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भारत-ओमान संबंध

Lokesh Pal December 20, 2025 02:13 22 0

संदर्भ

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने तीन देशों (जॉर्डन, इथियोपिया, ओमान) की आधिकारिक यात्रा के तहत ओमान का दौरा किया, जो वर्ष 1955 में स्थापित भारत-ओमान राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगाँठ के अवसर पर हुआ।

  • इस यात्रा ने भूमध्य सागर और पश्चिमी हिंद महासागर के प्रति भारत के एकीकृत दृष्टिकोण को रेखांकित किया।

दुक्म बंदरगाह (Duqm Port) के बारे में

  • यह ओमान के दक्षिण-पूर्वी तट पर अवस्थित है, जहाँ से अरब सागर और हिंद महासागर का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।
  • भारत ने सैन्य उपयोग और रसद सहायता के लिए ओमान के महत्त्वपूर्ण दुक्म बंदरगाह तक पहुँच हासिल कर ली है।
  • यह क्षेत्र में चीनी प्रभाव और गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए भारत की समुद्री रणनीति का हिस्सा है।
  • दुक्म बंदरगाह में एक विशेष आर्थिक क्षेत्र भी है, जहाँ कुछ भारतीय कंपनियाँ लगभग 1.8 अरब डॉलर का निवेश कर रही हैं।

इस यात्रा के प्रमुख परिणाम

इस यात्रा ने भारत-ओमान संबंधों को व्यापार, सेवाओं, समुद्री सुरक्षा, रक्षा और प्रवासी कल्याण को शामिल करते हुए एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बदल दिया है।

  • व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA): दोनों देशों ने एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत ओमान ने लगभग 98% टैरिफ लाइनों पर शून्य शुल्क की अनुमति दी, जिसमें वस्त्र, इंजीनियरिंग सामान, फार्मास्यूटिकल्स और रत्न एवं आभूषण जैसे लगभग सभी भारतीय निर्यात शामिल हैं।
    • वहीं भारत लगभग 80% लाइनों पर पारस्परिक रियायतें प्रदान करता है (जिससे मुख्य रूप से ओमान के पेट्रोकेमिकल्स और उर्वरकों को लाभ होता है)।
    • यह CEPA, खाड़ी क्षेत्र में भारत का दूसरा समझौता है (वर्ष 2022 के UAE के साथ CEPA के बाद) और वर्ष 2006 के अमेरिका-ओमान मुक्त व्यापार समझौते के बाद ओमान का पहला द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता है।

  • सेवाओं और श्रम गतिशीलता उदारीकरण: ओमान ने सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और व्यावसायिक सेवाओं सहित 127 सेवा उप-क्षेत्रों को भारतीय पेशेवरों के लिए खोल दिया है।
    • कुशल गतिशीलता को सुगम बनाने के लिए, भारतीय अंतर-निगम स्थानांतरणों का कोटा भी 20% से बढ़ाकर 50% कर दिया गया है।
  • समुद्री और रणनीतिक सहयोग: समुद्री सहयोग पर एक संयुक्त दृष्टिकोण दस्तावेज अपनाया गया, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा, ब्लू इकोनॉमी और समुद्री डकैती विरोधी उपायों पर सहयोग मजबूत हुआ।
    • यह समझौता होर्मुज जलडमरूमध्य के निकट स्थित दुक्म बंदरगाह तक भारत की निरंतर सामरिक पहुँच सुनिश्चित करता है।
  • भविष्य के विकास के लिए क्षेत्रीय समझौते: बाजरे की खेती और कृषि-खाद्य नवाचार में कई समझौता ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
    • उच्च शिक्षा और अनुसंधान तथा समुद्री विरासत एवं संग्रहालयों में अतिरिक्त समझौता ज्ञापन संपन्न किए गए, जो लोथल में भारत के राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का समर्थन करते हैं।
    • नवाचार सेतु: अगले दो वर्षों में दोनों देशों के 200 स्टार्ट-अप को जोड़ने के विशिष्ट लक्ष्य के साथ ओमान-भारत नवाचार सेतु’ का प्रस्ताव रखा गया है।
    • ‘5-इन-5’ हरित ऊर्जा लक्ष्य: भारतीय प्रधानमंत्री ने अगले पाँच वर्षों में पाँच प्रमुख हरित परियोजनाओं को शुरू करने का ‘5-इन-5’ लक्ष्य प्रस्तावित किया है, विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन, हरित अमोनिया, सौर पार्क, ऊर्जा भंडारण और स्मार्ट ग्रिड के क्षेत्र में।
    • कृषि नवाचार केंद्र: ओमान की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ भारतीय कृषि-तकनीक समाधानों को विश्व स्तर पर बढ़ावा देने के लिए भारत-ओमान कृषि नवाचार केंद्र के प्रस्ताव को शामिल करना।
  • सामरिक एवं रक्षा साझेदारी: इस यात्रा के दौरान, भारतीय प्रधानमंत्री को ओमान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान [प्रथम श्रेणी के ऑर्डर ऑफ ओमान (सिविल)] से सम्मानित किया गया, जो गहन सामरिक विश्वास और मजबूत रक्षा सहयोग को दर्शाता है। ओमान द्वारा भारतीय वायु सेना को जगुआर विमान के पुर्जे उपलब्ध कराने की संभावना पर विचार किया गया।
  • क्षेत्रीय एवं भू-राजनीतिक सामंजस्य: दोनों नेताओं ने गाजा में मानवीय स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की और दो-राज्य समाधान के लिए अपना समर्थन दोहराया। उन्होंने पश्चिम एशिया में भारत की संतुलित भागीदारी के लिए ओमान की मध्यस्थता-उन्मुख विदेश नीति को एक महत्त्वपूर्ण संपत्ति बताया।
  • प्रवासी-केंद्रित परिणाम: ओमान में लगभग 7 लाख भारतीयों की उपस्थिति के कारण, इस यात्रा ने लोगों के बीच संबंधों को मजबूत किया। CEPA ने एक ‘उदारीकृत गतिशीलता ढाँचा’ (Liberalised Mobility Framework) प्रस्तुत किया, जिसके तहत संविदात्मक सेवा प्रदाताओं के लिए अनुमत प्रवास अवधि 90 दिनों से बढ़ाकर दो वर्ष कर दी गई, जिसे चार वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, जिससे रोजगार सुरक्षा में वृद्धि हुई।
  • सांस्कृतिक एवं सौम्य शक्ति – प्राचीन विरासतों का पुनरुद्धार
    • शैक्षणिक संस्थागतकरण: उच्च स्तरीय शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को औपचारिक रूप देने के लिए सोहार विश्वविद्यालय में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) की भारतीय अध्ययन पीठ की स्थापना।
    • बौद्धिक सेतु: यह पहल ओमान की शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत भारत की सभ्यतागत विरासत और आधुनिक विकास पर शोध के लिए एक समर्पित मंच तैयार करती है।
    • समुद्री पुनर्व्यवस्थापन: भारतीय नौसेना के नौकायन पोत (INSV) कौंडिन्य की पहली अंतरमहासागरीय यात्रा, जो पाँचवीं शताब्दी के भारतीय जहाज की लकड़ी से बनी प्रतिकृति है।
    • प्राचीन तकनीक: प्राचीन भारतीय नौसेना वास्तुकला को सम्मान देने के लिए इस पोत का निर्माण पारंपरिक माला शैली की सिलाई तकनीकों (बिना कीलों के जहाज निर्माण) का उपयोग करके किया गया है।
    • ऐतिहासिक जुड़ाव: दिसंबर 2025 में निर्धारित गुजरात के मांडवी से ओमान के मस्कट तक की यात्रा, दो सहस्राब्दियों से दोनों क्षेत्रों को जोड़ने वाले प्राचीन समुद्री व्यापार मार्गों को पुनर्स्थापित करती है।
    • साझा विरासत: यह यात्रा एक महत्त्वपूर्ण सॉफ्ट पॉवर कूटनीतिक उपकरण के रूप में कार्य करती है, जो भारत-ओमान के गहरे सभ्यतागत संबंधों और हिंद महासागर तट की कनेक्टिविटी को संबोधित करती है।
    • आयुष एकीकरण: ओमान के राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आयुष चेयर की स्थापना के प्रस्ताव पर विचार किया गया है।

भारत-ओमान संबंधों के बारे में

  • सभ्यतागत और ऐतिहासिक आधार
    • प्राचीन समुद्री सेतु: भारत-ओमान के संबंध हड़प्पा काल से ही चले आ रहे हैं, जो हिंद महासागर के व्यापार नेटवर्क से जुड़े हुए हैं। लोथल और धोलावीरा से जहाज प्राचीन मागन (ओमान) के लिए रवाना होते थे, जिनमें मोती, मिट्टी के बर्तन, कपास और चावल होते थे।
    • पारस्परिक आदान-प्रदान: ओमान ताँबा, लोबान, खजूर और पत्थर की आपूर्ति करता था, साथ ही मेसोपोटामिया को भारतीय वस्तुओं के पारगमन केंद्र के रूप में कार्य करता था। मुहरें, बाट और माप जैसे पुरातात्त्विक साक्ष्य संगठित व्यापार की पुष्टि करते हैं।
    • नौकायन और वैश्विक व्यापार: ओमानी नाविकों ने मानसूनी नौकायन और नाव निर्माण में महारत हासिल की, जिससे भारत, रोमन साम्राज्य और वैश्विक मसाला मार्गों से जुड़ गया।
    • लोगों के बीच आपसी जुड़ाव: कई गुजराती व्यापारी ओमान में बस गए थे, जबकि ओमानी मुसलमान भारत के पश्चिमी तट पर रहते थे, व्यापार और धार्मिक यात्रा के माध्यम से गतिशीलता बनाए रखते थे।
    • औपनिवेशिक विरोधी सहयोग: पुर्तगाली प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए भारतीय और ओमानी शासकों ने सहयोग किया, जिससे प्रारंभिक राजनीतिक विश्वास मजबूत हुआ।
  • भूरणीय और राजनीतिक महत्त्व
    • खाड़ी क्षेत्र का सबसे करीबी पड़ोसी: अरब खाड़ी में ओमान, भारत का सबसे करीबी पड़ोसी है, जिससे सामरिक निकटता और भी मजबूत होती है।
    • होर्मुज जलडमरूमध्य की स्थिरता: होर्मुज जलडमरूमध्य को खुला रखने की ओमान की प्रतिबद्धता भारत की ऊर्जा सुरक्षा और व्यापार प्रवाह के लिए महत्त्वपूर्ण है।
    • विश्वसनीय और तटस्थ साझेदार: पश्चिम एशिया के कुछ हिस्सों के पाकिस्तान की ओर झुकाव के बावजूद ओमान ने भारत के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे। इसकी संयमित और मध्यस्थता-उन्मुख विदेश नीति इसे एक स्थिर साझेदार बनाती है।
    • भारत की पश्चिम एशिया नीति का स्तंभ: राजनयिक संबंध वर्ष 1955 में स्थापित हुए और वर्ष 2008 में सामरिक साझेदारी में उन्नत हुए। भारत की G20 अध्यक्षता (वर्ष 2023) के दौरान ओमान अतिथि देश भी था।
    • क्षेत्रीय समूह: ओमान खाड़ी सहयोग परिषद (GCC), इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) और अरब लीग का अभिन्न सदस्य है, जिससे इसकी राजनयिक पहुँच और भी मजबूत होती है।
  • रक्षा तथा समुद्री सुरक्षा सहयोग
    • संस्थागत रक्षा ढाँचा: रक्षा सहयोग वर्ष 2005 के सैन्य सहयोग समझौता ज्ञापन पर आधारित है।
    • खाड़ी क्षेत्र का सबसे करीबी रक्षा साझेदार: ओमान एकमात्र खाड़ी देश है, जो भारत के साथ नियमित रूप से त्रि-सेवा अभ्यास करता है।

    • सैन्य अभ्यास: इसमें अल-नजाह अभ्यास (सेना) और ईस्टर्न ब्रिज और नसीम-अल-बहर जैसे नौसैनिक अभ्यास शामिल हैं।
    • समुद्री सुरक्षा सहयोग: हिंद महासागर क्षेत्र में समन्वय स्थापित करने तथा समुद्री डकैती विरोधी अभियानों के लिए भारतीय नौसेना वर्ष 2012-13 से ओमान की खाड़ी में तैनात है।
    • ऑपरेशन संकल्प (2019): फारस की खाड़ी संकट के दौरान भारतीय व्यापारिक जहाजों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त प्रयास किए गए।
    • दुक्म बंदरगाह समझौता (2018): इससे भारतीय नौसेना को रसद, बेसिंगस्टोक, पुनःपूर्ति और टर्नअराउंड सुविधाओं तक पहुँच प्राप्त होती है, जिससे होर्मुज जलडमरूमध्य के निकट उसकी पहुँच बढ़ जाती है।
    • परिचालन पहुँच: ओमान भारतीय सैन्य विमानों के लिए उड़ान भरने और पारगमन की सुविधा प्रदान करता है।
    • रक्षा खरीद में महत्त्वपूर्ण उपलब्धि: ओमान भारत की INSAS राइफलें खरीदने वाला पहला खाड़ी देश (2010) बना।
    • रणनीतिक निगरानी का महत्त्व: ओमान की भौगोलिक स्थिति भारत को क्षेत्रीय नौसैनिक गतिविधियों, जिनमें चीन की बढ़ती उपस्थिति भी शामिल है, पर नजर रखने में सहायक है।
  • आर्थिक, व्यापार, निवेश तथा डिजिटल सहयोग
    • व्यापार मात्रा: वित्त वर्ष 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार 10.613 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जिससे ओमान भारत का तीसरा सबसे बड़ा GCC निर्यात गंतव्य बन गया।

    • व्यापार संरचना
      • आयात: पेट्रोलियम उत्पाद और यूरिया (70% से अधिक), साथ ही पॉलिमर, पेट कोक, जिप्सम, रसायन, लोहा और इस्पात, एल्युमीनियम।
      • निर्यात: खनिज ईंधन, रसायन, बहुमूल्य धातुएँ, लोहा और इस्पात, अनाज, जहाज तथा नावें, विद्युत मशीनरी, बॉयलर, चाय, कॉफी, मसाले, वस्त्र।
    • CEPA की बड़ी उपलब्धि (2025): भारत-ओमान व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) के तहत लगभग 98% टैरिफ लाइनों पर शून्य शुल्क की सुविधा दी गई है, जिसमें लगभग सभी भारतीय निर्यात शामिल हैं। संयुक्त अरब अमीरात के बाद ओमान खाड़ी क्षेत्र में भारत का दूसरा CEPA भागीदार बन गया है।
    • निवेश प्रणाली: ओमान में 6,000 से अधिक भारत-ओमान संयुक्त उद्यम कार्यरत हैं, जिनमें अनुमानित निवेश 7.5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
    • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह: ओमान से भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 605.57 मिलियन अमेरिकी डॉलर (2000-मार्च 2025) रहा।
    • ओमान-भारत संयुक्त निवेश कोष (OIJIF): SBI और ओमान निवेश प्राधिकरण का संयुक्त उद्यम (50-50 प्रतिशत), जिसमें 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया गया है, जिसमें वर्ष 2023 में घोषित 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर की एक किश्त भी शामिल है।
    • दुक्म SEZ परियोजनाएँ: भारत-ओमान संयुक्त उद्यम सेबेशिक ओमान (Sebacic Oman) 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से सेबेशिक एसिड संयंत्र स्थापित कर रहा है, जो मध्य पूर्व में सबसे बड़ा संयंत्र होगा।
    • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना कूटनीति: NPCI तथा ओमान के केंद्रीय बैंक के बीच समझौता ज्ञापन (अक्टूबर 2022) के परिणामस्वरूप RuPay डेबिट कार्ड लॉन्च किए गए, जिससे भारत की फिनटेक उपस्थिति का विस्तार हुआ।
  • ऊर्जा, कनेक्टिविटी तथा उभरते क्षेत्र
    • ऊर्जा सुरक्षा: ओमान से कच्चे तेल के निर्यात के लिए भारत दूसरा सबसे बड़ा गंतव्य (चीन के बाद) था।
    • ऊर्जा परिवर्तन: हरित हाइड्रोजन, नवीकरणीय ऊर्जा और महत्त्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में सहयोग का विस्तार हो रहा है।
    • कनेक्टिविटी कॉरिडोर: ओमान, G20 शिखर सम्मेलन 2023 में घोषित भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर (IMEC) में भूमिका निभा सकता है।
    • प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष: अंतरिक्ष सहयोग और विमान, नौसैनिक प्लेटफॉर्म और रडार प्रणालियों के संयुक्त रक्षा उत्पादन पर चर्चा जारी है।
  • शिक्षा, स्वास्थ्य और नागरिक संबंध
    • भारतीय प्रवासी: ओमान में लगभग 7 लाख भारतीय रहते हैं, जो इसकी अर्थव्यवस्था और द्विपक्षीय सद्भावना में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
    • शिक्षा सहयोग: ओमान में IIT और IIM परिसरों की स्थापना और गहन शैक्षणिक सहयोग की संभावनाएँ हैं।
    • स्वास्थ्य सहयोग: चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सहयोग बढ़ाने की संभावना है।
    • CBSE संबंध: ओमान में CBSE प्रणाली ने 50 वर्ष पूरे किए, जो गहन शैक्षिक एकीकरण का प्रतीक है।
    • सांस्कृतिक सहयोग: वर्ष 2010 के एक सांस्कृतिक समझौता ज्ञापन के तहत कला और विरासत के क्षेत्र में आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जाता है।
    • अभिलेखीय सहयोग: भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार और ओमान के राष्ट्रीय अभिलेख एवं अभिलेखागार प्राधिकरण (NRAA) के बीच सहयोग।

भारत-ओमान संबंधों का महत्त्व

  • भारत की पश्चिम एशिया नीति का आधार: ओमान की तटस्थ और मध्यस्थता-उन्मुख विदेश नीति भारत को प्रतिद्वंद्वी गुटों (ईरान-GCC-पश्चिम) के साथ संतुलित संबंध बनाए रखने में सक्षम बनाती है, जिससे ओमान संघर्षग्रस्त क्षेत्र में एक विश्वसनीय राजनयिक प्रवेश द्वार बन जाता है।
  • समुद्री सुरक्षा और हिंद महासागर स्थिरता: होर्मुज जलडमरूमध्य के निकट स्थित दुक्म बंदरगाह (जिससे वैश्विक तेल व्यापार का लगभग 20% गुजरता है) तक भारत की पहुँच पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की परिचालन क्षमता, रसद क्षमता और समुद्री क्षेत्र की जागरूकता को बढ़ाती है।
  • ऊर्जा सुरक्षा और संक्रमणकालीन भागीदार: ओमान कच्चे तेल का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है (वर्ष 2022 में चीन के बाद भारत ओमान का दूसरा सबसे बड़ा तेल बाजार था) और हरित हाइड्रोजन तथा नवीकरणीय ऊर्जा में एक संभावित भागीदार है, जो भारत के दीर्घकालिक ऊर्जा संक्रमण का समर्थन करता है।
  • रक्षा और रणनीतिक विश्वास: ओमान खाड़ी क्षेत्र में भारत का सबसे करीबी रक्षा भागीदार है और एकमात्र खाड़ी देश है, जहाँ तीनों सेनाओं के सैन्य अभ्यास होते हैं, जो असाधारण रणनीतिक विश्वास और अंतर-संचालनीयता को दर्शाता है।
  • व्यापार और आर्थिक विविधीकरण: भारत-ओमान CEPA (2025) ओमान को खाड़ी क्षेत्र में भारत के दूसरे CEPA भागीदार (यू.के. के बाद) के रूप में स्थापित करता है, जो निर्यात विविधीकरण, सेवाओं के विस्तार और MSME एकीकरण के भारत के लक्ष्यों का समर्थन करता है।
  • प्रवासी और जन-केंद्रित कूटनीति: ओमान में लगभग 7 लाख भारतीयों के साथ, यह संबंध सीधे तौर पर प्रेषण, श्रम गतिशीलता और प्रवासी कल्याण को प्रभावित करता है, जिससे यह भारत के लिए सामाजिक तथा राजनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हो जाता है।

भारत-ओमान संबंधों में चुनौतियाँ

  • क्षेत्रीय सुरक्षा अस्थिरता: इजरायल-हमास युद्ध और ओमान की खाड़ी में तनाव जैसे संघर्षों से समुद्री यातायात बाधित होता है।
    • उदाहरण: वर्ष 2019 के खाड़ी संकट के दौरान, भारत ने ओमान के पास भारतीय ध्वज वाले जहाजों की सुरक्षा के लिए ऑपरेशन संकल्प शुरू किया था।
  • तेल से जुड़े व्यापार पर अत्यधिक निर्भरता: ओमान से भारत के आयात का 70% से अधिक हिस्सा कच्चे तेल, पेट्रोलियम उत्पादों और यूरिया का है, जिससे विविधीकरण सीमित हो जाता है और व्यापार मूल्य में उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील हो जाता है।
  • ओमान की नीतिगत बाधाएँ: ओमान की श्रम राष्ट्रीयकरण नीति नागरिकों के लिए रोजगार कोटा निर्धारित करती है।
    • इससे CEPA वार्ता में तनाव उत्पन्न होता है, क्योंकि भारत सेवा क्षेत्रों में भारतीय पेशेवरों की पहुँच की रक्षा के लिए वर्तमान कोटा पर रोक लगाने की माँग कर रहा है।
  • कनेक्टिविटी परियोजनाओं में धीमी प्रगति: ईरान पर लगे प्रतिबंधों, उच्च लागत और तकनीकी चुनौतियों के कारण ‘मिडिल ईस्ट-इंडिया डीपवाटर पाइपलाइन’ (MEIDP/ ईरान-ओमान-भारत पाइपलाइन) परियोजना अभी भी अवरुद्ध है, जिससे ऊर्जा आपूर्ति संबंधी लाभ में देरी हो रही है।
  • चीन का बढ़ता प्रभाव: ओमान से तेल आपूर्ति प्राप्त करने वाला पहला देश चीन था और उसके आर्थिक तथा बंदरगाह संबंधी हित लगातार बढ़ रहे हैं।
  • दुक्म के आस-पास भू-राजनीतिक संवेदनशीलता: दुक्म बंदरगाह तक भारत की रसद पहुँच समुद्री सुरक्षा को मजबूत करती है, लेकिन अन्य शक्तियाँ इसे सामरिक संकेत के रूप में देख सकती हैं, जिससे क्षेत्रीय प्रतिस्पर्द्धा बढ़ सकती है।
  • समझौतों में कार्यान्वयन संबंधी खामियाँ: हालाँकि समझौता ज्ञापन और रूपरेखाएँ मजबूत हैं, नियामक संरेखण, मानकों का सामंजस्य और सीमा शुल्क प्रक्रियाएँ अक्सर जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन को धीमा कर देती हैं, जिससे शुरुआती आर्थिक लाभ कम हो जाते हैं।

सामान्य अंतरराष्ट्रीय सदस्यताएँ तथा बहुपक्षीय सहभागिताएँ

भारत तथा ओमान कई बहुपक्षीय मंचों पर एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं, जो मिलकर उनके क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग की राजनयिक एवं संस्थागत संरचना का निर्माण करते हैं:-

  • इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA): संस्थापक सदस्यों के रूप में, भारत और ओमान समुद्री क्षेत्र जागरूकता (MDA), ब्लू इकोनॉमी, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और सुरक्षित समुद्री मार्गों पर सहयोग करते हैं, जिससे पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में स्थिरता मजबूत होती है।
  • अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA): भारत के नेतृत्व वाली इस पहल में ओमान की सदस्यता सौर ऊर्जा के विकास, वित्तपोषण और क्षमता निर्माण पर सहयोग के लिए एक संरचित मंच प्रदान करती है, जो ओमान के विजन 2040 और भारत की स्वच्छ ऊर्जा कूटनीति के अनुरूप है।
  • संयुक्त राष्ट्र और ‘ब्रेटन वुड्स’ संस्थान: दोनों देश संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन (WTO), अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तथा विश्व बैंक के सदस्य हैं, जो वैश्विक व्यापार शासन, विकास वित्त और पश्चिमी एशियाई स्थिरता सहित मानवीय मुद्दों पर समन्वय स्थापित करते हैं।
  • भारत के नेतृत्व वाली जलवायु और लचीलापन पहल: दिसंबर 2025 की यात्रा के दौरान, भारत ने ओमान को ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस और आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, जो नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु अनुकूलन और अवसंरचना लचीलापन में गहरे सहयोग का संकेत है।
  • क्षेत्रीय समूहों के लिए सेतु: हालाँकि भारत खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) या अरब लीग का सदस्य नहीं है, ओमान एक विश्वसनीय राजनयिक सेतु के रूप में कार्य करता है, जो भारत-GCC मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा सहित क्षेत्रीय गुटों के साथ भारत की भागीदारी को सुविधाजनक बनाता है।

खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के बारे में

  • यह फारस की खाड़ी से सटे और अरब प्रायद्वीप का हिस्सा बनने वाले मध्य पूर्वी देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक संघ है।
  • सदस्य: सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), कतर, कुवैत, ओमान और बहरीन।
  • इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC): OIC का उद्देश्य मुस्लिम जगत का प्रतिनिधित्व करना और मुसलमानों के महत्वपूर्ण हितों की रक्षा करना है।
  • अरब लीग: यह अरबी भाषी अफ्रीकी और एशियाई देशों का एक संघ है, जो अपने सदस्य देशों और पर्यवेक्षकों के हितों को बढ़ावा देता है।

आगे की राह 

  • व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) का क्रियान्वयन: वर्तमान में दोनों देशों की प्रमुख प्राथमिकता वर्ष 2026 की पहली तिमाही तक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) का पूर्ण कार्यान्वयन है।
    • इसका उद्देश्य भारत के 98% से अधिक निर्यात पर टैरिफ को समाप्त करना और 7,00,000 भारतीय प्रवासी समुदाय की रक्षा के लिए ओमानाइजेशन (रोजगार कोटा) पर ‘स्थगन’ खंडों को सुरक्षित करना है।
  • दुक्म को समुद्री सुरक्षा केंद्र में बदलना: केवल रसद संबंधी पहुँच से परे, भारत और ओमान दुक्म बंदरगाह को समुद्री क्षेत्र जागरूकता (MDA) और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (HADR) के लिए एक एकीकृत केंद्र के रूप में विकसित करेंगे।
    • इसमें पश्चिमी हिंद महासागर में भारतीय नौसेना के लिए एक समर्पित रखरखाव, मरम्मत और नवीनीकरण (MRO) प्रणाली स्थापित करना शामिल है।
  • ‘5-इन-5’ हरित ऊर्जा रोडमैप का क्रियान्वयन: दोनों देश अगले पाँच वर्षों के भीतर हरित हाइड्रोजन, हरित अमोनिया और सौर ऊर्जा भंडारण पर केंद्रित पाँच प्रमुख हरित परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाएँगे।
    • यह ओमान विजन 2040 को वैश्विक हरित ऊर्जा निर्यातक बनने के भारत के लक्ष्य के अनुरूप बनाता है।
  • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) तथा फिनटेक एकीकरण को सुदृढ़ करना: इसके अंतर्गत रुपे कार्ड की स्वीकृति से आगे बढ़कर स्थानीय मुद्रा निपटान (LCS) तंत्र को शामिल किया जाएगा।
    • इससे एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) का उपयोग करके निर्बाध, वास्तविक समय में सीमा पार भुगतान की सुविधा मिलेगी, जिससे लेन-देन लागत और डॉलर पर निर्भरता कम होगी।
  • ज्ञान एवं नवाचार गलियारे की स्थापना: यह साझेदारी ओमान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) और IIM  के अपतटीय परिसरों की स्थापना को प्राथमिकता देगी।
    • इसके पूरक के रूप में, बाजरे की खेती और खाद्य सुरक्षा प्रौद्योगिकी में भारतीय विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए भारत-ओमान कृषि नवाचार केंद्र की स्थापना की जाएगी।
  • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) के माध्यम से रणनीतिक संपर्क: ओमान को IMEC के लिए एक महत्त्वपूर्ण प्रवेश द्वार के रूप में एकीकृत किया जाएगा, जो इसके औद्योगिक समूहों और विशेष आर्थिक क्षेत्रों को भारतीय बंदरगाहों से जोड़ेगा।
    • इससे ओमान पूर्वी अफ्रीका और व्यापक खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) क्षेत्र में प्रवेश करने वाले भारतीय माल के लिए एक प्रमुख पुनर्वितरण केंद्र के रूप में स्थापित होगा।

निष्कर्ष

वर्ष 2025 की यात्रा ने ऐतिहासिक संबंधों को आधुनिक सामरिक संतुलन में रूपांतरित कर दिया। ओमान विजन 2040 को विकसित भारत 2047 के साथ जोड़कर, व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) और समुद्री समझौते, समावेशी विकास तथा हिंद महासागर सुरक्षा के लिए एक सुदृढ़ खाका तैयार करते हैं।

अभ्यास प्रश्न भारत-ओमान संबंधों में हालिया घटनाक्रम किस प्रकार पश्चिम एशिया में भारत की विदेश नीति की प्राथमिकताओं के विकास को दर्शाते हैं, इसका विश्लेषण कीजिए।ओमान के साथ संबंध मजबूत करने के भारत के लिए आर्थिक और भू-राजनीतिक निहितार्थ क्या हैं?

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