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भारत कौशल रिपोर्ट (India Skills Report)

Samsul Ansari December 25, 2023 11:24 336 0

संदर्भ

हाल ही में प्रतिभा मूल्यांकन एजेंसी ‘व्हीबॉक्स’ (Wheebox) द्वारा भारत कौशल रिपोर्ट 2024: “कार्य, कौशल और गतिशीलता के भविष्य पर AI का प्रभाव” का अनावरण किया गया। 

रिपोर्ट में शामिल मुख्य तथ्य

  • भारत में रोजगार की स्थिति: इसमें सुधार हुआ है, जिसमें मूल्यांकन किए गए युवाओं में से 51.25% आवश्यक कौशल के साथ रोजगार के योग्य पाए गए है।
  • अधिकतम रोजगार क्षमता (Employability) वाला राज्य: तेलंगाना में रोजगार योग्य प्रतिभा की सघनता सबसे अधिक है जहाँ 18-21 आयु वर्ग में 85.45% रोजगार के योग्य पाए गए।
  • युवा रोजगार की स्थिति (Status of Young Employability):
    • 18-21 वर्ष का आयु वर्ग: हरियाणा युवा रोजगार विकास (youth employability development) में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य के रूप में खड़ा है, जिसमें प्रभावशाली 76.47% परीक्षार्थियों ने अपने WNET परीक्षणों में 60% से अधिक अंक प्राप्त किए हैं।
    • हरियाणा के बाद महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, केरल और तेलंगाना में उच्च रोजगार योग्य युवाओं की संख्या सबसे अधिक है।

Domain wise employability  

रिपोर्ट के बारे में

  • रिपोर्ट को व्हीबॉक्स द्वारा अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, भारतीय उद्योग परिसंघ और भारतीय विश्वविद्यालय संघ सहित विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से लॉन्च किया गया है।
  • रिपोर्ट का यह ग्यारहवाँ संस्करण 3.88 लाख प्रतिभागियों और 152 निगमों की अंतर्दृष्टि के साथ व्यापक व्हीबॉक्स नेशनल एम्प्लॉयबिलिटी टेस्ट (Wheebox National Employability Test-WNET ) पर आधारित है।
  • यह प्रमुख विशेषताओं को उजागर करता है, जो AI क्षेत्र में भारत के नेतृत्व को रेखांकित करती है।

    • 22 से 25 वर्ष का आयु वर्ग:  उत्तर प्रदेश  उच्चतम प्रतिभा सघनता 74.77% के साथ सबसे आगे है । इसके बाद महाराष्ट्र 71.97% के साथ दूसरे स्थान पर है।
  • कंप्यूटर कौशल: तिरुवनंतपुरम ने कंप्यूटर कौशल को बढ़ावा देने वाले शहरों में पहला स्थान प्राप्त किया, जबकि केरल राज्यों में समग्र रूप से तीसरे स्थान पर रहा।
  • कौशल पहुँच: भारत AI कौशल पहुँच  और प्रतिभा सघनता में पहले स्थान पर है।
  • महिला LFPR में वृद्धि:  महिला श्रम बल भागीदारी (Labour Force Participation Rate- LFPR) में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा मिल रहा है और सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों में लैंगिक असंतुलन को धीरे-धीरे ठीक किया जा रहा है।
    • LFPR को जनसंख्या में श्रम बल (अर्थार्थ कार्यशील या काम की तलाश करने वाले  या काल के लिए  उपलब्ध) व्यक्तियों का प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है। 

भारत के राज्यों और शहरों में कौशल वितरण

केरल की विकास  (Growth) कहानी: सर्वांगीण प्रतिभा केंद्र (All Round Talent Hub)

  •  पसंदीदा जगह: यह काम करने के लिए सबसे पसंदीदा राज्य बनकर उभरा।
  • समग्र रोजगार योग्यता: केरल ने 18-21 आयु वर्ग के बीच समग्र रोजगार योग्यता में दूसरा स्थान हासिल किया और भारत में एक मजबूत प्रतिभा पूल के रूप में अपनी स्थिति की पुष्टि की।
  • भविष्य के कौशल का पोषण (Nurturing Future Skills): इसे सुनिश्चित करने का श्रेय शिक्षा और कौशल पोषण के प्रति संतुलित दृष्टिकोण को दिया गया है।
  • सर्वाधिक पसंदीदा शहर: कोच्चि और तिरुवनंतपुरम उन शहरों में क्रमशः दूसरे और चौथे स्थान पर हैं, जहाँ पुरुष और महिलाएँ दोनों काम करना पसंद करते हैं।
    • तिरुवनंतपुरम में केरल के विभिन्न क्षेत्रों से राज्य की राजधानी की ओर पलायन करने वाले अत्यधिक कुशल व्यक्तियों का समूह बढ़ रहा है।
  • रोजगार योग्य प्रतिभा: B.E./BTech और पॉलिटेक्निक कार्यक्षेत्रों ( domains)  में रोजगार योग्य प्रतिभा की उच्चतम सघनता के साथ-साथ अंग्रेजी कौशल की उच्चतम उपलब्धता के मामले में केरल तीसरे स्थान पर है।
  • विविध कौशल समूह (Diverse Skill Pool): इसने एक बहुआयामी  प्रतिभा पूल का प्रदर्शन किया, जिसने विभिन्न कौशलों में इसके प्रदर्शन को सक्षम बनाया है।
  • यह प्रवृत्ति पारंपरिक मानदंड को चुनौती देती है कि रोजगार योग्यता प्रमुख शहरी केंद्रों तक ही सीमित है, जो पूरे देश में प्रतिभा के व्यापक फैलाव को दर्शाता है।

अतिरिक्त कौशल अधिग्रहण कार्यक्रम (Additional Skill Acquisition Program-ASAP) केरल:

  • यह केरल सरकार के उच्च शिक्षा विभाग की एक पहल है, जो युवाओं को उनकी रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए आवश्यक उद्योग-प्रासंगिक कौशल (Industry-Relevant Skills) प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • इसने पिछले दशक में 2.5 लाख से अधिक उच्च माध्यमिक छात्रों को कौशल प्रदान किया।
  • इसने सामुदायिक कौशल पार्क और उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जिन्हें पूरे देश में उन्नत प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण के लिए अनुकरणीय मॉडल के रूप में मान्यता दी गई है।

  • द्वितीय भाषा के रूप में अंग्रेजी: कर्नाटक 73.33% दक्षता के साथ अग्रणी बनकर उभरा, जो भाषा कौशल पर राज्य के जोर को दर्शाता है।
    • इसके बाद उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र हैं जो अंग्रेजी दक्षता के विविध भौगोलिक विस्तार को प्रदर्शित करते हैं।
  • संख्यात्मक कौशल (Numerical Skills): तेलंगाना में संख्यात्मक कौशल 78.68% देखा गया है, जो मात्रात्मक क्षमताओं (Quantitative Abilities) पर राज्य के फोकस को रेखांकित करता है।
    • उत्तर प्रदेश और बिहार, संख्यात्मक कौशल में उत्कृष्टता प्रदर्शित करते हैं। 
    • शहरों में बेंगलुरु और विजयवाड़ा सबसे आगे हैं, जो प्रमुख शहरी केंद्रों में मजबूत संख्यात्मक कौशल का संकेत देते है।
    • वित्त, डेटा विश्लेषण और STEM क्षेत्रों में भूमिकाओं के लिए संख्यात्मक कौशल में दक्षता महत्त्वपूर्ण है।
  • समालोचनात्मक चिंतन (Critical Thinking) : तेलंगाना 37.70% के साथ क्रिटिकल थिंकिंग में शीर्ष पर है, जो विश्लेषणात्मक (Analytical) सोच को महत्त्व देने वाली संस्कृति का प्रदर्शन करता है।
    • महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश इसका करीबी अनुसरण कर रहे हैं, जिससे एक क्रिटिकल थिंकिंग कौशल विकसित करने की प्रवृत्ति दिखा रहे है।
  • कंप्यूटर कौशल : महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और केरल कंप्यूटर कौशल में अग्रणी हैं, जो तकनीकी प्रगति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
    • बेंगलुरु एक प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में उभरा है, जो शहरों में अग्रणी है।
Demand for AI workers for English

भारत के कार्यबल पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का परिवर्तनकारी प्रभाव:

  • AI कौशल: अगस्त 2023 तक 416 हजार AI पेशेवरों के स्थापित प्रतिभा आधार के साथ, देश लगभग 629 हजार की वर्तमान माँग को पूरा करने के लिए अच्छी स्थिति में है।
    • वर्ष 2026 तक यह माँग बढ़कर 1 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है।
    • भारतीय AI उद्योग के 45% CAGR के साथ वर्ष 2025 तक 28.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
    • यह स्वास्थ्य सेवा, वित्त, खुदरा कृषि और विनिर्माण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में AI को व्यापक रूप से अपनाने से प्रेरित है।
  • भारत में AI पेशेवरों की बढ़ती माँग: जनवरी 2016 से जून 2023 तक देश में AI कुशल व्यक्तियों की संख्या में 14 गुना वृद्धि हुई है।
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रतिभा में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष पाँच देशों में, सिंगापुर, फिनलैंड, आयरलैंड और कनाडा के साथ, भारत भी शामिल है।
  • कौशल की पहुँच : भारत में AI कौशल की पहुँच या उपलब्धता वैश्विक औसत से तीन गुना अधिक है।
  • AI कौशल अंतराल (AI Skill Gap): भारत में वर्तमान में मशीन लर्निंग इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट, DevOps इंजीनियर और डेटा आर्किटेक्ट जैसी महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं में माँग और आपूर्ति के बीच 60% से 73% का अंतराल है।

The countries facing the greatest skill shortage

भारत में कौशल विकास की चुनौतियाँ:

  • कौशल अंतराल: भारत में, उद्योगों की माँग और शिक्षा एवं प्रशिक्षण के माध्यम से हासिल किए गए युवाओं के कौशल के बीच एक बड़ा कौशल अंतराल मौजूद है।
    • लगभग 31% निरक्षर हैं, केवल 13% को प्राथमिक शिक्षा प्राप्त हुई है और केवल 6% कॉलेज स्नातक हैं। इसके अतिरिक्त, केवल 2% कार्यबल के पास औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण है तथा केवल 9% के पास गैर-आधिकारिक, व्यावासायिक प्रशिक्षण है।

कौशल के प्रकार

  •  संज्ञानात्मक कौशल: साक्षरता और संख्यात्मकता के बुनियादी कौशल, व्यावहारिक ज्ञान और समस्या-समाधान की योग्यता तथा प्रयोग, तर्क एवं रचनात्मकता जैसे उच्च संज्ञानात्मक कौशल।
  • तकनीकी और व्यावसायिक कौशल: किसी भी व्यवसाय में उपकरणों और विधियों का उपयोग करके विशिष्ट कार्य करने की शारीरिक और मानसिक क्षमता।
  • सामाजिक और व्यावहारिक कौशल: काम करना, संवाद करना और दूसरों को सुनना शामिल करें।
    • इन तीन प्रकार के कौशलों के विभिन्न स्तरों को मिला कर, कौशलों को और विभाजित किया जा सकता है ताकि उन्हें मौलिक, रोजगारी, और उद्यमिता कौशलों में विभाजित किया जा सके।

  • कौशल असंगति (Skills Mismatch): शैक्षणिक और प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा प्रदान किए जाने वाले कौशल, उद्योगपतियों की आवश्यकता के अनुरूप नहीं हैं क्योंकि उद्योग-संकाय के बीच बातचीत की कमी है।
    • नतीजा यह होता है कि लोग कुशल तो हो जाते हैं लेकिन उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता।
  • अनौपचारिक कार्यबल: भारत का 90% से अधिक कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में है।
    • NCAER  के शोधकर्ताओं के अनुसार, भारत एक दुष्चक्र में फँस गया है, जहाँ कार्यबल की अनौपचारिकता के कारण नए कौशल हासिल करने के लिए प्रोत्साहन कम हो जाता है। कृषि क्षेत्र में काम करने वाले अधिकांश भारतीयों के पास औद्योगिक या सेवा क्षेत्र की नौकरियाँ लेने का कौशल नहीं है।
    • नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) भारत का सबसे पुराना और सबसे बड़ा स्वतंत्र, गैर-लाभकारी, आर्थिक नीति अनुसंधान थिंक टैंक है।
  • कौशल प्रशिक्षण की खराब गुणवत्ता: सरकारी कौशल कार्यक्रमों की समस्याएँ शिक्षण केंद्रों की कमी से लेकर खराब शिक्षण, कोई प्रमाण-पत्र नहीं, प्लेसमेंट की कमी या बाधित प्लेसमेंट, प्रशिक्षकों की कमी, उन प्रशिक्षित लोगों के लिए कोई उच्च वेतन की सुरक्षा की कमी तक है।
  • सरकारी आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015 और मार्च 2023 के बीच, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित 10 मिलियन (1,37,24,226) लोगों में से 20 प्रतिशत से भी कम को रोजगार प्रदान किया जा सका।
  • खराब औद्योगिक जुड़ाव (Linkage): इसका परिणाम मौजूदा माँगों और रुझानों की समझ की कमी है। यह अंतर नौकरी बाजार की व्यावहारिक आवश्यकताओं के साथ पाठ्यक्रम के संरेखण को रोकता है।
  • पाठ्यक्रम के मानकीकरण का अभाव: पाठ्यक्रम का कोई मानकीकरण नहीं है, जिससे विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों में पाठ्यक्रमों की तुलना करना मुश्किल हो जाता है, जिससे छात्रों के बीच प्रदान किए जाने वाले कौशल के बारे में अस्पष्टता पैदा होती है।

भारत द्वारा कौशल विकास प्रयास 

  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY): इसका उद्देश्य भारतीय युवाओं को उद्योग-प्रासंगिक कौशल प्रशिक्षण लेने में सक्षम बनाना है, जो उन्हें बेहतर आजीविका सुरक्षित करने में मदद करेगा।
  • कौशल भारत मिशन (Skill India Mission): इसका लक्ष्य देशभर में लाखों युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है। यह विनिर्माण, निर्माण, स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित है।
  • राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (National Skill Development Corporation-NSDC): यह कौशल प्रयासों को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण भागीदारों, उद्योग निकायों और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदाताओं के साथ सहयोग करके कौशल विकास पहल को बढ़ावा देने में भूमिका निभाता है।
  • राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन (National Skill Development Mission-NSDM): इसका उद्देश्य एक संपूर्ण कार्यान्वयन ढाँचा तैयार करना है, जो गुणवत्तापूर्ण लघु और दीर्घकालिक कौशल विकास (SD) के अवसर प्रदान करता है, जिससे उत्पादक रोजगार और कॅरियर में प्रगति होती है, जो प्रशिक्षुओं की आकांक्षाओं को पूरा करती है।
  • आजीविका संवर्द्धन के लिए कौशल अधिग्रहण और ज्ञान जागरूकता (Skill Acquisition and Knowledge Awareness for Livelihood Promotion-SANKALP): इसका उद्देश्य कौशल विकास के लिए संस्थागत तंत्र को मजबूत करना और देश भर में युवाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण और बाजार-प्रासंगिक प्रशिक्षण तक पहुँच बढ़ाना है।
  • सेक्टर कौशल परिषदें (Sector Skill Councils-SSC) इन्हें उद्योग और सरकार के बीच समन्वय को मज़बूत करने के लिए इंटरफेसिंग संगठनों के रूप में स्थापित किया गया था।
  • राष्ट्रीय प्रवासन नीति (National Migration Policy-NMP): सरकार प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने और उनकी गतिशीलता के साथ-साथ संसाधनों तक पहुँच को सुविधाजनक बनाने के लिए NMP विकसित करने पर काम कर रही है।
    • पिछले पाँच वर्षों में काम के लिए दूसरे देशों में जाने वाले भारतीय श्रमिकों की संख्या में 20% की वृद्धि हुई है।

आगे की राह 

  • कार्यबल का कौशल उन्नयन और पुनर्कौशलीकरण: बदलते तकनीकी परिदृश्य के अनुकूल मौजूदा कार्यबल को कुशल बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए।
    • AI, ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और एनालिटिक्स जैसी नए जमाने की प्रौद्योगिकियों के उद्भव ने उभरते कौशल वाले पेशेवरों की उच्च माँग पैदा की है।
    • व्यावहारिक अनुभवों, उद्योग सहयोग और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित करके छात्रों को भविष्य के नौकरी बाजार के लिए आवश्यक कौशल से लैस करना।
  • सरकार, शिक्षा जगत और कॉरपोरेट क्षेत्र का सहयोग: यह व्यापक कौशल विकास कार्यक्रमों को डिजाइन और कार्यान्वित करने, कर्मचारी कौशल विकास को बढ़ावा देने और उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार एक प्रतिभा पूल बनाने में मदद करेगा।
    • इन पहलों पर ध्यान देना चाहिए पारंपरिक इंजीनियरिंग कौशल और अत्याधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ, तेजी से विकसित हो रहे उद्योग की माँगों को पूरा करने के लिए कार्यबल को सक्षम बनाना।
  • व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना: यह कुशल जनशक्ति की एक स्थिर पाइपलाइन तैयार करेगा।
    • ये पहल शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग विशेषज्ञों के साथ जुड़कर पाठ्यक्रम को बुनियादी ढाँचा क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं के साथ संरेखित कर सकती हैं।
  • परामर्श क्षेत्र को बढ़ावा देना:  यह विशिष्ट विशेषज्ञता की माँग को पूरा कर सकता है। परामर्शी भूमिकाओं में अनुभवी पेशेवरों को शामिल करने से परियोजना की दक्षता और गुणवत्ता में वृद्धि होगी।
  • पेशेवर परामर्श (Career Counselling): कम उम्र में छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा के लिए आवश्यक अनुभव प्रदान करने के लिए माध्यमिक विद्यालयों में कॅरियर परामर्श और मार्गदर्शन की स्थापना करना।
  • जागरूकता निर्माण (Awareness Creation): ऑटोमेशन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा एनालिटिक्स (विश्लेषण), रोबोटिक्स आदि जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में जागरूकता बढ़ाना और छात्रों को शामिल करना।
  • दूरस्थ एवं नियमित शिक्षा का एकीकरण: यह विविध पृष्ठभूमि के शिक्षार्थियों को उनकी प्राथमिकताओं और आवश्यकताओं के आधार पर लचीलापन और व्यापक पहुँच प्रदान करेगा।

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