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भारत-नेपाल संबंध

Lokesh Pal July 19, 2024 05:15 236 0

संदर्भ

हाल ही में के. पी. शर्मा ओली ने नेपाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। अब भारत के साथ संबंधों को ‘सकारात्मक’ एवं ‘स्थिर’ बनाने का अवसर है।

भारत-नेपाल संबंधों के विभिन्न आयाम

भारत एवं नेपाल एक अद्वितीय तथा बहुआयामी संबंध साझा करते हैं, जो गहरे राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं रणनीतिक संबंधों की विशेषता है। 

  • राजनीतिक: दोनों देश शांति एवं मित्रता की संधि (Treaty of Peace and Friendship) के तहत खुली सीमाएँ साझा करते हैं। दोनों देश क्षेत्रीय सहयोग के लिए दक्षिण एशियाई संघ (South Asian Association for Regional Cooperation) तथा बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) के भी सदस्य हैं।

शांति एवं मित्रता की संधि (Treaty of Peace and Friendship) 

  • इस पर आधिकारिक तौर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले नेपाल में तत्कालीन भारतीय राजदूत चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह एवं नेपाल के प्रधानमंत्री मोहन शमशेरे राणा ने हस्ताक्षर किए थे।
  • मुद्दा: संधि पर भारत की ओर से किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे, जो नेपाल के प्रधानमंत्री की तुलना में समकक्ष पद पर नहीं था, नेपाल ने इसे प्रोटोकॉल के अपमान एवं अनादर के रूप में देखा था।
  • नेपाल को संधि के अनुच्छेद-2, 6 एवं 7 पर हमेशा आपत्ति रही है:
    • अनुच्छेद-2: इसमें कहा गया है कि दोनों सरकारों को ‘किसी भी पड़ोसी राष्ट्र के साथ किसी भी गंभीर टकराव या गलतफहमी के बारे में एक-दूसरे को सूचित करना चाहिए, जिससे दोनों सरकारों के बीच मौजूद मैत्रीपूर्ण संबंधों में कोई दरार पड़ने की संभावना न बने।’
    • अनुच्छेद-6 एवं 7: इसमें कहा गया है कि भारत एवं नेपाल अपने क्षेत्र में एक-दूसरे के नागरिकों को आर्थिक गतिविधियों, रोजगार, निवासी तथा संपत्ति के स्वामित्व के समान विशेषाधिकार देंगे।

  • सामाजिक: दोनों देशों के बीच विवाह एवं पारिवारिक संबंधों के माध्यम से घनिष्ठ संबंध हैं, जिन्हें ‘रोटी-बेटी का रिश्ता’ के नाम से जाना जाता है।
    • ‘रोटी बेटी का रिश्ता’ एक ऐसे बंधन का प्रतीक है, जो राजनीतिक एवं आर्थिक आयामों से परे, साझा परंपराओं, मूल्यों तथा मानवीय संबंधों में निहित है।
      • साझा सांस्कृतिक विरासत
        • भारत एवं नेपाल समान त्योहारों, भाषाओं, रीति-रिवाजों तथा परंपराओं के साथ एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत साझा करते हैं।
        • हिंदू धर्म एवं बौद्ध धर्म मजबूत सांस्कृतिक तथा धार्मिक संबंध बनाते हैं, काठमांडू में पशुपतिनाथ एवं लुंबिनी में बुद्ध के जन्मस्थान जैसे पवित्र स्थल दोनों देशों के तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं।
        • भारत दो विरासत परियोजनाओं, अर्थात् पशुपतिनाथ रिवरफ्रंट डेवलपमेंट (Pashupatinath Riverfront Development) एवं पाटन दरबार में भंडारखाल गार्डन पुनर्स्थापन (Bhandarkhal Garden Restoration) का भी समर्थन कर रहा है।
      • अंतर्विवाह
        • रिश्ते का ‘बेटी’ पहलू भारतीयों एवं नेपालियों के बीच अंतर्विवाह को संदर्भित करता है, जो मजबूत पारिवारिक संबंधों को बढ़ावा देता है।
        • भारत में उत्तर प्रदेश एवं बिहार तथा नेपाल में तराई क्षेत्र जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों के व्यक्तियों के बीच विवाह होते हैं, जो सामाजिक बंधनों को और मजबूत करते हैं।
      • व्यापार एवं आजीविका
        • ‘रोटी’ पहलू आर्थिक रूप से परस्पर निर्भरता का प्रतीक है, जहाँ खुली सीमा के पार व्यापार तथा वाणिज्य आजीविका की सुविधा प्रदान करते हैं।
        • कई नेपाली भारत में कार्य करते हैं, दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं में योगदान करते हैं, जबकि वस्तुओं तथा सेवाओं का निर्बाध प्रवाह होता है, जिससे स्थानीय व्यवसायों और समुदायों को लाभ होता है।
  • आर्थिक
    • व्यापार: भारत, नेपाल का प्रमुख व्यापार भागीदार बना हुआ है, जो नेपाल के साथ होने वाले कुल व्यापार का लगभग 60-65% हिस्सा कवर करता है। 
      • भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार, पर्यटकों के लिए शीर्ष स्रोत वाला देश, पेट्रोलियम उत्पादों का एकमात्र आपूर्तिकर्ता एवं कुल विदेशी निवेश का सबसे बड़ा स्रोत है। 
      • भारत, नेपाल के लगभग सभी तीसरे देशों के साथ व्यापार के लिए पारगमन प्रदान करता है एवं भारत में कार्य करने वाले पेंशनभोगियों, पेशेवरों तथा मजदूरों से प्राप्त प्रेषण का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रखता है।
    • निवेश: भारतीय कंपनियाँ नेपाल में सबसे बड़ी निवेशक हैं, जो कुल स्वीकृत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का लगभग 40% हिस्सा रखती हैं। 
      • नेपाल में लगभग 150 भारतीय उद्यम संचालित हैं। वे विनिर्माण, सेवाओं (बैंकिंग, बीमा, ड्राई पोर्ट, शिक्षा एवं दूरसंचार), विद्युत क्षेत्र तथा पर्यटन उद्योगों में लगे हुए हैं।
  • ऊर्जा सहयोग 
    • विद्युत: वर्ष 2023 में, 10 वर्षों में नेपाल से भारत को 10,000 मेगावाट विद्युत निर्यात करने के लिए भारत एवं नेपाल के बीच एक और दीर्घकालिक विद्युत व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। 
      • जलविद्युत उत्पादन एवं वितरण में निवेश में कुल मिलाकर वृद्धि हुई है। 
      • त्रिपक्षीय समझौता: उन्होंने नेपाल, भारत तथा बांग्लादेश के बीच त्रिपक्षीय समझौते के तहत नेपाल को बांग्लादेश को जलविद्युत का निर्यात शुरू करने में भी मदद की है।
      • नेपाल के लिए जलविद्युत क्षेत्र में निवेशकों का विश्वास बढ़ाने एवं उनके निवेश पर रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक था।
    • पेट्रोलियम: दोनों देश भारत के सिलीगुड़ी और नेपाल के झापा तथा अमलेखगंज और चितवन के बीच दो नई पेट्रोलियम पाइपलाइनों के निर्माण पर कार्य कर रहे हैं। 
      • इन परियोजनाओं की कल्पना वर्ष 2019 में प्रारंभ की गई मोतिहारी-अमलेखगंज पेट्रोलियम पाइपलाइन की सफलता के बाद की गई थी, जो दक्षिण एशिया में पहली सीमा पार पाइपलाइन थी। 
      • बचत: इससे नेपाल के लिए परिवहन लागत में प्रति वर्ष न्यूनतम 1 अरब रुपये की बचत हुई है। 
      • इसके अलावा, ट्रकों के बजाय पाइपलाइनों का उपयोग करने से चोरी, रिसाव एवं देरी से होने वाली बचत भी महत्त्वपूर्ण है।
  • जल संसाधन: नेपाल से भारत तक लगभग 250 छोटी एवं बड़ी नदियाँ प्रवाहित होती हैं और यह गंगा नदी बेसिन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। 
    • जल संसाधनों एवं जलविद्युत में सहयोग से संबंधित सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए वर्ष 2008 में एक त्रिस्तरीय द्विपक्षीय तंत्र स्थापित किया गया था।
  • रक्षा सहयोग: भारतीय एवं नेपाली सेना वार्षिक रूप से संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘सूर्य किरण’ आयोजित करती है। भारत, नेपाली सेना को उसके आधुनिकीकरण में सहायता के लिए उपकरण तथा प्रशिक्षण भी प्रदान करता है।
  • कनेक्टिविटी: चूँकि नेपाल एक भू-आबद्ध देश है, यह समुद्र तक पहुँच के लिए भारत पर निर्भर है। दोनों देशों ने रेल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं एवं नेपाल को हिंद महासागर से जोड़ने हेतु नेपाल में अंतर्देशीय जलमार्ग विकसित करने पर भी कार्य कर रहे हैं।
    • इस बात पर भी सहमति हुई है कि नेपाल में भैरहाबा (Bhairahaba) एवं दोधरा-चंदानी (Dodhara-Chandani) में दो अतिरिक्त एकीकृत चेक पोस्ट (Integrated Check Posts- ICPs), जो कार्गो तथा यात्री वाहनों की सुचारू आवाजाही को सुविधाजनक बनाने में मदद करते हैं, भारत की अनुदान सहायता से बनाए जाएँगे।
    • रेलवे: भारत एवं नेपाल के बीच सीमा पार माल ढुलाई रेल चालू हो गई है तथा कई अन्य सीमा पार सड़कें और पुल बनाए जा रहे हैं। 
      • रक्सौल-काठमांडू रेलवे की व्यवहार्यता अध्ययन कार्य पूरा हो चुका है एवं अयोध्या से जनकपुर तक सीधी रेल सेवा पर विचार किया जा रहा है।
  • डिजिटल कनेक्टिविटी: नेपाल एवं भारत ने डिजिटल वित्तीय कनेक्टिविटी स्थापित करने एवं बढ़ाने का निर्णय लिया। 
    • परिणामस्वरूप, नेपाल की यात्रा करने वाले भारतीय अपने मोबाइल फोन के माध्यम से भुगतान कर सकते हैं। 
    • यह सुविधा व्यापारियों, पर्यटकों, तीर्थयात्रियों, छात्रों एवं चिकित्सा उपचार के लिए भारत की यात्रा करने वाले लोगों को परेशानी मुक्त भुगतान में मदद करेगी। 
    • जल्द ही शुरू होने वाला ‘मोबाइल ट्रांसफर तंत्र’ नेपाल एवं भारत के श्रमिकों को अपने संबंधित घरेलू देशों में औपचारिक चैनलों के माध्यम से कमाई (आय) स्थानांतरित करने में मदद करेगा।
  • आपदा प्रबंधन: दोनों देश सामूहिक आपदा प्रतिक्रिया के लिए BIMSTEC के माध्यम से कार्य कर रहे हैं। वर्ष 2015 के दौरान भारत की सहायता की नेपाल ने भी सराहना की है।
    • यह नेपाल में आपदाओं एवं आपात स्थितियों के दौरान हमेशा पहला प्रतिक्रियाकर्ता रहा है। 
    • भारत ने तत्काल बचाव एवं राहत पैकेज के अलावा, नेपाल को हाल ही में आए भूकंप प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए 75 मिलियन डॉलर का वित्तीय पैकेज भी प्रदान किया।

भारत-नेपाल संबंध का महत्त्व

  • बफर स्टेट: चीन के किसी भी संभावित आक्रमण के खिलाफ नेपाल एक बफर स्टेट के रूप में कार्य करता है। इस प्रकार, भारत को अपने पड़ोसी की विस्तारवादी प्रवृत्तियों को रोकने के लिए नेपाल के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध की आवश्यकता है।
  • आर्थिक एवं रणनीतिक विचार: नेपाल भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा तथा आर्थिक स्थिरता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें प्रेषण का एक प्रमुख स्रोत भी शामिल है।
    • यह भारत में धन भेजने वाला सातवाँ सबसे बड़ा देश है, जो उत्तर प्रदेश एवं बिहार से लेकर ओडिशा तक इसके सबसे गरीब हिस्सों में आजीविका प्रदान करने में मदद करता है। 
  • भारत की आंतरिक सुरक्षा: भारत एवं नेपाल एक खुली सीमा साझा करते हैं, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देती है। सीमा पार लोगों की मुक्त आवाजाही की एक लंबी परंपरा रही है। 
    • खुली सीमाओं का उपयोग अवैध गतिविधियों जैसे- नकली भारतीय मुद्रा का प्रचलन, मानव तस्करी, NARCO तस्करी, ISI पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवादियों की घुसपैठ आदि के लिए भी किया जाता है। 
  • क्षेत्रीय गतिशीलता: व्यापक दक्षिण एशियाई स्थिरता एवं विकास के लिए स्थिर नेपाल-भारत संबंधों का रणनीतिक महत्त्व है।

भारत-नेपाल संबंधों के मुद्दे एवं हालिया गिरावट

  • संविधान और मधेशी मुद्दा: वर्ष 2015 में, नेपाल ने एक नया संविधान लागू किया, जिसमें सत्तारूढ़ पहाड़ी जनजातियों को महत्त्वपूर्ण राजनीतिक विशेषाधिकार प्रदान किए गए, जबकि मधेशियों जैसे मैदानी इलाकों में रहने वाले समुदायों के खिलाफ भेदभाव किया गया।

मधेशी लोग (Madhesis People)

  • मधेशी नेपाल के दक्षिण में तराई क्षेत्र में रहने वाले लोग हैं। 
  • ये भारत की सीमा के करीब रहते हैं। 
  • ऐतिहासिक पहलू एवं भारत के साथ संबंध: मधेश ऐतिहासिक रूप से बड़े मिथिला क्षेत्र का हिस्सा रहा है। 
    • तराई के अधिकांश संपन्न लोग भारत में शिक्षित हैं तथा सीमा के दूसरी ओर के लोकतंत्र ने राजनीतिक जागरूकता के स्तर को ऊँचा रखा है।
    • वर्ष 1990 के बाद से नेपाल में नियुक्त 11 भारतीय राजदूतों में से अधिकांश बिहार से रहे हैं और उनमें से लगभग आधे नेपाल के तराई क्षेत्र की एक बड़ी जाति से ताल्लुक रखते हैं।
    • संदेह: क्षेत्र की राजनीति में उनकी रुचि और प्रत्यक्ष चिंता ने नेपाल में संदेह उत्पन्न किया है।

    • संविधान ने मधेशियों के लिए नागरिकता प्राप्त करने हेतु कठोर शर्तें भी प्रस्तुत कीं। 
    • यह भारत एवं नेपाल के बीच एक विवादास्पद मुद्दा बन गया, जिसके कारण भारत द्वारा गैस तथा ईंधन आपूर्ति पर नाकेबंदी सहित आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए।
    • नेपाल में ‘बदनाम’ मधेशी नेताओं का पक्ष लेने एवं आम नेपाली को प्रभावित करने वाली नाकेबंदी पर भारत की निष्क्रियता को लेकर आलोचना की गई है। 
    • राजनीतिक परिवर्तन: पूर्व में भारत द्वारा 15 महीने की नाकेबंदी के कारण नेपाल में राजनीतिक परिवर्तन हुआ एवं इसके बाद लोकतंत्र का आगमन हुआ।
  • क्षेत्रीय विवाद का बढ़ना
    • नया मानचित्र: इससे पहले, नई दिल्ली और काठमांडू के बीच तनाव तब बढ़ गया था, जब नेपाल ने मई 2020 के मध्य में एक राजनीतिक मानचित्र का अनावरण किया था, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया था, जिन्हें पहले भारत के नवंबर 2019 के मानचित्र में चित्रित किया गया था।
    • प्रधानमंत्री प्रचंड के मंत्रिमंडल द्वारा नए करेंसी नोट पर भारत के क्षेत्रों को अपने क्षेत्र का हिस्सा दिखाने वाले मानचित्र को छापने के फैसले पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज कराई और नेपाल में कई लोगों द्वारा इसे भड़काऊ कदम के रूप में देखा जा रहा है।

  • बढ़ता चीनी प्रभाव
    • निवेश: वर्ष 2019 में चीन का नए FDI में लगभग 40% और कुल FDI में 90% योगदान रहा, जबकि भारत का FDI 30% रहा।
    • उन्नत साझेदारी: शी जिनपिंग की यात्रा के दौरान, नेपाल एवं चीन ने अपने संबंधों को सहयोग की व्यापक साझेदारी से लेकर सहयोग की रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया।
    • कनेक्टिविटी 
      • वर्ष 2017 में, नेपाल औपचारिक रूप से चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative- BRI) में शामिल हो गया। 
      • चीन, तिब्बत को नेपाल की राजधानी काठमांडू से जोड़ने वाले 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ट्रांस-हिमालयी रेलवे को भी विकसित कर रहा है।
      • चीन एवं नेपाल ने ट्रांस हिमालयन मल्टीडायमेंशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क के तहत तिब्बत तथा काठमांडू को जोड़ने वाली एक ऑल वेदर रोड के निर्माण के लिए एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं।

  • ‘बिग ब्रदर’ वाला दृष्टिकोण: नेपाल में व्यापक धारणा है कि भारत, नेपाल की संप्रभुता का सम्मान नहीं करता है एवं वह अक्सर नेपाल के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करता है। माना जाता है कि भारत इस क्षेत्र में बड़े भाई की भूमिका निभा रहा है।

आगे की राह

  • हैंड-ऑफ नीति में बदलाव: नेपाल की राजनीति एवं शासन के साथ भारत का निरंतर जुड़ाव गैर-हस्तक्षेप के सिद्धांत के खिलाफ है, जो पंचशील सिद्धांत का हिस्सा है। 
    • भारत को यह भी समझना चाहिए कि व्यावहारिक नीति से नेपाल राजनीतिक रूप से स्थिर एवं आर्थिक रूप से ऊर्जावान बनेगा, जिससे भारत की अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा तथा उसके हिंदी पट्टी की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
  • द्विपक्षीय वार्ता: दोनों देशों को क्षेत्रीय विवादों एवं आर्थिक सहयोग सहित लंबित द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत और समाधान को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • संप्रभुता का सम्मान: गैर-हस्तक्षेप के सिद्धांतों को कायम रखना एवं एक-दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करना विश्वास के पुनर्निर्माण तथा सहकारी संबंध को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।
  • भारत-नेपाल प्रतिष्ठित व्यक्तियों का समूह: दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने मिलकर वर्ष 2017 में आठ सदस्यीय भारत-नेपाल प्रतिष्ठित व्यक्तियों के समूह को नामांकित किया था। 
    • समूह ने अगले वर्ष (2018) अपनी सर्वसम्मति रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया, जिसके कार्यान्वयन से द्विपक्षीय संबंधों को पारदर्शी, आश्वस्त एवं समान साझेदारी की ओर ले जाने की उम्मीद जताई गई थी।
    • EPG रिपोर्ट, जिसे वर्ष 2018 में अंतिम रूप दिया गया था, ने प्रमुखता से इस संधि में संशोधन की सिफारिश की थी, लेकिन रिपोर्ट को अभी तक आधिकारिक तौर पर अपनाया नहीं गया है।
  • संस्थागत तंत्र: दोनों देश अपने साझा हितों की पूर्ति के लिए BBIN, BIMSTEC, NAAM एवं SAARC जैसे कई महत्त्वपूर्ण बहुपक्षीय मंचों में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए संस्थागत तंत्र भी बना सकते हैं।
  • नागरिक संबंध: भारत को इस बात की सराहना करने की आवश्यकता है कि दोनों देशों के बीच नागरिक संबंधों में बेहतर जुड़ाव है। भारत को एक स्थिर तथा पारस्परिक रूप से उत्पादक राज्य-दर-राज्य संबंध सुनिश्चित करने के लिए इस बहुमूल्य संपत्ति का लाभ उठाने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

  • भारत एवं नेपाल के बीच संबंध अद्वितीय, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक तथा सामरिक महत्त्व से परिपूर्ण हैं। 
  • सीमा विवाद, राजनीतिक मतभेद एवं बाहरी प्रभावों जैसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, ‘रोटी-बेटी का रिश्ता’ के बंधन उन गहरे संबंधों को रेखांकित करते हैं, जो अस्थायी असफलताओं से परे हैं। 
  • आगे बढ़ते हुए, दोनों देशों को अपनी परस्पर निर्भरता एवं स्थिर और समृद्ध साझेदारी के लाभों को पहचानते हुए आपसी सम्मान, संवाद तथा सहयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए।

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