हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने नाइजीरिया संघीय गणराज्य का दौरा किया।
यह वर्ष 2007 में मनमोहन सिंह के बाद से नाइजीरिया में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है।
नाइजीरिया में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा वर्ष 1962 में जवाहरलाल नेहरू ने की थी, उसके बाद वर्ष 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी।
यात्रा के मुख्य बिंदु
उच्च स्तरीय चर्चा: प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू (Bola Ahmed Tinubu) से मुलाकात की और प्रतिनिधिमंडल स्तर की चर्चा की।
सम्मान: भारतीयप्रधानमंत्री को नाइजीरिया के राष्ट्रीय सम्मान ‘ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ नाइजर’ से सम्मानित किया गया, यह सम्मान पहले केवल महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को ही प्रदान किया गया था।
भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा के परिणाम
रणनीतिक समझौता: यात्रा के दौरान छह समझौते हुए, जो रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेंगे।
हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन: यात्रा के दौरान तीन समझौता ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
तीन समझौता ज्ञापन हैं- सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम, सीमा शुल्क सहयोग और सर्वेक्षण सहयोग (Survey Cooperation) पर।
भारत-नाइजीरिया द्विपक्षीय संबंध
ऐतिहासिक संबंध: भारत ने वर्ष 1960 में नाइजीरिया की स्वतंत्रता से दो वर्ष पहले वर्ष 1958 में लागोस में अपनी राजनयिक उपस्थिति दर्ज कराई थी।
आर्थिक एवं व्यापारिक साझेदारी: भारत नाइजीरिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जबकि नाइजीरिया अफ्रीका में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
भारत नाइजीरिया से भारी मात्रा में कच्चा तेल आयात करता है, जिससे नाइजीरिया एक प्रमुख ऊर्जा साझेदार बन गया है।
नाइजीरिया में भारतीय निवेश का मूल्य 27 बिलियन डॉलर है, जिसमें वृद्धि की संभावना है।
सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान: भारतीय शिक्षकों, डॉक्टरों और पेशेवरों ने नाइजीरियाई समाज में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
भारतीय फिल्में और सांस्कृतिक उत्पाद 1970 के दशक से नाइजीरिया में लोकप्रिय हैं।
भारतीय प्रवासी: नाइजीरिया में लगभग 50,000 भारतीय रहते हैं, जो पश्चिमी अफ्रीका में सबसे बड़ा भारतीय समुदाय है।
सैन्य सहयोग: भारत ने वर्ष 1964 में कडुना में नाइजीरिया की राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की स्थापना की और लगभग दो दशकों तक सैन्य प्रशिक्षक प्रदान किए।
लगभग 27,500 नाइजीरियाई लोगों ने भारत में प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जिसमें रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (DSSC), वेलिंगटन जैसे प्रतिष्ठित संस्थान भी शामिल हैं।
स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा: नाइजीरियाई लोगों के लिए चिकित्सा देखभाल के लिए भारत शीर्ष स्थान है, जो किफायती लागत पर उच्च गुणवत्ता वाला उपचार प्रदान करता है।
समुद्री एवं ऊर्जा सहयोग
समुद्री सुरक्षा के लिए संभावित लाभों के कारण गिनी की खाड़ी में सुरक्षा सहयोग के एक नए क्षेत्र के रूप में उभरी है।
ऊर्जा सहयोग महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि नाइजीरिया भारत की कच्चे तेल की जरूरतों का 11-12% हिस्सा पूरा करता है।
चुनौतियाँ
आर्थिक विविधीकरण अंतराल: नाइजीरिया के साथ भारत के संबंध मुख्य रूप से नाइजीरिया से तेल निर्यात और भारत से फार्मास्यूटिकल तथा इंजीनियरिंग सामान पर आधारित हैं।
विविधीकरण के अभाव के कारण मूल्य और वैश्विक बाजार प्रवृत्ति में परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
लंबित समझौते: आर्थिक सहयोग समझौता (ECA) और दोहरे कराधान बचाव समझौता (DTAA) जैसे महत्त्वपूर्ण समझौते नहीं हो पाए हैं, जिससे आर्थिक सहयोग और निवेश प्रवाह में बाधा आ रही है।
लॉजिस्टिक्स, प्रशिक्षण और संसाधन-साझाकरण: भारत और नाइजीरिया के रक्षा सहयोग को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
संसाधनों और कर्मियों का परिवहन।
प्रभावी प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए लगातार योजना एवं संसाधन आवंटन।
रक्षा उपकरणों की तुरंत खरीद एक बाधा है।
आतंकवाद-रोधी अभियानों में प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता को साझा करने में प्रक्रियागत जटिलताएँ।
सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान: यद्यपि नाइजीरिया और भारत के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान बढ़ रहा है, तथापि, नाइजीरिया का अविकसित इंटरनेट बुनियादी ढाँचा ज्ञान साझाकरण की पूर्ण क्षमता में बाधा डालता है।
आगे की राह
व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना: व्यापार प्रतिनिधिमंडलों और मजबूत सहयोग को सुविधाजनक बनाकर व्यापार को बढ़ाना।
यह कृषि, स्वास्थ्य सेवा, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी जैसे नए निवेश क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके किया जा सकता है।
रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना: संयुक्त समुद्री संचालन और आतंकवाद विरोधी पहल को बढ़ावा देना।
सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना: भारत सांस्कृतिक जुड़ाव को बढ़ाकर नाइजीरिया के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर सकता है।
यह फिल्म समारोहों, शैक्षणिक संबंधों और पर्यटन को बढ़ावा देने के माध्यम से किया जा सकता है।
द्विपक्षीय समझौते: व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए, भारत और नाइजीरिया को दोहरे कराधान बचाव समझौते (Double Taxation Avoidance Agreement-DTAA), द्विपक्षीय निवेश संधि (Bilateral Investment Treaty-BIT) और आर्थिक सहयोग समझौते (Economic Cooperation Agreement-ECA) जैसे सभी लंबित समझौतों को अंतिम रूप देना चाहिए।
Latest Comments