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा कवरेज सुनिश्चित करती है, कार्यबल उत्पादकता में सुधार करती है।

वित्तीय क्षेत्र में सुधार और डिजिटल अर्थव्यवस्था

  • वित्तीय समावेशन कार्यक्रम: प्रधानमंत्री जन धन योजना, यूपीआई और आधार-सक्षम बैंकिंग ने वित्तीय पहुँच का विस्तार किया है।
  • स्टार्टअप इंडिया और फंड ऑफ फंड्स: उद्यमिता और नवाचार को प्रोत्साहित करना।

व्यापार और वैश्विक एकीकरण

  • मुक्त व्यापार समझौते (FTA) और आर्थिक कूटनीति: यूरोपीय संघ, आसियान और अमेरिका के साथ व्यापार साझेदारी के माध्यम से बाजार पहुँच का विस्तार करना।

विश्व बैंक की रिपोर्ट में सिफारिशें

  • संरचनात्मक परिवर्तन: भारत को अपने कार्यबल को कृषि से हटाकर विनिर्माण और सेवाओं जैसे उच्च उत्पादकता वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित करने की आवश्यकता है।
    • वर्तमान में, 46.1% कार्यबल कृषि में संलग्न है, जो कम उत्पादकता के कारण आर्थिक विकास को सीमित करता है।
  • अधिक निवेश: बुनियादी ढाँचे, उद्योग और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत का निवेश-जीडीपी अनुपात वर्ष  2035 तक 33% से बढ़कर 40% होना चाहिए।
    • नीति स्थिरता, व्यापार करने में आसानी और वित्तीय सुधारों के माध्यम से निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना पूँजी जुटाने और दीर्घकालिक विकास को बनाए रखने के लिए आवश्यक होगा।
  • व्यापार और एफडीआई को बढ़ावा देना: वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में एकीकृत करने के लिए टैरिफ कम करना और व्यापार एवं एफडीआई की बाधाओं को दूर करना।
    • आयात के लिए मार्ग खोलने से उत्पादकता और निर्यात में वृद्धि हो सकती है।
  • रोजगार सृजन और श्रम शक्ति भागीदारी: भारत को अपने बढ़ते कार्यबल को समाहित करने के लिए, विशेष रूप से विनिर्माण और आधुनिक सेवाओं में अधिक उत्पादक रोजगार सृजित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
    • महिला श्रम शक्ति भागीदारी, जो वर्तमान में 41.7% है, को अर्थव्यवस्था की पूरी क्षमता का दोहन करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2050 तक 55% तक बढ़ाना होगा।
  • प्रौद्योगिकी अपनाना और नवाचार: भारत को दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार के लिए डिजिटल बुनियादी ढाँचे, एआई, स्वचालन और अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने की आवश्यकता है।
    • स्टार्टअप और नवाचार-संचालित उद्यमों का समर्थन करने से देश को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने और उच्च विकास दर को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
  • राज्य-विशिष्ट नीतियाँ: आय असमानताओं को दूर करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए अनुकूलित नीतियों की आवश्यकता है।
    • कम विकसित राज्यों को विकास के बुनियादी सिद्धांतों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जबकि अधिक विकसित राज्यों को उन्नत सुधारों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

निष्कर्ष

विश्व बैंक की रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत को वर्ष 2047 तक उच्च आय का दर्जा प्राप्त करने के लिए अपने सुधारों को और तेज करना होगा। इसके लिए न केवल मौजूदा पहलों को बनाए रखना होगा, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों का विस्तार और गति भी बढ़ानी होगी। सही नीतियों और क्रियान्वयन के साथ, भारत अगले दो दशकों में उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में शामिल हो सकता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.